‘हमार भासा, साहित्य ओ संस्कृति हमार पहिचान हो’

सागर कुस्मी
१४ चैत्र २०७९, मंगलवार
‘हमार भासा, साहित्य ओ संस्कृति हमार पहिचान हो’

‘हमार भासा, साहित्य ओ संस्कृति हमार पहिचान हो

कंचनपुर जिल्लाके कृष्णपुर नगरपालिका ६ सिंहपुर गाउँमे २०७६ पुस २४, २५ ओ २६ गते हुइल मघौटा साँस्कृतिक कार्यक्रममे बर्दियाके साहित्यकार, गीतकार सुशील चौधरी ओ दांग डेउखरके साहित्यकार, पत्रकार छविलाल कोपिलासे थारु साहित्यिक अवस्थाके बारेमे पत्रकार सागर कुस्मीके करल बातचित यहाँ प्रस्तुत कैगैल बा ।

सागर कुस्मी ः हमरे लोक साहित्य कठि । वास्तवमे इ लोक साहित्य कलक का हो ?

सुशील चौधरी ः थारु हुँक्र हम्र पुर्खा पुरनियासे हम्र ज्या गित गैटि बाटि, ज्या गित गुनगुनैटि बाटि, हम्र ओह चिज हमार लोक साहित्य हो । ओहसे लोक कना हुँक्र आघ पुर्खा पुरनियाँसे प्रकृतिसे मैयाँ ममता करटि आपन नाटपाँट, गैगोट्यार साथ संगठन हुकनसे मिलक हम्र ज्या गित गैठि, ज्या रमैठि, ज्या छलफल कर्ठि ओ ज्या चिज हमार मसे निक्रठ ओह चिज लोक साहित्य हो । कैयोे मेरक लोक साहित्य बा माढो सन्डरी, गुर्बाबक जलमौटि, ढमार, बर्किमार बा अस्टकन ढेउर ढेउर चिज हमार आघ बा । यि सक्कु चिज लोक साहित्यके जग हो कनाहस महिन लागठ । और बात मै पाछ बटैम अप्न हुँकन ।

सागर कुस्मी ः फेनसे मै प्रश्न जोरे चाहटँु । इ प्रश्न दाङके साहित्यकार, पत्रकार छविलाल कोपिला जिहे । हम्रे थारु भाषा साहित्य संस्कृति डेखैठि, नाचगान कर्ठि वास्तवमे इ थारु लोक साहित्य काकरे जोगाइ परठ, एकर बारेम बटा डिना ।

छविलाल कोपिला ः धन्यवाद, सागर कुस्मी जि ओ सबसे पहिले आझ यि सिंहपुरमे हुइटि रहलक सिंहपुर मघौटा सांस्कृतिक कार्यक्रमके आयोजक लोगनहे विशेष विशेष धन्यवाद डेहे चाहटुँ । काहे कि वास्तवमे हमे्र दाङ, कैलाली, कंचनपुर, बाँके जोर्ना यि मौका बहुत कम असिके मिल्ना मौका कम मिलठ । महिन लागठ सिंहपुरके मनै हमे्र सिंहपुरके मनै जसिके हम्रे डेउखरसे बलाके इ एकठो मौका जुरा डेहल बा । मै इ सिंहपुरसे सिख्ना ढेर चाज बा । ओ अब्बा खासे हमे्र ढेर चाज सिखाइ नैसेकढुइ । काहे इ हमार ठन समय कम बा । समय कम हुइलक ओरसे हम्रे जत्रा चाज हमार मनमे लागल रहे, हमार ठन जौन चाज बा ओहे हम्रे जहाँसम सिख्ले बटि वहाँ समय भिट्टर सिखाइ नैसेकब सायद । मने कुछ बात मोर मनमे लागल बात हम्रे एकठो इ अपन मनके बात बोल्ना मौका डेलकमे टिमहे विशेष विशेष धन्यवाद डेहक चाहटँु ।

सागर जि के प्रश्न हे सुरु कर्नासे फेन, वास्तवमे इहिसे पहिले सुशील सरके बात ओर मै यहाँ लोगनके ध्यान केन्द्रित कर्ना मन लागल । वास्तवमे लोक साहित्य थारुनके लोक साहित्यके आधारके मतलव हमे्र जत्रा ज्या हमार ठन लोक साहित्य बा या लोक गित बा, हमार ठन खिस्सा बा, बट्कुहि बा ओमहे आउर चाज फेन बा । हमार ठन हाँसि लगैना कबुकबु हमे्र गाँउ घरमे बैठ्बो टे डोसर जाने खिट्रैना इ मेर मेरिक हमार ठन एकठो इ समय कहि समय बिटैना, काम कर्ना लिरौसी बनाइक्टन जौन हम्रे गित बा बट्कुहि लगायतके चाज हमे्र सुनाके डोसर जहन सुनाके अप्ने सुनके जौन मेरके हम्रे एक समयहे बैठक कर्ठि, समय बिटैठि टेकर अधार कलक हमार गित फेन जौन सिखके एक्ठो शब्द बा उ बरा मैगर शब्द बा ।

उ जौन शब्दले मनैनके मनहे अत्रा गजवसे टानठ कि उ हमार काम कैना शैली ओ हमे्र काम करे लग्ठि टे ओकर मिच्छावन् जस्टे हम्रे खेटिपाटि आइठ टे सजना गैठि टे सजना अत्रा सोहावन गित हो । उ सजनामे हमार थारुनके ढेर चाज नुकल बा । उ हमार ठनसे जोरल बा । ओमे खास कैके मौसमसे फें जोरल बा । ओहे कारणसे हमे्र काम करे लग्टि टे जौन गित सुनके हमार उ काम कैना क्रममे जौन मिच्छावन लागठ, घाम लागठ उ गित सुनके हम्रे घाम फेन बिस्रा जैठि । हम्रे जौन मेहनत कर्ठि उ मेहनत जौन हम्रे कठोर परिश्रम कर्ठि, मेहनत कर्ठि टे उ गित सुनके हमे्र सक्कु चाज हम्रे बिस्रा डेप । हम्रे ओहे गितके धुनमे अपन काम कैना, काम कर्टिरना, गित सुन्टि रना हुइलक ओरसे इ लिरौसीहे एक्ठो बात हुइलक ओरसे फेन इ थारु साहित्य, लोक साहित्यके बरवार हाँठ बा ।

मै आब इ अभिन ठोर्चे गुर्बाबा थारुनके सबसे बर्का डेउटाके रुपमे मानजाइठ । जे हम्रे इ सृष्टि भारी पृथ्वीके सृष्टि हमार गुर्बाबा कैह्के हम्रे कठि लेकिन आपके लावा पुस्टाहे गुर्बाबा कना के हुइँट् कना बहुत मनैन जानकारी नैहुइ सेकठ । इ गुर्बाबा खास कैके हमारीक पृथ्वी ब्रह्म सृजना कर्ना कैके हम्रे आउर आउर सुन्ठि लेकिन थारुनके लोक गितमे इ पृथ्वी सक्कु चाजके सृष्टि गुर्बाबा कैल कैह्के हमार पुर्खनके कहाइ बटिन ।

इ थारुनके सबसे पुरान गित गुर्बाबक जन्मौटि जे इ पृथ्विके सृष्टिके लाग वर्णन कैल बा । ओत्रै किल नाहि खेटिपाटि, ओ मनै कसिके बच्ठैं कना ओकर खास केकर वर्णन कैल कि एकठो बरवार महाकाव्य बा । उहिहे हम्रे गुर्बाबक जन्मौटि कठि । जौन गित थारुनके सबसे पुरान गित हो । ट ओकर पाछे औरे औरे गित फेन हम्रे जस्टक जस्टक काम कैटि अइलि या जस्टक जस्टक हमार काम ओ हम्रे जौन जौन मेरेके हमार परिस्थिति आइल उहे उहे मेरकेके हमार ठन लावा लावा मेरिक गित फेन सिर्जना हुइल ।

जस्टे जब माघ आइठ टे हमार थारुनमे सक्कु टरटिहुवारके अलग अलग गित रहठ । मौसम मौसमके गित रहठ । ओत्रा किल नैकि दिनके नच्ना गित, सन्झाके नच्ना गित या रातके नच्ना गित, भिन्सारेके नच्ना गित अलग अलग मेरके गित बा । हमार ठन टे हमे्र उहे अनुसार के गित गैठि । उहे अनुसार नच्ना चलन बा । हम्रे्र गाँउमे लागठ ढमार, मघौटा नाच अस्कल टे गाँउ गाँउमे मघौटा नाच फेन नच्ना चलन बा । जिहिसे हमार समाज एकदम चैनार बनाइठ । चैनार किल नाहि हमार मन चौकस कराइठ । हम्रहिनहे एक मेरके जिना फेन सिखाइठ टे असिके अस्कलके लोक साहित्यके आब एकर महत्व का बा कना प्रश्नके जवाफ मै सायद यहैसे डेसेकले बटुँ कना जसिन लागठ । ओहे ओरसे लोक साहित्य जत्रा दिन सिर्जल बा, लोक साहित्य या कौनो फें मेरके साहित्य मनैनके मन छुना मनैनहे हिरौसी बनैना, मनैनके मनके दुःख बिस्रैना, मनैनहे एक मेरके जौन ठकान रहठ या घाम जार रहठ उहिन बिस्राइक्लाग हम्रे कौनो चाज सुनके गित बात सुनके, खिस्सा सुनके इ सारा चाज हमे्र जत्रा सुन्ठि इ हमार मनैनके मनोविज्ञानसे जोरल एक मेरके शब्द व्यवस्थापन हो । इ हमे्र गैलेसे मनैनहे एक्ठो काम कैना लिरौसी बनाइठ कना महिन लागठ ।

सागर कुस्मी ः मै फेनसे हमार बात आघे बरहाइक चाहटँु । हमे्र थारु लेखक संघ ओ हरचाली त्रैमासिक पत्रिकाके संयोजनमे सिंहपुर मघौटा सांस्कृतिक कार्यक्रममे बटि । ओस्टेके हमार सुदूरपश्चिम प्रदेश स्तरीय थारु लोकसाहित्य विशेष बहस कर्टी बटि । एकरे बारेमे प्रश्न मै फेनसे सुशील चौधरी जिहे पुछक् चाहटुँ । हमे्र संस्कृति–संस्कृति कठि, संस्कृतिफें डेखैठि वास्तवमे हमार थारु संस्कृतिके लाग हमे्र कैना हो । एकर भिट्टर का का चिज परठ एकर बारेमे कुछ बात बटा डिना ?

सुशिल चौधरी ः धन्यवाद, महा मैगर प्रश्न पुच्छली । संस्कृति हमार लोक साहित्यके उभरक अइना चिज हो ओहमार सबसे पहिल लोक साहित्य का हो कैकन हम्र मजासे बुझली कलसे संस्कृति का हो कना बात हम्र बुझ सेक्ठी कना जस्ट महिन लागठ । अब्बा भरखर हमार छवि गोचा कल कि गुर्बाबक जन्मौटि सबसे भारी हमार ग्रन्थ हो । महाकाव्य हो । ओम पृथ्वी कसिक सृजल कना बारेम लिखल बा । ट एम्न एक, दुइठो बात बटाइक चाहटँु । संस्कृतिके विशेष सायद स्पष्ट करि । यी डान्चे साहित्यिक ओ सांगितिक कार्यक्रम हुइलक ओरसे मै अप्न हुकन एक, दुई अन्तर आपन जानल अख्रा फें सुनैना प्रयास करम । गुर्बाबक जन्मौटि कहेसेक्ना मनै बहुत कम बाट । बुढापाका हँुक्रफें बाटि मै एक अन्तरा सुनाक डोस्र मोर छलफल आघ बहराइक चाहटँु । अप्नहुकन डान्चे चम्पनके लाग सबसे पहिल अँख्रा का बा कलसे ।
हाँ हाँ रे पहिल ट बरसल ढुरियाढुकुन,
अब डैया कलजुक घेरल मिरटि भवन
ए भगवान………………… ।

असिकन हम्र एक हजार, पन्ध्र सय, दुई हजार, पच्चिस सय श्लोक मुखग्ग्र गैठी । यि पृथ्वी कसिक बनल कैकन कह बेला सबसे पहिले दुथि गेङ्टा हन माटि लेकन अइना जिम्मेवारी गुर्बाबा डेठ । तर दुधि गेङ्टा निसेक्ठ । तर अन्तिमम ऊ माटी लेक अइना जिम्मा दुधि केस्ना कर्ठ । अम्मर माटी लेकन आकन स्वानक थालिमन वहिहन निकारकन ट यित्रि यित्रि बनैल कैकन हमार यि गुर्बाबक जन्मौटिम लिखल बा ट एकर वैज्ञानिक पदाम मै अप्न हुकन सुनाइक चाहटुँ । हमार पुर्खा कत्रा वैज्ञानिक रल्ह । आझ केस्नाके स्माग्लिङ हुइटा । हमार देशमसे अथवा केस्ना चुपचुप बेचकन मनै पैसा कमाइट ।

हमार पुर्खा जुग जुगानतरसे केस्ना बहुत महत्वपूर्ण जीव हुइटा कैक जन्ल जो गुर्बाबक जन्मौटिम लिख्ल । काहे कि मतलव जोन खेट्वाम केस्ना बहुत अच्छासे बाट बहुत गहिरसे हुव्रm माटि निकरट व सबसे मलगर जमिन मानजाइठ । विज्ञान प्रमाणितम असिन बा काकर कि केस्ना हुइलक जमिनम नाइट्रोजन अत्याधिक रुपम मिलठ जब नाइट्रोजन हुइट कलसे हमन ऊ जमिन एकदम काम लग्ना हु्इठ टब पुर्खन उ जबानाम श्लोकम लिख सेकल बाटैं । दुधि केस्ना लानम अम्मर बाटिके कारणसे पृथ्वी बनल कैक ट हमार पुर्खा कसिक गोंगा हुइल, हम्र कसिक गाेंगा हुइलि । ट आब्ब विज्ञान प्रमाणित कर्टि बा कि हमार श्लोकम लिखल चिज वैज्ञानिक बा । ट हम्र नैसुन्ठि नैबुझ्ठी और जहन के विधा पहर लग्ठी डोस्र हम्र गोंगा हो जिठी ।
आपन विधा पह्री आपन लोक साहित्य के लाग मनै जरमसे आझ सम्मन निरन्तर ज्या ज्या सिक्ठी आइटि बुझटी आइटि वकरके भाषा बोल्ना, संस्कृति गीत गैना डोस्र जाक राहारङ्गित कर्ना हल्ला मिल कर्ना, घर बनैना, खेतीपाती कर्ना, कला बनैना, अष्टिमकिक फोटो बनैना, चित्र बनैना यि सब चिज संस्कृति हो । संस्कृति कलक मनै हुव्रm यि मजा चिज हो कैकन चम्पनसे ज्या चिज के प्रयोग कर्ठ बेलसठ ऊ सक्कु चिज संस्कृति हो । मै अप्न हुकन मैगर अर्जि कर चाहम हमार यि सिंहपुर मघौटा सांस्कृतकि कार्यव्रmम मै सलाम करक चाहठुँ । बहुत बरवार मञ्च बनैल बाटि । अप्न हुक्र टब मै एकठो बात का कहक चाहटँु कलसे थारु संस्कृति कलक लोकतान्त्रिक संस्कृति हो । का कर के प्रत्येक वर्ष बरघरिया चुन्ना भल्मन्सा चुन्ना हमार संस्कृति बा ।

यदि नैमजा करल कलसे भल्मन्सा बरघरिया हम्र और भल्मन्सा बरघरिया चुन सेक्ठी । ट यि हमार संस्कृति हो । यि प्रगतिशिल बा । संसार भरम मै जत्रा किताब पहरल बाटँु संसार जत्रा घुमल बाटँु लोकतन्त्र हम्रे डेमोक्रेसी कठ । लोकतन्त्र कलक वा लोक के तन्त्र जनतनके तन्त्र अथवा जनता हुक्र ज्या चाहे वह नेतृत्व हुइना वा जोन विचारके आधारम व्यवस्थापन वह शासन अनुसार शासन कर्ना ट हमार यि पहिलहसे, यि मटावा, भल्मन्सा प्रथा बा । ट यि संस्कृति हो । हमार ट नाही अप्न हुकन यि ऐतिहासिक घडिम एकठो चिज का कह चाहम कलसे थारु संस्कृतिहन डारु संस्कृतिके रुपम परिभाषित कर्ना कुछ मनै प्रयास कर्टि बाट मै एकर घङ्घोर विरोधि बाटँु । थारु संस्कृति डारु संस्कृति नि हो । थारु संस्कृति लोकतान्त्रिक संस्कृति हो प्रगतिशील संस्कृति हो । डारु ट पिना चिज हो एकठो पेय पदार्थ हो । अप्न नि पिल से बहुत मजा, कम पिलसे झन मजा, पिवो नि कलसे गजब मजा । वहमार डारु एकठो चिज हो । थारुसे सम्बन्धित जोन नि चाहि ट थारु मनै फें पिजाइट् । कि नि पियत डारु कौन जात के मनै नि पिठ त । थारु हुकन डारु संस्कृतिम जोर्ना, यि गलत बात हो, यि षडयन्त्र हो । थारु हुक्र थारु कटि केल डारु नाही थारु कलक डारु कलक एकठो रक्सी कलक, अल्कोहल कलक एकठो पेय पदार्थ हो । यि संसार भरके मनै पिठ । हर जातके मनै पिठ । त एम थारु पिलसे डरुहा होजिना औरजे पिलसे नि हुइना । यि कसिन हो ट । वह वहरसे यि षडयन्त्र हो यम बुझ्ना जरुरी बा । आप शिव महादेवके सोमरस पियट । सोमरस फें ट डारु हो । ट वम्न का बात होगिल थाहा ट बाहुन के फें बाहुन रलह, देउताके फेें महादेउता रलह । सोमरस पिल । त एम का फरक परल ट वहसे यि एकठो पेय पदार्थ हो ।

आपन स्वास्थ्यहे साथ निडेहठो ट ना पिइ, सकेसम नि पिलक बरहिया । यि थारु हुक्र डारु संस्कृतिके विरोधी हुइट कना बात मै अप्न अनुरोध कर चाहटँु वा याकर एकठो प्रमाण डेहक चाहठँु । मै पहुना हुकन जइबो ट ज्या रहट मरजाड कैजाइठ तर अत्रा बात हमन ठाह बा, डारु पिना पहुनाह मजा नैमानजाइट । का कर कि डारु पिएल कलसे ऊ मनैयाँ आउर गरबर करट कना चिज डेहुइया मनै मजाक जन्ठ । ट यमसे प्रष्ट होगिल कि हम्र फें उहिह मजा नैमन्ठि । एकठो वकर सिमा बा वह वरसे यि विषयह हम्र गम्भिर रुपम संस्कृतिहन विकास करक लाग यि गलत चिजह गलत कहक परटा । वहसे कौनो चिज फें गलत नैहो । यि संसारम जौन चिज गलत ढङ्गसे प्रयोग कर्बि गलत ठाँउम पर्बि व गलत स्तर व लेवल मन प्रयोग कर्बि उ गलत हो । जस्ट एकठो हँसिया हुकन धान काटक लाग काम लागठ तर वह हँसिया मनैनके घेचम गैल कलसे का हुइट, काटट् । वह वरसे संस्कृति कलक मनैनके काम कर्ना मनै बेल्सना, बोल्ना, बटैना, व्यवहार कर्ना मजा पक्षह संस्कृति कैजाइठ जोन चिज नैमजा हो । उ विकृति हो । कुरीति हो । थारु कलक जात पिकन धल्ना जात हुइट कैकन कोइ कलसे उ बहुत भारी षडयन्त्र हो । विकृति हो । वह वरसे यि चिजम सचेत हुइना जरुरि बा हम्र संस्कृति जोगैना जरुरी बा ।

सागर कुस्मी ः धन्यवाद बा, मै फेनसे आब हमार बात आघे बहराइ चाहटुँ । हमार यि जौन संस्कृति अब्बेक अवस्था कसिन बा एकर बारेम हमन जानकारी करा डि ना ?

छविलाल ः धन्यवाद सुशिल सर वास्तवमे ढेर बात बट्वा सेक्लाँ । ओहेसे महिन लागठ यि बात मै ढेरे जवाफ डेहना जरुरि नैहोवइ । टब्बु पर फेन हम्रे लोक संस्कृतिके जोन हम्रे बाट करटि लोक संस्कृति महिन लागल सशिल सरके जत्रा जोन किसिमके यि परिभाषित कर्ना ज्ञान लगैना यिहिसे प्रष्ट होसेक्ले बटी । आब यि अब्बे के अवस्थामे लोक संस्कृतिके कौन अवस्थामे कना बातहे हम्रेनके पटा पागैल हुइबि । टे खास कैके हम्रे जौन हमार पुरान पुर्खनके किल संस्कृति लोक नैहुइसेकल जे समाज सहढंग से बचासेकल या लोक सहित ढेरसे सक्कु स्वीकार सेकल कलेसे उहिनफें लोक संस्कृति कना चलन बा । तर एकठो बात गम्भीर या गहिर सोंच्ना बात का हो कलसे हमार मौलिक संस्कृति का हो कना बाटके भर ख्याल कर्ना जरुरी बावइ । वास्तवमे संस्कृति कलक खैना, पिना, बैठना व जत्राफें राहारंगि संगे जोरल बावइ यि सक्कु चाज संस्कृति हो । तर फें हम्रे हमार संस्कृति कौन हालतमे बा कना बाटमे हम्रे सक्कु जाने प्रष्ट बटि । काहे कि सुशील सर गुर्बाबक जन्मौटिके एक अँख्रा सुनैलाँ वास्तवमे अत्रा मैरावन बावइ कि सुन्टि सोहावन अत्रा झटकार बावइ गुर्बाबक जन्मौटि फेन । खास करके नाचगान कना, राहारंगित कर्ना गीत हो । एक विभिन्न अध्यायकके स्थिर यि सक्कु चाज हमार आपन मौलिकतासे जुरल बावइ । ओहे कारणसे गुर्बाबक जन्मौटि थारु समुदायके लाग सुन्दर बावइ, मजा बावइ, मैगर फेन बावइ ओ यिहे हम्रेहिन बाँचक सिखाइठ ।

सक्कु चाज हम्रहिनहे अनुशासित बनाइ लाग फें सिखाइठ । अपन अस्टक समय संगे ढेर चाज बदल्ती जाइठ । बदल्ती जैना हुइलक ओरसे हमार ठन कुछ लावा बावइ कलेसे लावा चिज नन्ना क्रममे हम्रे कुछ फारम जोरके लावा नन्ना हो कलेसे हमारमे हमार अपन पन फेन जोर जाइठ ओ हमारपन ओर हम्रहिनके हमार हो कना एक किसिमके दिलसे गर्व कर्ना ठाउँ फेन रहठ । लेकिन हमार बान का बा कलेसे अपन छोरके डोसर जहनके सहयोगमे जौन प्रवृति बावइ इ भर गलत हो कना महिन लागठ । हमार ठन ढेर चाज असिन चाज आसेकल बावइ जे अपन नैहुइलसेफें जबरजस्टि हमार समाजमे हम्रे लागटि असिक कर्लेसे का हुइठ कलेसे हमार अपन जौन पन वा हमार मौलिकता जौन बावइ यि ह्रास होजाइठ ।

मतलब काहो कलेसे हम्रे समय सँगे बाहेर फेन सिखि ओ हमार चिज फेन ढारी जिहिनसे हम्रे गर्व कैना फेन डगर ठाउँ छोरी ओ लावा चिज समय सँगे हम्रे जत्रा चिज नन्ले बटि यि लावा चिज फेन यिहे हमार हो । यि एकठो हमार सृजनशिलताके फाइदा हो कना महिन लागठ । का करे कि चाहे जोन चाज फेन सुन्दर बनाइकटन उहिहे अभिन घोटैल बनाइकटन समय सँगे उहि निरन्तरता ओ खास कैके सृजनशिलता फेन चाहठ ओहे कारणसे हम्रहिनहे लावापन मिल्ना फेन जरुरी बावइ ।

सागर कुस्मी ः फेनसे मै प्रश्न सुशिल चौधरी जिहे । हम्रे लोक साहित्य के बात बट्वइठि, लोक संस्कृतिकके बात बट्वइठि, महोत्सव लगैठि सांस्कृतिक कार्यक्रम कर्ठि । वास्तवमे हमार यि थारु लोक साहित्य संस्कृतिहे कैसिक जोगाइ सेक्जाइ, कैसिक कैलेसे बचि ?

सुशील ः सबसे बरवार चिज हो जोगैना व यिहिह विकास कर्ना । आब यि कार्यक्रम चलल बा यि फें लोक साहित्य, संस्कृति जोगैना बरबार आधार हो । रेकर्ड हुइटि बा, भिडियो क्यामेरा पहिल हमार पुर्खनके नैरहिन । हमारठे आगिल बा यि बहुत बरहिया, बात बा अडियो रेकर्ड हुइटा, भिडियो रेकर्ड हुइटा, फेसबुकम जाइ । अभिन युटुबम अपलोड हुइ एकदम आधुनिक लौव प्रविधि एकदम बरहिया हुइ सेकठ यि जोगैना मूल आधार का बा कलसे लोक संस्कृति कहाँ बा, लोक साहित्य कहाँ बा, जहाँ बा हम्रे अपन वरसे जोगैना हो ।

जस्ट उदाहरणके लाग लोक साहित्य ओर लोक संस्कृति हमार घर घरम बा । थारुनके प्रत्येक घरम बा प्रत्येक पुर्खनिया हुक्र जानल बात ट आपन नाटनटकुर हुकन भैया बहिनी हुकन सिखाइ परठ, आपन आपन भाषा पहिल पक्ष इ हुइल । दोस्रो पक्ष संस्कृति कलक राजनैतिक चिज हो । यिहीहन संस्कृतिहन राजनीतिसे जोरे नैसेक्बी कलसे हमार संस्कृति नैजोगी । जस्ट उदाहरणके लाग नेपालम सबसे पहिल का रह कलसे एक भाषा एक संस्कृति अथवा फस्ट नेपाली भाषाम सब काम कर पर्ना, बोल पर्ना, लिख पर्ना व नेपाली संस्कृतिके नाउँम हिन्दु संस्कृति हुबह सक्कु हेर पर्ना बोल पर्र्ना यि संस्कृति रहे ट हमार देशके जनता हुक्र वहिहन स्वीकार नैकर्ल हर मनैनके हर बोली, हर संस्कृति आपन आपन प्यारा बा । वाकर लाग हम्र लराइ लर्लि रगत बगैली । हम्र ट आझ परिवर्तन आइल बा नेपालके संविधान २०७२ म स्पष्ट का व्यवस्था बा कलसे नेपालम बोल जिना १२३ ठो भाषा बा । नेपालम १२५ ठो जाती बाटी १२३ ठोे भाषा बा । सक्कु भाषाहन राष्ट्र भाषाके मान्यता डेगिल बा । सरकारी काम काजके भाषा नेपाली भाषा हुनेछ । प्रदेश सरकारले यस प्रदेशमा बोलीने सबै बहु जातीले बाल्ने भाषालाई आफ्नो सरकारी काम काजको भाषा बनाउन सक्नेछन् । कना व्यवस्था होगिल बा यि बहुत बरवार प्रगति हो ।

सायद हम्र आभल बडा मु्क्तपनले हमार भाषाम बोल्टी ट हम्र कमजोर बाटी, हमार थारु भाषा कमजोर बा, आरामसे बोल्टी चलटी आपन बात बटवाइटि, कोइ कौनो सिपाही फेन हमन आक गोली मार नैसेकी । का करकी हम्र संविधानिक रुपम बाटी । अधिकार पैल बाटी तर हमार पूर्खा हुक्र आपन बोली बोल बेला मरुवा पैल, अपन भाषाम लिख बेला जेल डरुवा पैल, सगुनलाल चौधरी गोचाली परिवारके संस्थापक सम्पादक हुइल । उहाँहन द्धन्द कालम थारु भाषम लिख्लक व बोल्लक आधारम उहाँहन बेपत्ता पारगिल । जोखन रत्गैयां जे बरा जुझारु नेता रलह । उहाँहन् मुक्तिक डगर पत्रिका निकरलक कारण व थारु भाषा साहित्यम विकास कर्नाम आन्दोलन करलक कारणसे उहाँहन बेपत्ता पारगिल । हम्र रगत बगाक लन्लक यी परिवर्तन हो । वह वरसे आप संवैधानिक रुपम अधिकार प्राप्त होसेकल कलसे आप विद्यालय, स्कुल, कलेज, यूनिर्भसिटी, विश्वविद्यालयम पढाइ हुइपरल, पाठ्यक्रम बन परल, पत्रिका छपाइ हुइपरल, जस्त हमार कृष्णपुर नगरपालिका ५० हजार सहयोग करल यि कार्यवक्रमके लाग कैकन कहल सुन्नु बहुत खुसीक बात हो । लेकिन वत्रा ढेर सहयोग निहो । यि टनिक ढेर सहयोग हुइ पर्ना रह । महिनहन उहाँ हुकन कलसे यह कार्यक्रममसे अप्न हुक्र प्रस्ताव पास करि हुइना चाहि क्याकर लाग हो यि । मै सुन्नु कि कृष्णपुर लगायत यि एरियाके उहाँ हुकनसे सत्ता स्थापित करक लाग बहुत भारी योगदान डेल काहुँ । अप्न हुकन मागि हम्र सक्कु जे यि फें जोगैना एकठो तरिका हो । वहमार भाषा संस्कृति राजनैतिक विषय हो । राजनैतिक रुपह स्थापित कर परठ टब राजनैतिक रुपम स्थापित हुइठ ।

वह कार्यव्रmमम बजेट होक आइट ट अप्न रुइ नि परि । महिहन फेन रुइ नै परि । राज्यके भाषा ढेउर मनैन का बा थारु भाषा बोल बेला लाज लग्ना यि कसिन बात हो । आपन भाषा बोल बेर काकर लाज लग्ना । थारु भाषा प्रत्येक सरकारी कार्यालयके मनै हुक्र जन्ना जरुरी बा । यी संविधानके डेहल अधिकार हो । यदि आपन जनतनके भाषा नैबुझल कलसे उहिन सासन कर्ना हक नैहुइस । नै जानठ ट अनुवादक ढार परठ । त्रान्सलेटर ढार परल । का कलक हो संघारी, यि कलक का हो कैकन फें त्रान्सलेसन कर परठ । सुन परल । बुझ परल । टब कि चिनके राष्ट्रपति सिजिन पिन नेपालम आइल रह ट उहाँ आपन चाइनिज भाषाम च्याङच्याङ चुङचुङ झ्याङझ्याङ हुङहुङ बोल्ना ट एकठो नेपाली, नेपाली विषयम एम.वि.एस. पास करल हुकनक त्रान्सलेटर आपन देशके लेकन आइल रलह ट उहाँहन महा सुघ्घरसे नेपालीम अनुवाद कर्ल । उहाँहन के आपन चाइनिजम बुझैल हो, बन गैल समस्या ट कुस नै वह वरसे भाषा जोगैना कलक साहित्यके माध्यमसे हो । मिडियाके माध्यमसे हो । राजनैतिक रुपम कह बेला पाठ्यव्रmम बनाक १ शैक्षिक क्षेत्रम परहाइ कराक हो । अस्ट अस्ट मेरमेरके भारी भारी सभा सम्मेलन ओ सांस्कृतिक कार्यव्रmम कैक हमार काल्हके दिनभर कुडगल हमार कलाकार हुक्र थारु गितम आझ हम्र थारु भाषाम बोल्टी गाइटि यि भाषा जोगैना महत्वपूर्ण विषय हो । जसिन महिन लागटा हमार भाषा नेपालके दोस्रो बरवार भाषा हो ।

संघारी हुक्र मै अप्न हुकन अनुरोध करक चाहटँु नेपालके मातृभाषाम थारु भाषा दोस्रो नेपाली भाषा ४५% मनैनके बोल्ना भाषा पतालिय भाषा हो तर थारु हुक्र ६% मनै बोल्ना रहलसेफें झापासे कञ्चनपुरसम २५ ठोे जिल्लाम माध्यम भाषा थारु भाषा बा । जनसंख्याके हिसाबसे कबि कलसे मैथली भाषा १५% मनै बोल्ठ ऊ बरवार भाषा हो तर जम्मा ५ जिल्लाम बोलजाइट । भोजपुरी भाषा वाकर पाछके तेस्रो भाषा हो । ऊ भाषा बोल्ना जिल्ला जम्मा ५ ठो बा तर थारु भाषा बोल्ना जिल्ला २५ ठो बा । ७७ ठो जिल्ला बा हमार नेपालम अब्बा ७५ म २ ठो थपगिल नवलपारासी ओ रुकुमम २ ठो जिल्ला बनल राज्यके पुनः संरचना हुइ बेला ट यि आधारम हम्र कसिकन भाषा जोगाइ सेक्जाइ जिना बा । आपन आपन घर घर गाँउ गाँउम हम्र गित गैना, जस्त हिट्वक बट्कोही कम मजा बा । वाकर ट मै नाटक फें लिखसेक्नु । सटलसिंह रजुवक बट्कोही कम मैगर बा । बेन्गटुरिया रानीके बट्कोही कम सुघ्घर बा ट हमार ठें ऊ आपन लरकन पर्कन सिखाइ परल टब भाषा संस्कृति संरक्षण हुइ । आप हमार ठे हेरी १०००÷२००० श्लोक के माँगर बा । हरेक पलपलम गित गाइ सेक्जाइटा माँगर बा । माघ फागुनम माँगर गैना फें गाजाइठ । वह ओरसे अप्न हुक्र माँगर गाइ सम्ढि सम्ढि लाग बेर गैना माँगर बा । पगिया पराइबेर गैना माँगर बा । चुनिबरिया पकाइबेर गैना माँगर बा ऊ अप्न हुक्र आप गाइ परल । बस वातावरण मजा हुइ कैकन एक दुइठो गित गाडेटि बाटँु । आप एकठो माँगरके अँख्रा फें सुना डारुँ डोस्र मोर फें बैस आइट ।
डेउ डेउ मायर मोर माठसिर पगिया
मै चलि जैबु आपन धनिर बियाह
लेउ लेउ पुट मोर टोर माठसिर पगिया
तट चलि जाउ आपन धनिर बियाह

सागर कुस्मी ः मै प्रस्न जोर चाहटँु छविलाल कोपिला जिहे । जे अपन समयके बाबजुत फेन दाङसे यहा आइल बटैं । हमार थारु भाषा साहित्य संस्कृति े लाग दाङओर कसिन अवस्था अथवा अप्नेनके कसिन कसिन कार्यक्रम चलाइटि ?

छविलाल ः धन्यवाद, सागर जी । वास्तवमे दाङ डेउखर कैलाली, कञ्चनपुर, बाँके, बर्दिया हम्रे यहे एक मुस्ट रुपमे मै विशेष कैके दाङसे लेके पच्छिउ के जौन भाग बावइ थारुनके वस्ती बावइ सांस्कृतिक रुपमे एक रुपता बावइ । मै बिचके दाङके खाली दाङके कनाले फेन कञ्चनपुरसे दाङसमके साहित्यिक अवस्था फेन बारेम थोर बहुत जानकारी करैना मन लागल टे यकर बारेमे हम्रे एकठो सामूहिक रुपम अभियानके रुपमे बटी । अभियान चलैटी बटी थारु लेखक संघ, हम्रे सुरुमे एकठो ल्ुचफेरम गठन कर्ले रही । कृष्णराज सर्वहारीके संयोजकमे जेकर सदस्य हमार सुशील जि, मै, सागर लगायतके ढेर संघरीयनके सहभागी बटि टे हम्रे प्रत्येक वर्ष एकठो राष्ट्रिय स्तरके साहित्यि कार्यव्रmम कर्ठि । जेकर कार्यव्रmम हम्रे दाङसे सुरु कर्लि । ओस्टक दाङके पाछे केलालीके पटेलामे कैलि । पटेलाके पाछे हम्रे बर्दियाकेमे कर्लि । ओस्टक हम्रे रुपनदेहिके उचदिहवामे कर्लि । अब्बे हमार कार्यव्रmम मोरङमे कर्ना योजना बावइ ओ संगसंहगे प्रारम्भिक कार्यव्रmम सिंहपुरसे कर्ना एकठो योजना बनल रहे । लेकिन हमार साेंचल अनुसार यि कार्यक्रम नैबनल ।

यि एकठो हम्रे राष्ट्रिय स्तरके या राष्ट्रिय रुपमे सक्कुनसे सामूहिक रुपमे सक्कु जिल्लाके सक्भर हम्रे कार्यव्रmममे नेपालके सक्कु जिल्लाके साहित्यकार लोगनहे निउटके उहाँ लोगनके बिचमे कार्यव्रmम कर्ठी । टे यि हुइल हमार एकठो अभियानके अन्तर्गतके कार्यव्रmम ओस्टके हम्रे डेउखरमे थारु भाषा साहित्य संरक्षण मंच कना एकठो संस्था खोल्ले बटि मै ओकर अध्यक्ष फेन हँु । उहिसे पहिले हम्रे एकठो पत्रिका फेन नियमित रुपले निकरट लावा डग्गर त्रैमासिक पत्रिका मै ओकर प्रधान सम्पादक फेन हुँ । जौन पत्रिका निरन्तर या लगातार १० वर्षसे निकरटि बा । एहिसे पहिले हम्रे कुछ वर्ष बिना दर्ता कैल हम्रे प्रकाशित कर्लि झन्डे छ ठो अंक प्रकाशित कैके पाछे हम्रे एकठो वैधानिक रुपमे हम्रहिनहे काम कर्ना निरौसि होए कैह्के हम्रे यहिहे वैधानिक रुपमे दर्ता करके जिल्ला प्रशासन कार्यलय दाङमे दर्ता कैके हम्रे यि पत्रिका चलाइ भिरल बटि । १० वर्ष पुगल अब्बे हम्रे ४० अंक यो प्रकाशित कैसेक्ले बटि ओ यि नेपालके (क) वर्ग पत्रिकामे परठ । जौन पत्रिका हम्रे यहाँ फेन ननले बटि । ओस्टक और और पत्रिका फेन निक्रठ जस्टे कैलालीसे हरचाली पत्रिका हमार सागर जि निकरठाँ । कैलालीके पहुरा दैनिक फें निक्रठ । उ फेन साहित्यसे जोरल बावइ । ओस्टक दाङमे लौव अग्रासन साप्ताहिक पत्रिका बावइ यि एकठो हम्रहिनहे का करठ कलेसे हम्रे पत्रिका निकर्ठि पाठक हुकनसम पुगैठि । उहिसे ज्यादा महत्वपूर्ण यि पत्रिका का करट कलेसे हमार समाजके बारेम लिखल हमार अपन गित बावइ ओ हमार मौलिक सिर्जना कैके गजल गित लावा पाछेसे अइलक गित खिस्सा, जौन हम्रे एकठो संकलन कर्ठि तर उहिह छपैठि यि कामले का हुइठ कलेसे हम्रहिनहे हमार समाजके हमार समुदायके एकठो दस्ताबेजीकरण कर्ना हमार बरवार सहयोग करले बावइ ।

यि एकठो कार्यक्रम अ‍ेस्टक हम्रे बिचबिचमे ढेरसे जिल्लामे कैलालीक फेर हुइपरठ । समय समयमे कञ्चनपुर फेन सागरके अगुवाइ फेन हुइटि रहठ । कैलालीके बाँकेमे फेन ओस्टके दाङ डेउखरमे लगायत और और ठाँउ फेन साहित्यिक कार्यक्रम हम्रे कर्ठी । यिहिले फेन एकठो हम्रे का करट कलेसे लावा लावा सर्जक लोगनहे एकठो उर्जाके लाग प्रोत्साहन कर्ना काम कर्ठि । आप हम्रे यि ढेर समय गुजार सेक्ले बटि । मै ठोरचे बात का कना लागट कलेसे आब लावा पुस्तासे आघे आइ पर्ना जरुरी बा । समयमे एकदम छोट समयमे मै यि बात ढारक चाहटँु । लावा सिर्जना कर्ना संघरियनहे विशेष कैके मोर अर्जि का बा कलेसे हमार सिर्जना आप खास कैके हम्रे अपन मौलिकतामे आधारित हमार यि अपन विषय वस्तुके हमार सिर्जना बन्ना चाहि ओ सिर्जना कर्ना मतलव हम्रहिनहे कुछ बातमे ध्यान डेना जरुरी बावइ । मै आझसमके जत्रा संघरीयनके सिर्जना हेरठुँ उहाँ हुकनके सिर्जनाके आधार हम्रहिन लगभग लगभग विशेष कैके हम्रे ढेर ठाँउमे छलफल नैकैलक बात सिर्जना करेक टन साधना चाहना, साधना करकटन निरन्तरता फेन चाहठ । फेन निरन्तरता किल नाहि खाली यम्ने मै लागल बटँु किल कना बात नैकि उहिसे ज्यादा हमारममे का हुइल कलेसे मनै अपने सिर्जनशिल हुइ परल, सम्वेदनशिल हुइपरल टब बल्ले हमार सिर्जनामे स्तरियता आइठ ।

मै सक्कुनहे सकभर मोर कहाइ का बा कलेसे लावा लिख्ना संघरियन वा पूरान लिख्टी रहलक संघरियन फेन खाली लिख्ना किल बात नैहोवइ । लिख्ना संघरियन सबसे बात पहिले कौन विषयमे मै लिख्टी बटँु विषय केन्द्रित होके ओकर भावहे फेन ध्यान डेके लिख्ना बरवार बात । तर उहिह लिख्नासे ज्यादा ओकर स्तरिकरण कसिक कर्ना या स्तरियता कसिक बनैना ओ उहिह कसिके ओकर का भावहे कसिके गम्भिर बनैना बातमे बरवार भूमिका हमार साहित्य खेलठ । हमार सृजना यि लावा पुस्ताहे एक किसिमके प्रेरणाके रुपमे अइना हुइलक ओरसे मै यि सक्कु मेरके पुस्ताहे जे लिख्टी बा लिख्टी रहल बा ओनहे ऊ सक्कु सिर्जनशिल व्यक्तित्व लोगनहे मोर यिहे अर्जी बावइ ।

सागर कुस्मी ः आब हम्रे अन्तिम अन्तिम समयमे बटि । आब हम्रे जैटि जैटि हमार सिंहपुर वासी लगायत जेजे सहभागी बटि ओ हमार थारु समुदायहे कहेपर्ना बात, सिखे पर्ना बात, सिखाइ पर्ना बात, हमार सुशिल दाजु ,हे कहटँु आपन तरप से का कहे चाहटि ?

सुशिल चौधरी ः धन्यवाद छलफल बहुत बरिहयासे चलैलकम । यि बहुत लम्मा सेसनम जाइ सेकठ लेकिन यि बहुत इतिहासिकम महत्वपूर्ण बा । हमन डेलक समय बहुत महत्वपूर्ण बा । मै अत्रा कहक चाहम कि ऊ समाज सबसे बलगर चम्पन हुइठ जौन समाज आपन भित्तरके कमि कमजोरीहन निर्भता पूर्णक सच्चैना साहास ढरट । थारु समाज हम्र चम्पन बाटि आपन लोक साहित्य बलगर बा कैकन कहटि । लेकिन समय अनुसार हम्र आघ जाइ सेक्ठी की निसेक्ठुइ कना विषयके समीक्षा हुइना जरुरी बा । साहित्यके माध्यमसे, संस्कृतिके माध्यमसे, गितके माध्यमसे ओ संगितके माध्यमसे मै काल्ह दिनभर नाच हेर्नु, गित सुन्नु और मै रमैनु मै आबसम पाँच ठो एलबम निकार सेक्ले बाटुँ । एकठो फिल्म बनागिल । आठ दसठो नाटक लिख सेक्नु । निबन्थ संग्रह, कविता संग्रह अस्ट ध्याउर ध्याउर संग्रह आसेकल । आब मै नाटक संग्रहके तयारिम बाटु । मै यि मञ्चमसे अन्तिमम का अनुरोध करक चाहम कलसे पहिल हमार थारु हुकनके पहर निपैलि कना विषय के गित लिखजाइठ जस्ट कि एकठो गित खोब चलल ।
कापी लेक कलम लेक स्कुल पहर जइबो
नपहरक नैहुइ गोही हमार जिवन ग्ुजारा ।

कना गित बा माहा मजा लागठ । हमार आब पहर्ना काम वरागिल का आब हमार हर ठाँउम संर्घष कर्ना विषय वस्तु वरागिल । का आब हम्र राहारंगितम केल हम्र रातदिन भुल्ना रहना हो ट । का सन्देश मूलक कौनो विषय बाँकी नैहो । यि विषयम काल दिनभर फें छलफलसे मै कुछ कुछ चिक्ट हस लागल मन हेरि दसठो सिंगारिक गित आइबेला एकठो वा दुइठो देशमूलक गित आडेलसे कलाकार हुकनके तरफसे बरहिया हुइना रह । म्वाँर मनम अर्जि बा एक नम्बर, एक नम्बर दुई लौव संस्था हुकन मै अनुरोध करक चाहटँु आब हमार समाज कहाँ कहोरसे आघ जाइ परि कना सन्देश डेना मेरके प्रतिभा हुक्र स्थापित हुइना मेरके व उहाँ हुकनके लेखन ओ उमेर फेन हुइना जरुरी बा । ऊ हुइल कलसे माघ आइटा हम्र राहारंगित कर्ना हो एक ठिक बा तर एकठो चिज भुलैना का नै जरुरी हो कलसे माघ कलक अप्नेहेम एकठो लौव बरस हो ।

तर थारु हुकन आस्थाके जन्जिरम बहन्ना एकठो अउर महत्वपूर्ण एकठो क्षण फेन रहठ कना इतिहास सम्झक परि कि नै परि । कमैया बनाक हमन जिम्डरुवा खोज्ना परिस्थिति सृजना कब आइठ ऊ दुख पिडा ओ पिद्रोहके बाद आइपरि कि निपरि । अइना दिनम हमन थारु हुकन थाइ नेता हुकन झोल बोक्वा कैजाइठ । आप आपन झोला अप्ने बोक्ना मेरके नेता बोझ हम्रहिनहे बात लिख परि कि निपरि अभिन फें हम्र आपन आपन घरम घरेलु हिंसा कर्टि बटि । जाँर पिलसे हम्र महा बलगर, बोक्लार हुइजिठि ऊ छाइ हुकन के ऊ दाइ हुकन के ऊ पटोहियन के पिडा वा दुख के बात लिख परि कि निपरि ।

वह वरसे अत्रा केल नाइ हमार वर रहलक मजा पक्षहे झलकैना काम करक परि कि निपरि । उदाहरणके लाग नेपाल सरकार आब छाउपडि प्रथाहन अनत्य कर्ना घोषना कैसेक्ल बा । तर गैरथारु समुदायम आभिन छाउपडि प्रथा भित्तर बाहरे । हम्र डेख्टी बाटी तर थारुम छाउपडि प्रथा नैहो । थारुम महिनावारी हुइलसे खास महत्व नैडेजाइठ । सफा सुघ्घर कैजाइट । के के हुइल । के निहुइल । कब हुइल । कसिक हुइल कना खास महत्व नैहो । हमारम हम्र ओत्रा महान बाटी ट यि चिज मजा हो कैकन और जहन सिखाइ परि कि निपरि । वह वरसे लौव जबाना आइल संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के परिवेश आइल बा । लेखक हुकनके लाग कलाकार हुकनके लाग कवि हुकनके लाग अत्रा ध्यार विषय वस्तु नैहो ऊ त जरुरी बा जीवनम सबसे एकदम महत्वपूर्ण मध्यके एकठो महत्वपूर्ण चिज हो । हाँसक परठ गित गाइ परठ ।

टब बल्ल यि जिउ चम्पन हुइठ । ऊ ठिक बात वा तर हम्र कहोर जाइ परट का कर परट व और समुदायके सँग कसिक जुझारु होकन कसिक लर परठ कना विषयके हमार यि विषय वस्तुु बन्ना चाहि कना अनुरोध । सिंहपुर सांस्कृतिक मघौता कार्यव्रmम अन्र्तगत हमन यि मैगर अवसर डेलक मै ढकिया ढकिया भरके धन्यवाद डेहटि थारु लेखक संघके तर्फसे समग्र वरसे मै अप्न हुकन सलाम करटि मै आपन बात अठ्यह निप्टाइटुँ । धन्यवाद ।

‘हमार भासा, साहित्य ओ संस्कृति हमार पहिचान हो’

सागर कुस्मी