मुटु भरिक मनक् पिरा

सुशील चौधरी
९ जेष्ठ २०७८, आईतवार
मुटु भरिक मनक् पिरा

गीत
मुटु भरिक मनक् पिरा छाटी फोर्क बहुँ कहट।
आँखक् आँसक् बुँडा स्याकट सम सहुँ कहट ।।

टुटल अस्रा छुटल मैयाँ इ दिल बुझाउँ कैसिक ।
कैयाँ कुच्चिल अंढारम इ जिन्गी बिटाउँ कसिक ।।

फुल्टी फुलक् टेंम्ह्री उ उर्टी पन्छी गिर गैल ।
आइल हुरि बतास डौना बाँस दुर गैल ।।

जइ मनै जिन्दगी क टइ अर्थ रहत काहुँ ।
सुख दुख बौनी असक संगसंग न्यागट काहुँ ।।

सुशील चौधरी
बढैयाताल-५ मजोरबस्टी, बर्दिया

मुटु भरिक मनक् पिरा

सुशील चौधरी

लेखक जंग्रार साहित्यिक बखेरी बर्दियाके संस्थापक सल्लाहकार हुइटैं ।