सिंहपुरम थारु साहित्यिक सिंहनाद

सुशील चौधरी
३० फाल्गुन २०७९, मंगलवार
सिंहपुरम थारु साहित्यिक सिंहनाद

विचार
सिंहपुरम थारु साहित्यिक सिंहनाद

नेपाली भाषाके महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा साहित्य सजीव अनुभवक कलात्मक प्रकाशन हो कल बाट । अंग्रेजी साहित्यके मसिहा वर्डस्वर्ड प्रवल भावके सहज उच्छलन हो कैक परिभाषित कर्ल बाट । साहित्य मानव भावके उद्घाटन हो कलसे साहित्यके माध्यमसे समाज रुपान्तरणम विचार निर्माण करसेक्जाइठ । असिन मोहन्यइना विषयम कहियासे मोहनी लागल पट्ट निहुइल । रसरस साहित्यके बाहुपासम परगैनुँ । ज्याकरमार साँसट व्यहोर्ठुु, जान ना भक्वास बरा बठा झप्वास कह असक ।

ज्ञानके खोजम गोरपासुक भूमिका रहठ । यि संसारम गोरपासुकैक संसारके खोजी कर्लक इतिहास मिलठ । सहीगलत ज्या हुइलसेफे कोलम्बस अमेरिका पत्ता लगैलक कैक पहर्जाइठ । भारत पत्ता लगैनाम भास्कोडिगामा हन पहर्जाइठ । चिनिया यात्री हुयन् शाङ के डायरी फें गोरपासु कर्नाम हिरगर मनैयाँ ओ लेखक मानगिल बा । भारतीय लेखक राहुल साँकृत्यायनफले घट्गरक गोरपासु करुइया मनै मानगिल बाट । गौतम बुद्ध फें लुम्बिनीसे गयासम जाक ज्ञान हाँसिल कर्लक पाजाइठ । भारतके जयपुर साहित्य महोत्सवहन संसार भरके बरवार ओ प्रभावशाली साहित्य मेला मानगिल बा । नेपालम फें गइल एक दसकसे नेपाल साहित्य फेस्टिवल काठमण्डु ओ पोखराम हुइटी रहल बा ।

भारतीय ओ नेपाली मुर्धन्य साहित्यकार ओ स्रष्टाहुकन्हक जुट्याल्हाम हुइटिरलक समाचार ओ समीक्षा पहर्टी सुन्टी हइलक बाट हो । संस्थागत कामके दर्मियानम आझसे दस वरष पहिल राजधानी काठमाण्डुकवासी हुइना अवसर मिलल मही । राजधानीक साहित्यिक सरगमके माहौलम भावनाके पँख लगाए पइनुँ । उह समयम काठमण्डुम साहित्यक महफिल बनल । थारु साहित्यके सारथी गोचा कृष्ण सर्वहारी जे आझ डाक्टरसाप् होसेक्ल मही काठमण्डुम साहित्यक स्वागत कर्ल आपन कीर्तिपुरके डेराके छतम । जहाँ कीर्तिपुरम उच्च शिक्षा हासिल करअइलक दर्जनसे ढेउरनक विद्यार्थीहुक्र सामेल रलक । मही उ दिन ओह्रागिलक बुद्ध खादा महीहन असिक हिलाइल, ज्याकर राप ओ तापकके कारण बरा सोचम परगैनुँ । सर्वहारी गोचा, नन्दुराज गोचा ओ सीताराम भाईसे लग्टार चिया गफम रमट रमट, महामजा साहित्यक ओ साँस्कृतिक संवादके वातावरण विकसित हुइटी गइल । उहक्रमम ठुम्रार साहित्यक बखेरी, श्रृखला सुरु हुइल । हालसम सयौं पइला आघ जास्याकल बा । नन्दुराज चौधरी गोचाके अगुवाईम चम्पन साँस्कृतिक समूह अस्तित्वम आइल, जौन समूह रोशन रट्गैयाँ, राज कुश्मी, दीपक चौधरी, दिपक दीप, दोषहरण, रितु, रेनु, जसिन कलाकार जर्माइल ।

कीर्तिपुरके चिया गफम चियाके वाफमसे थारु साहित्य महोत्सवके अवधारणा विजारोपरण हुइल, २०७२ सालम । उह सपनाहन पहिला म्याला २०७३ सालम दांगके घोराहीम हुइल । दोसरा कैलालीक पटेलाम, टिसरा बर्दियाके बढैयातालम, चौठा रुपन्देहीक उचडिहवाम, पाँचवा सुर्खेतके नयाँगाउँम ओ छठवा पइला कंचनपुरके सिंहपुरम हुइल । यि छ ठो सफल साहित्यक सम्मेलनके यात्राम दुई बरस कोरोनाके कहर फें झेलगिल ।

छठवा साहित्यक सम्मेलन कंचनपुरम भव्य रुपम हुइल । सिहंपुरके कपिलाहुँक्र असिन ऐतिहासिक कामकेलाग जौन साँसट, हाँसहाँसके पुराकर्ल, उहाँहुकहन् नमन कर्ना म्वाँर ठे उपयुक्त शब्द निहो । यहीसे पहिल मै एकचो साहित्यिक ओ साँस्कृतिक विमर्श कर अइना मौका पासेक्लक मार मही पुरा विश्वस रह, सिंहपुर गाउँ सिंहनादके साथ सम्मेलनहन सफल करहीँ कैक । सुरुम संघरियन बहुत शंका कर्लसेफे पाछ सिंहपुरके टिमके आत्मविश्वास देख्क कंचनपुरहन पाला डेना निष्कर्षम पुगल रलह ।

तयारीक सम्बन्धम केन्द्र ओ स्थानीय आयोजकहुकहन्म समन्वयके अभावम सम्मेलनके अनिश्चतता महसुस हुइटह । मुले जस्टक दिन लग्ग आइल, सबजन जमक जाँगर डेखैलकमार, लक्ष्यम पुग्ना सफल होगिल । स्थानीय व्यवस्थापनके सवालम प्रश्न उठैना ठाउँ नैहो । विहान्नी ठारु जन्नी कामम जुट्जैना, खाना, नास्ता, पानीके कौनो अस्तव्यस्तता अनुभूत निहुइल । अन्डीक भात, ढिक्रीक बासी ओ मिन्ही विशेष रह । सम्मेलनम मारगिल जिटा ट झन् कहाँ भुलाई सेक्जाइ । सिंहपुर सामुदायिक बन उपभोक्ता समितिक वातानुकुलित सभाहल हुइलक मार, कार्यक्रम चलइना कौनो दिक्कत निहुइ ।

थारु लोकसाहित्यम सौन्दर्यशास्त्रके खोजी, आख्यान लेखनका अनुभव, थारु जोधाको खोजी, थारु पत्रकारिता, महिला नेतृत्वके सवाल, विकासम भलमन्सा । बरघरके भूमिका, सामाजिक संजालम थारु साहित्य, कंचनपुरके राजनीतिक अवस्था लगायतके विषयम खनगर बखेरी कैगिल रह ।

थारु लोकसाहित्यम सौन्दर्यशास्त्रके खोजी विषयम संस्कृतिविद् सुशील चौधरी ओ जोगराज चौधरी विमर्श कर्लरलह कलसे सहजीकरण सोम डेमनडौरा कर्ल रलह । यी सत्रम, थारु लोक साहित्यम रलक लोक दर्शन ओ सौन्दर्यशास्त्रके परिशिलन कैगिल रह । थारु समाजके आधार थारु लोकसाहित्य ओ संस्कृति हो उहमार लोकविश्वसम लोक दर्शन खोज्ना बेला आस्याकल बा कनाबाट अनुभूत कराइल । आख्यान लेखनके अनुभव मदन पुरस्कार विजेता रामलाल जोशी ओ साहित्यकार शिवानी सिंह थारु सुनैल । लेखक शेखर दहित डुनु मुर्गन्नी आख्यानकारहुकन्हक पोठी खोल्ल रलह । थारु जोधाके खोजी विषयम डा. कृष्ण सर्वहारी गालामर्ल रलह । शेखर दहित, राम सागर चौधरी, ओ कथाकार सीताराम थारु प्यानलिष्टक रुपम भूमिका अदा कर्ल रलह । यि सत्रम देशभरके थारु जोधाके खोजी करकलाग सम्भावित नाउँ उल्लेख कैगिल ओ छुटमुट परिचय फे करागिल रह । अधिकारकर्मी दिल बहादुर चौधरी कंचनपुरके थारु राजनीतिक अवस्था विषयम विमर्श कर्लरलह ।

राजनीतिककर्मी देविलाल थारु ओ संचारकर्मी ओ बुद्धिजिवी बलबहादुर डगौरा प्यानलिष्टक रुपम योगदान डेल रलह । थारु नेताहुकहन्म स्वतन्त्र विचार विकसित निहुइलक मार पछलग्गुपन देखैना प्रवृत्ति रलक बाट अंग्रइल । सामाजिक संजालम थारु साहित्यबारेम गायक राजु चौधरी चर्चा कर्ल रलह कलसे गजलके विषयम गजलकार सागर कुश्मी विवेचना कर्ल । थारु महिला ओ नेतृत्व विषयम अधिवक्त गीता चौधरी नेतृ गीता थारु ओ सुनिता चौधरी सानु आपन अनुभव ओ अनुभूति पस्कल रलक । निबन्धकार साफी चौधरी बखेरीम बाट बिट्खोर्ज रलही ।

साहित्यकार छवि कोपिला पोस्टाके रचनागर्भक विषयम चर्चा कर्ल रलह । सम्मेलनक उद्घाटन सत्रम विमोचन कैगिलक थारु जोधा पोष्टक लेखक शेखर दहित, जोँजा निबन्ध संग्रहक लेखक बीरबहादुर राजबंसी, लखागिन जर्नलक सम्पादक मानबहादुर पन्ना ओ गोरपासु संस्मरण निबन्ध संग्रहक लेखक साफी चौधरी आपन कृति लिख बेलाके साँसट, हौसला ओ सहज असहज परिवेशके बारेम मन विट्खोर्ल रलह । कृष्णपुर नगरपालिकके उपप्रमुख रमीता राना बडायक, वडा अध्यक्ष आशाराम चौधरी स्थानीय विकासम भलमन्सा ओ बरघरके भूमिकाके विषयम गाला मर्लरलह । उ बखेरीहन गुर्सावन डर्ना काम सोम डेमनडौरा डर्ल रलह । कवियित्री प्रकृति पुजाके सुमधर स्वरम कविता वाचन, ओ गजलके जलवा फे सम्मेलनहन चमचम बनइनाम सघैल रहल ।

छठवा साहित्य सम्मेलनके आर्थिक सहयोग विशेषकैक कृष्णपुर नगरपालिका कर्लरह, सम्मेलनक उद्घाटन फें नगरप्रमुख कर्णबहादुर हमाल कर्ल रलह । नगर प्रमुख हमाल थारु भाषा, साहित्य ओ संस्कृतिक संरक्षण ओ विकासकलाग सद्ध तयार रलह बटैल ।

स्थानीय आयोजकके भूमिकाम रलक जोगराज चौधरी, वडाध्यक्ष आशाराम चौधरी, नत्थुराम चौधरी, मोहन सरके सक्रियता अप्पन्हेम ल्वाभ लग्टिक रह । भन्सरियनके जाँगर ओ राहरंगित कर्ना चमचम बोली ट कहाँ बिस्राए सेक्जाइ । सिंहपुर सामुदायिक बनके अंगना ल्वाभ लग्टिक ढ्यांग ढ्यांग सख्वक रुख्वाके सिट्टर छहिया, फुटवल खेल मैदानके डखिनओर रलक प्राकृतिक पानी पम्प पानीक सुविधाके बाट ट का बट्वइना हो ?

निमांग थारु गाउँ, भाषा ओ संस्कृति रलक सिंहपुरिक लट्ठहवा, छोक्रा, महोटिया नाचके सरगम अप्नहेम गाउँक सौन्दर्य बह्रइल रह । एक सय बरस पहिल दांग उपत्यकाके थारु सभ्यताके पोठी मनभर सजाक महाकालीक किनार आक फे असिन निमांग गीत, मंद्रक ख्वाँट ओ लगाम सिंहपुरम ह्यार, ड्याख, सुन, नाच नचाए पाइबेर गर्वले छाटि फुलल । थारु पहिचान, थारु संस्कति नेपाल अखण्ड राज्यके असिक अमित पन्ह्वा हो ज्याकर अभावम नेपाल पूर्ण निहो, असिन लागल ।

थारु लेखक संघ, थारु कल्याणकारिणी सभा, गोचाली परिवार, सिंहपुर युवा क्लवके सहकार्यम सम्पन्न कैगिलक ऐतिहासिक छठवा थारु साहित्य सम्मेलन बहुट चिज सिखाइल । हरेक थारु गाउँ राष्ट्रिय स्तरके सम्मेलन कर्ना सक्षम बाट कना उदाहरण सिंहपुर गाउँ डेखाइल । कैलाली ओ कंचनपुर राना थारुन्के बसोवास रलह भुगोल हो । राना थारु भाषाम कुछ विशेष कर सेक्लसे आकुर चम्पन हुइसेक्ने रह, अइना दिनम स्थानीय सवालम फे ध्यान जाइ पर्ना महसुस हुइल । छानगिल विषयम संख्यात्कम ओ गुणात्मक सहभागिता व्यवस्थापनम फे ध्यान डिह पर्ना अनुभूति फें हुइल ।

आम संचार माध्यमम समाचारके बन ओ कनाए अत्रा सेक्गिल कि नाइ ? समीक्षाके विषय हुइ । राज्यसत्ता चलुइयाहँुक्र पटा पइल कि नाइ काजुन धमाकेदार मागदावी ओ पहर्ल की नाइ सम्मेलनके एघार बुँदे घोषणापत्र । मुले, एकठो बाट भर सत्य हो, मोरंगसे कंचनपुरसमके साहित्यकारहुकन्हक उपस्थितिम हुइल छठवा साहित्यिक सम्मेलन थारु समुदायके पहिचान ओ नेपाल निर्माणके सन्दर्भम आपन बुलन्द आवाज सुनाइल । सम्मेलन वर्गीयता, जातीयता ओ क्षेत्रीय विभेद नेपाली समाजके आम अन्तरविरोध हो कना बाटहन महिन ढंगसे विट्खोर्ना जाँगर कर्लक महसुस हुइल ।
साहित्यके डिया बर्टी, रस रस आघपह्री ।
समाज ओजरार पर्टी, लौव लौव पोस्टा पह्री । ।
जय गुर्बाबा ।
सुशील चौधरी
मंजोरबस्ती बर्दिया

सिंहपुरम थारु साहित्यिक सिंहनाद

सुशील चौधरी