बर्खक् दिन आइल लडिया कुलुवम् पानी भर जाइ ।
बाह्रोमास खेतीपाती कर्ना आब गोर हाँठ सर जाइ ।
कौनो साल सुख्खा टे कौनो साल जलावन रहठ,
चुकहसक् करिया मै घामले सारा डेंह जर जाइ ।
अक्सर करके खेतीपाती करना हम्रे थारु जात,
किसानके बच्चा हुइ हिल्ला किंचासे लर जाइ ।
घाम पानीम् हरजुवा कोड्रा धान लगैना नैछुटट्,
चुट्टिक् पस्ना घुट्ठी डुपहर घामेम् काम टर जाइ ।
भिनसरहीसे अंढारसम् हरक् हँठवासी पकरके,
हाँठ गोरा सराके मलगर माटीमे सोन फर जाइ । प्रबिन बौखही कैलारी-५ बैसपुर कैलाली
(अब्बा होम आइसोलेसनमे बैठल)