मुक्तक
कुर्सीक लाग किल कौनो हतार ना होए ।
अरे स्वार्थमे कोल्काही भ्रष्टचार ना होए ।
जनतनहे कर के बोझा बोकाके यहाँ,
मौजमस्टी कर्ना डेसमे सरकार ना होए ।
मुक्तक
छोटछोट चिजमे भारी कर लगैलो सरकार ।
डिजल पेट्रोल इन्धनके मोल बह्रैलो सरकार ।
बिकासके नाउँमे निकास हुइल बजेट फेन टे,
कम बिकास ढेर भ्रष्ट्रचारमे सजैलो सरकार ।
संगम कुस्मी
कैलारी –८, कैलाली