गजल

सहयात्री एस कुस्मी
८ जेष्ठ २०७८, शनिबार
गजल

महिन रुवाके टोहाँर खुशिक् बहार बा ।
टोहाँर जित ओ मोर हरदम भार बा ।

भिखारी जस्ट होगिल बाटुँ खुशी बिना,
सुन्ठुँ टोहाँर जोबन किन्ना बजार बा ।

जैनास  लागठ टोहाँर गल्लीम् खुशी लेहे,
फेंन डर लागठ मोर लाग खबरदार बा ।

गैलो महिन दु:खके भौंरीम् फसाके गैलो,
खुशी रहहो टोहाँर ट छुट्टे संसार बा ।

फें जाउँ कि कठुँ मैयँक् डग्रीम मन भुलाइ,
याद आइठ फें कि उह डगर बेकार बा ।

सहयात्री एस कुस्मी
बेलौरी नगरपालिका-१० भुडा कंचनपुर

गजल

सहयात्री एस कुस्मी