‘पत्रिका चलैना जत्रा चुनौती बा, ओत्रै अवसर फें’

लक्की चौधरी
९ चैत्र २०७९, बिहीबार
‘पत्रिका चलैना जत्रा चुनौती बा, ओत्रै अवसर फें’

‘पत्रिका चलैना जत्रा चुनौती बा, ओत्रै अवसर फें’

कैलाली जिल्लाके साविक उर्मा ४ रामपुर (हाल धनगढी १६) कैलालीमे २०३५ कार्तिक १६ गते जन्मल साहित्यकार तथा पत्रकार लक्की चौधरीके थारु समुदायमे, नेपाली पत्रकारिता तथा साहित्यमे कर्टि आइल कुशल योगदान अतुलनीय बा । अङ्गरिमे गने सेक्ना मध्ये एक सम्मानित व्यक्तित्व हुइँट उहाँ । ‘हमार पहुरा’ अर्धसाप्ताहिक, पाछे दैनिकके प्रकाशक ओ सम्पादक होके थारु पत्रकारितामे योगदान डेहल उहाँ आझकल नेपालके जेठो पत्रिका गोरखापत्र दैनिकके उप–सम्पादकके जिम्मेवारीमे बाटैं । अस्टके गोरखापत्र सञ्चालक समिति सचिव (बोर्ड सचिव) के कार्यभार फें सम्हाँर सेकल व्यवसायिक पत्रकारितामे बाटैं । नेपाल सरकारसे डेजिना क्षेत्रीय प्रतिभा पुरस्कार २०६७ से पुरस्कृत, ओ औरे दर्जनसे ढेउर सम्मानसे सम्मानित फें उहाँ हुइल बाटैं । उहाँक् सहिदान (गजल संग्रह २०६१), तिहुवार (निबन्ध संग्रह २०६२), अन्तर्भाव (गजल संग्रह २०६३), मोर पहुरा (लेख संग्रह २०७०), नेन्धर (कविता संग्रह २०७१), हँसौनी (चुट्किला संग्रह २०७२) प्रकाशित बाटिन । यिहे क्रममे पत्रकार सागर कुश्मीके करल छोटमिठ बातचित यहाँ प्रस्तुत बा ।

१. अप्ने पत्रकारिता क्षेत्रओर कसिक छिर्लि ? यहाँसम पुग्लक सफलताके रहस्य का हो ?


मै पत्रकारिता तालिम लेके पत्रकारितामे छिरल नैहुँ । वि.सं. २०५२ सालमे एसएलसी डेके कम्प्यूटर कोर्स कर्नु । कम्प्यूटरमे ओ टाइप राइटरमे डिप्लोमा करके २०५४ सालसे आपन कम्प्यूटर डेस्कटप ओ इन्स्टिच्यूट खोल्नु । दुई वरषसम कम्प्यूटर सेटिङ, डिजाइन ओ प्रशिक्षण डेनु । २०५४ सालसे स्थानीय पत्रपत्रिका श्री नेपाल टाइम्स, सुदूर सन्देश, सुदूर साप्ताहिक लगायतके पत्रिका सेटिङ कर्टी कर्टी पत्रकारिताके बारेमे बुझगिनु । २०५५ सालसे त धमाधम समाचार लिखे जान दर्नु । समाचार का हो कना पता होगिल । औरेजे दौर दौर मोर डेस्कटपमे आके पत्रिका सेटिङ करैना, मै डिजाइन कैडेना काम कर्टी कर्टी मोर दिमागमे ‘क्लिक’ करल कि आपन थारु भाषाक् पत्रिका काकरे नैचलैना ? ओहे सोंचके साथ थारु भाषक पत्रिका ‘पहुरा’ जिल्ला प्रशासन कार्यालयमे दर्ता कैके २०५९ चैत २९ गतेसे प्रकाशन शुरु कर्नु । मही सहयोग करुइया औरेजे संघरियनफें रहैं । प्रकाशन समूहमे इन्सेकमे कार्यरत राजकुमार चौधरी, दिलबहादुर चौधरी, बेसमे कार्यरत नेपालु चौधरी, समाजसेवी बुन्दीलाल चौधरीके समूह सहयोग कर्ले रहे । उहाँ हुक्रनके प्राविधिक ओ व्यवस्थापकीय सहयोगसे मै पत्रिका प्रकाशन शुरु कर्नु । अपनहँ पत्रिकाके लाग समाचार लिखुँ । अपनहँ डिजाइन करुँ । अपनहँ पत्रिका पुगैना हकरके काम फें कर्नु । पाछे विस्तारे सक्कु चिजके व्यवस्थापन हुइटी गैल । अविनाश चौधरी, मुकेश टेर्रा, राम दहित, सागर कुश्मी लगायतके संघरियन फें ऊ बेला पत्रिका हकरके काम कैके सहयोग करलैं । विस्तारे तालिम लेना अवसर मिलल् । २०६० सालमे धनगढीमे प्रेस यूनियनके आयोजनामे पत्रकारिताके आधारभूत तालिम शुरु हुइल । केन्द्रीय अध्यक्ष मुरारी शर्मा अपनहँ तालिम डेहे धनगढी आइल रहैं । ऊ तालिममे मै उत्कृष्ट प्रशिक्षार्थी हुइनु ।

ओकर पाछे तमाम तालिमके अवसर आइल । पहिले मै तालिम लेके आपन सीप विकास कर्नु, ओकर पाछे विस्तारे संघरियनहे फें तालिममे पठैनु । अविनाश, वसन्त चौधरी, सागर कुश्मी, मुकेश, पवित्रा चौधरी, वसन्ती चौधरी, सकुन्तला चौधरी, अनिता चौधरी लगायतहे फें पहुराके पहलमे तमाम तालिम डेगिल । उहाँहुक्रे आझ कहुँ ना कहुँ एडजष्ट होके काम कर्टी बाटैं । अविनाश, वसन्त, मुकेश, राम, सागर सक्कुजे पहुरामे लम्मा समय काम करलैं । ओइने सिपार हुइलंै तो पाछे औरे पत्रिकामेफें काम पैलैं । ओइनके फें सीप विकास हुइलिन् । ऊ खुशीके बात हो ।

पाछे मै पहुरा पत्रिका निकर्टी निकर्टी २०६३ वैशाख १ गतेसे ‘हमार पहुरा’ अर्ध साप्ताहिक शुरु कर्नु । ओहे पत्रिका नेपालके थारु भाषक पहिला अर्धसाप्ताहिक पत्रिका हो । समाजके मागन अनुसार २०६४ साउन १ गतेसे हमार पहुरा दैनिक प्रकाशन शुरु कर्नु । टबसम मै बहुत तालिम लेसेक्ले रहुँ । २०६६ सालमे गोरखापत्र दैनिकमे भ्याकेन्सी खुलल । मै अपलाई कर्नु । प्रतिस्पर्धासे मै गोरखापत्रमे नाउँ निकर्ना सफल हुइनुँ । २०६६ माघ २७ गते मै गोरखापत्रके स्थायी समाचारदाताके रुपमे नियुक्ती पाके काम करे काठमाडौं गैनुँ । आझ बढुवा होके उपसम्पादक हुइल बाटुँ । काठमाडौंमे बैठाई हुइलपाछे अध्ययन फें निरन्तरता पाइल । राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, पत्रकारिता यी तीन विषयमे मै डिग्री (मास्टर्स) उत्तीर्ण कै सेक्नु । आब थप अध्ययन आघे बर्हटी बा । अइसिक संघर्ष कैके मै आझ नेपाली पत्रकारिताके मेन स्ट्रिममे पुगल बाटुँ । थप प्रगतिके लाग संघर्ष कर्टी बाटुँ । मोर सफलताके रहस्य मेहनत, लगनशीलता ओ संघर्ष हो । आपन मेहनतसे आझ यी ठाउँमे पुगल बाटुँ । मेहनतके फल कबु खेर नैजाइठ् । अपने पाठक हुक्रन फें मै मेहनत ओ संघर्ष निरन्तर कर्ना अर्जी करटुँ ।

२. अत्रा बरससम काम करट हो रहल, कामके दौरानमे कैसिन कसिन बाधा अड्चन आइल ?


जीवन कलक संघर्ष हो । विना हण्डर, ठक्कर खैले कोई फें सफलता प्राप्त करे नैसेकठ् । फलाम तातल बेला घन मर्बो टब किल हमार चाहल आकारके बेल्सना औजार बनठ् । मै फें आपन पत्रकारिताके करिब २२ वरषमे बहुत बाधा, अड्चन ओ ठक्कर खैले बाटुँ । ओहे ठक्कर महीहे तिखर्ना काम करल । सँपर्ना काम करल् । परिस्कृत बनैना काम करल । टबमारे बाधा, अड्चन ओ समस्यासे भागे नैहुइठ् । ओहे समस्या नयाँ ज्ञान डेहठ् । नयाँ सिर्जना कराइठ् । आघे बर्हना डगरा खोल डेहठ् । मानव जीवनके चोला पाइल हर कोई हे संघर्ष तो करहीं परठ् । जीव जीवात्माफें आपन पेट भरकलाग संघर्ष त कर्टी बाटैं । हम्रे त चेतनशील नागरिक हुई । टबमारे समस्यासे ना भागी । ना डराई । संघर्ष कर्ना सिखी ।

३. अब्बे जौन डगरमे अपने नेङ्गति, यी डगर ओर कत्रा युबनहे लगैले बाटी ?


बरा मजा प्रश्न कर्ली सागर जी । आझ कैलालीमे ५० से ढेउर थारु पत्रकार उत्पादन हुइल बाटैं । ओम्नेसे आधा त पहुरा, हमार पहुराके उत्पादन हुइँट् । बहुत जाने संघ संस्थाके नेतृत्व तहमे पुगल बाटैं । कोई पत्रकारिता पेशामे टिकल बाटैं । कोई मस्तर्वा बनके विद्यालयमे परहाइटैं । पहुराके उत्पादन हुइल आपन सिखाइल कुछ पत्रकार हुक्रनके राष्ट्रिय स्तरके मिडियामेफें लगाडेले बाटुँ । थारु किल नाई, गैरथारु पत्रकार उत्पादनमेफें भूमिका डेले बाटुँ । तालिम, प्रशिक्षणमे नियमित सक्रिय बाटुँ । बहुत पत्रकार मोर प्रशिक्षण लेके पत्रकार बन्ना सफल हुइल बाटैं । यी बातमे मही गर्व लागठ् । थप पत्रकार हुक्रनहे अइना दिनमेफें आपन जानल सीप ज्ञान बँट्ना ओ ओइनहे जवमे लगैना प्रयासफं मोर निरन्तर रही ।

४. अपने कैलालीके थारु भाषक् हमार पहुरा निकर्लि । अब्बे फेन पहुरा दैनिक निक्रति बा । यी दुनु पत्रिकाके इतिहास बटा दि ना ? का आब हमार पहुरा फेनसे प्रकाशन नैहुई ?

कुछ इतिहासके बात तो मै उप्पर बटा सेक्नु । मै गोरखापत्रमे नाम निकर्ना सफल नै हुइटुँ कलसे आझफें मै कैलालीके धनगढीसे निक्रना पत्रिका हमार पहुरा निरन्तरता पइने रहे । पहुरा पत्रिका बन्द रहने रहे । ऊ तो मै काठमाडौं आईलपाछे हमार पहुरा पत्रिका बन्द हुइल, टब पहुरा दैनिक बनल । उहीसे आघे त पहुरा साप्ताहिक रहे, हमार पहुरा किल दैनिक पत्रिका रहे । हमार पहुरा पत्रिका मोर नाउँमे दर्ता रलक् कारण पत्रिका निक्रुइया संघरियन आपन नाउँमे पत्रिका हस्तान्तरण कैना माग करलपाछे मै हमार पहुरा हस्तान्तरण नै कर्नु । टब जाके फेन पहुराहे दैनिक बनाके निकर्ना शुरु करलैं । जहाँसम हमार पहुरा पत्रिका शुरु हुई कि नाई कना प्रश्न बा । हमार पहुरा दैनिक भविष्यमे अवश्य निक्री । आभिनसम पहुरा निकर्टी बा । आब लावा पत्रिका निसराउ साप्ताहिक फें अपने जो शुरु कै रख्ली । जब मै पत्रिका सेटिङके काम करुँ, टब्बे २०५९ सालमे यी निसराउ पत्रिका साप्ताहिक रुपमे निक्रे । ओकर सक्कु सम्पादन ओ समाचार लिख्ना काम, मिलाडेना काम मही सघैनु । संगम चौधरी, रामलक्ष्मण चौधरी दुईजाने पत्रिकामे काम करैं । ओइनहे समाचार का हो ? कैसिक लिख जाइठ् कुछु पता नैरहिन् । ओइने सूचना लेके आइँट्, मै समाचारके फ्रेममे बनाडिउँ । अव्यवस्थित वस्ती समाधान समाज कना नाउँक् संस्था ऊ पत्रिका निकारल रहे । १४ अंक निरन्तर निक्रल । मने विना दर्ता कैले निकर्ना शुरु करल रहे । आझ अपने यी पत्रिका दर्ता कैके फेनसे नयाँ जनम डेले बाटी । ओकरलाग अपनेहे धन्यवाद । पत्रिका निरन्तरता पाए कना शुभकामना अपनेहे ।

५. पत्रकारितामे थारु युबा ओइने कुछ दिन काम कर्ना, पाछे अप्नहि हेरा जैना देखा परल बा । यी खास कारण का हो ? कसिन कसिन चुनौती आइठ पत्रकारिता करेबेर ?

पत्रकारिता पेशा चुनौतीसे भरल पेशा हो । यम्ने काम कर्ना मनै धैर्यवान, हिम्मतिला ओ क्षमता वृद्धि कर्ना जरुरी रहठ् । समाजसेवा कर्ना उद्देश्यसे पत्रकारिता शुरु कैजाइठ् । मै पत्रकारिता शुरु करल बेला थारुनके एक्ठोफें साप्ताहिक, दैनिक पत्रिका नैरहे । उहीसे आघे निक्रल पत्रिका सब बन्द रहे । एक दुईठो त्रैमासिक, वार्षिक पत्रिका किल निक्रे । उँकुवारभेंट मासिक पत्रिका वकील हुक्रे निकारैं । पत्रकारितामे रहर कैके कोई मनै अइठैं । एफएममे आपन आवाज सुनक लाग, टिभीमे आपन अनुहार देखाइकलाग, पत्रपत्रिकामे आपन बाइलाइन देखाइकलाग सोखसे फें यी पेशामे युवाहुक्रे अइठैं । मने जीवन चलैना कठिन अवस्था देखके पलायन होजिठैं ।

टबमारे पत्रकारिता पेशा रहरले कर्ना पेशा नैहो । यकर कदम कदममे चुनौती बा । ऊ चुनौतीहे स्वीकार करे सेक्ना मनै किल यी पेशामा टिक्ठैं । पत्रकारिता कना लम्मा दौड हो । जीवनके लक्ष्य समाजसेवा कर्ना ओ आपन समुदाय ओ राष्ट्रके लाग कुछ योगदान डेना लक्ष्य लेहल मनै किल यी पेशामा लम्मा समय टिकाउ ओ विकाउ हुइठैं । टबमारे मै युवा युवती हुक्रनहे आग्रह करम् । यदि अपनेनके पत्रकारिता पेशामा अइना चाहटी कलसे, मजासे बुझके आई । अध्ययन करके आई । आपन क्षमता बनाके आई । यी पेशा औरे जनहनहे डगर देखैना पेशा हो । जनमत बनैना पेशा हो । आवाज नै रहल मनैनके आवाज बन्ना पेशा हो । गरिब, निमुखा, राज्यसे पाछे पारगिल समुदायके आवाज बोल्ना पेशा हो । जबसम अपनेनके यी बातमे स्पष्ट नैहुइबी टबसम यी पेशामा टिक्ना मुस्किल बा । आझके जमाना प्रतिस्पर्धाके बा । औरे जनहनसे प्रतिस्पर्धा करके आघे जाइ परठ् । बिना अध्ययन, बिना डिग्रीके आब कहुँफें टिकेसेक्ना अवस्था नैहो । टबमारे अध्ययनहे आघे बरहाइ, आपनहे तिखारी, क्षमतावान बनाई टबकिल यी पेशामा टिके सेक्बी । काहेकी पत्रकारके हतियार कलक् कलम हो । कलमहे जत्रा तिखारे सेक्बी ओत्रै अपने बिकाउ हुइबी । मजा लिखे सेक्बी कलसे यी पेशामे अवसरके कमी नैहो । पेट पल्ना समस्या नैहो । आझ हम्रे यहाँसम पुगल बाटी कलसे कलम चलाके टिकल बाटी । मोर पत्रकारिताके जग पहुरा, हमार पहुरा पत्रिका हो । ओहे पत्रिकाके साहारासे आझ मै केन्द्रीय भागमे पुगल बाटुँ । अपनेनके फें मेहनत कर्बी कलसे अवश्य पुग्बी । नव आगन्तुक सक्कु युवा युवती हुक्रनहे मोर शुभकामना बा । आपन ठाउँसे सेकल सहयोग ओ सुझाव निरन्तर डेना मोर प्रतिवद्धता बा ।

६. अगामी दिनमे अप्नेक लक्ष्य कहाँसम पुगि ओ भविष्यके योजना का बा ?


मनै जेफे लक्ष्यसे बाँधल रठैं । विना लक्ष्य गन्तव्यमे पुग्नाफें कर्रा हुइठ् । टबमारे मोरफें आपन लक्ष्य तो जरुर बा । नेपालके जेठो पत्रिका गोरखापत्रमे उपसम्पादक बाटुँ । आभिन मोर जागीर २० वरष बाँकी बा । यी पत्रिकाके इतिहास १२० वरष पुग सेकल । नेपालके गौरव ओ नेपाली पत्रकारिताके विश्वविद्यालय सरह हो गोरखापत्र । यी गौरवशाली पत्रिकाको प्रधान सम्पादक पदमे पुग्ना मोरफें सपना बा । लक्ष्य बा । प्रधान सम्पादकमे पुग्ना सिढी चहुरना शुरु कैसेक्नु मै । विस्तारे समय ओ भाग्य साथ दि कलसे अवश्य मै गोरखपत्रके प्रधान सम्पादक पदमे पुगम कना विश्वास बा ।

सँगसँगे मै आपन अध्ययन निरन्तरता डेटी बाटुँ । तीनठो विषयमे मास्टर्स करलपाछे आब पिएचडी अध्ययनके शुरुवात कर्टी बाटुँ । भविष्यमे ऊ अध्ययनफे पूरा अवश्य करम । सँगसँगै मै पत्रकारिताके संघ संगठनके नेतृत्वके लागफें निरन्तर लागल बाटुँ । नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय सदस्य बन सेक्नु । थारुसे महासंघके केन्द्रीय सदस्य बन्ना पहिला थारु पत्रकार हुँ मै । अइना दिनमे पदाधिकारीके लाग प्रयास करम । हुईसेकी समय ओ सन्दर्भ मिली तो काल्हके दिनमे महासंघके अध्यक्षके जिम्मेवारीमेफें आइसेक्ठँु कि । नेपाल आदिबासी जनजाति पत्रकार महासंघ (फोनिज) के केन्द्रीय उपाध्यक्षके जिम्मेवारीमे आझकल बाटुँ । गोरखापत्र सञ्चालक समितिके बोर्ड सचिवके जिम्मेवारीमे फें निभा सेक्नु । गोरखापत्रसे रिटायर्ड हुइम् तो सायद हमार पहुरा पत्रिका फेन शुरु हुईसेकी । टीमवर्क मिली कलसे उहीसे आघेफे प्रकाशन शुरु हुईसेकी ।

७. अन्तमे, अपन कुछ सल्लाह सुझाव डैडेबी कि ?

अवश्य सागरजी । सबसे पहिले अपनेनहे बधाई ओ पत्रिका निरन्तरताके शुभकामना । भोज कैबो तो लर्का जनम जिठैं, पटै नैचलठ् । ओस्तके पत्रिका जन्मैना कलक लर्का जन्माइल हस हो । लर्का जन्मैना किल भारी बात नैहो । ओइनके स्याहार, सुसार, अध्ययन, बह्राई पौह्राई कैडेना भारी बात हो । ओस्तके पत्रिकाफें निरन्तरता पाई टबकिल अपनेनके जिम्मेवारी पूरा हुई । पत्रिका निक्रना चुनौतीके बात हो । समस्या अनेक आइ सेकथठ । हरेश ना खैबी । समाजके मनैनहे नियमित समन्वय र सम्पर्क कैके सरसल्लाह लेके काम कर्बी । कबुफं समस्या परी त औरे जनहनसे सल्लाह लेना ना छोर्बी । मोर सहयोग चाही कलसे कहबी, मै आपन सेकल सहयोग जब फें कर्ना तयार रहम् । बाँकी अपनेनके पत्रिकाहे वर्गीकरणमे पर्ना कामके लागफें मोर योगदान रही । समय समयमे लेख रचना लिखके फें मै सहयोग करे सेकम । आपन जानल, ज्ञान, सीपफें बँट्ना प्रयास हरदम करम ।

अन्त्यमे, अपनेनके हिम्मत कैके पत्रिका शुरु कैरख्ली, बहुत बधाई बा । यकर सफल प्रकाशनके शुभकामना डटती, समाजके अगुवा हुक्रनहे मै अर्जी करम् कि थारु समुदायके उत्थान ओ भलाईके लाग निक्रल थारु पत्रिकाहे माया कैदेवी । पाठक बनके सहयोग कैदेवी । सेकल सहयोग कर्नामे पाछे ना पर्बी । आझके जमानामे मिडियाके भूमिका बरा भारी बा । सूचना आदान प्रदान कर्ना माध्यम हो पत्रिका । अपनेफें बल्गर बनी ओ पत्रिकाहेफें बल्गर बनाई । धन्यवाद ।।

‘पत्रिका चलैना जत्रा चुनौती बा, ओत्रै अवसर फें’

लक्की चौधरी