‘थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य उज्वल डेख्ठुँ’

बिन्ति राम महतो
२४ बैशाख २०८०, आईतवार
‘थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य उज्वल डेख्ठुँ’

‘थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य उज्वल डेख्ठुँ’

कैलाली जिल्लाके जानकी गाउँपालिका वडा नम्बर २ खर्गौलीके पत्रकार ओ साहित्यकार बिन्ति राम महतो, एक सशक्त स्रस्टा हुइँट् । उहाँ बाबा बुद्धि राम महतो ओ डाइ सुगनी देवी महतोके कोखसे २०२६ अगहन १२ गते इ ढर्टिमे गोरा टेक्लैं । उहाँके रेडियो नेपाल सुर्खेतमे २०५३ चैत १६ गतेसे २०७६ जेठ २७ गतेसम ओ २०७६ जेठ २८ गतेसे हालसम लुम्बिनी प्रादेशिक प्रशारण दांगमे कार्यरत बटैं । उहाँके हरचाली, निसराउ, लावा डग्गर, एकपरगा लगायत पत्रपत्रिकामे टमान थारु भाासक् लेख रचना प्रकाशित हुइल बटिन । छोट्टेसे साहित्य, संगीतमे रुचि रहल महतोके कथा, संस्मरण, निबन्ध ओ मेरमेरिक लेख रचना टमान पत्रपत्रिकामे प्रकाशित हुइटि आइल बटिन । उहाँ अंग्रेजी विषयमे स्नातकोत्तर शिक्षा हाँसिल कर्ले बटैं ।

रेडियो नेपालमे कार्यरत होके अब्बे थारु साहित्यिक क्षेत्रमे ढेर काम करटि आइल बटैं । उहाँ हरेक ठाउँमे हुइटि आइल साहित्यिक कार्यक्रमके लाग एक होनहार, जुझारु, बल्गर ओ डरगर साहित्यिक ढुरखँम्भा फेन हुइटैं । उहाँके थारु भासा साहित्यिक क्षेत्रमे बहुट ढेर योगदान करले बटैं । इहे क्रममे साहित्यिक विषयमे केन्द्रित होके पत्रकार÷साहित्यकार सागर कुस्मीसे करल बातचित यहाँ प्रस्तुत कैल बा ।

१.अपनेहे एकपरगामे स्वागत बा ।
–धन्यवाद ।

२.साहित्य सृजनाके यात्रा कैसिके चलटी बा ?
–चलटी बा ढिरे ढिरे । कबु चलठ, कबु विश्राम होजाइठ । एकनास गतिमे नाइहो चलल । बेला मौकामे मसि ओरवैना काम चाहि करठुँ ।

३.साहित्य प्रतिके आकर्षण कैसिके सुरु हुइल ?
–साहित्य प्रतिके आकर्षण कहेबेर, रुचिक बात आइठ । जेकर जेहिमे रुचि रहठ ओकर गतिविधि ओहँरे ओर केन्द्रित रहठ ओ जे अपन रुचि अन्सार काम करठ उ सफलताफें पाइठ । जे अपन रुचि अन्सार काम नाइ करठ उहिन सफलता पाइक लग संघर्ष ढेर करेक परठ कना मोर विचार हो । मै स्कुल पर्हेबेरसे साहित्यमे ढेर रुचि डेखाउँ । फुर्सटके समयमे हिन्दी नेपाली कथा, कहानी, उपन्यास पर्हेक मन पराउँ । अस्टेके थारु लोक कहानी जस्टे हिटुवा, सटलसिंह रजुवा, मेघिया रानी, सोनकेस्री रानी, ठगहरके बेटी जैसिन टमान खिस्सा कहानी सुनेक ढेर मन पराउँ । उहिमे गैना गीत खोब ध्यान लगाके ओनाउँ ।

गीतसंगीत साहित्यके एक रुप हो । गीतसंगीतफें गम्भीर विचारहे ठोरचे शब्दमे लयबद्ध मार्मिक ढंगसे व्यक्त कर्ना माध्यम हो । मै धार्मिक सांस्कृतिक लगायत थारु लोक गीत सुन्ना मन पराउँ ओ एक दुई अँखरा गुनगुनाफें लिउँ ।

मने मोर साहित्य लेखन कलाभर काठमाण्डांै अध्ययनके क्रममे हुइल । उ बेला नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानसे कविता कना पत्रिका निकरे । उहिमे टमान भाषाभाषीन्केफें कविता छाप जाए । उहिमे मोर कविताफें छापगैल । प्रज्ञा प्रतिष्ठान उ वापत कुछ पारिश्रमिकफें डेहे । मै कविता लिखल वापत पारिश्रमिकफें पैनु ओ एक अंक कविता पत्रिकाफें पैनु । विद्यार्थी जीवनमे कविता लिख्के पैसा पैना कामसे मै बहुत उत्साहित हुइनु ओ उहैंसे मोर साहित्यिक यात्रा ुसुरु हुइल हो ।

हाल मै कला विधा (Art) मे अंग्रेजी स्नातकोत्तर तहफें उत्तीर्ण कैसेक्ले बाटुँ । मै अंग्रेजी नेपाली लगायतके साहित्य पर्हसेक्ले बाटुँ । उहेमारे मोर रुचि साहित्यओर जग्लक हो ।

४.साहित्यप्रति अपन धारणा बटा डि ना ?
–साहित्य सृजना हो । साहित्यकारन्हे स्रष्टाफें कैहजाइठ । स्रष्टा कहल भगवान (सृस्टिकर्ता) हो । जैसिके भगवान सारा सृष्टिके रचना कर्नै ओस्टेके साहित्यकारहुक्रेफें अपन रचनामे मेरमेरिक कहानी रच्के एक आदर्श समाजके रचना करठैं । सामजमे रहल विकृति विसंगति, अन्याय अत्याचार, दुर्गुण जैसिन चीजहे हटाके शान्तिपुर्ण सुखी समाजके कल्पना करठैं ओ उहे अन्सार अपन लेख रचना लिख्ठैं । उहेमारे हुक्रन स्रष्टा यानिकी भगवान पाछुक डोसर स्थान (Next to god) डेजाइठ ।

साहित्य समाजके ऐना हो । समाजमे जा जैसिन स्थिति बाट, उहे चीजहे साहित्यमे उटारजाइठ । खास कैके विकृति विसंगति जौन रुपमे समाजमे रहठ उहे रुपहे लक्ष बनाके साहित्यिक रचना कैजाइठ । हमार समाजमे अइसिन अइसिन दुर्गुण बा है, इ मजा नाइहो, इहिमे सुधार कैके अइसिके आघे बर्हे परठ, कैहके एक डगरा डेखैना माध्यम जो साहित्य हो । उहेमारे साहित्यहे समाजके दर्पण ओ साहित्यकारहे अप्रत्यक्ष विधायक कैहजाइठ ।

५.थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य कैसिन डेख्ले बटी ?
–थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य मै उज्वल डेख्ठुँ काहेकी थारु भासा साहित्यिक क्षेत्र अभिन कोरे बा । उहेमारे विकासके सम्भावना ढेर बा । थारु भाषामे हर क्षेत्रमे तेज रुपसे कलम चलाइ पर्ना स्थिति बा । कला, संस्कृति, साहित्य, इतिहास ज्ञान विज्ञान आदि आदि । जत्रा कलम चलल बा, उ बहुत ठोरे बा । अपन अपन ज्ञान रुचि अन्सार हर क्षेत्रमे कलम चलाइ पर्ना बा । जहाँ सम्भावना ढेर रहठ, वहाँ विकास हालहाली हुइठ । थारु साहित्य अभिन गोमहन्याँ ( बामे सर्ना) कर्ना स्थितिमे बा । हल्का फुल्का लेख रचना बाहेक औरे गम्भीर विचारके लेख रचनाके कमि डेख्ठुँ मै अभिनसम ।

पाठक लोगन्केफें कमि बा । जबसम दमदार गम्भीर विचारसे भरल लेख रचना नाइ लिख्जाइ टबसम पाठक लोगनके ध्यानफें टाने नाइ सेक्जाइ काहे की केकरो विचार बदले सेक्ना खुराक डेहे सेक्लेस किल केकरो आनीबानी परिवर्तन हुइठ । केकरो आत्मा मन मुटुहे खिटकोरेक लग विचार परिवर्तन करे सेक्ना दमदार लेख रचनाके जरुरत परठ ।

थारु किल नाही, नेपाली साहित्यके स्थितिफें हालसम नाजुके बा । साहित्य लिख्के जीवन यापन करु कना स्थिति नाइहो नेपालमे अभिनसम । मने भविश्य भर उज्वले बा । काहे की ज्ञान विज्ञानके क्षेत्र दिन परदिन बर्हटी बा ओ पाछे पुरे विश्व जगतहे झकझोरे सेक्ना साहित्य नेपालमे लिखे नाइ सेक्जाइ कना स्थिति नाइहो । सम्भावना ढेर बा । कलम चलाके किल जीवन यापन करेसेकम कना मेरके स्रष्टाहुकन्के भविश्य मै झलझलहुट डेखठँु ।

६.अपन काममे ब्यस्त होकेफें साहित्यके सेवाफें करटी बटी ओ घर परिवार पालटी । इ कैसिक समय मिलैठी ?
–समय केक्रो ठें नाइ रहठ । समय निकारेक परठ । समयके क्रमहे मिलाइक परठ । समय अइसिन चीज हो जेकर तीर सिर्पm आघेही बर्हठ । तीर छुटल टो छुटल, यी कब्बु घुमके अउइया वाला नाइहो । उहेमारे घटना क्रमहे बुझके, कामेक महत्वहे बुझके, समय मिलैना चाही । किहिहे पहिल प्राथमिकता डेना हो कना बुझे परठ, हो जीवनहे आघे बरहाइक परठ ।

मै एक नोकरी जागरीवाला मनै, घर परिवारहे पालेक लग कुछ ना कुछ टो करहिक परठ । खाली साहित्य लिख्के जीवन गुजारा करेसेक्ना स्थिति नाइहो नेपालमे ।

जबजब महिन कामसे फुर्सट मिलठ ओ मोर अन्तरभाव उभरके आइठ टबटब मै कलम लैके बैठजिठुँ ओ लिखे भिंरपरठुँ । काहे की साहित्य हर बेला प्रस्फुटन हुइना चीज नाइहो । जब मनमे कोइ चीजके बार्ह (उभार) आइठ टब अपने आप कलम चले लागठ ओ साहित्यक सृजना हुइ लागठ । विना मुड जवरजस्ती कोइ चीजके रचना कर्बी टो उ भद्दा रहठ, मजा नाइ रहठ । मै साहित्य लेखनसेफें ढेर अपन मन पर्ना लेख रचना पर्हना, अडियो सुन्ना, भिडियो हेर्ना काम करठुँ ओ विचारके गन्थन मन्थनफें करठुँ । कोइभी खोज अनुसन्धानमुलक विषयमे केक्रो कहाइ, केक्रो विचारके मुल्याकंन करठुँ । उ विषयमे अपन विचार बनैठुँ ओ लिखना सुरु करठुँ । अइसिके फुर्सटके समयमे मोर साहित्यिक यात्रा आघे बर्हठ ।

७.साहित्यहे गुडगर बनाइक लाग का करे परी जैसिन लागठ ?
साहित्यहे गुडगर बनाइक लाग सबसे पहिले लेखक स्रष्टाकारहुक्रे अपने क्षमतावान हुइक परल । टमान ज्ञान विज्ञानके बात जाने बुझे परल । अपनठे जौनचीजमे ज्ञान बा, उ चीजमे अपन विचार लिखे परल । हल्का फुल्का सस्टा लोकप्रियताके लग जाफें लिडेहना बान छोरेक परल काकरेकी सस्टा लोकप्रियताके लग उ मजा रलेसेफें ओकर प्रभाव दीर्घकालिन नाइ रहठ ।

हम्रे सब मनुश्य प्राणी कोइ ना कोइ खास किसिमके गुण लैके जनम लेहले बाटी । सबके अलग अलग विशेषता बा । केक्रो कोइ चीजमे, केक्रो कोइ चीजमे रुचि रहठ ओ उहे अन्सार क्षमताफें रहठ । उहेमारे पैहले अपने आपहे पैहचानी ओ मोरमे का चीजके विशेषता बा । का चीजमे मै लिखम टो मजासे लिखे सेकम कना बातहे खयाल करी ओ उहे अन्सार लिखना कोशिस करी टबजाके सबकेउ कोइ ना कोइ क्षेत्रमे चमत्कारिक रचना तयार करे सेक्बी । सबसे पैहले अपन रुचि अन्सारके क्षेत्रमे अध्ययन खोजमे लागे परल । उ क्षेत्रमे हाँसिल करल ज्ञान सीपहे रचनामे उटारे परल । टब जाके किल गुडगर लेख रचनाके सृजना हुइसेकी शायद मोर विचारमे ।

८.अब्बे अपने सोचल अन्सार थारु भासामे पोस्टा लिखे ओ अध्ययन करे सेक्ले बटी कि नाइ ?
–अब्बे मै सोचल अन्सार थारु पोस्टा या लेख रचना पर्हना अवसर नाइ मिलल हो । थारु भासा अपनहे अपन अस्तित्व जोगैना स्थितिमे बा । थारु भासा साहित्य अभिन गोमहन्याँ (वामे सर्नु) कर्ना अवस्थामे बा । डोसर बात थारु समुदाय अपनही पाछे परल अवस्थामे बा ओ थारु समुदायमे बौद्धिक व्यक्तित्वहुक्रे उच्चस्तरके लेख रचना, खोज अनुसन्धानमे लागल नाइ डेख परठैं । एकाध कोइ रलेसेफें हुक्रे थारु भासामे कलम चलाइल स्थिति बहुत कम बा । अइसिन अवस्थामे थारु भासाके स्तरिय लेख रचना साहित्य पर्हे पैना सवाल कमही रहठ ।

जहाँसम लिखना सवाल बा, मै अभिनसम अध्ययनके क्रममे बाटुँ । मोर रुचि ज्ञान विज्ञान खगोल दर्शन ओर ढेर बा । मै अपन रुचि अन्सारके चीज खोज खोज अध्ययन कर्टि बाटुँ । सेकटसम ढेरसे ढेर ज्ञान हाँसिल कैके पाछे कोइ कृति निकारे सेकम कना सोंच टो बा । फिलहाल अब्बे यदाकदा फुटकर लेख रचना बाहेक औरे पोस्टा लिखना क्रममे भर नाइहुँ ।

९.कृति प्रकाशनओर ध्यान कठ्ठेक गैल बा ?
–मै पैहलेहे कैहसेक्नु कि कृति प्रकाशन कर्ना सोंच मै नाइ बनैले हुँ अभिनसम । पाछे निकारे सेकम । जब मोर कोइ रुचि अन्सारके विषयमे विज्ञता हाँसिल करम टो शायद निक्रेसेकी । अभिन अध्ययनके खोजके क्रममे बाटुँ । एकठो मजा कृति निकारे सेक्टुँ टो शायद संसारहे कुछ गुण लगाके जाइ सेकटुँ कना सोंच जरुर बा ।

१०.कैसिन साहित्यिक पोस्टा पर्हना मन परैठी अपने ?
–मोर रुचि ज्ञान विज्ञान, दर्शन, खगोलशास्त्र ओर ढेर बा । मोर सब तर्कके आधार, विज्ञानके बात रहठ । विज्ञानके कोइ ठोस बातहे आधार बनाके मै व्याख्या विश्लेषण कर्नाओर लगठुँ । हमार कला संस्कृति रीतिरिवाजके कोइ विश्वासिला तार्किक आधार बा कि नाइ कैहके मै हेरठुँ । हमार चाहे जौन चीज होए, समाजमे रहल व्यवहारिक जीवनके पक्षमे कोइ तार्किक आधार बा कि नाइ अथवा बिना आधार अंधविश्वासीढंगसे आघे बर्हट टो नाइहो कना बातमे ध्यान डेठुँ । अगर हमार कला संस्कृति परम्परा आधारहिन बा कलेसे उ चीजके संरक्षण करे परठ कना पक्षमे मै नाइ हुँ । हमार जीवन दर्शनमे आधारित धरातलमे रहल लेख रचना पर्हेक मन परैठुँ । ज्ञान विज्ञानमे अधारित विज्ञान कथा, मनोविज्ञान ओ दर्शनमे अधारित लेख रचना मोर मन पसिन्दा खुराक हो ।

११.अपनेहे साहित्य लिखेक प्रेरणा डेना तत्व का का हो ?
–महिन साहित्य लिखेक प्रेरणा डेहना तत्व कहल मोर तर्क ओ कल्पना शक्ति हो । महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईन्स्टाईन कहठंै कि कल्पना ज्ञानसेफें महत्वपुर्ण चीज हो (Imagination is more important than knowledge) ज्ञानके क्षेत्र सीमित रहठ । ज्ञान वास्तविक हुइल चीजहे किल समेटठ जब कि कल्पना वास्तविकतासेफें दुर, उहिसेफें आघे, पाछे हुइसेक्ना सम्भावनाहेफें समेटठ । अब्बे हमार सामने जा डेखाइटा उहि हम्रे वास्तविकता कहठी मने कल्पना, उ वास्तविकता अब्बेक लग सही बा, पाछे उ वास्तविकता समय परिस्थिति अन्सार औरे रुपफें लेहे सेकठ कना तर्कके बातहे समेटठ । कहाइक मतलव की कल्पना शक्ति पाछे हुइसेकना भविश्यक बातफें करठ जब की ज्ञान, भुत ओ वर्तमानके किल बात करठ ।

हमार आघे रहल पत्थर एक नीर्जिव ओ ठोस चीज हो कैहके कहठ हमार ज्ञान । मने कल्पना, पत्थर पाछे सैयांै हजारौं वर्ष पाछे कैसिन रही, कैसिन रुप ली कहना बातके अनुमान करठ । घाम पानी, शीत, आँधी बयालके सामना करट करट घिसपीटके एक दिन धुर माटी बन्के मिट्जाइ, बिल्लाजाइ ओ एक दिन यी निर्जिव चीजमे पेडपौढाफें उम्रे सेकी कैहके तर्क करठ हमार कल्पना शक्ति । हमार चारु ओर रहल भौतिक जगतहे आधार बनाके कल्पना शक्तिक उपयोग कर्टि तर्क संगत तरिकासे साहित्य लिखेक खोजठुँ मै । इहे मोर प्रेरणाके स्रोत हुइटैं ।

१२.साहित्य ओ जीवन बीचके सम्बन्ध बारेम अपन विचार बटा डि ना ?
–जहाँसम साहित्य ओ जीवन बीचके सम्बन्धके बात बा, साहित्य कहल हमार जीवन भोगाइक टमान मेरिक अनुभवहे व्यक्त कर्ना माध्यम हो । जीवनके हर मेरिक अनुभव, सुख दुख विरह वैराग, रीस राग असन्तुष्टि, जा जैसिन अनुभव हुइठ, उहे चीजके अभिव्यक्ति साहित्य हो कैहके मै कहठुँ । हम्रे हमार साहित्यमे जा लिख्ठी उ सब हमार विशेष अनुभव हो । कोइ कस्टो अनुभव करठ कोइ कस्टो । तीतमीठ, हाँसी, खुशी, दुख दर्द, अन्याय अत्याचार, पाप धर्म आदि सबके अनुभव हुइठ जीवनमे ओ इहे मेरमेरिक जीवन भोगाइक अनुभवहे साहित्यमे उटारजाइठ ।

कोइ जीवनहे सुन्दर उपहार कहठ, कोइ जीवनहे एक बोझके रुपमे लेहठ कलेसे कोइ डुखियारीहुके एक श्रापके रुपमे लेठैं जीवनहे । अइसिक एक विशिष्ट अनुभव बट्वैना माध्यम बनल रहठ साहित्य । साहित्य केक्रो आँखी खोलडेना, किहिनो डगरा डेखैना, किहिनो जीवन जिना तरिका सिखैना कामफें करठ । मानव हुइलेसे कैसिन जीवन जिए परठ, एक बार पाइल जीवनहे कैसिक सदुपयोग करेक परठ कैहके एक आदर्शवादी समाजके कल्पना कर्ना माध्यम हो साहित्य ।

१३.ओरौनीमे कहही पर्ना बात कुछ छुटल बा की ?
–खासे ओइसिन छुटलहस टो नाइ लागठ फिरभी एकठो बात पाठक लोगन कहटँु कि मानव जीवन एक बार पाइल जीवन हो । यी जीवन पाछे मिलठ कि नाइ, कोइ ग्यारेन्टी नाइ हो । उहेमारे हाँसखेल कैके जविन बिटाइ, जीवनहे सार्थक बनैना कोशिश कर्बी । ओस्टेके समय बर्बाद नाइ कर्बी । कुछ कैके बैठ्बी । भगवान हम्रहन कुछ करेक लग पठैले बा । कर्म करबी । मानव जीवनहे गुण लगैना मेरिक कुछ काम कैके जैबी । हमार कर्म ही हम्रहन सुख दुखके भागी बनाइठ । हमार सुख दुखके भागीदार हम्रे अपनही हुइटी । हम्रे जस्टे कर्म करबी ओस्टे फल पैबी । आम लगाके अमली नाई पैबी । मजा करब टो मजा फल पाब, नाइ मजा करब टो नाइ मजा फल पाब, उ निश्चित हो । तकदीर बनैना ओ बिगर्ना काम अपने हाँठमे रहठ । यहीमे उपरवालाके कोइ हाँठ नाइ रहठ । उहेमारे कर्म करबी ओ जीवनमे सफलता हाँसिल करबी । इहे मोर कहाइ बा ।

‘थारु भासा साहित्य ओ साहित्यकारनके भविश्य उज्वल डेख्ठुँ’

बिन्ति राम महतो