पर्यटकनके लाग एक गन्तव्य थारु संग्रहालय

सागर कुस्मी
१७ पुष २०७९, आईतवार
पर्यटकनके लाग एक गन्तव्य थारु संग्रहालय

पर्यटकनके लाग एक गन्तव्य थारु संग्रहालय

हमार देसमे टमान ठाउँमे हेर्ना ओ घुम्ना मेर्के ठाउँ बा । जहाँ एकचो गैलेसे पाछे फेन फेन जैनास लग्टी रहठ । ओहेमारे कंचनपुर जिल्लाके शुक्लाफाँटा नगरपालिका–८ मे पर्ना पर्यटकीय क्षेत्र थारु सङ्ग्रहालय फेन पर्यटक लोगनके गन्तव्य बन्टी गैल बा ।

आन्तरिक ओ बाह्य पर्यटकनके स्वागत करक लाग उ संग्रहालय गन्तव्य बन्ल हो । शुक्लाफाँटा नगरपालिकाके वडा नम्बर ८ कार्यालयके सहयोगमे बनल संग्रहालय थारु संस्कृति झल्कना परम्परागत परिकार, पहिरन, गहना, रहनसहन  ओ संस्कृति सम्बन्धी चिजबरन संग्रहित हुइल बा । पर्यटकीय क्षेत्र भल्कामे रहल  परम्परागत थारु सङ्ग्रहालयके प्रचारप्रसारके लाग हरेक साल माघमे सांस्कृतिक माघ मेला आयोजना करटी आइल बा ।
 
कुछ बरससे माघके अवसरमे वडा कार्यालय थारु संस्कृति जगेर्ना कर्ना ओ  सङ्ग्रहालयके प्रचारप्रसारके लाग माघ मेलाके आयोजना हुइटी आइल  बा । थारु समुदायके आस्थाके धरोहरकके रुपमे रहल  भल्कामे वडा कार्यालयके सहयोगमे सङ्ग्रहालयके लाग परम्परागत शैलीके घर बनाइल बा ।

आन्तरिक तथा बाह्य पर्यटकके  सुविधाके  लाग सङ्ग्रहालयमे सौय ऊर्जा ओ शौचालयके  व्यवस्था फेन कैल बा । सङ्ग्रहालय अवलोकनके लाग आउइया पर्यटकके  लाग थारु समुदायके संस्कृति, रहनसहन ओ जनजीविकासँग सम्बन्धित वस्तु ढारल बा सजाइल बा । थारु समुदाय प्राचीनसे वर्तमान समयसम परम्परागतरुपमे  प्रयोग हुइना वस्तु सजाके सुरक्षित बा ।

सङ्ग्रहालयमे थारु समुदाय प्रयोग हुइना हेल्का, डिलिया, छिटुवा, पखै, डेल्वा, बेर्री, पिर्का, पैना, चन्डोल, डोली, ढडिया, खोंगिया, पैवा, खराउ, चटुवा, डपला, मन्द्रा, डफ, बस्या, कुथली, डेहरी, मरुवा, पाता, भाला, बर्सी ढाल लगायतके सामान ढारल बा । ओस्टेके, हर, जुवा, डोक्नी, भोक्टी, भौका, छिटनी, लैया, जबरा, अष्टम्की लगायतके  सामानसमेत सङ्ग्रहालयमे आकर्षकके रुपमे बा ।

लरहिया, लहरु, बगरुवा, कुवाँ लगायतके समेत व्यवस्था कैगैल बा ।  सङ्ग्रहालयमे थारु समुदायके महिला लगैना नथिया, फुली, बुलाँकी, ढुङ्ग्री, टर्की, झुम्का, माला, गटिया, सुटिया, बाजु, चुरुवा, कारा, पहिरी, बिछिया लगायत गहनासमेत अवलोकनकर्ताके लाग ढारल थारु सङ्ग्रहालय व्यवस्थापन समितिके सचिव भागीराम चौधरी बटैलैं । 

उहाँ बटाइल अन्सार, थारु समुदायके महिला लगैना लेहङ्गा, चोली ओ पुरुष लगैना ढोटी, कमिज, अङ्गच्छा समेत सङ्ग्रहालयमे ढारल उहाँ  बटैलैं । परम्परागत नाच ओ संस्कृति डेखाइक लाग अल्गे परम्परागत शैलीके घर फेन सिर्जाइल बा । भल्का थारु समुदायके परम्परागत धार्मिकस्थलके रुपमे रहल बा । भल्कामे रहल कुण्डमे पानी उप्पर उफ्रने करठ । कुण्डके पानी गर्मीमे जुर ओ जारमे गरम हुइठ । माघ लहानके बेला यी क्षेत्रमे बर्वार  मेला फेन लागठ ।

माघके बेला कुण्डके पानीसे लहैलेसे चर्मरोग ठिक हुइना जनविश्वास रहल बा । स्वच्छ मनसे मनौटा कैलेसे निःसन्तान रहल मनै सन्तान पैना ओ मन पराइल  बठिनियाँसे भोज हुइना स्थानीयवासीनके कहाइ बा ।

सङ्ग्रहालयमे लागल माघ मेलामे थारु कलाकार, साहित्यकार परम्परागतसंगे आधुनिक नाच ओ गीत प्रस्तुत कैना  काम करटी आइल बटैं ।  मेलामे कैलाली, बाँके, बर्दिया लगायत क्षेत्रमे थारु समुदायके ख्यातीप्राप्त लोकगीत गायक ओ कलाकार ओइनके भेंट्घाट फेन हुइटी आइल बा ।

एक्के  ठाउँमे थारु समुदायके कला संस्कृतिसंगे नाच हेरक  लाग  व्यवस्था मिलाइल व्यवस्थापन समितिके सचिव भागीराम चौधरी बटैलैं । हेरैटी गइल गीत नाचगान संगे कला संस्कृतिके बारेम्  यहाँके युवा पिँढीहे हेरे ओ सिख्ना अवसर जुरैले बटी उहाँ कनैं, इहिसे थारु समुदायके कला संस्कृति जगेर्ना कर्नामे मद्दत पुगल बा ।

थारु संग्रहालय हेरक लाग कंचनपुरके कलुवापुर चोकसे ५ किलोमिटर उत्तर पुरुब जाइ परठ । अटोमे ७० रुपिया टिरके जाइ सेक्जाइठ कलेसे पैडर एक घन्टा नेंगके पुगे सेइजाइठ । थारु संग्रहालय सक्कुहुनके असरामे मुसकुरैटी बा ।
सागर कुस्मी

पर्यटकनके लाग एक गन्तव्य थारु संग्रहालय

सागर कुस्मी

लेखक थारु भासा साहित्यमे समसमायिक विषयमे कलम चलैठैं ।