कौवा, सुगुवा, कन्ठेवा ओ मैना

लाछु डंगौरा
१२ जेष्ठ २०७८, बुधबार
कौवा, सुगुवा, कन्ठेवा ओ मैना

कथा

बाट ढेर साल पहिलेक् हो । एक्ठो महा भारि घनघोर झप्स्यार बन्वाँ रहे । बन्वाँमे मेरमेराइक् चिरैंचुरंगन लगायट बाघ, भालु, हाँठि जैसिन मंसाहारि ओ सकाहारि जंगलि जन्टुनकेफे बसाइ रहे । बन्वँक् किनारे खोल्हुवा हुइलेक कारन ओइन डुर पानि खोजे जैना कौनो समस्या नैरहिन । खोल्हुवामे बारोमास पानी बहटि रहे । अपन अहरा खोज खोज खाके भुँख पियास मेटाँइट । उहे बन्वँक् बिच्चे एक्ठो बरा भारी रुखुवा रहे । उ बन्वँक् सक्कु भारी रुखुवामे गन्जाए । उहे रुखुवामे बसेरा लेटि आइल रहैं । कौवा, सुगुवा, कन्ठेवा ओ मैना । ओइने दिनभर अहारा खोजट खोजट डुर डुर सम अलग अलग ठाउँमे पुगजाँइट मनो साँझके उहे रुखुवामे बसेरा लेहे आजाइँट ।

आउर दिनिक हस् उ दिन फे चारु संघरियन बसेरा लेना रुखुवामे पुगठैं । दिन ओल्टार हुइटि रहे । जेठके महिना दिनभर ढुप्पन घामके संगे ढुर माटि मिलल् बयाल । पानी बर्सलेक् ढेर दिन रहिके कैंयाँ कुच्चिल बड्रि आगैल रहे उ दिन । उ दिनफे चारुजाने एक्के डरियम् बैठ्नै । दिन भरिक डट्करल जिउ सुखडुखके बाट बट्वइटि रहैं । टब्बिहि एकचो जोरसे बड्रि गरगराइल । टब सबजाने सान्ट हुइगैनै एकघचिक् । टब सुगुवा कहल टाँइ टाँइ टाँइ चोलो संघारी डोसर ठन् बसेरा लेहे जाइ ।

अपन जिउ ज्यान बचाइ । मैना बोलल कुर्चिल कुर्चिल बड्रिक बोल सुनके मोर सस्सा परान उर्गैल । कन्ठेवा बोलल कन्ठेउ कन्ठेउ मजै मजै रहब सक्कु केउ । कौवा कहल काउ काउ जिहिन जिहिन जहाँ जहाँ जैना बा जाउ जाउ । सक्कुहुनके सल्लाह अनुसार सक्कु जाने उ रुखुवाहे छोरके अन्टे बसेरा लेना निर्णय कर्नै । कौवा नैजैना बाट बटाइल । बहुट सम्झैनै सुगुवा, कन्ठेवा ओ मैना । उ अप्ने बाटेम् अटल रहल । मोर जनम करम इहे रुखुवामे हुइल ओस्टेफे इहिनसे भारि भारि आँढि पानि मै एम्हे कटैले बटुँ कहल । पहिलेक् बाट डोसर रहे । टबटक टो इ रुखवा जवान रहल हुइ डरिया पटिया मजै रहल हुइ, आब टो इ रुखुवा फे बुह्राइ गैल बा । का पटा काल्ह सक्कारेसम् इ रुखुवा नैरहटकि ? बड्रि हेरके टो पठ्रा पानीफे अइनाहस् बा । चोलो बरु आझुक् राट अन्टे रहप कस्टोक जस्टोक ? कन्ठेवा, मैना, सुगुवा अस्टे अस्टे बाट लेके सम्झैनै । कौवा बाटे नैमानल । अन्टमे ओहे रुखुवामे राटभर रना बाट बटाइल । अट्रा कहिके फेन नैमानल । टब जाके टिनुजाने उ रुखुवा मन्से अन्टे ओर चलगैनै । दिन फे समियाँ सेकल रहे ।

उहे रुखुवासे टनिक डुर छोट्छोट लसुरके झप्टिमे राट कटैनै टिनुजाने । राटभर निन नैपर्लिन । राट भर आँढि पठ्रा पानी बर्सल । याड कर्टि रहैँ सम्झटि रहैं अपन संघरिया कौवाहे । डोसर दिन आँढिपानि ठम्हल टे ढुसमुस्रे अनगुट्टि अपन संघरिया कौवाके हालखबर जानेक् लग उहे रुखुवा ठन टिनुजाने पुगनै । रुखुवा एकढर सुखाइल हुइलेक ओर्से जरबोँटे से टुट्के ढलल् रहे । कौवक् अट्टा पट्टा नैरहल ।

हडबडैटि टिनुजाने कौवाहे खोजट खोजट बरा डुर सम पुग्गैनै । टबही कौवक् बोल सुन्नै । कौवा काँ काँ कर्टि बहुट पिर भरल आवाजमे चिल्लाइटेहे । कौवाहे राटिक आँढि पठ्रापानि खोब पिट्ले रहिस् । चोटाइल कौवा उरे नैसेक्के फटफटटि रहे । अपन आघे टिनु संघरियन् सकुसल डेख्के कौवा पस्टैटि कहल काल्ह मै टुहरिनके बाट मन्ले रटुँ टो मोर आझ इ हाल नैहुइठ । सुगुवा, मैना, कन्ठेवा टिनुजाने कौवाहे सहयोग कर्नै । ओइनके सहयोग पाके कुछ दिनमे कौवा चोखाइल । टब कौवा अपन गल्टिहे स्वीकारके औरे आँढिपानि अइनासे पहिले होसियार रहम कहिके किर्या खाइल ।
लाछु डंगौरा
टीकापुर-९ रोहनीबोझिया, कैलाली

कौवा, सुगुवा, कन्ठेवा ओ मैना

लाछु डंगौरा