ठिल्या गग्री भरे पुग्ना पानी नहर मे मिलठ

संगम कुस्मी
९ चैत्र २०७९, बिहीबार
ठिल्या गग्री भरे पुग्ना पानी नहर मे मिलठ

मुक्तक
मेर मेरिक सरसमान यिहे शहर मे मिलठ ।
छाने सेकबो ठोरचे अमृत जहर मे मिलठ ।
समुन्दरफें सुख्खा लागठ नैमजा नजरसे,
ठिल्या गग्री भरे पुग्ना पानी नहर मे मिलठ ।

मुक्तक
सुमधुर मैयँक पागल हुइना कहानी बनैम ।
सारा मन मुटु ओ धरकनके रानी बनैम ।
स्वार्थै स्वार्थ फैलल यि दुन्यक रंगमञ्चमे,
निस्वार्थ ओ भाबनाके मैगर खानी बनैम ।


संगम कुस्मी
कैलारी ८, कैलाली

ठिल्या गग्री भरे पुग्ना पानी नहर मे मिलठ

संगम कुस्मी