संख्याके प्रभाव

विन्ति राम महतो
१३ चैत्र २०७९, सोमबार
संख्याके प्रभाव

संस्मरण
संख्याके प्रभाव

विन्ति राम महतो

मै हर रोजहस उ दिनफें विहन्ने विहानीक नेगाइमे निकरल रहँु । जंगलके बिचोबीचसे निकरल गाउँक कच्ची डगरा हुइटी एहर उहर नेंगना मोर नियमित मर्निङ्ग वाकके रुट रेहे । जंगलके किनारे किनार हरियालीके ओ चिरैं चुरुंगनके मेरमेरिक आवाजके आनन्द लेहटी मै नियमित मर्निङ्ग वाक करुँ । जंगलके बीच एकठो डुंडरा रेहे । उ डुंडराफें असार सावनओर खलखल खलखल आवाजके निकार्के अपन अस्तित्वके आभाष ढेहे । मै प्रकृतिप्रेमी इ सब प्रकृतिक मनोरम दृश्यके आनन्द लिउँ ।

उ दिन विहानीक शयर कर्ना समयमे मिहिन एकाएक शौच लागल । शौचफें अत्रा जोरसे कि ठाम्हे नैसेक्ना । मै झबडीक बीच्चेम डुंडरक किनारे बैठगिनु शौच करे । उप्परसे चिरैयाँ गीत गाइहस करे लागल । शीकचीरु बेबरी, शीकचीरु बेबरी कैहके । मै उ चिरैयँक आवाज औरे मेरके सुनु । तीन टेंरक भुटुवा डुरुवाइट, तीन टेंरक भुटुवा डुरुवाइट कहेहस सुनु ।

मै शौच बैठठसम उ चिरैयाँ बहुत बेरसम गीत गासेकले रेहे । तीन टेंरक भुटुवा डुरुवाइट, तीन टेंरक भुटुवा डुरुवाइट कैहके । उ बोल सुनट सुनट मोर मन प्रभावित हुइ लागल रेहे । अइसिन अनकन्टार सुनसान जंगलमे शायद तीन टेंरा वाला भुटुवा जाटटिके निकर नजावै कैहके सोंचे लगनु । सोंचट साेंचट मन डराइहस करे लागल । हलहल शौंचसे उठगिनु ।

मोर मनमे बात खेले लागल कि शायद कोइ चीजहे संैयोचो डोहरयैबो कलेसे ओकर प्रभाव औरे होजाइठ । गलत चीजहे सैयो चो सच कैहके डोहरैबो टो सच माने लागजाइठ । अकके बातहे सय जहन्के मुहसे सुनबो टो उ बातमे विश्वास लागे लागठ । परिस्थिति ओस्टे हुइृल रेहे । मै भुट बैताल देवी देउतामे विश्वास नाइ कर्ना मनै । मै उ चिरैंयँक बोल सुनके डराइ लागल रहुँ ।

यहाँ मै बात करे खोजटुँ संख्याके । संख्या कोइभी चीजमे बरा भारी असर पुगाइठ । सय जहन्के लाठी एक जहनके बोझा । एक ठुकी सुकी सय ठुकी नदी कहेहस ढेर संख्या वास्तविकताहे वंग्याइक बाध्य बनाइठ । प्रजातन्त्रमे बहुमतके कदर कैजाइठ । बात सच रेहे या झुठ । संसदमे बहुमतसे पारित होगिल कलेसे उही सच माने लागजाइठ । बहुमतके आघे एक अकेला सच्चाइफें दम टुर डेहठ । काहे कि अकेली आवाजके कोइ कदर नाइ रहठ वहाँ । ढेर हुडारन्के आघे एक अकेली बघुवाकेफें कुछ नाइ चलठ । ढेर हुडार मिलके बघुवाक शिकार छिनलेठंै । ढेर चिमट मिल्के अपनसे दश गुणा भारी चीजहे उठाके लैजाइ सेक्ठंै । जंगली जनावर झुण्डमे रहनाके कारण उहे हो । झुण्डमे हुक्रन सुरक्षा ओ टागट मिलठ । अपन झुण्डहे बचाइक लग अपन ज्यान खतरामे डारकेफें अपन समुदायहे सचेत करैठंै । काहे की अपने मुकेफें अपन समुदाय बचजाए कना हुकनके उदेश्य रहठिन ।

यहाँ बात बा संख्याके । कोइभी राजनीतिक दल या कोइ शासकहे अपन शक्ति अजमाइक लग भारी संख्यामे जुलुश प्रदर्शन या आन्दोलनके जरुरत परठ । अपन पक्ष या केक्रो विपक्षमे भारी आम सभा जुलुश या प्रदर्शन कैके कोइ शासक या दलके शक्तिके अनुमान लगाजाइठ । संख्याके आधारमे चुनावमे हारजीतके फैसला हुइठ ।
एक दुई पशुवली डैके मन्दिरमे पुजापाठ करल सुन्के मनमे खासे प्रभाव नाइपरठ । जब दशांै हजार पशुवली चर्हाके पुजा करल सुन्के मनमे नाइ मजा विचार उठठ । पशुवली डेना पाप हो कनाहस लागठ । उ दृश्य देखके मनमे डर चर्हठ ।

दशैं ताकमे मै एक फेरा काठमाण्डांै शहरमे घुमट रहँु । मै घुमट घुमट काठमाण्डांै कलंकी खसी बजार पुग्नु । वहाँक दृश्य डेख्के मै चकित रैहगिनु । खसी बजार भर ओ रिङ्ग रोड भर छेग्री भेडीन्के बजार डेखके मिहिन नाइ मजा लागल । मनै जाति हम्रे राक्षस हुइ कनाहस लागल । अत्रा ढेर निर्दोश पशुनके वली चर्हैठी अपन खुशीके लिए कनाहस लागल । हुइृल कुछ नाइ रेहे मिहिन । अत्रा ढेर पशुनके संख्या प्रभावित बनाइल रेहे मिहिन बस ।

एक फेरा हमार घरेक तलुवामे स्थानिय जातके मछरी ढेर परगिनंै । साेंचली उ स्थानिय जातके चरंगी मछरी उक्ठा डारी । काहे की उ मछरी विकासी जातके मछरीन्के बच्चाहे खाडेठंै । उहे बमोजिम तलुवा ओहडना निर्णय करली । तलुवामे अत्रा ढेर चरंगी मछरी निकर्नै कि हम्रे मछरी पकरट पकरट मिच्छा गैली । रान पडोसमे बांटके सेक डरली टभु पर नाइ उक्ठनै । उ मछरी तलवा भर सिगबिगाइट डेख्के घिन लागे लागल । उ मछरी किरा समान लागे लगनै । मै घिन लागके उ मछरी नाइ खैनु । अइसिके कोइभी चीजके संख्या ढेर मात्रामे बिलगाइ लगठैं टो मनमे मेरमेरके विचार उठे लागठ ।

एक फेरा एक मुर्गी पालक किसान ढेर संख्यामे मर्गीक बच्चा खरीदके नानल । कागजके पेटीमे ढारल चिङ्गनी चेउचेवाइल सुन्के मोर मनमे औरे मेरके विचार उठल । उ अवोध बच्चनके आवाज सुन्के मोर मनमे दया जागेहस करल । इ टुवर मुर्गीक बच्चा अपन महतरियन पुकार ठुइही कनाहस लागल ।

डोसर दिन उहे चिङ्गनी साराके सारा मरगिनै । जेठ असारके गर्मीमे बन्द कोठामे कागजके पेटीमे ढारल उ बच्चा भुखे प्यासे सब मरगिनै । उ मुवल बच्चा खन्ढकमे फेकल रहंै । उ दृश्य डेखके मिहिन नाइ मजा लागल ओ उ व्यापारीकमे रीस उठेहस करल । एक डोसर मनैयाँ टो उ व्यापारीहे गरियाइ लागल कि व्यवस्था करे नाइ सेक्ठे टो काहे नन्ठे रे कैहके कहे लागल । खाली सन्ताप ।

वहाँ बात रेहे संख्याके । दुई चारठो मुवल रहटंै टो कुछु नाइ हुइट । अत्रा ढेर संख्यामे मुवल डेख्के वहाँ उ स्थिति डेखा परल रेहे ।

जानकी गाउँपालिका २ खर्गौली कैलाली

संख्याके प्रभाव

विन्ति राम महतो