गजल
कुइलरीयाफे गैटी बा बैरागी गीत यहाँ ।
प्रकृतिफे रोइटी बा गिरैटी शीत यहाँ ।
मेहनतके टो कोइ कडरे नैहो हेरो ना,
जे घुस डी ओकरे हुइटी बा जीत यहाँ ।
अन्जान मनै डेठै दुख पिडामे साथ बरु,
रठै डुस्मन जिहीहे मन्ले रबो मीट यहाँ ।
सम्झुइया बुझुइया कोइ नैजोहाइट आझकल,
बरु हँस्ठै कराके ओरेक घरमे मारपीट यहाँ ।
डेख्के किल सोच और डर लागठ महिन टो,
बरा अजिबके बनाइल बा दुनियाके रीट यहाँ ।
प्रतिक्षा चौधरी
जानकी ५ पठरहिया कैलाली