मेहनतके फल

अर्जुन चौधरी
१३ असार २०७८, आईतवार
मेहनतके फल

मेहनतके फल
काम ना डाम इ बुर्हुवक् दिनभर गाउँक् सट्टरवर हरचली कैना किल रठिस् । छेग्री भेंरी ओस्टे भुँखासल बाटैं कमसे कम डुचार मुठ्ठा घाँस काटके टो डारडेना हो । बरबरैटी ओमकारके डाइ भन्सक् भिट्टर भाँरा खन्मनैटी रहे । जन्नीक् बात एक्को ओनैबे नाइ करठ् ।

आझ टो साँझके बेरी नाइ मिली डाज,ु भौजी बराजोरसे रिसाइल बाटैं । अस्टे कहटी संघरियन चलैटी रहैं फेरुवाहे । बिहानके कलुवा जुन उठे । एहोंर ओहोंर घुमेजाए । बिग्रल संघरियन संगे डारुजाँंर पिए । सडिमान रातीक ११÷१२ बजे झुलट घरे आए । रोज ओहे टार ।

एकदिन रिसेक झोंके फेरुवक् जन्नी लैहर भागजैठिस । बिहानके उठठ् एहोंर ओहाेंर जन्नीहे हेरठ डेख्बो नैकरठ । ठौरहीं सन्ह्ला छेग्रहान काकीसे पुंछठ् । काकी ओमकारके डाइहे डेख्लो ? बिहन्ने मोरठें आके कहठ् रहि, मै लैहर जाइटँु मडुवा उठी टो बटाडेहो माउँ । फेरुवक् काकी कहलिस ।

जन्नी रहिस टो बरा रजुवा हस् करे । आब टो छेग्री, भेंरी, चुल्हा, चौकी हेरे परठिस । खेती बारी ओर फें जाइ लागल रहे । एकदिन असोरहुवामे बैठल फेरुवा खट्या भांग टहे । टुप्लुकसे जन्नी आगैलिस । घरेक डुवारसे पहिले जन्नीक नजर ठौरेक् बारीमे परलिस् । ओहोंर फेरुवा मुसुर मुसुर हँंस्टी रहे । बारीमे टिना मनके फरल डेख्के फेरुवक् जन्नीहे अचम्म लगलिस । झटर पटर करट फेरुवासे पुंछल इ का हो बड्डो । मै औरेक घर टो नाइ आगैनु । फेरुवा मुस्कुराइठ् इ टो मेहनतके फल हो बड्डी । हाँ मेहनतके फल ।
अर्जुन चौधरी
बारबर्दिया ५ बनघुस्री बर्दिया

मेहनतके फल

अर्जुन चौधरी