गजल
डेसमे संघियता सहितके संविधान खै ।
चलन अनुसार सांस्कृतिक पहिचान खै ।
गाउँमे हेरि मरुवा ठनुवाँ उजार होगैल,
वहाँक् अझ्कल पुरान सहिडान खै ।
वीर सपूत डेसके लाग ज्यान डेके गैलैं,
मने यहाँ सहिडनके डेहल बलिडान खै ।
नारी फेन समाजमे भारी काम करेसेक्ठैं,
लेकिन नारिनके समाजमे सम्मान खै ।
महिला पुरुष एक रथके पहिया कठैं,
यहाँ नारिनके लाग लावा बिहान खै ।
साफी चौधरी
कंचनपुर