अपन कला संस्कृटि के लग भिरे डउ ।
किटे साठ् डेउ, किटे अरगरसे डौरे डेउ ।
लोप हुइटि बा पुर्खनसंगे हमार पहिचान,
थारुनके इटिहास एक् एक् कैके जोरे डेउ ।
छाटिठोक्के हिम्मट साठ कहेसेकम् थारु हुँ,
ओहे कारन अपन थारु भासा करे डेउ ।
चिन्हाइ पर्ना बा अपन भेस ओ जाट् हे,
लेहेँगा, चोलिया, ढोटि, पग्रि पारे डेउ ।
परिवर्टन हुइल युगमे लावा पुस्टक् चलन,
विचारक् लग मै संगम हे झँक्याके हेरे डेउ ।
-संगम चौधरी