‘एकजुट होके सशक्त संघर्ष कर्ना जो अब्बाके आवश्यकता हो’

मिनराज चौधरी
१४ चैत्र २०७९, मंगलवार
‘एकजुट होके सशक्त संघर्ष कर्ना जो अब्बाके आवश्यकता हो’

अन्तरवार्ता
‘एकजुट होके सशक्त संघर्ष कर्ना जो अब्बाके आवश्यकता हो’
मिनराज चौधरी

गेरुवा गाउँपालिका–१ जनकनगर, बर्दिया स्थायी घर रहल मिनराज चौधरी सामाजिक ओ राजनीतिक क्षेत्रमे लागल एक सक्रिय जुझारु युवा नेता हुइटंै । थारु कल्याणकारिणी सभाके उप–महामन्त्री, थरुहट थारुवान राष्ट्रिय मोर्चाके प्रवक्ता, गुठी संस्थानके अध्यक्ष, नेपाली काँग्रेस पार्टीके महासमिति सदस्यके मुख्य ओहदा ओ जिम्मेवारीमे बैठल चौधरी थारु विद्यार्थी समाज, बर्दियाली थारु विकास मन्च लगायत एक दर्जनसेफे ढेर संघ संस्थामे आवद्ध बटैं । थारुन्हे भाषा संस्कृति ओ हक अधिकारके सवालमे लेख रचना, किताब लिख्टी बहुट मेरिक पत्रपत्रिका, जर्नलके प्रधान सम्पादक होसेकल चौधरी नेतृत्वदायी भूमिका खेल्टी थारुन्के पहिचानके मुद्दाहे आघे हँक्टी बटंै । इहे क्रममे उहाँसे समसामयीक विषयमे सागर कुश्मीसे करल छोटमिठ बातचित यहाँ प्रस्तुत कैगिल बा ।

१.अप्ने राजनीतिमे कैसिक ओ कहियासे छिर्ली ?

हमार देशम पञ्चायती तानाशाह व्यवस्थाह ओराक बहुदलीय व्यवस्थाके लाग २०४६ सालम भयङ्कर जनआन्दोलन हुइटी रह । मै फे एकठो सचेत ओ उ आन्दोलनके पक्षपाति विद्यार्थी रहँु, तब्बहँसे राजनीतिक बयाल लागल मने सक्रिय राजनीति २०४८ सालसे नेपाल विद्यार्थी संघम लागके गोंरी डारगिल ।

२.अब्बे कैसिन अभियनमे व्यस्त बटी ?

आत्म सम्मान, पहिचान, न्याय, अधिकार ओ विकासक लाग उठल थरुहट आन्दोलन २०७२ भदौ ७ ओ ८ गते टीकापुर हुइल राजनीतिक घटनाके बाद कुछ जुराइल रह, आन्दोलनके नेता अगुवा ओ घटक संघ संगठन टमान कारणसे टिटिर बिटिर होके आपन–आपन डगर लग्टी चिमचाम बैठल अवस्था, थरुहट आन्दोलनके माग मुद्दा पुरा नैहुइल अवस्था, जालझेल कैक थरुहट नेतन झुठ मुद्दा लगैटी जेलबन्दी बनाइल अवस्थाहे हेर्टी एकर निकास ओ डगर ‘एकता ओ संघर्ष हो, एकर कौनो विकल्प फे नैहो’ कहना ठहर ओ घाना निखर्टी अब्बा हम्र ‘थरुहट एकता, मोर्चा बन्दी, साझा मुद्दा ओ साझा आन्दोलन’ बनाक सशक्त ओ निर्णायक संघर्ष बनैना अभियानम लागल बटी । एकर लाग थारु कल्याणकारिणी सभा, थारु विद्याथीं समाज, थारु महिला समाज, थरुहट÷थारुवनान संयुक्त संघर्ष समिति लगायत टमान राजनीतिक दलके भातृ संगठनसे प्रारम्भिक संवाद हुइटी बा ।

३.अझकाल थरुहट थारुवान आन्दोलन ठिरमान हुइल बा, पहिचानके मुद्दा कहाँ हेरागैल ?

उत्पीडनके बठ्ठासे उठल थरुहट आन्दोलन कैयौ चरण पारकर्टी १३ बरस पुगसेकल । नम्मा समयसम् चल्ना आन्दोलन कब्बुफे एक रफ्तारम नैचलठ । समय, परिस्थिति अवस्था, आवश्यकता हेर्ख आन्दोलनक स्वरुप डेजाइठ । कब्बु बरा जोर्क उठी कब्बु सुस्ताइल हस हुइठ राजनीतिम यी समान्य प्रक्रिया हो । एकर दृष्टान्ट राष्ट्रिय अन्तर्राष्ट्रिय स्तरम नम्मा समयसम हुइल कौनोफे आन्दोलन हेर सेक्जाइठ । अब्बक चाहना ओ आवश्यकता अनुसार संघर्ष सशक्त ओ प्रभावकारी हुइक पर्ना हो मने टमान कारणसे हुइ निसेकठो सत्य हो मने थरुहट आन्दोलन अब्बा ठिरमान हुइल निहो । थरुहट आन्दोलनहे डबैटी कमजोर बनाइक लाग राज्य सरकार बहुट मेर्क गड्ढा खोन्टी अइटी बा टबुपर थरुहट आन्दोलन निरन्तर कैयो स्वरुपम जारी बा ।

डोसर बात पहिचानक मुद्दा निहेराइल हो हेरी । पहिचान कौनो जाति, समुदायके लाग किल नैहो । यी राष्ट्रियताके सवाल हो । सक्कुन्हँक मुक्ति ओ अधिकारके सवाल हो । उहमार थरुहट आन्दोलनसे राष्ट्रिय अन्तराष्ट्रिय स्तरम पहिचानके मुद्दा आउर जोरसे उठ्टी बलगर जग बनाइल बा । राज्य सरकार कैयौचो थरुहट आन्दोलनकर्मीनसे सहमती सम्झौता करल दस्तावेज हेरी, ०६२÷०६३ सालके जनआन्दोलन, माओवादी सशस्त्र विद्रोह, आदिवासी जनजाति, थरुहट, मधेसी मुस्लिम, दलित, महिला आदि आन्दोलनके जग ओ परिणाम अनुसार बनल अन्तरिम संविधान ०६३, पहिला ओ दोस्रा सविभानसभाके विषयगत समितिम हुइल सहमती, नेपाल पक्ष रहल राष्ट्रिय अन्तर्राष्ट्रिय महासन्धी, अभिसन्धी, घोषणापत्र हेर्बी कलसे पहिचान ओ अधिकारके सवाल कानुनी एवं नीतिगत हिसाबसे महा बलगर बा मने विडम्बना राज्य संचालन कुरुइया कुछ शासक प्रशासक हुँकहन्के सोंच साँकिर, चिन्तन, कार्यशैली, प्रवृति ओ नियत खराब हुइल कारणसे पहिचानक मुद्दा कुछ ओल्टार हुइल हस लागठ । हरेस निखाक हम्र सक्कुजन मिल्क लरब कलसे एकदिन जरुर पहिचानक ओ अधिकारके मुद्दाह राज्य सरकार सम्वोधन कर्ना बाध्य हुइ कहना विश्वास बा ।

४.थारु नेतन सब फुटल डेखैठैँ एकजुट होके नेतृत्व काहे करे नैसेक्ठुइँट ?

थरुहट आन्दोलन पहिल उठाइ बेर सक्कु नेतन एकजुट रलह जब संघर्ष मट्ठवाम पुगलाग ट संघर्षह कमजोर बनाइक् लाग पहिचान विरोधी तत्व ओ राज्य सरकार जो सुनियोजित रुपम लागके थरुहट नेतन टुटैना, फुटैना, डबैना, डुरुवैना, प्रलोभन देखैना षड्यन्त्र करटी आइल बाट । ओस्टक थरुहट नेतन साझा सवालमफे दलीय ओ व्यक्तितगत स्वार्थसे उप्पर उठ निसेक्ना, दलीय ह्वीप नाँघ निसेक्ना, एक औरम प्रतिशोधके भावना, सह–अस्तित्व ओ नेतृत्वक लराइ, छोट सोंच ओ कार्यशैलीमन नैमिल्क कुछ थरुहट नेतन नम्मा समयसम एक ठाउँ निदेखैठ मने सक्कु नेतन टुटफुट बट कहना बाट सत्य निहो ।

२०७६ भदौ ७, ८, ९ गते टीकापुरम भव्यरुपम हुइल थरुहट थारुवान राष्ट्रिय सम्मेलनके उद्देश्य फे यीह हो की थरुहट आन्दोलनके विगतम हुइल कमी कमजोरीह मजासे केरैटी सक्कुजन आत्मसाात करटी सँपारक लाग सक्कु थरुहट नेतन मिलैना, जुटैना ओ सशक्त संघर्ष कर्ना अभियानम हम्र निरन्तर लागल बटी । जौन दिन यी संघर्ष फेरसे सशक्त हुइटी मठ्वा पुगलागि ट दुई चारठो कन्ट्यार नेतन आन्दोलन संग लपेटक घिँसेटक साझा अभियानम अइना बाध्य हुँइही, हेरटी जाई जौन समय बटैबे करी ।

५.अप्न साहित्य लेखन फेन करठी राजनीतिम कसिम समय निकर्ठी ?

आपन जिम्मेवारी अनुरुप कार्यालय संग राजनीतिक ओ सामाजिक सेवाम सर्मित होक अधिकांश समय बिट्टी बा । टबुपर समयहे मै एकदम प्राथमिकता डेटी प्राय रातक, भिन्सार्क ओ बिहन्य अन्गुट्टी मै लेखन, ओ ठोर–ठार साहित्यिक विधा ओर कलम चलैठुँ । सोच्ठुँ थारु सभ्यता, भाषा, धर्म, संस्कृति, परम्परा, साहित्य, कला, गीत, संगीत विधाम अत्रा धनी बटी मने राज्यसे समुचित ढंगसे कौनो मेरके संरक्षण संवद्र्धनक लाग नीति, योजना प्रयास निहो । उहमार दिनप्रतिदिन लोप हुइटी जाइटा । हमार ज्ञान सीप सम्पदा राष्ट्रके धरोहर हो । एकर संरक्षण संवद्र्धन प्रवद्र्धन करटी असिन अमूल्य चिजके लिखित दस्तावेज बनैना हमार पुस्ताके लाग जरुरी बा । यी विधाम कलम चलुइया थारु बहुट कम बटैं उहमार मै फे एकठो थारुक् नातासे आपन कर्तव्य समझक ठोरठार कलम चलैठुँ ।

६.थारुनहे पछगुरल कहिके कठी जात्तिके हो ? आब थारुनहे कसिक आघे बर्हाइ सेक्जाइ ?

थारु हम्र अप्नह पछगुर निहुइटी यी बाट गलत हो । राज्य ओ यहाँके शासक, प्रशासकनसे पाछे परावा पाइल बटी । यहाँ संवैधानिक, कानुनी ओ नीतिगत रुपम जो विभेद् बा, असमानता बा, डरार बा । आदिवासी थारु, जनजाति, दलित, मधेसी, मुस्लिम, महिला उप्पर सदियौं बरससे शोषण, दमन, उत्पीडन करटी राज्यके मूल प्रवाहसे बाहर पारगिल अवस्था बा । असिन अवस्थाम उ जाति समुदायके उत्थान विकास कसिक समान हुइसेकी यी बरवार सवाल हो । थारुन्हँक इमान्दारिता ओ मेहनतक गलत फाइदा लेटी थारुन दास, गुलाम, कमैयाँ, रैतीके व्यवहार राज्यसे कैगिल बा । कसिक थारु लगायत उत्पीडनम पारगिल जाति, वर्ग, लिंग, क्षेत्रके समुचित विकास हुइसेकी । हिकहँन्क अर्थपूर्ण सहभागिता बिना देश समृद्ध हुइ नैसेकी । सक्कुजे यी मनन कर्ना विषय हो । उहमार राज्य संयन्त्रके हेरक तह तप्काम जातीय जनसंख्याके आधारम प्रतिनिधित्वके सुनिश्चित्तता, संघीय नयाँ नेपालक परिकल्पना संग ऐतिहासक थातथलो ओ पहिचान सहित अधिकार सम्पन्न थरुहट स्वायत्त प्रदेश स्थापना, पूर्णसमानुपातिक निर्वाचन प्रणाली सहित संविधानके अन्तर बस्तुसे जोरल ४२ ठो धाराम संशोधन करपर्ना थरुहट आन्दोलनक १३ बुँदे माग मुद्दा ओ विगतम सरकारसे हुइल सहमती सम्झौता कार्यन्वयन कराइ सेक्बी कलेसे थरुहट बासीन जरुर आघे बह्राइ सेक्बी ।

७.थारुन्हके आन्दोलन अत्रासे आउर आघे जाइसेकी कि नाई ?

थरुहट आन्दोलनके माग मुद्दा पुरा नैहुइटसम संघर्ष निरन्तर आघ बहर्टी रही एम्न कौनो दुईमत नैहो । संघर्षहे किउ आपन व्यक्तिगत वा दलीय स्वार्थक लाग जानाजान रोक÷छेक वा कमजोर बनाइ खोजी कलसे आन्दोलनके बहियम् (बाढ) पुहके जाइ । सब थरुहट बासी आब सचेत होराखल बाट ओसिन नेतन राजनीतिक मैदानम ना टेक्ना जमिन पैही, ना ट पकर्ना डहँका । उहमार थरुहट नेता, अभियन्ता, अधिकारमुखी सामाजिक ओ राजनीतिक संघ संगठन विगतम हुइल कमी कमजोरी सुधारके, एकजुट होके मोर्चाबन्दी करटी सशक्त संघर्ष कर्ना जो अब्बाके माँग ओ आवश्यकता फे हो ।

८.राजनीतिमे लागके का पैली का गुमैली ?

राजनीतिम लागके व्यक्तिगत हिसाबसे कबी कलसे आपनहे चिन्हैंना, चिन्हाँ ओ सम्बन्ध मजा बनैना संग स्थापित हुइना फे हो । अगुवाइ करटी गाउँ समाज ओ राष्ट्रके लाग समर्पित होके सेवा कर पैना अवसर फे गौरवके विषय हो । जिम्मेवारी ओ लगनशिलतासे हरेक मनैन निखरती बहुट कुछ सिखाइठ । आझ एकर कारण ठोर बहुट आपन जिन्गीम सिखाइ संग परिवर्तन हुइल महसुस हुइठ । गुमैना सवालम ट खासै कुछ निहो टबफे राजनीतिक असिन अस्त व्यस्त जीवन हो हेरी मजासे हर तरह मिलैना महाँकर्रा हो । जौन चिज अभिन मै मिलाइ नैसेक्ले हुइटँु ।

९ंंंंंं.यहाँसम पुगेबेर कब्बु नै बिस्रैना अविस्मरणीय पल का हो ?

राजनीतिक संग सामाजिक क्षेत्रम सवार कर्टी यहाँसम पुगबेर कब्बु नै बिस्रैना म्वाँर लाग २०५९ साल भदौ २५ गते स्वं बाबा हरिराम थारु सशस्त्र द्वन्द्वकालम गुमैनु । बाबा तत्कालिन पाताभार गाविसके दोस्रो कार्यकालक अत्याधिक बहुमतसे निर्वाचित उपाध्यक्ष रहिंट । राजनीतिम लगना प्रेरणाके स्रोत बाबा हन घरम्से अपहरण कैक दुःखद् हत्या कैगिल जौन घटना कब्बु नै बिस्राइ सेक्जाइ ।

१०.अइना दिनमे थारु कल्याणकारिणीसभाके काम करना योजना कसिन बटिस बटा डि ना ?

थारु कल्याणकारिणी सभा सक्कु थारुन्हँक गौरवमय राष्ट्रिय साझा संस्था हो । यी सभा सक्कु मेरीक थारुन समेटक अटैल बा । २०७५ असोज ७, ८, ९ गते काठमाण्डौम भव्य रुपले सम्पन्न हुइल थाकसके २२औं महाधिवेशनसे धनिराम चौधरीके अध्यक्षताम कार्यसमिति गठन हुइल बा । अब्बक् कार्यसमितिम जोश जाँगर उत्साह बोकल बौद्धिक जुुझारु यूवा हुँकहन्के प्रतिनिधित्व ढेर हुइल बा । सभाके पहिला केन्द्रीय समितिके बैठकके निर्णयसे थारुन्हँक सााजाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक ओ राजनीतिक मुद्दा उठान करटी समग्र पक्षके उत्थान ओ विकास करकलाग २ वर्षे स्पष्ट कार्ययोजना ओ रणनीति बनाक लागु कर्नाम जुटल बा । सभाके केन्द्रीय अध्यक्ष धनीराम चौधरीह टीकापुर घटनाके दोषी बनाक सरकार झुठा मुद्दा चलाइल ओरसे प्रत्यक्षरुपम नेतृत्व आघ बहर्क कार्य गतिविधि कर्नाम कुछ समस्या सृजना हुइल बा टिहुँपर सभा सिमित स्रोत साधन प्रयोग करटी निरन्तर उद्देश्य ओ योजना अनुसार लागल बा ।

११.ओरौनीमे इ पत्रिका मार्फत का सन्देश डेहक चाहटी ?

थरुहटके माग मुद्दा पुरा कराइक लाग अब्बाके डगर थरुहट एकजुट ओ शान्तिपूर्ण सशक्त संघर्ष हो । उहमार छोटी बरा समस्याहे ओल्टार लगाक सक्कुजन एक्के मन्चम सझिया मुद्दा बनैटी जुटी ओ जोरसे ढक्का लगाइ टब हमार लाग बन्द कैगिल राज्यके डुवार खुली टबकिल हमार उत्थान ओ विकास हुइ सक्कु जहनम अरजी करटँु । ओ शुभकामना बा । धन्यवाद ।

‘एकजुट होके सशक्त संघर्ष कर्ना जो अब्बाके आवश्यकता हो’

मिनराज चौधरी