कजलबिल्टी

सागर कुस्मी
२६ जेष्ठ २०७८, बुधबार
कजलबिल्टी


डाइ डाइ काल्ह शनिच्चर टे हो, दिन उठुवासम् सुटेडिस ना । कजलबिल्टी अपन डाइहे जनैटी कहल । सरिक्सा आँखी भर काजल ठप्ठैले रहठ् । ओहेमारे सबजे कजलबिल्टी कठिस् ।

जा जा हलि पसर अनगुट्टी उठिस् । कजलबिल्टीक् डाइ कजलबिल्टीहे सुटे कहलिस् । ओकर डाइ अभिन बेरी खाके नैसेक्ले रहिस् । मने कजलबिल्टी भर झटरपटर बेरी खासेकले रहे । खोब गोँहु कट्नी छेक मचल रहे । लकिन कजलबिल्टी मन लागिस टे गोँहु काटे जाए नै टे मन नै लग्लेसे नै जाए ।

किसनवँक् छाइ हुइलक् ओरसे कजलबिल्टी अपन सक्कु घरक् मनैनसे बरा छिह्लााइल बा । चैतके महिना ओम्हें टवाटिक ओजरीया छिट्कल । दिनभरीक् ढन्ढा कैलक् डट्करल जिउ आझ कजलबिल्टीक् घरक् मनैं सबजे हाली सुट्गैलिस । ओहाेंर कजलबिल्टीक् जुन काम ढन्ढा नै कैलक् जीउ हाली निंन् नै परठिस् ।

एकघचिक् रैह्के ओकर मोबाइलमे मिसकल अइठिस् । ओकर निंन् नै परलक् कारण सायद ओहे रहिस् । कब फोन आइ टे बाट बट्वाके सुटम् कना बाट मनेम् खेल्टी रहिस् । फेन एकघचिक् रैह्के फोन आजैठिस । कजलबिल्टी फोन उठाइल । हेलो ए हो बेरी खा सेक्लो ? ओहोरसे प्रश्न आइल ।

कजलबिल्टी एहोरसे बाट घुमैटी कहल हाँ खा सेक्लुँ । फोन वाला कहल आउर सुनाउ टे का बा हाल खबर ? नै चिन्हल रलेसे फेन कजलबिल्टी खोब मस्की लगा लगा बाट बट्वइटी जाइठ । फेन कजलबिल्टी एहोरसे कहल सुनो ना एक बाट कहुँ ? कहो ना टे का बाट हो फोन वाला कहल ।

बरा घचिक बाट बट्वाके लेउ टे काल्ह भिन्सारे फोन करहो ना अत्रै कहटी कजलबिल्टी सुट्जाइठ । कजलबिल्टी भर्खर ९ कक्षामे पर्हठ् । ऊ जनगर परिवारके लर्का हो । डाइ बाबा पर्हल लिखल नैहुइस । बाबु भैया फेन अभिन छोट छोट बटिस । अपन घरम् ठनिक् पर्हल लिखल ओहे किल बा । डाइ बाबा जत्रा कमैठिस खर्च कैके बचल रुप्या सक्कु ओहियइ ढारे डेठिस । घरम् जत्रा समस्या रहलेसे फेन ओकर लाग रुप्यक् डारी नैरठिस । पटानै कहाँसे पैसा होजैठिस । मजा मजा खैना सुग्घर सुग्घर लगैना बहुत फेसन डारमे चलठ कजलबिल्टी । गाउँक् मनै डेख्के सबजाने अचम्म परल बटिस् ।

आझ अँट्वारके दिन कजलबिल्टी कल्वा वल्वा खाइठ् सँपरठ् ओ चलठ् स्कुल ओर । पहिलेकले ऊ अझकल ओत्रा पर्हनास् मन नैलग्ठीस । पर्हक् छोरके दिनभर बाहेर चौरमे जाके रुख्वाटर लवन्डनसे खोब गलगलाइठ् । एहोंर ओहोर चम्कटी दिन कट्जेठिस् । आघेपाघे लवन्डनके टे लुर लगठिस ओकर । जेहोर गैलेसे फेँ चमचम चमचम कर्टी नेंगठ् । कोइ कोइ टे चमचमही कह्ैके फेन चिन्ठिस ।

दिनभर ओस्टे गफ कर्टी दिन बिट्टी बटिस कजलबिल्टीक । अस्टे करट करट महिना दिन बिट्गैल रहठ् । जस्टक् महिना दिन बहर्टी जाइठ् ओस्टक् कजलबिल्टीक् जवानी फेन हरयैटी जैठिस ।

उ आउर सोलसोलरार बिल्गाइठ । अस्टीमकी लच्क्यागैल रहे । अस्टीमकिहा वर्त रहक् लाग कजलबिल्टी चलठ समान लेहे इनिडयाके गौरीफन्टा बजार ओर । ओकर संघर्यन टे सँग कैके जैठिस लकिन उहिहे केक्रो संगसाठ नैचहठिस । साइकिल उठाइठ चलडेहठ् डुपट्टा उरैटी । लग्गे धनगढी बजार रहटी रहटी का झगझग डेखाइ जाइ परल हुइहिस गौरीफन्टा छिनारीहे । गौरीफन्टक् बाजिन्से भाउँ डेखाइक् मारे टे गैल हुइ काहँु । साँझ होगैल रहठ अभिन सम कजलबिल्टी घरे पुगल नैहो । पाछेक् गैल गाँउक् संघर्यन सबजे आगैलिस । उ भर जाने कहाँ अट्कल बा । एहोर डाइ बाबा छाइक् अस्रामे अभिन सम बेरीओरी नैखैले हुइस । बेरी खैना ट्याम खसक् गैल रहे । टब फेन कजलबिल्टी घरे नैपुगल हो ।

डाइ बाबा आब छाइ नैआइ कैह्के भुख्ले सुट्जैठिस । जब अढ्ढा रात हुइल टे बलटल घरे पुगल १२ बजे रात । पुगठ टे घरक् मनै सबजे सुट्गैल रठिस । टबे टे एकठो कहकुट बा, जन्नी कमाल कि बबाल ओस्टे बन्के डेखैले बा कजलबिल्टी । सुट्टी किल फेन फोन आगैलिस छल्छल्हीक् । राम्रे इ टे सारा गाउँक् नाउँ गन्ढ्वा ढारी । पोरसाल फेन अस्टे करलक् ढिंर फुलल् रहिस कजलबिल्टीक् । राम्रे असौँ फेन अस्टे नाकरी कैह्के गाउँक् मनै जेहोँर टेहोँर बाट बट्वइटी नेंगिट ।

एक दिन अचानक् कजलबिल्टीक् जुरी अइठिस । हाँठगोर, कपार, पेट, बरा जोरसे बठाइ लग्ठिस । उ दिन रातभर छटपटाइल करल । रात भर नैसुटल । बिहानके उठल डाइ अस्पताल लैगैलिस चेक कराइ । डक्टरुवा कहल दिशा पिसाव ओ रकट चेक कराइ परी । टब किल बिरामीक् रोक पट्टा लागी । चेक कराके रिपोर्ट अइठिस टे बहुट नैमजा रिपोर्ट सुनाइठ डक्टरुवा ओकर डाइहे । ओकर डाइ कठिस आप काकरे परी डाक्टर साहव इ रोग कैसिक् कहाँ जाके ठिक हुइ ।

डक्टरुवा कहठ इ रोग आब ठिक हुइना कौनो डवाइ नैहो । बिरामी आप ढेर दिन बँची कना अस्रा जिन करो । जत्रा दिन बँची जिए डेउ । टब होस ऐठिस कजलबिल्टीक डाइहे । कजलबिल्टीहे टब पट्टा हुइठिस कि महिन एच आई भी एड्स रोग लागल बा कैह्के । इ हे कठैं जोसमे होस नैपुगैबो टे ओहे कजलबिल्टीक् नन्हे हाल हुइठ ।

कजलबिल्टीक् आप जिएम नामरेम् हुइल बटिस । गाउँमे मुह डेखाइ फेन लाज लग्ठिस । रोज दिन एहोँर ओहोँर घुम्टी रना मनै आप टे घरम्से बाहेर नैनिकरठ् । सब दिन छाती उल्कैटी नेगलक् आप रोइटी दिन बिटटीस् मौटके दिन गन्टी । समयमे होस ध्यान नैडेबो टे अस्टे कजलबिल्टीक् जस्टे हाल हुइठ । जवानी सबके आइठ । लकिन उ जवानीहे सम्हाँरे सवाँरे सेके परठ । समय सँगे चले जाने परठ । नैटे ओहे कजलबिल्टीक् नन्हे दिन गुजारे नापरे ।
सागर कुस्मी
कैलाली

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