समुन्डर पारके हल्कोरा

रामचन्द्र चौधरी
१३ बैशाख २०८०, बुधबार
समुन्डर पारके हल्कोरा

विचार

समुन्डर पारके हल्कोरा

विश्व अब्बे आर्थिक क्रान्तिके डगरमे दिन प्रतिदिन आघे बहरटी बा । मने नेपालके सन्दर्भ भर ठिक उल्टा डेख मिलट । नेपालके सन्दर्भमे हेरेबेर उत्पादन दक्षता हुइल ओ दक्ष युवा जमात दिन दिने विदेशीनाक्रम बहरटी गील बा । एकर प्रत्यक्ष प्रभाव नेपाली समाजमे डेख मिलट । सरसरटी हेरेबेर ढेर जसिन युवावर्ग बेरोजगारीके समस्या डेखइटी अपन कर्तव्य ओ जिम्मेवारीसे दिन दिने दुर हुइती बटैं । कर्ना खैना उमेर कलेक जो युवावर्ग हो । मने नेपाल विगतके राजनितिक, आर्थिक, भौगोलिक यावत समस्याके कारण आझ युवाशक्ति विदेशीनाक्रम आउर बह्रल बा । तत्कालके लग आर्थिक समस्या दुर हुइलेसेफें दिगो रुपमे नेपाली भूमिमे जो उत्पादन तथा रोजगारीके सिर्जना हुइना कामके पहल ना टे सरकार पक्षसे हुइल हो ना टे युवावर्गमे यि विषयमे सोंच्ना फुर्सद हुइन् ।

युवा जमात विदेशीना कारणले हमार नेपाली समाजमे प्रत्यक्ष रुपमे बहुत प्रभाव परल बा । एकओर हेरेबेर समाजमे दिन दिने सामाजिक, साँस्कृतिक, राजनितिक, आर्थिक, नैतिक रुपमे फें ढेर प्रभाव परल डेख मिलट । सामाजिक रुपमे कहेबेर हाल नेपाली समाजमे नेपालीपनसे फरक पश्चिमेली रहनसहन, खानपिनके प्रभाव बहरटी गील बा । ओस्टेक पहिरनके क्षेत्रमे फें नेपाली समाज पूर्ण रुपसे प्रभावित हुइल बा कलेसे साँस्कृतिक रुपमे आउर नेपाली समाज दिन दिने ओझेल हुइटी बा ।

यिहे समस्यासे हालगहिर रुपमे अरझल बा थारु समाज । शैक्षिक रुपमे पाछे परल थारु समाज राजनीतिक, आर्थिक रुपमेफें ढेर पाछे बा । सदियोंसे परम्परागत खेतीपाती करके जीवन चलैटी आइल थारु समाज हाल आके ढेर समस्यामे परल डेख मिलट । एकओर परम्परागत खेतीपाती करके जिन्गी गुजरटी आइल अवस्था आब नाइ रहिगिल हो । कारण दिन दिने जनसंख्या वृद्धि, कृषिजन्य, अन्नबाली उत्पादन योग्य जग्गामे बस्तीकरण, प्रदुषण यावत समस्याके कारण उत्पादनफें कम हुइटी गिलक अवस्था बा । एकर कारण प्रत्यक्ष व्यक्ति, परिवार, समाज लगायत एकमुस्ट राष्ट्रिय रुपमे प्रभाव परल अवस्था बा ।

दिन दिने समाज पश्चिमेली प्रभावमे परटी गैल ओरसे व्यक्तिगत, पारिवारिक आवश्यकता पूरा कर्ना क्रममे अब्बेक युवा जमातमे तत्काल छोट समयमे ढेर कमाइ डेख पर्ना डगर कलक विदेश हुइलेक ओरसे नेपाली युवा जमात विदेशीना क्रम बह्रल हो । तत्कालके लग रोजगारी समस्या पूरा हुइलेसेफें आर्थिक समस्या टर्लेसेफें दिगो रुपमे समस्या आखिरमे जसके टस बा । समाज पाछे परटी गील अवस्था बा ।

हमार थारु समाजके मनै ढेर जसिन विषयम फर्छवार हुइलेसेफें अभिन सम आर्थिक ओ राजनितीक रुपमे भर संकुचित सोँचके बटैं । गाउँ समाजमे एकठो कहकुट बा ‘घर फुटे गँवार लुटे’ अभिन सम हमार थारु गाउँघर वा घरानामे यिहे प्रवृत्तिके कारण थारु समाज पाछेक पाछे परल अवस्था बा कलेसे उप्परसे औरे औरे समस्या ठप्टी गइल बा ।

जनसंख्याके हिसाबसे नेपालके चौथो हिस्सा ओगटल थारु समुदाय साँस्कृतिक रुपमे फेर ढेर धनी बा मने हाल आर्थिक, व्यवाहारिक, भाषागत, साँस्ककृतिक रुपमे दिन दिने ओझेल हुइना क्रम जारी बा । यी सक्कु चिजहे संरक्षण कर्ना कर्तव्य, जिम्मेवारी कलेक अब्बेक युवा वर्गके हो । मने अब्बेक् युवा जमात अपन आवश्यकता परिपूर्ति कर्ना क्रममे अपन सक्कु सामाजिक दायित्व ओ जिम्मेवारी से दुर हुइटी गील अवस्था बा थारु समाजमे ।

कर्ना खैना उमेर जो युवावर्ग हो । जवान रहत सम घरसे दुर, समाजसे दुर, देशसे दुर रहना । ज्यादा तर विदेशी बैठाइ ५÷७ बरसके हाराहारीमे रहल डेख मिलत । विदेशमे रहलसम व्यक्तिगत, घरपरिवार आर्थिक रुपमे सम्पन्न हुइलेसेफें आखिरमे घर आके ढेर जसिन उहे बेरोजगारीके समस्या जो हो । जिन्गीभर घर परिवार छोरके विदेश रहना अवस्था फें नाइ हो ओ विदेशी पिडा अपन ठाउँमे बा ।

आब यि समस्याहे कम करेक लग गहिर रुपमे सोँचे पर्ना ढेर चिन्तक विषय बनल बा । अस्टेक युवा जमात विदेशीनाक्रम रहि टे काल्ह हमार समाजके लग, राष्ट्रके लग कौन वर्ग कर्तव्य निर्वाह करी ? अइटी रहल पिढीहे कौन वर्ग सामाजिक मूल्यमान्यता, साँस्कृतिक रुपमे जानकारी कराइ ? नेपाल राष्ट्रहे के दिगो रुपमे सक्षम, सम्पन्न कराइ ? नेपाल राष्ट्रके विकासमे के हाँठ डारी ? यि सक्कु एकदम सोचनिय विषय हो ।

थारु समाजके लग ओ व्यक्तिगत, पारिवारिक दिगो विकासके लग अब्बे सोँचे पर्ना, कुछ करेपर्ना कलेक हम्रे थारु युवाजमातके एकदम गहिर विषय हो । एकर लग सबसे पहिले टे अब्बेक सक्कु थारु युवामे एक औरे जहन प्रति पारदर्शिता युक्त व्यवहार, सकारात्मक ओ सिर्जनात्मक सोँचके नितान्त आवश्यक बा ।

समाजके सिर्जना व्यक्ति, घरपरिवार मिल्के बनल बा । हमार थारु समाजमे सक्कु व्यक्ति, घर सम्पन्नफें नाइ हुइँट् । एकल रुपमे कौनो उत्पादन मुलक काम अप्ने नेपालमे करे सेक्ना क्षमता फें नाइ हो । विश्व आर्थिक क्रान्तिके डगर ओर लग्ना एकठो प्रमुख बात शेयर लगानी ओ शेयर बजार, संयुक्त लगानीमे मेरमेरिक कम्पनीके स्थापना ओ फर्ममे लगानी हो । जौन प्रवृति हमार नेपाली समुदायमे एकदम कम बा जहाँ थारु समाजके टे बाते कहाँ हो कहाँ ।

थारु समुदायमे एकठो नाइ मजा प्रवृति प्रगति कर्टी गइल व्यक्ति वा घरपरिवारके गोर पकरके टन्ना चलन, टरे गिरैना चलन बा । ‘गोट्यार ओ हट्यार’ के प्रवृति बा । जेकर कारण आझ थारु समुदाय शैक्षिक, आर्थिक, राजनितीक, साँस्कृतिक आउर आउर कारणसे बहुत पछगुरल बा । जबसम हमरे थारु समुदायमे गोर पकरके टन्ना चलन, ‘घर फुटे गँवार लुटे’ प्रवृति, ‘गोट्यार ओ हट्यार’ प्रवृतिहे नाइ त्यागब तबसम हमार थारु समुदाय शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक, साँस्कृतिक, राजनितिक रुपमे सम्पन्न नाइहुइ ।

आब सोँच तट बदल्ना मने कैसिक बदल्ना टे ? ओकर लग आब हम्रे युवावर्गमे सकारात्मक ओ सिर्जनात्मक सोँचके नितान्त आवश्यक बा यहाँ । अब्बेक सक्कु युवावर्गमे व्यवहारीक पारदर्शिता ढेर आवश्यक बा । ‘सय जहनके लाठी, एक जहनके बोझा’ यी कहकुट हस आब युवा युवा एक हुके हमरे कुछु सकारात्मक ओ सिर्जनात्मक, उत्पादन मुलक कामके सुरुवात कर्ना नितान्त जरुरी डेख मिलल बा । हम्रे जत्रा फें देशभित्तर ओ बाहेर रहल युवावर्ग संयुक्त लगानीमे मेरमेरिक फर्म, उद्योग स्थापना ओ संचालनमे विशेष सहभागिता जनैटी गिलेसे अपने नेपाली भूमिमे अपने गाउँठाउँमे रोजगारीके सिर्जना ओ आर्थिक रुपमे सक्षम हुइटी जिना फें डेख परठ् ।

अपने गाउँठाउँमे उत्पादन ओ बजारीकरणके काम हुइलेसे अदक्ष, अर्धदक्ष, दक्ष सक्कु वर्गहे रोजगारी डेहे मिल्ना अवसरके सिर्जना हुइ । बिना कामके रुपमे रहल पूँजि उत्पादन मुलक काममे लगानी हुइ साथमे अपने गाउँठाउँमे युवा जमात ओ अपनसे बर मनैन बिचके सम्पर्क बहरटी जाइ ज्याकर कारणसे हमार पूर्खा पुरनियाँ ओइनके मेरमेरिक सामाजिक रहनसहन, रीतिरिवाज, साँस्कृतिक बारेमे प्रत्यक्ष जन्ना अवसर मिलहिन । यि सक्कु बातहे सोंच्टी एकफेरा सक्कु युवा एकताके डगरओर लग्ना होे की ? संयुक्त रुपमे अपने भूमिमे कुछ करक लग लागे पर्ना जरुरी बा ।

रामचन्द्र चौधरी

समुन्डर पारके हल्कोरा

रामचन्द्र चौधरी