शुक्लाफाँटा पर्यटन क्षेत्र अवलोकन

वीर बहादुर राजवंशी
१२ चैत्र २०७९, आईतवार
शुक्लाफाँटा पर्यटन क्षेत्र अवलोकन

संस्मरण
शुक्लाफाँटा पर्यटन क्षेत्र अवलोकन
वीर बहादुर राजवंशी

कंचनपुर जिल्लाके शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज तत्कालीन सिंहपाल राजाके ४ ठो परगन्ना सिंहपुर, शुक्ला, वर्मा ओ वर्कोला रहल ठाउँ होे । यि ठाउँ चारोओरसे वनवाँले घेरल एकठो ठाउँ हो । यहाँ समथल उर्वरा जमिनके वरपर किनारामे रानीशिर ओ रानीताल ओ पश्चिममे महाकाली लडिया बा । यि ठाउँ आदिवासी जनजाति थारू समुदायहुकनके आदिमकालसे बासोबास कर्टि आइल रमणीय स्थान हो ।

यि ठाउँमे हमार पुर्खालोग वि.स.१९९० सालसे पहिल बसोबास करलक ठाउँ हो । यि वहुचर्चिट ठाउँमे हमार पुर्खासे आदिवासी जनजातिहुकनके इतिहास लोप हुइल बा । यहाँके मुख्य इतिहासकार आदिवासी थारु हुइँट् । ओहेमारे यि बाट वि.स.२०६४ पुस ३० गते थारु राष्ट्रिय मुक्ति मोर्चा, नेपाल कंचनपुरके चौथो जिल्ला सम्मेलनसे प्रेरित करलैं । ओ प्रेरित प्रमाण खोजविन कर्ना अवलोकनके कार्यक्रम कनाके गैलेसे, हमार अध्ययन कर्र्ना टिम ६ जहनके बा । टिममे सभाषद कमल क्षेत्री, लगायत मोर्चाके पदाधिकारीहुकन दानसिंह दहित, नरेन्द्र प्रसाद बखरिया, शारदा चौधरी ओ गाडी चालक रहे । अवलोकन टिमके सम्पूर्ण व्यवस्थापन वार्डेन कार्यालय मजगावाँ ओ जिल्ला वन कार्यालयके सहयोगमे घुस्री (महेन्द्रनगर) बजार प्रारम्भ कैगिल । जिल्ला वन कार्यालयके गाडीमे पिपरिया वार्डेन कार्यालय पुग्ली । वहाँसे वार्डेन कार्यालयके गाडीमे निकुञ्ज प्रवेश करली ।

यि कार्यालयके ८÷१० भित्तर सशस्त्र युद्व संचालन हुइल बेलामे वि.स.२०५९ चैत महिना बाबा तालमे मजगावाँ ब्यारेकसे सिंहपुर जैटि रहल बिच्चे जंगलमे आर्मिके गाडी लक्षित कैके माइन पड्काइल रहे । पड्काइल माइनल गाडीके टुक्रा रुखवाके टिपुन्नीम अडकल रहे । शुरुके अवलोकन यहे बाबा ताल बनल । टब जाके यि टिम आघे बरहल । रानिशिर ताल हेरक लाग मचानमे चहुँरली । ताल सी आकारके बिल्गाइल । ओकर फोटो फेन लेली । यि तालके वरपर साल प्रजातिके लगभग ४०÷५० बर्ष पुरान रुखवा डेख्ली । टबजाके सिंहपुरके गरि (किल्ला) हेरे गैली । गरिके बिचमे २ ठो ढुङ्गाके मुर्ति ढारल बा । उ ढुंगाके वरपर थारुनके देवता त्रिशूल, खेखरि, मैयाँ बिल्गाइल । यि सिंहपाल बाबाके थान हो, कहिंट । उ थानके वरपर किल्ला बनाइल एकठो सेन्टिरि पोस्ट जस्टे बनाइल बा । हमार टिम अवलोकन सिंहपुर ब्यारेक हुइटि बिचमे बभनि नडिया पार कैके शुक्लाफाँटा प्रवेश करल । यि फँटुवामे वन्यजन्तु हरिण, चितल, बाह्रबिसे, बनेल, मयुर सामुहिक बथान घाम तपति रहल डेख्गैल ।

ओहेबेला बन्यजन्तुसंग रमैटि, फोटु खिचैटि पुरे टिम आनन्दके महशुस कैली । टबजाके टिम शिलाओर बरहठ, शिला हात्तीनसे जनआन्दोलनके क्रममे टुटागैल रहे । शिला टुटल १० दिनके बाड जनआन्दोलन स्थगित ओ लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके घोषणा हुइल । शिलालेख ढकना बाघ शुक्लाफाँटामे रहल बा । साके सम्वत १८५५ माघ शुक्ल सप्तमी ९ गते सोमबार बलल उल्लेख बा । वि.स.१९९० साल ढकना बाघ जंगल जो कहिंट । शिलालेख निर्माण सन् १८८० मे जुद्वशमशेर राणा सहश्री (१५०) गौदान करल उल्लेख बा । गौदान काहे कैगैल, अनुसन्धानके बिषय बनल बा । ओस्टके सिंहपुर, शुक्लाफाँटा नाम कसिक बनल हो, खोजविनके बिषय बनेसेकी । एकर अवलोकनके बाड वर्मा, वर्कोला ओर गैली टे वहाँ सिंहपुर, शुक्लाफाँटा ओ आपन पुर्खौलि ठाउँ समझके आनन्द महशुस हुइल । हमार यहाँ शिलालेखके प्रमाण ओ सिंहपाल बाबाके अभिलेख का बटाइठ कलेसे यहाँ आदिमकालसे आदिवासी जनजाति थारु समुदाय कंचनपुरके सबसे पुरान बस्ती आपन राजकाज संचालन हुइल प्रमाण हो । यहाँ मुख्य कैके सिंहपुर, शुक्लाफाँटा, वर्मा ओ वर्कोला ४ परगन्ना रहल एकठो राज्य रहे, कना बुझाइठ । यि ४ परगन्ना (प्रदेश) संचालन ओ सिङ्गे संघीय रुपमे चिन्हुँइया सिंहपाल बाबा हुइँट् ।

अझकल यि समथल हराभरा फँटुवा रानिशिर ताल, बाबा ताल, बभनि लडिया ओ पश्चिममे शारदा (महाकाली) रहल बा, कलेसे वरपर पोल साइज से हल्का मोट साल प्रजातिके रुखवा बा । यि क्षेत्र घुश्रीके लोप होके शाही शुक्फाँटा वन्यजन्तु आरक्षके विस्तार होके राष्ट्रिय निकुञ्ज पर्यटकीय क्षेत्र बनल बा । यहाँ देशि विदेशी पर्यटकके भ्रमण कैना ठाउँ बनल बा । यि ठाउँ थारुनके स्थान, भाषा, संस्कृति ओ इतिहास मिचके शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज बनाइल हो । यि प्रकारके वस्तुगत अवलोकन कैके हमरे सक्कु टिम वार्डेन कार्यालयमे पुगके खाना खाके अपन अपन डग्गर नम्ली । सब सहयोगीनहे विशेष धन्यवाद ओ कृतज्ञता प्रकट करटि हमार अवलोकन निप्टल । पुनः स्मरण २०७७ माघ १९ सोमबार ।
गुलरिया, कंचनपुर

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