सामाजिक सञ्जालमे थारु साहित्य

रविता चोधरी
२० बैशाख २०८०, बुधबार
सामाजिक सञ्जालमे थारु साहित्य

सामाजिक सञ्जालमे थारु साहित्य

एक ठाउँसे डोसर ठाउँमे सुचना सम्पे्रषण करना ओ पहुँच पुगैना विद्युतीय मान्यमहे सुचना प्रविधि कहे सेक्जाइठ । सुचना प्रविधिक विकासले आझ विश्व एक गाउँ जैसिन बनल बा । सुचना प्रविधि विश्वभरीक मनैनहे नेटवर्क मार्फत सहजिलसे जोरना काम कैगैल बा । आझ प्रविधिक विकासले विश्वक समाचार, घटना क्लिकके भरमे हम्रे जाने पाइटी । विश्वक् एक कोन्वाँसे डोसर कोन्वँक् मनै अटना लग्गे हुइल अनुभव हुइठ । जस्ते कि एक कोन्टीक मनै डोसर कोन्टीक मनैनसे बात करेहस लागठ ओसटके, मोबाइल फोन, इन्टरनेट, बेवसाइट, इमेल सुचना सम्प्रणके माध्यम हो । विगत एक दशकके सुचना प्रविधिक विकास बहुत दु्रत गतिसे बर्हटी जाइटा ।

सुचना ओ संचार प्रविधिमे अझकल सामाजिक सञ्चालकके फेन प्रयोग दिन प्रतिदिन बर्हटी जाइटा । सामाजिक सञ्जालके माध्यमसे विचार, संचनाके बारेम दोहोरो अन्तरक्रिया करे सेकजाइठ । सुचना सञ्चार प्रविधिक विकासले आझ हमार हरेक काम सहज ओ हली बन्टी गैल बा । सुचना संचार प्रविधिक माधयमसे आझ घरही बैठके अमेरिका लगायत विश्वके बरा बरा विश्वविद्यालयके पुस्तकलयमे रहल किताब छापे फेन सेक्ना सम्भावना बा ।

सुचना प्रविधि अटना जल्दी विकास हुइटा कि कौनो फेन आत्मा संगे गुन्जाइस नैहो । आझसे दश बरस पहिले मोबाइल फोन सर्वसाधारणके लाग महाँ डुरके बात रहे । लकिन आझ सक्कु जहनके हाँठमे मोबाइल बा । मोबाइलसे बट्वइना अपन दैनिक जीवनमे काम लग्ना मेरमेरिक सुचना, जानकारी लेहे सेक्जाइठ । यहाँ समकी अपन विदेशमे बैठल डाडु भैया लगायत अपन नाटपाँट हँुकनसे फेन बट्बाइ सेक्जाइठ । सुचना प्रविधिक विकास संगे हम्रे फेन अपनहे बडल्टी जैना आवश्यक बा ।

आझुक् युवा बडल्टी रलक सुचना प्रविधिमे बहुत सचेत होगैल बा । यी सुचना प्रविधिहे अपन क्षेत्रके अपन समुदायक लाग भरपुर उपयोग करे सेक्लेसे समाजहे आघे बरहाइक लाग महत्वपुर्ण भुमिका बा । सामाजिक सञ्चार मेरमेरिक बा फेसबुक, वाइफाइ, लिकंदेन, क्लासमेत, युटुव आदि । लकिन विश्वके सबसे ढेर सामाजिक सञ्चालनमे फेसबुक चालकमे बा । आझके दिनमे विश्वके फेसबुक चलुइया मनैं ५ सौ करोडसे उप्पर बटैं ।

फेसबुकके माध्यमसे अपन भावना, अपन रचनात्मक काम एक एक घचिमे सम्प्रेण करे सेकजाइठ । सबमे विशेष कैके युवा वर्ग बहुत आकर्षित बटैं । यम्हें थारु समुदायक युवा फेन पाछे नैपरल हुइटैं । अझकल थारु युवा अपन पहिचानके लाग सचेत हुइल बटैं । आझ युवा सामाजिक सञ्चालके माध्यमसे आझ थारु भाषा, साहित्यहे मलजल कर्टी बटैं ।

अझकलिक युवा पुस्टा सुचना प्रविधिक माध्यमसे थारु साहित्यहे ढिरे ढिरे आघे बर्हैटी बटैं । थारु कम्युनिटि थारुनके भाषा, संस्कृति पहिचानहे चिन्हैना ओ प्रवद्र्घन करना काममे लागल बटैं । यी थारुनके भाषा , साहित्य, कला, संस्कृति संरक्षण सम्वद्र्घन कर्ना ओ प्रचारप्रसार करना काममे एकठो लावा आयाम बा । थारुन्के गतिविधिहे लक्षित कैके बनैलक् थारु समुदायमे प्रख्यात वेवसाइट थारुनके डट कम, एकपरगा डट कम फेन थारुनके भाषा साहित्यहे प्राथमिकता डेले बा । अझकल थारु भासक पत्रपत्रिका प्रकाशनमे बहुत आघे बर्हगैल बा ।

ओहेमारे सामाजिक सञ्चालहे सही सदुपयोग करे सेक्लेसे यी प्रविधि मार्फत हमार भाषा संस्कृतिहे जोगैना ओ प्रचारप्रसार करना विश्वके आघे चिन्हैना हमार लाग अवसर बनल बा । मनैनके दैनिक जीवन व्यस्त हुइटी जाइटा कि पत्रपत्रिका पर्हना फुर्सद फेन नैमिलठुइन् । यीहे कारण आझ संगे बर्हैना जरुरी बा । थारु साहित्य बारेमे जन्ना बुझना मौका पैहीं । हमार भाषा संस्कृति आउर फराक हुइ बल्गार हुइ ।

सामाजिक सञ्चाल कलक विचार, अपन भावना, सार्वजनिक हुइना थलो हो । थारु कम्युनिति जैसिन फेसबुक मार्फत सम्पे्रषण कैलेसे छोट समयमे एकर कैयांै गुणा ढेर पाठक हुँकरे पहे्र पैहीं । थारुनके मुख्य मुख्य टरटिहुवारके बारेम विस्तृत रुपमे जानकारी डेके थारुनके बारेम थप जानकारी लेहक चहुईया सहज बनैना काम कैडेले बा । सामाजिक सञ्चालन मार्फत किहुहे होच्यइना, प्रतिशोचके भावना व्यक्त कर्ना निच बनैना जैसिन विकृति फेन डेखा परल बा । उहे मारे प्रयोगकर्ता फेन सचेत हुइना जरुरी बा ।

रविता चोधरी

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रविता चोधरी