उँकुवारभेंट
‘कला बिना मै जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँ’
कैलाली जिल्लाके गोदावरी नगरपलिका–६ बडेहा कैलालीके बाबा रामलाल चौधरी ओ डाइ राजकुमारी चौधरी कोखसे जल्मल चित्रकार ओ साहित्यकार सुजु कुस्मी वि.स. २०५५ साल कुवाँर ८ गते इ धर्तीमे गोरा टेक्लैं । छोट्टेसे चित्र बनैनामे रुची रहल उहाँक् बनाइल मेरमेरिक चित्र बहुत ठाउँमे पुगल बटिन । उहाँ चित्र बनैना संगेसंगे साहित्यमे फेन कलम चलैठैं । टमान प्रतियोगितामे बहुत पुरस्कार हाँठ लागल उहाँ अब्बे स्वास्थ्यकर्मीके रुपमे फेन अपन मजा पहिचान बना सेक्ले बटैं । इहे क्रममे इ पत्रिकाके प्रधान सम्पादक सागर कुस्मीसे करल छोटमिठ बातचित यहाँ प्रस्तुत कैल बा ।
१.सुजु बाबु अप्ने चित्रकारितामे कहियासे ओ कैसिक छिरली ?
भगवान सब जन्हनहे कुछ ना कुछ प्रतिभा डेके पठैले रठंै । सायद ओस्टेके महिनफें यी प्रतिभा डेके पठैले बटैं । महिन याद बा मै छोटेमसे चित्र कोरुँ । लगभग मै ५÷६ सालके रहँु टब्बेसे, मोर छोट्टेसे आझसमके हरेक काँपीके ओरौनी ओरौनी पन्ना ओर कुछ ना कुछ कोरल जरुर मिलठ् । मै छोटम् हरेक दिन साँझके अंगनामे माटीमे डन्ठी लेके चित्र कोरके सारा अंगनाहे सजाके ढारुँ । टबे सक्कु जे बहुत तारिफ करैं । मै अपन छुट्की फुइसे फेन सिखामाँगु । मने फुइ अपन पढाइ ओ औरे काम हुइलक् मारे नैसिखाडिन । टबफें मै हुँकाहार बनाइल चित्र हेरहेर बनैना कोशिस करे नैछोर्नु ।
एकदिन फुइ घरे नैरहिन । ओहे मौकामे मैं फुइक् बनाइल चित्रहे बनैना कोशिस करटहुँ । ओ ओहे चित्र लगभग लगभग मैं बनैनामे सफल हुइनु । टबसे मोरमे आउर जोश जाँगर आगैल चित्र बनैनामे । मैं छोटेमे १,२,३ कक्षासम कापीमे लिख्ना कम, चित्र बनैना जेडा करुँ । आउर अंगनामे कोर्ना टे जैसिकफें हर रोजके काम होगैल । महिनहे याद बा । एकदिन मै चक लेके पट्रामे गौतम बुद्धके चित्र बनैनु । ओहे चित्र सक्कु जहन मन पर्लिन । ओ मै ओहे चित्रहे बरे सम्हाँरके ढर्ले रनु । मैं छोटेसे अपन कक्षामे चित्र बनाके अपन नास्ता कमाउँ । कोइ पैसा डेहे टे कोइ अपन घरेसे फरल फल लानडिइँट् । चित्रके संगेसंगे मै माटीके मूर्तिफें बनाउँ । सिर्जनात्मक विषयके प्रयोगात्मक परिक्षामे जहियाफें मोर सक्कुनसे ढेर नम्बर आए । कक्षा ५ मे मै स्रोत केन्द्र स्तरीय चित्रकला प्रतियोगितामे भाग लेले रहुँ । टबे स्कूलसे कलर नैडेके फेन बिना कलरके सक्कुनसे सुग्घुर मोर चित्र रहे । सर ओइने बहुत बेर बाड निर्णय करले रहिंट । सुग्घुर ओ कलर नैहुइलक ओरसे मै डुसरा स्थानमे आइल रहँु । इहिनसे आघे मै अपन कक्षा कोठामे सिमित रहँु । लेकिन ओहे दिनके बाड महिन स्कूलमे सक्कु जे चिन्हें लग्नै । छुटुमुटु चित्रकार कैहिके । स्कूलके जीवनमे मोर सम्मान हुइल ओ टबसे महिनहे आउर ढेर हौसला ओ प्रेरणा मिलल् ।
स्कूलमे टबसे हरेक वार्षिक उत्सवमे मै चित्रकलामे भाग लिउँ । मै भाग लेहल सुनके औरेजे भाग लेहेक् मन नैकरिंट । सुजाता भाग लेहेल ठाउँमे हमार का काम बा कहिके भाग लेनामे फेन हिच्किचाइँट । स्कूलके संगेसंगे मै घरे फेन बहुत बनाउँ । प्रयोगात्मक परिक्षाके लाग बनाइक पर्ना चित्रके लाग बहुत जे चित्र बनाइक डिइँट् । अइसिके मै अपन कापी कलमके लाग खर्च खुड जोरलिउँ । मोर छुट्की फुइक् भोजके बाड अस्टीमकीमे हमार थारु कला संस्कृति अनुसार भिटामे चित्र बनैना जिम्मा फेन मोर होगैल । सुरुसुरुमे टे ओट्रा मजा नैबनाइसेकँु । लेकिन पाछेपाछे ओर टे आझसम गाउँ भरिम सबसे सुग्घुर अस्टीमकीक् चित्र हमारे घर रहठ् । महिन बहुत खुस लागठ जब सक्कु जे अट्रा तारिफ करठैं टे ।
चित्रकारितामे कैसिक प्रवेश कर्नु उ टे नैपटा हो । सायद यी शरीरमे जबसे ज्यान (आत्मा) आइल टबसे । काहेकी यी मोर भगवानसे मिलल उपहार हो । घर गाउँ, स्कूल मनफें महिन चित्रकार कहिके चिन्हे लग्लंै । टबसे महिन लागठ कि इहे मोर पहिचान हो इहे मोर रुप ओ भविष्य हो । टबसे मै अपन सपना ओ गन्तव्य बनालेनु । कोनो फेन काम करक् लाग प्रेरणा ओ हौसलाके जरुरत परठ ।
आझसम मैं डाडाभैँया, डिडीबाबुन, संघरियनके जलमदिनमे चित्रबनाके उपहारके रुपमे डेटी आइल बटुँ । स्कूलमे फेन कक्षा कोठामे चित्र बनाके सजैले रहँु । कक्षा १२ मे पर्हेबेर हम्रे शैक्षिक भ्रमण गैल रही । ओकर प्रतिवेदन महिन पेश कर्ना जिम्मा मिलल् रहे । मै चित्रके माध्यमसे हमार घुमल, सिखल ज्ञान आउर ठाउँके बारेम प्रतिवेदन पेश कर्नु । ओहे प्रतिवेदन डेखके सर ओइने बहुत खुस हुइलैैं । उहाँ कलंै कि मोर जीवनकालमे अट्रा बरस होगैल पहिलक् मनैं अट्रा मजा प्रतिवेदन मै कबु नैपाइल रहँु । टबे पुरा घण्टा सर सक्कु कक्षामे मोर तारिफ कर्लंै ओ बहुत ढेर हौसला डेलंै । ओहे दिनसे महिन मोर कक्षामे एकठो लावा नाउँ मिलल् बहु प्रतिभाशाली सुुजु । टबे सर सक्कुनके आघे घोषणाफें करलैं कि महिन अपन स्कूलमे कला शिक्षक ढर्ना कहिके । हमार स्कूलमे विशेष शिक्षा (बहिरा शिक्षा) फे पर्हाइ होए । ओ ओइन प्रायः कैके चित्रके माध्यमसे कहिजाए । हमार खाली समयमे मै म्याडमसे पुछके कबुकाल्ह साधारण चित्र बनाइ सिखाडिउँ ।
आझफें मै चित्र कोर्टी रठुँ । मने मै तालिम नैलेले हुइटँु । ओ एकर बारेमे पटाफें ओट्रा नैरहे । आझके आधुनिक जबानामे इन्टरनेट, युटुब मनसे सिख्ठुँ औ बनैना कोशिस कर्ठुं । चित्र बनाके सामाजिक संजालमे पोष्ट करे लग्नु । टबसे बहुत ढेर मैयाँ, सल्लाह, सहयोग प्रेरणा पाइटुँ, ओ महिन आउर हौसला मिलटा यी क्षेत्रमे लग्ना । चित्रकारिता क्षेत्रमे टे मै छोटेसे लागल बटुँ । मने समय अनुसार महिन बहुत जेडा प्रभाव कर्टी गैल यी क्षेत्र ।
२.अप्नेक् बनाइल चित्र कहाँसम पुगल बा ?
चित्रकारितासे मै अट्रा जेडा लगाब कैले रलेसे फेन मै अभिनसम व्यवसायिक रुपमे लागे नैसेकले हुइटुँ । मै जेडा सिखे नैपाइल ओरसे गाउँघरमे किल सिमित बटँु ।
स्कूल, कलेजसे हुइल हरेक चित्रकला प्रतियोगितामे भाग लेटी आइल बटुँ । हरेकमे लगभग सफल फेन हुइटी आइल बटुँ । गाँउघरमे कोइ बना कठैं टे बनैठुँ । कुछ बनाइल चित्र मन परठिन टे बहुतचो पैंसामे बेंच्ले फेन बटँु । नैकी बनाके ढर्ले रठँु । अपन चिन्हँल केक्रो जलमदिन या कौनो अवसरमे उपहार स्वरुप डेटी आइल बटँु । गाउँके डाडा भैयनके प्रयोगात्मक परिक्षाके लाग चित्र बनैना रहठ टे ओहे बनैठुँ । ठोर बहुत बनौनी लेठुँ ।
अझकल इन्टरनेटसे हल्काफूल्का सिखके सामाजिक संजालमे पोष्ट कर्ठुं टे ओहे बहुत जे मजा प्रतिक्रिया ओ सल्लाह फेन डेठैं । आब सिख्ना बहुत चाहा बा ओ व्यवसायिक बन्ना सपना । अभिन बहुत सिखक् पर्ना बा । बहुत ज्ञान लेना बाँकी बा । अस्टीमकीमे भिटामे बनैना ओ अपन सन्तुष्टिके लाग पन्नामे किल सिमित बटुँ । समग्र रुपमे कना हो कलेसे मै अभिन व्यवसायिक रुपमे लागे नैसेकले हुइटुँ ।
३.एकर सँगसँगे आउर का–का काममे व्यस्त बटि ?
एकर सँगसँगे मै स्वास्थ्यकर्मीफें हुइटँु । एसएलसी डेके सेकके मै १८ महिने अनमीके पह्राइ पूरा कर्नु । टबे आझ गोदावरी नगरपालिकासे सञ्चालनमे रहल चापसल्ली शहरी स्वास्थ्य क्लिनिक, गोदावरी नगरपालिका १२ चापसल्ली कैलालीमे विगत ३ सालसे अनमी होके कार्यरत बटुँ । बिचमे २०७६ साल कुवाँरठेसे माघ पहिलो हप्तासम मै गोदावरी नगरपालिका–८ मालाखेती अस्पतालमे फेन काम कर्नु ।
हाल मै पेशामे स्वास्थ्यकर्मी रलक ओरसे प्रायः कैके स्वास्थ्य सम्बन्धी काममे व्यस्त रठुँ । मै चित्र कोर्नाके संगे कागजके शिल्पफेें बनैठँु । रोगिन कागज ओ न्युउरोके प्रयोगसे कोठा सजैना शिल्पफें बनैठँु । गोहुँके लर्वाके प्रयोग कैकेफें असिन सजावटके समान बनाइ सेक्जाइठ ।
४.चित्रकार हुइक लाग कट्रा संघर्ष करे परल ?
चित्रकला मोर लाग जिन्गी हो । मै खुस रहलमे, दुःख रहलमे हर समय अपन सुख दुख चित्रके माध्यमसे प्रस्तुत कर्ठुं । जिन्गी कलक संघर्षके मैदान हो । संघर्ष नैरहल जिन्गीमे टो जिना बेकार लागठ । सफलता पाइक लाग संघर्ष जरुरी रहठ । जब दुःख हुइठ् ओ समस्या आइठ् । टबजाके ओहे समस्याके समाधानके खोजी कैजाइठ ओ सफलता मिलठ् ।
मै बच्पनसे स्कूल ओ घरहीं सिमित रहल मध्यम परिवारके मनैं हुइटुँ । स्कूल ओ घरेसे बाहेर कब्बुफें नैजाइ मिलल् । मै बाहेरके सूचना, जानकारीसे लगभग अनविज्ञ रहँु । स्कूलसम मै अपन प्रतिभामे कुछ सामान्य सुधार करे सेक्नु । ओट्रैमे सिमित रहिगैनु । एसएलसी सम मोरठे मोबाइलफें नैरहे । कुछ फेन ज्ञान मै किताव आउर टिभीके सहायतासे पाउँ । एसएलसी बाड कहाँ पहर््ना, कट्रा जट्रा खर्च लागठ कुछ पटा नैरहे । मै अपनसे भारी अग्रज ओइनसे सल्लाहफें मग्नु ओ अपन स्कूलके सर ओइनसेफें सल्लाह मग्नु मने कोइफें चित्रकलाके पह्राइके बारेमे नैजानल बटैलैं । सक्कुजे नर्सिङ मजा रही कहे लग्लैं । स्टार्फ नर्स पह्राइक लाग मोर परिवारमे समस्या रहे । टबु मै अनमी पर्हेक् लाग विवश होगैनु । मै १८ महिने अनमीके पह्राइ एकीकृत सामुदायिक विकास केन्द्र, तारानगर धनगढी कैलालीसे पुरा कर्नु । पह्राइके बाड मै चित्रकलाके पह्राइके बारेमे इन्टरनेटसे ठोरठोर पटा लगैनु ।
मने मै बेराम होगैनु । ओकर कारण मै पर्हे जाइ नैपैनु । इन्टर जोइन कर्नु मने मै बेराम हुइल ओरसे ४÷५ महिना स्कूल जाइ नैपैनु । बहुत उपचारके बाड मै भारतके खटिमाके प्रयास अस्पतालमे ७ दिन भर्ना रहँु । महिन अल्सर हुइल रहे । डाक्टरफें कहल कि एक हप्ता ढिला हुइलेसे बहुत ढिला होजैना रहे कहिके । मै अल्सरके अन्तिम अवस्थामे रहँु । मै अल्सरके बिरुवा ७ महिनासम हर रोज खैना ओ चेक करैटी रहँु । टबसे हरेक बरस कुछ ना कुछ रोग आउर समस्यासे जुझ्टी आइटुँ । ५ साल होगैल मै कौनो ना कौनो रोगके बिरुवा खैटी आइल बटुँ । मोर सफलता ओ सपनाके सबसे भारी संघर्ष फेन इहे हो । मै बेराम जेडा हुइना ओरसे मोर डाइबाबा फेन घरेसे दुर अक्केली चित्रकारिता पर्हे जैना मञ्जुरी डेनासे डरैठंै । पहिले ठिक होउ टब पर्हहो कठैं ।
समस्या सबके रहठ । मोर परिवारमे फेन बहुट ढेर समस्या चलटा टब मोर परिवारहे सहयोग करेक लाग मै यी करारके जागिर करटुँ । कुछ साल काम कैके पैंसा जोरके पर्हे जैम कहिके मै यी संघर्ष ओ मेहनत करटँु । समाजमे कठैं चित्रकारितासे का हुइ । जिन्गी जिएक लाग बहुत पैंसा चाहठ । चित्र बनाके कौनसा कमाइ हुइ । चित्रकारिता पर्हलेसे स्टार्फ नर्स पर्हो कहिकेफें सल्लाह डेठंै । मने मै अपन विचारसे अडिक बटुँ । समाजके दृष्टिकोण परिवर्तन कर्नामे फेन लागल बटुँ । फुर्सद पैटी किल मै चित्र कोरे नैछोर्ठंु । मै सिखल नैहुइटुँ । व्यवसायिक नैहुइटुँ मने यी कला महिन अलग खुसी डेहठ् । अपन परिवारहेफें मै सम्झैटी बटुँ ।
हमनसे जिन्गीमे बहुत गल्ती हुइठ । ओहे गल्ती हमन अनुभवी बनाइठ ओ जाके ओहे अनुभव सफल बनाइठ । टबेमारे दुनियाँ जा कहे अपन काममे अडिक रहेक परठ । आउर अपन काममे विश्वास करेक परठ । जिन्गीमे कब्बुफें संघर्ष विना सफलता नैमिलठ । मै भलही बहुत ढिला करटुँ लेकिन सफलता किहु आघे मिलठ टे किहु पाछे । बस अपन मेहनत नैछोरेक परठ । ओहे मारे मै फेन संघर्षके मैडानमे बटुँ । पटा नैहो अभिन यी मैडानमे कट्रा लरेक परठ । मै अभिन गाउँघरमे सिमित बटुँ व्यवसायिक बनेक लाग बहुत संघर्ष कर्ना बाँकी बा ।
५.अपन सिखल सीपहे अपनसे पाछेक् पुस्टनहे कैसिक सिखाइ चहठी ?
हम्रे आझ अपन सिखल सीप अपन पाछे पुस्टनहे नैसिखाब टे हमार सीप कला हमारेमे किल सिमित रहि । यी मै नैचहठुँ । मै अपन सिखल सीप छोट लर्कन सिखाइ चहर्ठंु । सीप अइसिन कला हो कि जो हमार जिन्गी जिनामे बहुत कामके लाग आवश्यक परठ । काल्ह जाके हम्रे अपन गुजारा चलाइ सेक्ठी । मतलब बेरोजगार नैरहक परठ ।
मै अपन सीप अपन बाबुहे सिखासेकल बटुँ । आउर छोटछोट बच्चनफें सजिल तरिकासे चित्र बनाइफे सिखैठँु । मै अपनसे पाछेक् आउर कलाहे भित्री दिलसे प्रेम करुइयन पूरा सहयोग करे चहठुँ । काहे कि कलाप्रेमीनहे समाज, परिवारसे मजा साथ सहयोग नैमिलठ । ओहेमारे बरा दुख लागठ । मै अपन सेकलसम् जरुर सिखैम जे सिखे चाही कलेसे ।
६.पेशाले स्वास्थ्यकर्मी, मने कला क्षेत्रमे काहे लागल बटी ?
हाँ मै पेशाले स्वास्थ्यकर्मी हुइटँु । स्वास्थ्यकर्मी हुइनासे आघे मै कला क्षेत्रमे रहुँु, बटुँ ओ रहम । मै पेशाले फेन कलाकार (चित्रकार) बने चाहुँ मने समय, परिस्थितिसे मै बने नैसेक्नु । मने मै आब अपन कलाहे आघे बहाई चाहटँु । महिन पटा बा कि मोर यी क्षमता बा ।
परिस्थितिले मै स्वास्थ्यकर्मी हुइलेसे फेन मै मनसे कलाप्रेमी हुइटुँ । महिन आझ फेन बहुत जे स्वास्थ्यकर्मी नैकि चित्रकार कहिके चिहिन्ठैं । मै मालाखेती अस्पतालमे काम करेबेर जब अस्पतालमे सक्कु जे पटा पैलैंकी मै चित्र कोर्ठुं कहिके टब सबजे चित्रकार सुजु कहिके बलाइँठ् । कला मोर पहिचान हो । स्वास्थ्य क्षेत्र महिन नाम डेहठ् कलेसे चित्रकला महिन पहिचान डेहठ् । स्वास्थ्य क्षेत्र मोर शरीर हो कलेसे चित्रकला मोर आत्मा हो ।
यी जरुरी नैरहठ की हम्रे का काम करटी, जरुरी इहे रहठ कि हम्रे का कामहे प्रेमके साथ करे चहठी । हाँ मै स्वास्थ्यकर्मी हुइटँु लेकिन चित्रकला विना मै अपन जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँु ।
७.अप्ने साहित्य, फेन लिख्ठी का का विधामे कलम चलैठी ?
खासमे कनाहो कलेसे अभिन साहित्यमे ढेर परिचित नैहुइल हुइटँु । भरखर भरखर सुरुवात करले बटुँ । स्कूल पर्हेबेर कविता बाचनमे भाग लिउँ । एकचो पहिल, एकचो डुसरा ओ एकचो टिसरा हुइल बटुँ । थारु भासामे कविता भरखर लिखे भिरल बटुँ । गजलमे पहिलबार कलम डौराइ भिरल बटुँ । मै गीत गैना भर पहिलेसे गाउँ । अपनही गुनगुना गुनगुना शब्द सिरजैठुँ । अपन मन बहलाइक लाग गैठुँ । साहित्यसे अभिन जेडा परिचित नैहुइल हुइटँु । अप्नेनके साथ सहयोग पैम टे जरुर लिखम् ।
८.अपन जिवनमे कब्बु बिस्सराइ नैसेक्ना यादगार पल बटाडी ना ?
ओसिक टे बहुट पल बा बिस्राइ नैसेक्ना । कक्षा ५ मे पर्हेबेर पहिल बार स्रोतकेन्द स्तरीय चित्रकला प्रतियोगितामे सबसे सुन्दर चित्र रहे । मने रंगके कमी होके । महिन रंग नैमिलल रहे । रंग बिनाफें मोर बनाइल सबसे मजा रहल सक्कु जे बटैलैं । हुइना टे मै डुसरा हुइल रहुँ मने चित्रकलामे मोर पहिल पुरस्कार रहे । स्कूलमे मोर फरक पहिचान मिलल रहे । ओहे दिनसे । ओहे पल अमूल्य बा मोर लाग ।
सबसे अमूल्य पल बा, आर्ट क्लास । मै हमेसा सोचँु कि महिन यी क्षेत्रमे बहुत सिखे मिलठ टे का नाहि । अपन कलाहे निखारे मिल्ना रहे टे का नाहिं । मोर आशाके किरणके रुपमे मनिष चौधरी सर जो मिल्लैं । महिन बहुत चिज सिखे मिलल सरसे । अइसिन लागल कि अन्ढरिया रातमे डगरमे अलपत्र परल महिन कोनो रोजरार किरण मिलल् । सरके सहयोगमे मै पहिल बार आर्ट मेटेरियल प्रयोग कैके जोन चित्र बनैनु ओहे डेखके महिन मोर परिवार ओ समाजसे बहुत हौसला मिलल् । सबसे भारी बात टे यी हुइल कि कोइकोइ टे अपन लर्कन सहयोग करटैं महिन उदाहरण डेके । महिनसे पुछेफें अइठैं एकर बारेमे । यी मोर लाग बहुत भारी उपलव्धी हो कि कोइ मोर कारणसे सकारात्मक परिवर्तन हुइटा आउर कलाहे सम्मान ओ सहयोग करटैं । मनिष सरहे मैं जट्रा धन्यवाद डेहेम टे फेन कम रहि । सरके कारणसे महिन फरक पहिचान मिलटा । साथ नैमिलुइयनसे फने साथ मिलटा । यी टे सुरुवात हो अभिन बहुत सिख्ना बाँकी बा । जिवन जो सिकाइके मैडान हो, अभिन बहुट अनुभव बिटोरना बाँकी बा ।
९.कला कलक मने कैसिक बुझ्ठि ? मनैंनहे कैसिक बुझाइ सेक्जाइ ?
कला कलक अपन जानल सीप हो । मनैनमे अलग अलगके काम, ओइनके काल्पनीक आउर व्यवसायिक सीपसे सिर्जित हुइल सन्दर्भहे कला कैजाइठ । कला जिवन जिना आधार हो । कना हो कलेसे हमार हर दिन हर काम कलासे सम्बन्धित रहठ । कलासे जो पुरा हुइठ । गोंरी बिन्नासे लेके महल बनैना सम हर काममे कला चाहठ ।
मोर बिचारमे कला कलक हर मनैंनहे भगवानसे मिलल उपहार । पहुरा हो । कला मनंैनके भावना, अनुभव, सीप ओ कल्पनासे सिर्जित सिर्जना हो । कला हमार पहिचान हो । हमार नाउँ हमन गाँउघरमे चिन्हाँइठ कलसे हमार कला हम्हिन समाज ठेसे लेके सारा विश्वमे चिन्हाँइठ ।
१०.ओरौनीमे इ पत्रिकामार्फत का सन्देश डेहे चहबी ?
ओरौनीमे, मै इहे कहे चहठुँ । कि खास कैके सक्कु डाइबाबनहे ओ यी समाजहे । हर कोइ डाइबाबा अपन बच्चनहे डाक्टर इन्जिनियर, नर्स वा सरकारी जागिरे किल बनाइ चहठैं, आखिर काहे ? अपन बच्चनके सुन्दर भविष्य बनाइक लाग या समाजमे अप्ने आपहे सम्मानित डेखाइक लाग या मोर बच्चा अट्रा कमाइटा कहिके औरेक आघे घमण्ड डेखाके डाफ उरैना पात्र बनाइक लाग ?
बच्चा जन्मल नैरहठ डाइबाबनके बीच कलकल सुरु । छावा हुइटे यी, छाइ हुइटे यी बनैम कहिके । बहुत कम डाइबाबा पुछ्ठुइही सायद टँु का बने चहठो छाइ छावा । ओहे एहे हो, जरुर सफल हुइबो कहिके । बहुत कम मनैनके जीवनमे यी सब मिलठुइ । यहाँ टो क, ख सिख सुरु करल बच्चनफें ९० प्रतिशतसे जेडा ढेर अंकके प्रतिशत ओ ए प्लस ग्रेड लानक् परी, कक्षामे, स्कूलमे पहिल आइक परी कहिके सटा जाइठ । लर्का कट्रा जानटा यी नैहेरजाइठ कि बस कट्रा नम्बर लानटा ओहे किल हेरजाइठ् ।
आउर समाजमे फल्नाके छाइहे हेरी कैसिक नाचठ, बिग्रल बा । फल्नाके छावाहे हेरी गीत गाइठ काहँु, का कमाइ ? कसिक पाली अपन डाइबाबन । बस अस्टे अस्टे बात हुइठ् । कलाहे सहि नजरसे हेरुइयासेफें गलत नजरसे हेरुइया जेडा मिल्ठैं । ओहे बात लेके अपने डाइबाबाफें साथ नैडेहे लग्ठंै ।
प्रकृतिसे बाहेर घुमे आउर बाहेरसे सिख्ना रमैना मौकै नैडेजाइठ । बस हर समय किताब पर्हो, किताब पर्हो । का सक्कु ज्ञान किताबमे किल सिमित रहठ ? यदि असिन हो कलेसे मनैंन प्राकृतिक, सामाजिक सर्वश्रेष्ठ प्राणी काहे कैहिजाइठ ? मनैंनके सभ्यताफे टे प्रकृतिसे सुरु हुइल । ओहे समयमे मनैं कलाके मद्दतसे टे काम करठ । प्रकृति, कला संगीतसे प्रेम करुइया समाजसे साथ सहयोग, प्रेरणासे जेडा अस्टे अस्टे बात सुने मिलठ । मनैंनके खुसी ओ सक्कु, रुपिया ओ सम्पति किल नैहो । मै हर डाइबाबन इहे कहे चहठुँ ।
अपन लर्कनके भविष्य अपन मुठ्ठामे ढर्ना कोशिस नाकर्बी । अपन बच्चनके खुसी ओ भविष्य पैसासे नातौलबी । उहि ओहे करेडी, उहे बनेडी, जो उ चाहठ । बस ओकर जिन्गीके यात्रामे सहयात्री बनेडेबी । दुनियँक् मनंै ज्याफें कहंै अपन लर्कन पिंजडामेसे बाहेर उरेडि, खुल्ला बडरीमे खुस होके । सफलता सम्पति ओ कमाइसे नादाँजी । आत्मा सन्तुष्टि सबसे भारी सफलता हो । अप्नेक बच्चा कला क्षेत्रमे लाग चाहना टे जरुर साथ, हौसला डेबी । कलाके सम्मान करी । दृष्टि बडली, सृष्टि बडली । ढन्यवाद ।