मुक्तक १
टुँ टे महिन मधुर संगीतके मिठ धुनहस लगठो ।
मोर शरिरके नशानशामे बहना खुनहस लगठो ।
टँु मोर साथ रबो टे नाइचाही धनसम्पत्ति प्यारी,
मोरलग टुँही टे हिरामोती ओ सुनहस लगठो ।
मुक्तक २
आँखी भरके घर सजाके झरल मै प्रदेशी ।
अन्याय ओ अत्याचारसे सरल मै प्रदेशी ।
डाडु भैयक लराइमे अपनहि अरघटहा होके,
भाग बन्डा करट करट परल मै प्रदेशी ।
संगम कुस्मी
कैलारी ८, कैलाली