‘कला बिना मै जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँ’

सुजु कुस्मी
१० चैत्र २०७९, शुक्रबार
‘कला बिना मै जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँ’

उँकुवारभेंट
‘कला बिना मै जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँ’

कैलाली जिल्लाके गोदावरी नगरपलिका–६ बडेहा कैलालीके बाबा रामलाल चौधरी ओ डाइ राजकुमारी चौधरी कोखसे जल्मल चित्रकार ओ साहित्यकार सुजु कुस्मी वि.स. २०५५ साल कुवाँर ८ गते इ धर्तीमे गोरा टेक्लैं । छोट्टेसे चित्र बनैनामे रुची रहल उहाँक् बनाइल मेरमेरिक चित्र बहुत ठाउँमे पुगल बटिन । उहाँ चित्र बनैना संगेसंगे साहित्यमे फेन कलम चलैठैं । टमान प्रतियोगितामे बहुत पुरस्कार हाँठ लागल उहाँ अब्बे स्वास्थ्यकर्मीके रुपमे फेन अपन मजा पहिचान बना सेक्ले बटैं । इहे क्रममे इ पत्रिकाके प्रधान सम्पादक सागर कुस्मीसे करल छोटमिठ बातचित यहाँ प्रस्तुत कैल बा ।

१.सुजु बाबु अप्ने चित्रकारितामे कहियासे ओ कैसिक छिरली ?

भगवान सब जन्हनहे कुछ ना कुछ प्रतिभा डेके पठैले रठंै । सायद ओस्टेके महिनफें यी प्रतिभा डेके पठैले बटैं । महिन याद बा मै छोटेमसे चित्र कोरुँ । लगभग मै ५÷६ सालके रहँु टब्बेसे, मोर छोट्टेसे आझसमके हरेक काँपीके ओरौनी ओरौनी पन्ना ओर कुछ ना कुछ कोरल जरुर मिलठ् । मै छोटम् हरेक दिन साँझके अंगनामे माटीमे डन्ठी लेके चित्र कोरके सारा अंगनाहे सजाके ढारुँ । टबे सक्कु जे बहुत तारिफ करैं । मै अपन छुट्की फुइसे फेन सिखामाँगु । मने फुइ अपन पढाइ ओ औरे काम हुइलक् मारे नैसिखाडिन । टबफें मै हुँकाहार बनाइल चित्र हेरहेर बनैना कोशिस करे नैछोर्नु ।

एकदिन फुइ घरे नैरहिन । ओहे मौकामे मैं फुइक् बनाइल चित्रहे बनैना कोशिस करटहुँ । ओ ओहे चित्र लगभग लगभग मैं बनैनामे सफल हुइनु । टबसे मोरमे आउर जोश जाँगर आगैल चित्र बनैनामे । मैं छोटेमे १,२,३ कक्षासम कापीमे लिख्ना कम, चित्र बनैना जेडा करुँ । आउर अंगनामे कोर्ना टे जैसिकफें हर रोजके काम होगैल । महिनहे याद बा । एकदिन मै चक लेके पट्रामे गौतम बुद्धके चित्र बनैनु । ओहे चित्र सक्कु जहन मन पर्लिन । ओ मै ओहे चित्रहे बरे सम्हाँरके ढर्ले रनु । मैं छोटेसे अपन कक्षामे चित्र बनाके अपन नास्ता कमाउँ । कोइ पैसा डेहे टे कोइ अपन घरेसे फरल फल लानडिइँट् । चित्रके संगेसंगे मै माटीके मूर्तिफें बनाउँ । सिर्जनात्मक विषयके प्रयोगात्मक परिक्षामे जहियाफें मोर सक्कुनसे ढेर नम्बर आए । कक्षा ५ मे मै स्रोत केन्द्र स्तरीय चित्रकला प्रतियोगितामे भाग लेले रहुँ । टबे स्कूलसे कलर नैडेके फेन बिना कलरके सक्कुनसे सुग्घुर मोर चित्र रहे । सर ओइने बहुत बेर बाड निर्णय करले रहिंट । सुग्घुर ओ कलर नैहुइलक ओरसे मै डुसरा स्थानमे आइल रहँु । इहिनसे आघे मै अपन कक्षा कोठामे सिमित रहँु । लेकिन ओहे दिनके बाड महिन स्कूलमे सक्कु जे चिन्हें लग्नै । छुटुमुटु चित्रकार कैहिके । स्कूलके जीवनमे मोर सम्मान हुइल ओ टबसे महिनहे आउर ढेर हौसला ओ प्रेरणा मिलल् ।

स्कूलमे टबसे हरेक वार्षिक उत्सवमे मै चित्रकलामे भाग लिउँ । मै भाग लेहल सुनके औरेजे भाग लेहेक् मन नैकरिंट । सुजाता भाग लेहेल ठाउँमे हमार का काम बा कहिके भाग लेनामे फेन हिच्किचाइँट । स्कूलके संगेसंगे मै घरे फेन बहुत बनाउँ । प्रयोगात्मक परिक्षाके लाग बनाइक पर्ना चित्रके लाग बहुत जे चित्र बनाइक डिइँट् । अइसिके मै अपन कापी कलमके लाग खर्च खुड जोरलिउँ । मोर छुट्की फुइक् भोजके बाड अस्टीमकीमे हमार थारु कला संस्कृति अनुसार भिटामे चित्र बनैना जिम्मा फेन मोर होगैल । सुरुसुरुमे टे ओट्रा मजा नैबनाइसेकँु । लेकिन पाछेपाछे ओर टे आझसम गाउँ भरिम सबसे सुग्घुर अस्टीमकीक् चित्र हमारे घर रहठ् । महिन बहुत खुस लागठ जब सक्कु जे अट्रा तारिफ करठैं टे ।

चित्रकारितामे कैसिक प्रवेश कर्नु उ टे नैपटा हो । सायद यी शरीरमे जबसे ज्यान (आत्मा) आइल टबसे । काहेकी यी मोर भगवानसे मिलल उपहार हो । घर गाउँ, स्कूल मनफें महिन चित्रकार कहिके चिन्हे लग्लंै । टबसे महिन लागठ कि इहे मोर पहिचान हो इहे मोर रुप ओ भविष्य हो । टबसे मै अपन सपना ओ गन्तव्य बनालेनु । कोनो फेन काम करक् लाग प्रेरणा ओ हौसलाके जरुरत परठ ।

आझसम मैं डाडाभैँया, डिडीबाबुन, संघरियनके जलमदिनमे चित्रबनाके उपहारके रुपमे डेटी आइल बटुँ । स्कूलमे फेन कक्षा कोठामे चित्र बनाके सजैले रहँु । कक्षा १२ मे पर्हेबेर हम्रे शैक्षिक भ्रमण गैल रही । ओकर प्रतिवेदन महिन पेश कर्ना जिम्मा मिलल् रहे । मै चित्रके माध्यमसे हमार घुमल, सिखल ज्ञान आउर ठाउँके बारेम प्रतिवेदन पेश कर्नु । ओहे प्रतिवेदन डेखके सर ओइने बहुत खुस हुइलैैं । उहाँ कलंै कि मोर जीवनकालमे अट्रा बरस होगैल पहिलक् मनैं अट्रा मजा प्रतिवेदन मै कबु नैपाइल रहँु । टबे पुरा घण्टा सर सक्कु कक्षामे मोर तारिफ कर्लंै ओ बहुत ढेर हौसला डेलंै । ओहे दिनसे महिन मोर कक्षामे एकठो लावा नाउँ मिलल् बहु प्रतिभाशाली सुुजु । टबे सर सक्कुनके आघे घोषणाफें करलैं कि महिन अपन स्कूलमे कला शिक्षक ढर्ना कहिके । हमार स्कूलमे विशेष शिक्षा (बहिरा शिक्षा) फे पर्हाइ होए । ओ ओइन प्रायः कैके चित्रके माध्यमसे कहिजाए । हमार खाली समयमे मै म्याडमसे पुछके कबुकाल्ह साधारण चित्र बनाइ सिखाडिउँ ।

आझफें मै चित्र कोर्टी रठुँ । मने मै तालिम नैलेले हुइटँु । ओ एकर बारेमे पटाफें ओट्रा नैरहे । आझके आधुनिक जबानामे इन्टरनेट, युटुब मनसे सिख्ठुँ औ बनैना कोशिस कर्ठुं । चित्र बनाके सामाजिक संजालमे पोष्ट करे लग्नु । टबसे बहुत ढेर मैयाँ, सल्लाह, सहयोग प्रेरणा पाइटुँ, ओ महिन आउर हौसला मिलटा यी क्षेत्रमे लग्ना । चित्रकारिता क्षेत्रमे टे मै छोटेसे लागल बटुँ । मने समय अनुसार महिन बहुत जेडा प्रभाव कर्टी गैल यी क्षेत्र ।

२.अप्नेक् बनाइल चित्र कहाँसम पुगल बा ?

चित्रकारितासे मै अट्रा जेडा लगाब कैले रलेसे फेन मै अभिनसम व्यवसायिक रुपमे लागे नैसेकले हुइटुँ । मै जेडा सिखे नैपाइल ओरसे गाउँघरमे किल सिमित बटँु ।

स्कूल, कलेजसे हुइल हरेक चित्रकला प्रतियोगितामे भाग लेटी आइल बटुँ । हरेकमे लगभग सफल फेन हुइटी आइल बटुँ । गाँउघरमे कोइ बना कठैं टे बनैठुँ । कुछ बनाइल चित्र मन परठिन टे बहुतचो पैंसामे बेंच्ले फेन बटँु । नैकी बनाके ढर्ले रठँु । अपन चिन्हँल केक्रो जलमदिन या कौनो अवसरमे उपहार स्वरुप डेटी आइल बटँु । गाउँके डाडा भैयनके प्रयोगात्मक परिक्षाके लाग चित्र बनैना रहठ टे ओहे बनैठुँ । ठोर बहुत बनौनी लेठुँ ।

अझकल इन्टरनेटसे हल्काफूल्का सिखके सामाजिक संजालमे पोष्ट कर्ठुं टे ओहे बहुत जे मजा प्रतिक्रिया ओ सल्लाह फेन डेठैं । आब सिख्ना बहुत चाहा बा ओ व्यवसायिक बन्ना सपना । अभिन बहुत सिखक् पर्ना बा । बहुत ज्ञान लेना बाँकी बा । अस्टीमकीमे भिटामे बनैना ओ अपन सन्तुष्टिके लाग पन्नामे किल सिमित बटुँ । समग्र रुपमे कना हो कलेसे मै अभिन व्यवसायिक रुपमे लागे नैसेकले हुइटुँ ।

३.एकर सँगसँगे आउर का–का काममे व्यस्त बटि ?

एकर सँगसँगे मै स्वास्थ्यकर्मीफें हुइटँु । एसएलसी डेके सेकके मै १८ महिने अनमीके पह्राइ पूरा कर्नु । टबे आझ गोदावरी नगरपालिकासे सञ्चालनमे रहल चापसल्ली शहरी स्वास्थ्य क्लिनिक, गोदावरी नगरपालिका १२ चापसल्ली कैलालीमे विगत ३ सालसे अनमी होके कार्यरत बटुँ । बिचमे २०७६ साल कुवाँरठेसे माघ पहिलो हप्तासम मै गोदावरी नगरपालिका–८ मालाखेती अस्पतालमे फेन काम कर्नु ।

हाल मै पेशामे स्वास्थ्यकर्मी रलक ओरसे प्रायः कैके स्वास्थ्य सम्बन्धी काममे व्यस्त रठुँ । मै चित्र कोर्नाके संगे कागजके शिल्पफेें बनैठँु । रोगिन कागज ओ न्युउरोके प्रयोगसे कोठा सजैना शिल्पफें बनैठँु । गोहुँके लर्वाके प्रयोग कैकेफें असिन सजावटके समान बनाइ सेक्जाइठ ।

४.चित्रकार हुइक लाग कट्रा संघर्ष करे परल ?

चित्रकला मोर लाग जिन्गी हो । मै खुस रहलमे, दुःख रहलमे हर समय अपन सुख दुख चित्रके माध्यमसे प्रस्तुत कर्ठुं । जिन्गी कलक संघर्षके मैदान हो । संघर्ष नैरहल जिन्गीमे टो जिना बेकार लागठ । सफलता पाइक लाग संघर्ष जरुरी रहठ । जब दुःख हुइठ् ओ समस्या आइठ् । टबजाके ओहे समस्याके समाधानके खोजी कैजाइठ ओ सफलता मिलठ् ।

मै बच्पनसे स्कूल ओ घरहीं सिमित रहल मध्यम परिवारके मनैं हुइटुँ । स्कूल ओ घरेसे बाहेर कब्बुफें नैजाइ मिलल् । मै बाहेरके सूचना, जानकारीसे लगभग अनविज्ञ रहँु । स्कूलसम मै अपन प्रतिभामे कुछ सामान्य सुधार करे सेक्नु । ओट्रैमे सिमित रहिगैनु । एसएलसी सम मोरठे मोबाइलफें नैरहे । कुछ फेन ज्ञान मै किताव आउर टिभीके सहायतासे पाउँ । एसएलसी बाड कहाँ पहर््ना, कट्रा जट्रा खर्च लागठ कुछ पटा नैरहे । मै अपनसे भारी अग्रज ओइनसे सल्लाहफें मग्नु ओ अपन स्कूलके सर ओइनसेफें सल्लाह मग्नु मने कोइफें चित्रकलाके पह्राइके बारेमे नैजानल बटैलैं । सक्कुजे नर्सिङ मजा रही कहे लग्लैं । स्टार्फ नर्स पह्राइक लाग मोर परिवारमे समस्या रहे । टबु मै अनमी पर्हेक् लाग विवश होगैनु । मै १८ महिने अनमीके पह्राइ एकीकृत सामुदायिक विकास केन्द्र, तारानगर धनगढी कैलालीसे पुरा कर्नु । पह्राइके बाड मै चित्रकलाके पह्राइके बारेमे इन्टरनेटसे ठोरठोर पटा लगैनु ।

मने मै बेराम होगैनु । ओकर कारण मै पर्हे जाइ नैपैनु । इन्टर जोइन कर्नु मने मै बेराम हुइल ओरसे ४÷५ महिना स्कूल जाइ नैपैनु । बहुत उपचारके बाड मै भारतके खटिमाके प्रयास अस्पतालमे ७ दिन भर्ना रहँु । महिन अल्सर हुइल रहे । डाक्टरफें कहल कि एक हप्ता ढिला हुइलेसे बहुत ढिला होजैना रहे कहिके । मै अल्सरके अन्तिम अवस्थामे रहँु । मै अल्सरके बिरुवा ७ महिनासम हर रोज खैना ओ चेक करैटी रहँु । टबसे हरेक बरस कुछ ना कुछ रोग आउर समस्यासे जुझ्टी आइटुँ । ५ साल होगैल मै कौनो ना कौनो रोगके बिरुवा खैटी आइल बटुँ । मोर सफलता ओ सपनाके सबसे भारी संघर्ष फेन इहे हो । मै बेराम जेडा हुइना ओरसे मोर डाइबाबा फेन घरेसे दुर अक्केली चित्रकारिता पर्हे जैना मञ्जुरी डेनासे डरैठंै । पहिले ठिक होउ टब पर्हहो कठैं ।

समस्या सबके रहठ । मोर परिवारमे फेन बहुट ढेर समस्या चलटा टब मोर परिवारहे सहयोग करेक लाग मै यी करारके जागिर करटुँ । कुछ साल काम कैके पैंसा जोरके पर्हे जैम कहिके मै यी संघर्ष ओ मेहनत करटँु । समाजमे कठैं चित्रकारितासे का हुइ । जिन्गी जिएक लाग बहुत पैंसा चाहठ । चित्र बनाके कौनसा कमाइ हुइ । चित्रकारिता पर्हलेसे स्टार्फ नर्स पर्हो कहिकेफें सल्लाह डेठंै । मने मै अपन विचारसे अडिक बटुँ । समाजके दृष्टिकोण परिवर्तन कर्नामे फेन लागल बटुँ । फुर्सद पैटी किल मै चित्र कोरे नैछोर्ठंु । मै सिखल नैहुइटुँ । व्यवसायिक नैहुइटुँ मने यी कला महिन अलग खुसी डेहठ् । अपन परिवारहेफें मै सम्झैटी बटुँ ।

हमनसे जिन्गीमे बहुत गल्ती हुइठ । ओहे गल्ती हमन अनुभवी बनाइठ ओ जाके ओहे अनुभव सफल बनाइठ । टबेमारे दुनियाँ जा कहे अपन काममे अडिक रहेक परठ । आउर अपन काममे विश्वास करेक परठ । जिन्गीमे कब्बुफें संघर्ष विना सफलता नैमिलठ । मै भलही बहुत ढिला करटुँ लेकिन सफलता किहु आघे मिलठ टे किहु पाछे । बस अपन मेहनत नैछोरेक परठ । ओहे मारे मै फेन संघर्षके मैडानमे बटुँ । पटा नैहो अभिन यी मैडानमे कट्रा लरेक परठ । मै अभिन गाउँघरमे सिमित बटुँ व्यवसायिक बनेक लाग बहुत संघर्ष कर्ना बाँकी बा ।

५.अपन सिखल सीपहे अपनसे पाछेक् पुस्टनहे कैसिक सिखाइ चहठी ?

हम्रे आझ अपन सिखल सीप अपन पाछे पुस्टनहे नैसिखाब टे हमार सीप कला हमारेमे किल सिमित रहि । यी मै नैचहठुँ । मै अपन सिखल सीप छोट लर्कन सिखाइ चहर्ठंु । सीप अइसिन कला हो कि जो हमार जिन्गी जिनामे बहुत कामके लाग आवश्यक परठ । काल्ह जाके हम्रे अपन गुजारा चलाइ सेक्ठी । मतलब बेरोजगार नैरहक परठ ।

मै अपन सीप अपन बाबुहे सिखासेकल बटुँ । आउर छोटछोट बच्चनफें सजिल तरिकासे चित्र बनाइफे सिखैठँु । मै अपनसे पाछेक् आउर कलाहे भित्री दिलसे प्रेम करुइयन पूरा सहयोग करे चहठुँ । काहे कि कलाप्रेमीनहे समाज, परिवारसे मजा साथ सहयोग नैमिलठ । ओहेमारे बरा दुख लागठ । मै अपन सेकलसम् जरुर सिखैम जे सिखे चाही कलेसे ।

६.पेशाले स्वास्थ्यकर्मी, मने कला क्षेत्रमे काहे लागल बटी ?

हाँ मै पेशाले स्वास्थ्यकर्मी हुइटँु । स्वास्थ्यकर्मी हुइनासे आघे मै कला क्षेत्रमे रहुँु, बटुँ ओ रहम । मै पेशाले फेन कलाकार (चित्रकार) बने चाहुँ मने समय, परिस्थितिसे मै बने नैसेक्नु । मने मै आब अपन कलाहे आघे बहाई चाहटँु । महिन पटा बा कि मोर यी क्षमता बा ।

परिस्थितिले मै स्वास्थ्यकर्मी हुइलेसे फेन मै मनसे कलाप्रेमी हुइटुँ । महिन आझ फेन बहुत जे स्वास्थ्यकर्मी नैकि चित्रकार कहिके चिहिन्ठैं । मै मालाखेती अस्पतालमे काम करेबेर जब अस्पतालमे सक्कु जे पटा पैलैंकी मै चित्र कोर्ठुं कहिके टब सबजे चित्रकार सुजु कहिके बलाइँठ् । कला मोर पहिचान हो । स्वास्थ्य क्षेत्र महिन नाम डेहठ् कलेसे चित्रकला महिन पहिचान डेहठ् । स्वास्थ्य क्षेत्र मोर शरीर हो कलेसे चित्रकला मोर आत्मा हो ।

यी जरुरी नैरहठ की हम्रे का काम करटी, जरुरी इहे रहठ कि हम्रे का कामहे प्रेमके साथ करे चहठी । हाँ मै स्वास्थ्यकर्मी हुइटँु लेकिन चित्रकला विना मै अपन जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँु ।

७.अप्ने साहित्य, फेन लिख्ठी का का विधामे कलम चलैठी ?

खासमे कनाहो कलेसे अभिन साहित्यमे ढेर परिचित नैहुइल हुइटँु । भरखर भरखर सुरुवात करले बटुँ । स्कूल पर्हेबेर कविता बाचनमे भाग लिउँ । एकचो पहिल, एकचो डुसरा ओ एकचो टिसरा हुइल बटुँ । थारु भासामे कविता भरखर लिखे भिरल बटुँ । गजलमे पहिलबार कलम डौराइ भिरल बटुँ । मै गीत गैना भर पहिलेसे गाउँ । अपनही गुनगुना गुनगुना शब्द सिरजैठुँ । अपन मन बहलाइक लाग गैठुँ । साहित्यसे अभिन जेडा परिचित नैहुइल हुइटँु । अप्नेनके साथ सहयोग पैम टे जरुर लिखम् ।

८.अपन जिवनमे कब्बु बिस्सराइ नैसेक्ना यादगार पल बटाडी ना ?

ओसिक टे बहुट पल बा बिस्राइ नैसेक्ना । कक्षा ५ मे पर्हेबेर पहिल बार स्रोतकेन्द स्तरीय चित्रकला प्रतियोगितामे सबसे सुन्दर चित्र रहे । मने रंगके कमी होके । महिन रंग नैमिलल रहे । रंग बिनाफें मोर बनाइल सबसे मजा रहल सक्कु जे बटैलैं । हुइना टे मै डुसरा हुइल रहुँ मने चित्रकलामे मोर पहिल पुरस्कार रहे । स्कूलमे मोर फरक पहिचान मिलल रहे । ओहे दिनसे । ओहे पल अमूल्य बा मोर लाग ।

सबसे अमूल्य पल बा, आर्ट क्लास । मै हमेसा सोचँु कि महिन यी क्षेत्रमे बहुत सिखे मिलठ टे का नाहि । अपन कलाहे निखारे मिल्ना रहे टे का नाहिं । मोर आशाके किरणके रुपमे मनिष चौधरी सर जो मिल्लैं । महिन बहुत चिज सिखे मिलल सरसे । अइसिन लागल कि अन्ढरिया रातमे डगरमे अलपत्र परल महिन कोनो रोजरार किरण मिलल् । सरके सहयोगमे मै पहिल बार आर्ट मेटेरियल प्रयोग कैके जोन चित्र बनैनु ओहे डेखके महिन मोर परिवार ओ समाजसे बहुत हौसला मिलल् । सबसे भारी बात टे यी हुइल कि कोइकोइ टे अपन लर्कन सहयोग करटैं महिन उदाहरण डेके । महिनसे पुछेफें अइठैं एकर बारेमे । यी मोर लाग बहुत भारी उपलव्धी हो कि कोइ मोर कारणसे सकारात्मक परिवर्तन हुइटा आउर कलाहे सम्मान ओ सहयोग करटैं । मनिष सरहे मैं जट्रा धन्यवाद डेहेम टे फेन कम रहि । सरके कारणसे महिन फरक पहिचान मिलटा । साथ नैमिलुइयनसे फने साथ मिलटा । यी टे सुरुवात हो अभिन बहुत सिख्ना बाँकी बा । जिवन जो सिकाइके मैडान हो, अभिन बहुट अनुभव बिटोरना बाँकी बा ।

९.कला कलक मने कैसिक बुझ्ठि ? मनैंनहे कैसिक बुझाइ सेक्जाइ ?

कला कलक अपन जानल सीप हो । मनैनमे अलग अलगके काम, ओइनके काल्पनीक आउर व्यवसायिक सीपसे सिर्जित हुइल सन्दर्भहे कला कैजाइठ । कला जिवन जिना आधार हो । कना हो कलेसे हमार हर दिन हर काम कलासे सम्बन्धित रहठ । कलासे जो पुरा हुइठ । गोंरी बिन्नासे लेके महल बनैना सम हर काममे कला चाहठ ।

मोर बिचारमे कला कलक हर मनैंनहे भगवानसे मिलल उपहार । पहुरा हो । कला मनंैनके भावना, अनुभव, सीप ओ कल्पनासे सिर्जित सिर्जना हो । कला हमार पहिचान हो । हमार नाउँ हमन गाँउघरमे चिन्हाँइठ कलसे हमार कला हम्हिन समाज ठेसे लेके सारा विश्वमे चिन्हाँइठ ।

१०.ओरौनीमे इ पत्रिकामार्फत का सन्देश डेहे चहबी ?

ओरौनीमे, मै इहे कहे चहठुँ । कि खास कैके सक्कु डाइबाबनहे ओ यी समाजहे । हर कोइ डाइबाबा अपन बच्चनहे डाक्टर इन्जिनियर, नर्स वा सरकारी जागिरे किल बनाइ चहठैं, आखिर काहे ? अपन बच्चनके सुन्दर भविष्य बनाइक लाग या समाजमे अप्ने आपहे सम्मानित डेखाइक लाग या मोर बच्चा अट्रा कमाइटा कहिके औरेक आघे घमण्ड डेखाके डाफ उरैना पात्र बनाइक लाग ?

बच्चा जन्मल नैरहठ डाइबाबनके बीच कलकल सुरु । छावा हुइटे यी, छाइ हुइटे यी बनैम कहिके । बहुत कम डाइबाबा पुछ्ठुइही सायद टँु का बने चहठो छाइ छावा । ओहे एहे हो, जरुर सफल हुइबो कहिके । बहुत कम मनैनके जीवनमे यी सब मिलठुइ । यहाँ टो क, ख सिख सुरु करल बच्चनफें ९० प्रतिशतसे जेडा ढेर अंकके प्रतिशत ओ ए प्लस ग्रेड लानक् परी, कक्षामे, स्कूलमे पहिल आइक परी कहिके सटा जाइठ । लर्का कट्रा जानटा यी नैहेरजाइठ कि बस कट्रा नम्बर लानटा ओहे किल हेरजाइठ् ।

आउर समाजमे फल्नाके छाइहे हेरी कैसिक नाचठ, बिग्रल बा । फल्नाके छावाहे हेरी गीत गाइठ काहँु, का कमाइ ? कसिक पाली अपन डाइबाबन । बस अस्टे अस्टे बात हुइठ् । कलाहे सहि नजरसे हेरुइयासेफें गलत नजरसे हेरुइया जेडा मिल्ठैं । ओहे बात लेके अपने डाइबाबाफें साथ नैडेहे लग्ठंै ।

प्रकृतिसे बाहेर घुमे आउर बाहेरसे सिख्ना रमैना मौकै नैडेजाइठ । बस हर समय किताब पर्हो, किताब पर्हो । का सक्कु ज्ञान किताबमे किल सिमित रहठ ? यदि असिन हो कलेसे मनैंन प्राकृतिक, सामाजिक सर्वश्रेष्ठ प्राणी काहे कैहिजाइठ ? मनैंनके सभ्यताफे टे प्रकृतिसे सुरु हुइल । ओहे समयमे मनैं कलाके मद्दतसे टे काम करठ । प्रकृति, कला संगीतसे प्रेम करुइया समाजसे साथ सहयोग, प्रेरणासे जेडा अस्टे अस्टे बात सुने मिलठ । मनैंनके खुसी ओ सक्कु, रुपिया ओ सम्पति किल नैहो । मै हर डाइबाबन इहे कहे चहठुँ ।

अपन लर्कनके भविष्य अपन मुठ्ठामे ढर्ना कोशिस नाकर्बी । अपन बच्चनके खुसी ओ भविष्य पैसासे नातौलबी । उहि ओहे करेडी, उहे बनेडी, जो उ चाहठ । बस ओकर जिन्गीके यात्रामे सहयात्री बनेडेबी । दुनियँक् मनंै ज्याफें कहंै अपन लर्कन पिंजडामेसे बाहेर उरेडि, खुल्ला बडरीमे खुस होके । सफलता सम्पति ओ कमाइसे नादाँजी । आत्मा सन्तुष्टि सबसे भारी सफलता हो । अप्नेक बच्चा कला क्षेत्रमे लाग चाहना टे जरुर साथ, हौसला डेबी । कलाके सम्मान करी । दृष्टि बडली, सृष्टि बडली । ढन्यवाद ।

‘कला बिना मै जिन्गीके कल्पनाफें करे नैसेक्ठुँ’

सुजु कुस्मी

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