डिल्याले बझाइल मैया

संगम चौधरी
५ माघ २०७८, बुधबार
डिल्याले बझाइल मैया

एक्ठो गाउँमे घुम्ना करम मे  बुडु पर्ना ब्याक्तिसे भेंट हुइपुगल् । थारु पुर्खौलि घर रहे उहे घरक् अंगनाम् बैठल डिल्या बिनठ् डेख्के उ बुडुसे गफ लगैनास लागल् । मोर छोटिक् आडट् टे काबा कि पुर्खान से ज्याडा संगट कर्ना, काहेकि पुर्खा अपन थारु कला संस्कृटिके ओ थारुन्के इटिहासके बाट कर्थै ।

उ बुडुहे डेख्के महि लागल् इ बुडु जरुर आपन जवानिम् खेलाडि रहुल हुहिंन् । हुकार बोलाइ ओ बाट कराइ अनुसार मै ठिक मनैन् ठन आइल टुँ जस्टै लागल् । मने उ बुडुक् ठर ठेगान बटैना अनुमटि नैहो महि । बुडु पिर्कम् बैठल अपन हरचालि कर्टि रहिठ् । मै हुँकार ठन गैनु ओ हुँकार हालखबरसे बाटक् ओरि टर्नुु । बुडु कपार खुजैटि ठिके बा हो नाटि कटि अपन् ठन् रहल पिर्का सरकैटि बैठे कलैं ओ मोर ओरिक् हालखबर पुछलैं । मै अपन सबकुछ ठिके बटैनु ओ बुडुसे अपन बाट नमैटि, बुडुक् हरचालि सुग्घुर डेख्नु ओ सुग्घर बनाइल डेख्के काहाँ सिख्लो बुडु, इ सब बनाइक् कैके खोड्याके पुछे लग्नु । बुडु कलै बाबा सिपार रह , छोटमे बाबक् संग सिख्नु कटि टेलारे बुडु अपन बाटेम् टेल लगैटि कलैं, अहोइ बुडु यहे डिल्या ले टे  टुहार बुडिहे उरहार्के लन्नु कटि अपन आढा खोँर डांट डेखैटि खिठ्ठा मारके हस्लै । मै बुडुसे खोड्याके पुछेलग्नु कसिके हुइल बुडु कटि  । 

बुुडु बरे मन लगाके अपन कहानि सुरु करलै । अहोइ नाटि यह डिल्या टे हो मोर चिन्हा । छोटमे बाबक् संग सिख्के बहुठ् भारि काम हुइलस । टुहार बुडि बठिनिया रहिन् । एक रोज छेग्रि चर्हाइ गैल मे टुहाँर बुडीसे भेट होगैल रहे । उ कलिन अहोइ टेलारे भाटु मोर लग मच्छि मर्ना डिल्या बिनडेहो, मै हुकार बाटेम् मन्जुरि जनैनु ओ एक्ठो डिल्या बिनके डेनु, उहे डिल्या से हमार मैया महाजोर बहाज गैल । मोर डिल्यक् बरे बयान करे लग्लै । बुडु आपन जवानिक बाट गहिंर से लैजाइ टहिठ् । मोर सोचल बिरकुल सहि ठहरल रहे कि बुडु अपन जवानिम् खेलाडि रहल हुँहि । मने मोर सोचल से ज्याडा खेलाडि निकरलैं । मोर खिट्कोरल बाट अनसार टेलारे बुुडुु अपन बाटमे महि भुल्वा सेकल रहिठ । बुडु कलै बुर्हागैनु होइ बुडु मने अभिन फेन टुहार बुडिसे रमैलक् उ डिनिक् याड आइठ् कटि फेनसे उहे आढा टुटल डाँट डेखैटि हँस्टि अपन जवनिक् बाट सुरु कर्लै । बुडु अपन खयाल बिना करल अपन गोसिन्यक् बयान करेभिर्लै । जवानमे टुहार बुुडिक् गाल स्याउसे कमनै रहिस, आपटे जम्मा चिम्स्यागैलिस् । भुट्ला फेन पुठ्ठा  पुगल रहिस ओ फेचहुवा झोँटिम् फुन्ना लागल झबन्ना बरे सुग्घुर डेखाइन् । घेंंचाभर गहना सुत्या, माला, गुरिया रना । कानेम टर्कि ओ झिल्मिल्या, नाकेम नठिया, फोफि, माठेम टिक्लि, आँखिम् कजरा बरे सुग्घुर डेखाइन् । आँगेम् चोलिया, लहँगा ओ अघरान पारले बरे सुहाउन लागिन् । गिट गैना ओ नच्नामे फेन सिपार, मै मडरिया टुहार बुडि जुन नचुनिया बरे मजा लागे होइ नाटि पहिले, कटि फेनसे उहे आढा टुटल डाँट डैखेटि हाँस्डेलै । एक ओर बुडि हुँक्का कोरक्वारसे सुर्कटि कलिन, बरे जवान हस लाग्ठिुहिस बड्डोहे कटि बुडि फेन अपन खोँर डाँट डेखैटि हँस्लिन् । बुडु अपन उ डिनिक् अपन जवानिक् बयान कर्टि फेनसे एक्ठो डिल्या बिन्के निप्टाडर्लै । बुडु डिल्या अपन गोसिन्यक् ओर सरकैटि कलैं, लेरि डिल्या इहे डिल्या टे हो हमार मैया बझुइया कटि मिझनि मंग्लै । एक घचिक् पाछे गोसिन्या टुम्मक् जाँर ओ लसनक् चट्नि लानडेलिन् । बुडु एक सस्सु एक डोस्टिडोनिया जाँर स्वाट पर्टि टोंटा सुखागैल रहे होइ नाटि, कलै आप टे पहिलक् जसिन नाचकोर फेन नैहुइठ् नाटे गिट बाँस कटि बुडु अपन बाट ओरवा डेलैं ।

डिल्याले बझाइल मैया बुडि बुडुहे अपन कला संस्कृटि मे फेन बरेजोर बझैले रहिन् । ओइने अपन जवानिम् अपन थारुनके भेस, भासा, कला संस्कृटिके इज्जट कर्लेरहिठ् । हामार घरेम बेल्सना चिज, हमार रिट, हमार भासा, हमार संस्कृटि, यहे हो हमार थारुनके पहिचान । हम्रे एकर इज्जट करना ओ इहिहे बचाइ पर्ना जरुरि बा । ओराइल ।   

 

डिल्याले बझाइल मैया

संगम चौधरी