थारू साहित्य सम्मेलन ओ म्वाँर मनक् बात

प्रणव आकाश
६ चैत्र २०७९, सोमबार
<strong>थारू साहित्य सम्मेलन ओ म्वाँर मनक् बात</strong>

थारू साहित्य सम्मेलन ओ म्वाँर मनक् बात
प्रणव आकाश

आयोजकह जयगुर्बाबा ।
कार्यक्रम समिक्षाक ब्यालम मै म्वाँर आपन्अ समय व्यस्तताक कारण बैठ नि सेक्नु । समीक्षा बैठक म बैठ नि पाक महि चुकचुक लागटा । मनम लागल बाट, ओ सिखल बाट सम्मेलन टट्ल रहल ब्यालाम ढैलसे अर्थपूणर् हुइने रह, टभुनेफें एक डुइ बाट कह चाहाटु ।

माघ महोत्सव ओ ७वा थारु साहित्य सम्मेलन-२०७९ भव्य ओ सभ्य बनाक निम्जैलकम आयोजक, कार्यक्रमके वक्ता, सहजकर्ता, कला प्रस्तुतकर्ता ओ उपस्थित हुइलक सक्कु सहभागीहुँकन्हक बरा भुमिका बाटिन् ।

सम्मेलनम लर्कापर्कासे बुह्राखाह्रा सक्कु उमेर समुहके सहभागी उपस्थित कराइ सेक्लकम आयोजकहुकन सम्मान बा, ट फें, सहभागीनक संख्याह कसिन कार्यक्रमक डिजाइन/फर्मेटमार्फत आकुर बह्राइ सेक्जाइ कनाम निरन्तर छलफल ओ निष्कर्ष साँटासाँट कर पर्ना डेख्पर्ठा ।

ओसहेक साहित्यिक सम्मेलनक तयारी बैठक कम्तिम ३ महिनाठेसे पाक्षिक रुपम कर्टी गैलसे आवश्यक डकुमेन्ट, प्रचारप्रसार सामग्री निर्माण, विषय ओ प्यानलिस्ट छनौट, आर्थिक सहयोग, जसिन ट्याम लग्ना काम सहजिल हुइने रह ।

अखिसके साहित्यिक सम्मेलनम यदि नाच नै होडेहटह ट, दर्शकके हाहाकार लग्ना अवस्था घनिघनि डेख पर्टह । यी हिसाबले साहित्यिक सम्मेलनम महा सुहावनसे, दर्शकन्हक अवस्था टौलटौलके माघ महोत्सव के रुपम नाचगान, ओ प्रतिभा प्रस्तुत हुइलक महाँ ठुन्यार लागल ।

तर अइना डिनम साहित्यिक सम्मेलनह विशुद्ध साहित्य सम्मेलन नाउँक ब्राण्डसे केल आघ बह्रैलसे मजा हुइ कि ? माघ महोत्सव या अन्य और कौनो महोत्सव तथा सेलिब्रेसनके आपन छुट्ट महत्व हुइलक ओर्से ओ साहित्य सम्मेलनके फें आपन छुट्ट महत्व ओ प्रभाव हुइलक कारण अखिसके नाउँ ढराइ अभ्यासहे ठन्चे उदाहरणके रुपम लेक समीक्षा कर्ना कि ?

साहित्यिक सम्मेलनम बहस बाहेक मुख्य आकर्षणके चिज का रना, वाकर बारेम फें आब रचनात्मक बहस कर पर्ना बा । सम्मेलनके प्रचारप्रसारक लाग पोस्टर डिसाइजन, विज्ञापन निर्माण कर्ना, भिडियो बनैना कामक लाग छुट्ट ओ चलायमान प्रचारप्रसार टोलि बनाइ पर्ना डेख्पर्ठा ।

सम्मेलनले उठैलक मुद्दाम आधारीत छोट सलिमा, डकुमेन्टरीह सम्मानस्वरुप प्रदर्शन कर्ना व्यवस्थापन कर परल । नाटक फें प्रस्तुत कर्ना हो कलसे, नाटक समुहसे पैल्हसे सहकार्य कर परल, सम्मेलनके मुहठे कहबेर मन रटिरटि फें प्रस्तुत कर नैसेक्जाइठ ।

कार्यक्रमम पेन्टिङ प्रदर्शनीह फें महत्वपुणर् स्थान डेहे परि । कौनो सेसन प्रदर्शनीके बीचमे फेन चलाई सेक्जाइ । सम्मेलनम एकठो घ जहन जति स्रस्टाहुँकनके रचना सुन्ना मेरके सेसन बनाइ परल ओ रचना वाचनकलाग लाग फें अलि व्यवस्थित समय निर्धारण कर परल ।

साहित्यिक सम्मेलनम सहभागीहुँकन अस्या लग्टी समय खिर्बासे कर्ना साधन केल निहोक रचना वाचनह सम्मानित रुपम कर पर्ना महसुस हुइल । सम्मेलनम थारु भाषा, संस्कृति ओ थारु केन्द्रित मुद्दाम बहस हुइना सबसे महत्वपुणर् बात हो । यी बिषयम माघ महोत्सव ओ ७वा साहित्यिक सम्मेलन २०७९ सफल हुइल बा ।

सम्मेलनक भव्य ओ सभ्य सफल्ताके बारेमा जगजाहेर बा । सम्मेलनम “साहित्यम थारु युवा “ सेसनम वक्ताक रुपमा डु चार बात ढर पाक खुसी बाटँु, उहिसे ढेर गोचाली थारु समाजके दिनराटके खटाइ ओ व्यवस्थापनके लाग खुसी बाटुँ ।
हाल काठमाडौं

<strong>थारू साहित्य सम्मेलन ओ म्वाँर मनक् बात</strong>

प्रणव आकाश