मुक्त थारु कमैयाँ, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव

एन्जल कुश्मी
१ चैत्र २०७९, बुधबार
मुक्त थारु कमैयाँ, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव

मुक्त थारु कमैयाँ, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव
कमैयाँ प्रथा पश्चिम नेपालके दाङसे कञ्चनपुरसम फैलल दास प्रथा जस्टे हो । कमैयाँ विशेष कैके घरके काम ओ खेतीपाती कामके लाग रख जाए । कमैयाँ बैठेबेर मुक्त कमैया थारुनके अवस्था एकदमे नाजुक रहे । घर खर्च, गास वास कपास सबकुछ जमिन्दार ओ मालिकके भर रहे । कमैयाँ बैठेबेर मुक्त कमैयाँ थारुनके जिवन मालिक ओ जमिन्दारके ईसारामे चलट रहे । ओइने एक प्रकारके बँढुवा मजदुर जैसिन रहैं । मुक्त कमैया थारुनके जिवन बहुत कष्टकर रहे । यिहे कारणसे मुक्त कमैयाँ थारु हुक्रे मालिक जमिन्दारके सेवामे तल्लिन रहिंट, एक प्रकारके बँढुवा मजदुर जैसिन । यिहे अवस्थामे मुक्त कमैया थारु हुक्रे खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाइ पाइँट । और कोइ सिप तालिम ओ आयआर्जनके काम करे नाइ पाइँट जेकर कारणसे ओइनके आर्थिक अवस्था और कमजोर हुइटी गइल, ऋणके उपर ऋण बह्रटी गइलिन, जहाँसे बाहेर निकरना असम्भव जस्टे हुइ गइल रहिन । अपन छाइछावन मजा शिक्षा दिक्षा डेहे नाइ पाइँट । आझुक दिनसम सरकारसे कमैयाँ मुक्ति घोषणा करल दुई दशक.हुइल बा तर फें मुक्त कमैयाँ थारुनके अवस्थामे मजा सुधार आइल नाइ बिल्गठ । कोइ–कोइ मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके आर्थिक अवस्थामे मजा सुधार अइलेसे फेन ओइनके सामाजिक अवस्था विगतके जस्ते बिल्गठ । वर्तमान समयमे मुक्त कमैयाँ थारु हुक्रे दैनिक ज्यालादारी लेवर, ईट्टा भट्ठा, ओ अन्य निम्न दर्जाके कामदरके रुपमे काम करटी गुजारा करट बाटैं । कमैयाँ रहे बेर मुक्त कमैयाँ थारु हुक्रे केवल खेतीपाती गाई भैंस किल हेरैं और ओहे काममे अभ्यस्त हुइटी गइनै ओ हुइ फेन गइनै जेकर कारणसे वर्तमान समयमे फेन विगतके समय जैसिन जिवन वितैना बाध्य हुइल बाटैं । मुक्त कमैयाँ थारुनके परम्परागत पेशासे वर्तमान अवस्थामे ओइनके सामाजिक जिवन प्रभावित हुइल देखा परठ ।

नेपालके मध्यपश्चिम ओ सुदूरपश्चिम क्षेत्रके दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे कृषि मजदुरके रुपमे देशके अन्य क्षेत्रसे फरक किसिमले कमैयाँ रख्ना चलन रहे । नेपालमे अन्य कृषि मजुदर नगद वा जिन्सिके रुपमे अपन ज्याला लैके काम करिंट तर कमैयाँ हुक्रे फरक किसिमले अपन ज्याला वा पारिश्रमिक बाफत वार्षिक ज्यालाके रुपमे लैके जमिन्दारके घरमे काम करिंट । ओइनहे खेतीपाती बाहेक अन्य घरायसी काम फेन करेक लगा जाए, अपन जग्गा जमिन नाइ हुइलेक ओरसे परिवारके पेट भरेक लाग ओ अन्य खर्चके लाग रकम अभाव हुइल ओरसे जमिन्दार साहु ओइनसे ऋण लेहट रहैं, मुक्त कमैयाँ थारु हुक्रे निरक्षर रहिंट, जन्दिारके आघे बोले डराइँट । जमिन्दार साहुसे लेहल ऋण तिरे नाइसेकटसम उहे जमिन्दारके घरमे वर्षौ वर्ष काम करेक पर्ना हुइल ओरसे यिहे मुक्त कमैयाँ थारु हुक्रे पुस्तौंसम कमैयाँके जिवन बितैना बाध्य हुइल रहिंट ।

मानव सभ्यताके लाग कलंकके रुपमे रहल कमैयाँ प्रथाके सुरुवात कहियासे सुरुवात हुइल कहना एकीन तिथिमिति किटान करे नाइ सेकलेसे फेन सन् १९६० मे नेपालमे औलो उन्मुलनसंगे कमैयाँके सुरुवात हुइल कना विद्वान ओइनके अनुमान बाटिन । यी अनुमान सत्यताके लग्घु काहे बा कलसे औलो उन्मुलनसंगे तराईके क्षेत्रमे तत्कालीन शासकहे फकैना फुस्लैना ओ राज्य सत्ता शक्तीके पहुंच हुइल लोगन बहुत ढेउर उर्वर भूमि राज्यके तरफसे विर्ता स्वरुप प्राप्त करल ओ ओइसिन जग्गामे खेती कर्ना किसानहुक्रन कुछ लेना ओ डेना शर्तमे काम लगाइल प्रमाण फेला परठ । साथे अपन जमिनमे किसानके बैठेक लाग झोपरी बुकरा समेत बनाके डेहिंट । पाछे पाछे दिन भर खेटुवाके काम करके बचल समय जमिन्दारके घरायसी काम करेक पर्ना फेन नियम लगाइल प्रमाण फेला परठ । परिवारके सक्कु सदस्य हुक्रे जमिनदारके निर्देशन बमोजिम काम करेक पर्ना ओ काम करल वापत मूलीसे वार्षिक रुपमे तोकल ज्याला मुक्त कमैयाँ थारु लोग पाइँट कलेसे औरेजे खाना लुगाके हिसावमे चुक्ता हुइना ओ औषधी उपचार लगायतका आवश्यक चिजके लाग समय समयमे डेहल रकम ऋणमे परिणत करके आजीवन काममे बैठना बाध्य बनाजाए । अस्टेके जमिन्दार लोगनके जमिनमे पसिना चुवाके जमिन्दारके आम्दानी बरहुइया परिश्रमी व्यक्ति ओ परिवार क्रमस ः बँढुवा मजदुर अर्थात् कमैयाँमे परिणत हुइ पुगलैं । अर्जुन गुणरत्ने (२००२) थारु लोगनके बारेमे असिक लिख्ठैं, नेपालके प्रत्येक राजनीतिक ऐतिहासिककालमे थारु लोगन महत्वपुर्ण योगदान देख मिलठ, चाहे पञ्चायतकाल होए या अन्य कौनो आन्दोलन । तर जब तराईमे मलेरिया उन्मुलन हुइल गैरथारु लोगनके बसाईसराई तराईमे जोरडार रुपसे बरहल । राजनितिक, आर्थिक दृष्टिकोणसे ओ जालझेलमे माहिर गैरथारु लोग तराईमे सोझ थारु लोगन उपर अपन हैकम बनैना सफल हुइलैं जौन कारणसे थारु लोगनके करिया दाग कमैयाँ कमलहरीके समय सुरु हुइल ।

मुक्त कमैयाँ थारु लोगन पर मालिक जमिन्दारनके अन्याय अत्याचार चरम अवस्थामे पुगटी रहे जौन मुक्त कमैयाँ थारु लोगनसे सहना क्षमता ओराइ लागल रहे । मालिक जमिन्दार ओ मुक्त कमैयाँ थारु लोगन बिच बहुत दुरी हुगइल रहे । यीहे बिचमे थारु अगुवा लोगनसे वर्ग सङ्घर्षके आवश्यकता महसुुस हुइल ओ कमैयाँ आन्दोलन सुरु हुइल । वर्ग सङ्घर्षके सिद्धान्तमे कार्ल माक्र्स (१८४८) सामाजिक वर्गके अवधारणा ओ वर्ग सङ्घर्षके सार्वभौमिकताहे ऐतिहासिक आधारमे स्पष्ट करटी पूँजीवादी व्यवस्थामे वर्ग सङ्घर्षके प्रक्रिया ओ यकर कारणबारे विस्तारपुर्वक स्पष्ट परले बाटैं । माक्र्सके अनुसार पूँजीवादी व्यवस्थामे अल्पसंख्यक पूँजिपति लोग श्रमिक लोगनके मनोमानी रुपसे शोषण करठैं । पूँजि ओ उत्पादनके साधनमे अपन स्वामित्वके कारण राजनितिमे फे पूँजिपति लोगनके प्रभुत्व रहठ ओ राज्य कानुन फें पुँजीपती लोगनके पक्षमे बोल लागठ ।

अस्टे परिस्थितिमे माक्र्स सर्वहारा वर्गहे सङ्गठित करके वर्ग सङ्घर्षको चेतना उल्लेख कर्ना आवश्यक हुइना बटैले बाटंै । कमैयाँ मुक्तिके आन्दोलनहे फेन यीहे वर्ग सङ्घर्षके रुपमे लिहे सेकजाइठ । कमैयाँ मुक्ति पाछे फेन मुक्त कमैया थारु लोग वर्गीय विभेदके सिकार हुइटी बाटैं । हाँठमे सिप ओ लगानीके अभावके कारण मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके अवस्था विगतके जस्टे बा ओ परम्परागत पेशाहे नै अंगीकार कर्ना बाहेक और उपाय नाइ बिल्गठ । यीहे कारणसे ओइनके जिवनशैली विगतके जस्टे बा । आर्थिक गतिविधिमे बहुत पाछे परल मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके परम्परागत पेशा अपनैना बाध्य हुइल बाटंै जिहिसे मुक्त कमैयाँ थारु लोागन पर आर्थिक निर्धारणवाद हावी हुइल बा । कमैयाँ मुक्ति फें वर्ग सघंर्षके एक ठो रुप हो । कयौं वर्षसे जमिन्दार ओ पुँजीपति वर्ग लोगनसे शोषित हुइल मुक्त कमैयाँ थारु लोग उ शोषण दमनके पराकाष्ठाहे चिरके अपन ओ परिवारके उज्जवल भविष्यके लाग अन्तत ः संघर्षके डगर रोज्नै, कमैयाँ आन्दोलन करनै, कमैयाँ बँढुवा मजदुरसे मुक्त हुइनै ।

कमैयाँ प्रथा कहलेक विशेष करके कृषि कार्यके लाग जमिन्दार लोग मौखिक सहमतिमे मजदुर रख्ना चलन हो । जमिन्दार लोग जो सयौं विघा जमिनके मालिक रहिंट ओइने भुमिहिन ओ गरिब परिवारके व्यक्तिहुक्रन कृषि कार्य करेक लाग मजदुर राखैं जिहिन कमैयाँ कमैयाँ कहजाए । कमैयाँहुक्रे खास करके जमिन्दार लोगनके कृषि मजदुर हुइँट । कमैयाँ लोग जमिन्दार लोगनके ऋणि रहैं जौन ऋण तिरेक लाग ओ कोई ऋण तिरे नाइ सेकके बाध्यात्मक रुपमे कृषि मजदुर हुके बैठल रहैं । वास्तवमे थारु समुदायमे अपन संस्कृति ओ सामाजिक परिवेश भित्तर प्रयोग हुइल कमैयाँ शब्द आदरसूचक मानजाए । कमैयाँके अर्थ दास नाइ हुके काम कर्ना मनैयाँ हो ओ स्वभावैसे कमैयाँ लोग बहुत मेहनती हुइलेक ओरसे कर्मशिल परिश्रमी कहना अर्थमे प्रयोग हुइटी आइल कमैयाँ शब्द समय क्रममे बँढुवा मजदुरके अर्थमे प्रयोग हुइ लागल रहे । तत्कालीन समयमे फोकतमे श्रम लगैना प्रथा, विर्ता, गुठी, जागिर जैसिन भूमि व्यवस्थाके कारण बँढुवा मजदुरके रुपमे पुस्टौं पुस्टा काम करेक पर्ना बाध्यतासे जन्म हुइल एक प्रकारके दास प्रथाके रुपमे देखा परल । सोझ प्रवृत्तिके आदिवासी थारु, जमिन्दार लोगनके चलाकी ओ मालिकीय स्वभाव, कमैयाँ बैठना खर्चिला व्यवहार, गरिवी, भुमिसुधार कार्यक्रममे कमैयाँ नाइ पर्ना, दण्डहीनता जैसिन कारणसे यी प्रथा जोरदार रुपसे फैलटी गइल रहे ।

कमैयाँ खास कैके खेतीपाती कर्ना उद्देश्यसे केल रख्ना चलन रहे । कमैयाँ लोगन दिनभर कृषि काममे सिमित रखजाए जेहिसे ओइने कृषि बाहेक थप आर्जन ओ अन्य सिपमुलक काम ओर अपन ध्यान लगाइ नाइ सेक्नै । यीहे कारणसे मुक्त कमैयाँ थारु लोग अपन ओ परिवारके पेट भरेक लाग ओ अन्य दैनिक आवश्यकता पुरा करेक लाग पुर्ण रुपसे जमन्दिार उपर निर्भर हुगैल रहिंट ओ कमैयाँके रुपमे बैठना मजबुर हुइल रहैं । अस्टेके पुरुष कमैया हुक्रे मालिक जमिन्दार लोगनके खेतीपातीमे व्यस्त हुइगैनै कलेसे ओइनके लर्का, जन्नि हुक्रे जमिन्दार लोगनके घरभन्सा चुलाचौकीमे सिमित हुइ गइल रहैं । कमैयाँ बैठलसम मुक्त कमैयाँ थारुनके गास वास कपास जमिन्दार लोगनसे चलत रहे तर दुई दशक आघे तत्कालीन सरकारसे कमैयाँ मुक्ति घोषणा करल पाछे मुक्त कमैयाँ थारु लोगन घर ना घाटके हुइल रहैं । तत्कालीन सरकारसे ना मुक्त कमैयाँ लोगनके व्यवस्था करल ना टे ओइनठन कुछ रहे । मुक्त कमैयाँ लोगनके समस्या ओर विकराल रुप धारण कर लेहल रहे । मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके लाग बुहतसे सरकारी गैर सरकारी परियोजना आइल तर फेन मुक्त कमैयाँ लोगनके समस्या दुखः जस्टे रहे ओस्तट रहगइल ।

कमैयाँ मुक्ति पाछे मुक्त कमैयाँ थारु लोग बहुत दुख पइनै ओ अभिन फें बहुतसे मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके परिवार विगतके जस्ते दुख पाइँट बाटंै, ओइनके जिवनस्तर एकदमे दयालग्टीक प्रकृतिके बा । मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके वर्तमान जिवनस्तर न्युन हुइनाके कारण ओइनके परम्परागत पेशा रहल मिलल बा । अन्य आयआर्जनके सिप विना सामाजिक दृष्टिसे न्युन स्तरके काम करेक पर्ना बाध्य हुइल बाटैं । वर्तमान समयमे मुक्त कमैयाँ थारु लोग ईटा भट्टा, लेवरी मजदुरी करटी अपन दैनिक गुजारा करट बाटैं । ओइनके लर्का मजा शिक्षासे वञ्चित बाटैं जौन कारणसे मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके छाइ छावा फेनसे कमैयाँ कमलहरी बन्ना अनुमान करे सेक्जाइठ । मुक्त कमैयाँ थारु लोग वर्तमान अवस्थामे विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापमे संलग्न बाटैं, मने फें ओइनके सामाजिक जिवनशैलीमे कुछ फें परिणाममुखी सुुधार नाइ देख मिलठ । कमैयाँ रहटसम मुक्त कमैयाँ थारु लोग अपन जमिन्दार मालिकके खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाइ पइनै यीहे कारणसे ओइनके कृषि मुख्य पेशा बनल । यीहे कारणसे आभिनफें मुक्त कमैयाँ थारु लोग कृषी बाहेक और पेशामे सन्तोषजनक तरिकासे अटाए नाइ सेकल हुइँट ।

परम्परागत पेशाके काराणसे मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके आम्दानी न्युन बाटिन ओ आम्दानी न्युन हुइलेक कारणसे मजा शिक्षा, गुणस्तरीय औषधी उपचार, सन्तुलीत भोजनसे ओइने बञ्चित हुइल बाटंै । साथे राजनीतिक तवरसे फेन पाछे परल बाटंै । परम्परागत पेशा मुक्त कमैयाँ थारु लोगनके किल नाइ हुके आब सक्कु थारु समुदायके चुनौतीके रुपमे आघे आइल बा । बहरटि रहल शहरीकरण ओ कृषी उत्पादनके बजार अभाव ओ न्युन बजार मुल्यके कारण थारु लोगन अन्य आय आर्जनओरफें ध्यान डेहना जरुरी देख मिलठ । अपन छाइछावन बजारमे प्रतिस्पर्धा कर्ना मेराइक शिक्षा डेहना जरुरी देख मिलठ । थारु लोगनके सम्पत्ति, आय स्रोत कहलेक जमिन हो तर अब्बेक समयमे महंगा भुमी, कर ओ कृषीसे न्युन आम्दानीके कारण थारु लोगनसे जमिन बिक्री कर्ना कार्य बरहल बा जिहिसे भविष्यमे थारु राजनैतिक रुपमे अल्पमतमे पर्ना, संस्कृतिमे परिवर्तन अइना ओ पहिचानमे प्रश्न चिन्ह खडा हुइटी अस्तित्व समेत ओरा जैना खतरा बरहल बा । थारु लोगनके अस्तित्व ओ पहिचान बचाइक लाग थारु लोगनके जमिन बाचय पर्ना ओ मजा आर्थिक गतिविधिके लाग पेशा परिवर्तन कर्ना जरुरी देख मिलठ ।
एन्जल कुश्मी
कैलाली

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