संस्मरण
शुक्लाफाँटा पर्यटन क्षेत्र अवलोकन
वीर बहादुर राजवंशी
कंचनपुर जिल्लाके शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज तत्कालीन सिंहपाल राजाके ४ ठो परगन्ना सिंहपुर, शुक्ला, वर्मा ओ वर्कोला रहल ठाउँ होे । यि ठाउँ चारोओरसे वनवाँले घेरल एकठो ठाउँ हो । यहाँ समथल उर्वरा जमिनके वरपर किनारामे रानीशिर ओ रानीताल ओ पश्चिममे महाकाली लडिया बा । यि ठाउँ आदिवासी जनजाति थारू समुदायहुकनके आदिमकालसे बासोबास कर्टि आइल रमणीय स्थान हो ।
यि ठाउँमे हमार पुर्खालोग वि.स.१९९० सालसे पहिल बसोबास करलक ठाउँ हो । यि वहुचर्चिट ठाउँमे हमार पुर्खासे आदिवासी जनजातिहुकनके इतिहास लोप हुइल बा । यहाँके मुख्य इतिहासकार आदिवासी थारु हुइँट् । ओहेमारे यि बाट वि.स.२०६४ पुस ३० गते थारु राष्ट्रिय मुक्ति मोर्चा, नेपाल कंचनपुरके चौथो जिल्ला सम्मेलनसे प्रेरित करलैं । ओ प्रेरित प्रमाण खोजविन कर्ना अवलोकनके कार्यक्रम कनाके गैलेसे, हमार अध्ययन कर्र्ना टिम ६ जहनके बा । टिममे सभाषद कमल क्षेत्री, लगायत मोर्चाके पदाधिकारीहुकन दानसिंह दहित, नरेन्द्र प्रसाद बखरिया, शारदा चौधरी ओ गाडी चालक रहे । अवलोकन टिमके सम्पूर्ण व्यवस्थापन वार्डेन कार्यालय मजगावाँ ओ जिल्ला वन कार्यालयके सहयोगमे घुस्री (महेन्द्रनगर) बजार प्रारम्भ कैगिल । जिल्ला वन कार्यालयके गाडीमे पिपरिया वार्डेन कार्यालय पुग्ली । वहाँसे वार्डेन कार्यालयके गाडीमे निकुञ्ज प्रवेश करली ।
यि कार्यालयके ८÷१० भित्तर सशस्त्र युद्व संचालन हुइल बेलामे वि.स.२०५९ चैत महिना बाबा तालमे मजगावाँ ब्यारेकसे सिंहपुर जैटि रहल बिच्चे जंगलमे आर्मिके गाडी लक्षित कैके माइन पड्काइल रहे । पड्काइल माइनल गाडीके टुक्रा रुखवाके टिपुन्नीम अडकल रहे । शुरुके अवलोकन यहे बाबा ताल बनल । टब जाके यि टिम आघे बरहल । रानिशिर ताल हेरक लाग मचानमे चहुँरली । ताल सी आकारके बिल्गाइल । ओकर फोटो फेन लेली । यि तालके वरपर साल प्रजातिके लगभग ४०÷५० बर्ष पुरान रुखवा डेख्ली । टबजाके सिंहपुरके गरि (किल्ला) हेरे गैली । गरिके बिचमे २ ठो ढुङ्गाके मुर्ति ढारल बा । उ ढुंगाके वरपर थारुनके देवता त्रिशूल, खेखरि, मैयाँ बिल्गाइल । यि सिंहपाल बाबाके थान हो, कहिंट । उ थानके वरपर किल्ला बनाइल एकठो सेन्टिरि पोस्ट जस्टे बनाइल बा । हमार टिम अवलोकन सिंहपुर ब्यारेक हुइटि बिचमे बभनि नडिया पार कैके शुक्लाफाँटा प्रवेश करल । यि फँटुवामे वन्यजन्तु हरिण, चितल, बाह्रबिसे, बनेल, मयुर सामुहिक बथान घाम तपति रहल डेख्गैल ।
ओहेबेला बन्यजन्तुसंग रमैटि, फोटु खिचैटि पुरे टिम आनन्दके महशुस कैली । टबजाके टिम शिलाओर बरहठ, शिला हात्तीनसे जनआन्दोलनके क्रममे टुटागैल रहे । शिला टुटल १० दिनके बाड जनआन्दोलन स्थगित ओ लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके घोषणा हुइल । शिलालेख ढकना बाघ शुक्लाफाँटामे रहल बा । साके सम्वत १८५५ माघ शुक्ल सप्तमी ९ गते सोमबार बलल उल्लेख बा । वि.स.१९९० साल ढकना बाघ जंगल जो कहिंट । शिलालेख निर्माण सन् १८८० मे जुद्वशमशेर राणा सहश्री (१५०) गौदान करल उल्लेख बा । गौदान काहे कैगैल, अनुसन्धानके बिषय बनल बा । ओस्टके सिंहपुर, शुक्लाफाँटा नाम कसिक बनल हो, खोजविनके बिषय बनेसेकी । एकर अवलोकनके बाड वर्मा, वर्कोला ओर गैली टे वहाँ सिंहपुर, शुक्लाफाँटा ओ आपन पुर्खौलि ठाउँ समझके आनन्द महशुस हुइल । हमार यहाँ शिलालेखके प्रमाण ओ सिंहपाल बाबाके अभिलेख का बटाइठ कलेसे यहाँ आदिमकालसे आदिवासी जनजाति थारु समुदाय कंचनपुरके सबसे पुरान बस्ती आपन राजकाज संचालन हुइल प्रमाण हो । यहाँ मुख्य कैके सिंहपुर, शुक्लाफाँटा, वर्मा ओ वर्कोला ४ परगन्ना रहल एकठो राज्य रहे, कना बुझाइठ । यि ४ परगन्ना (प्रदेश) संचालन ओ सिङ्गे संघीय रुपमे चिन्हुँइया सिंहपाल बाबा हुइँट् ।
अझकल यि समथल हराभरा फँटुवा रानिशिर ताल, बाबा ताल, बभनि लडिया ओ पश्चिममे शारदा (महाकाली) रहल बा, कलेसे वरपर पोल साइज से हल्का मोट साल प्रजातिके रुखवा बा । यि क्षेत्र घुश्रीके लोप होके शाही शुक्फाँटा वन्यजन्तु आरक्षके विस्तार होके राष्ट्रिय निकुञ्ज पर्यटकीय क्षेत्र बनल बा । यहाँ देशि विदेशी पर्यटकके भ्रमण कैना ठाउँ बनल बा । यि ठाउँ थारुनके स्थान, भाषा, संस्कृति ओ इतिहास मिचके शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज बनाइल हो । यि प्रकारके वस्तुगत अवलोकन कैके हमरे सक्कु टिम वार्डेन कार्यालयमे पुगके खाना खाके अपन अपन डग्गर नम्ली । सब सहयोगीनहे विशेष धन्यवाद ओ कृतज्ञता प्रकट करटि हमार अवलोकन निप्टल । पुनः स्मरण २०७७ माघ १९ सोमबार ।
गुलरिया, कंचनपुर