ठन्डा पोंक

अर्जुन थारु
३ असार २०७८, बिहीबार
ठन्डा पोंक

ठन्डा पोंक
बैशाखके महिना घाम फेर बराजोरसे करले रहे । झोलरा ओ लोहत्या गाउँक् कुलुवम् लहाइटहंै । डुनुजे बरा मिल्ना संघरयाफे रहैं । घाम ढेर कर्लेक ओरसे इन्डीयासे बाजी फें गाउँमे बरफ बेचे आइँट् । बजियन बरफ बेचे आइट् डेख्के उ डुनु जहन बरफ खैना फेर बरा सौक लागिन । मने सौक लग्लेसे का गोझुम् एक्को पैंसा नाइ रहिन ।

एक दिन झोलरा ओ लोहत्या लहासेकके ठौरेक पिपरक् छाहीं टिर बैठके सल्लाह करेलग्नै । झोलरा कहल रे लोहत्या बरफ खैना बरा सौक लागठ । आब पैंसक् जुगार कस्टो कस्टोके करे परल । लोहत्या हाँ रे झोलरा ठिक कहले मनैनहे बरफ खाइट् डेख्के खैना मन टो बरा जोरसे लागठ । बरु चल काल्ह बिहान खेट्वम् धानक् बाल बिठोरे जाब । टब उहिकन बेंचके कुछु पैंसा रहि टो हमरे फेर बरफ किनके खाबी ।

औरे बिहान झोलरा ओ लोहत्या रमपुरहान खेट्वम् धानक् बाल बिठोरे गैनै । कुछ दिन बिठोरके बाल फेर ढेर कैढारल रहैं । डुनुजे उ बिठोरल बाल हिन पिटपाटके डाना भर ठौरे रहल गाउँक् डुकानेम बेंचके बरफ खैना पैंसा जम्मा कर्नै ।

औरे डिन डुपहरके फेरसे बजिया बरफ बेंचे आइल । झोलरा ओ लोहत्या बजियाहिन रुकाके अपन ठे रहल सक्कु पैंसक् बरफ किन ढर्नै । लोहत्या कहल रे झोलरा आझ टो हौस पुगापुगा खाबी रे बरफ कहटी डुनुजे असहरवम् बैठके खाइ लग्नै ।

एक घरि रहिके बरफ फेर ओराइ गैलिन । टब लोहत्या कहल उ दिन घामेम् जरजर बाल बिटोर्ली । उहिन बेंचके पैंसा फेर एकट्ठा कैली आझ । एक्के बैठावनमे मेहनत करल पैंसा बरफमे सेकडेहली । मुहेक स्वाद किल बिगरल । जट्नै खाउ ओट्नै मजा लगना बजियक् ठन्डा पोंक ।
अर्जुन थारु
बारबर्दिया–५ बनघुस्री बर्दिया

ठन्डा पोंक

अर्जुन थारु