हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै

तिलक डंगौरा
१० बैशाख २०८०, आईतवार
हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै

गजल

हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै ।
झरफरसे गिर्के झरफरसे हर बार उठ्टुँ मै ।

प्रदेशमे हुके घर परिवारमे रहल डाइबाबा,
लर्कापर्कनसे संगे बैठके रमैना झुकटुँ मै ।

किहिन सुनाउँ किहिन कहुँ इ मनके व्यथा,
टबमारे मनके बात मनमे हेरो ठुनटुँ मै ।

कुछ हटसम मोर नाइ मोर लर्कापर्कनके,
भविस्यके लग मेहनत कर्टी डगुरटुँ मै ।

ढेर चिन्ता ना लेउ डाइबाबा ओ टुँ प्यारी,
मोर छुट्टी होगिल, डसिया डेवारीमे पुगटुँ मै ।

तिलक डंगौरा
जानकी गाउँपालिका–१ दुर्गौली कैलाली

हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै

तिलक डंगौरा