च्याट वाली

सोम डेमनडौरा
५ श्रावण २०७८, मंगलवार
च्याट वाली

कथा
च्याट वाली

कौन बठिन्याँसे च्याट करटो ?

ओकर गोसिनियाँ पुछ्लिस् । उ एकघची घुरेरके हेरल । बुरह्रया उहिहे शंका करलिस कि जस्ते लग्लिस् । कुछ बेरपाछे उ ठोरचे संकोचपूर्ण जवाफ डेहल ।

होलीके शुभकामना पठैले रहुँ । रिप्लाइ करटुँ । उ का, हमार डुकानमे आइठ जे । अरे काजुन नाउँ । उहे बहिनियाँ का । श्यामसरके बहिनियाँ । मधुरानी ।

सँचमे हरिलालहे यी प्रश्नसे उहिहे कहाँसे कहाँ पुगाइल । उ आझ यी प्रश्नके सामना करना ढेर प्रयास करले रहे । उहिहे यी प्रश्नके जवाफ डेहेबेर युद्ध जस्ते लागटहिस । ओकर डेहल जवाफमे उ अप्नही फेन सन्तुष्ट नैहो । उ गिल कुछ दिनके घटना सम्झे लागल । खास कैके, साँझके समयके ।

गोसिनियाँ घरेक् कामसे सिहरल । बिहानसे रातसम भातभन्सा, लरकनहे स्कुल पठैना, घरेक् सफाइ, लुग्रा, भाँरा ओ यावत कामसे लखतरान् रना । स्वभाविकरुपमे रातके हलि निन्द लागिन् । निडाइन फेन । हरिलाल एक गैरसरकारी संस्थामे काम करिंट् । हुकाँन् गोसिनियँक्हस् उहिनहे सिहरा नैरहिन् । ठोरचे फुर्सद फेन रना । आउर अफिससे लौट्टिकिल हुँकान गोसिनियाँ गोसिया अफिसके कामसे सिहरल हुइही कहिके कबु कफि टे कबु चाह बनाके डेना । हरिलाल बर आरामसे चुस्कि लगाइट् । ओ उ कामके अप्डेट लिंइट् ।

लरकनहे होमवर्क करैलो ? आझ कत्रक् व्यापार हुइल ?
गोसिनियाँ सबचिजके जानकारी कराइ ।
होमवर्क टे करैना कर्रा । बलटल एक होमवर्क ओराइल बा । खेले चलगिल । आझ ओत्रा ब्यापार हुइल नैहो । आझ मनैन्के घुमफिर फेन कम रहे । यहाँ हेरुँ कि वहाँ हेरुँ हुजाइठ् । किस्ता बुझाइक् लाग समेत पैंसा नैरहठ् । कै दिनसे मै घुमाडेले बटुँ, मै फोन करम टब आइहो कले बटुँ ।

हरिलाल उप्प साँस लेहल । आउर कर्राके बोलल् । काहे हो का टुँ बच्चन्हे कन्ट्रोल करे नैसेक्ना । कमसे कम होमवर्क टे कराइ सेके परना रहे । सब महि करडेहेक परि बा । ग्राहकसे कैसिक बोल्ना, कैसिक डिल करना बात टे सिखे परल । सक्कु ग्राहक एक्के नैरठंै । हम्रे सामानके बारेमे उहाँहुकनहे कहे सेके परठ, मोटिभेट करे सेकेपरठ । अइसिक करलेसे ग्राहक फेर फेर अइठैं ।

उ अप्नहे घरेक् सक्कु जिम्मेवारी सम्हाललहस अपन गोसिनियाहे पाठ पह्रैठै । गोसिनियाहे फेन लागठ, सच्मे मै यी विषयमे कमजोर बटु कि जस्ते । ओकर गोसिनिया छोट जवाफ डेठिस् ।
कोशिस टे करले बटुँ । अफिसमे फेन हरिलालके फेसबुक चौबिसे घन्टा अन रहठ । बिचबिचमे संघरियनसंग हेलो हाइ करटी रहठ । काम करेबेर एक्केली मुस्कुराइठ । उ आझ करे पर्ना काम काल्हसम फेन नैकरठ । ओ अप्नही प्रश्न करठ, समय फेन कत्रा हलि गैल यार । फेसबुकमे सकभर उ जन्नी अनुहार किल खोजठ् । खास कैके भोज नैकरल लवन्डी । कस्टोक ओकर हेलो के जवाफ नैआइल कलेसे उ गुनगुनाए । ओ कहे, बहुट भाउ खाइठ यार । एक अँखरा बोल्ना फेन पैंसा लागेहस् ।

जब ओकर गोसिनियाँ निडैठ्स्,ि उ च्याट शुरु करठ । गोसिनियाँ पटा पाइ कि कहिके मोबाइल साइलेन्ट मोडमे ढारे ताकि कौनो मेरिक आवाज नाआए । गोसिनियाँ करोट लेसे मोबाइल् झपसे बन्द कैके निंडाइलहस् करे ।

बठिन्यन्संग ओकर कहाँसमके च्याट करे कलेसे सुटेबेर का लगाके सुट्ठो कनासमके प्रश्न करे । बठिनियन छिः लाज नैलागठ् अइसिन बात करना कलेसे पुछ्लेसे का हुइ कहिके उल्टे जिटे । बठिनियनके च्याट बन्द हुइलेसे एसएमएस प्याक लेके म्यासेज पठाइ लागे । कबुकाल टे ब्यालन्स ट्रान्सफर कैके समेत च्याट करठ् ।

आब टे आउर उ औरे जिल्लामे सरुवा हुइल बा । उहिहे साँझ बिहानके समय कैसिक बिटाउँ कना हुइल बटिस् । साँझ सात बजेसम अफिसके इन्टरनेटमे झुलल् रहठ् । टबसे, एनसेल डाटा प्याक टे पलि बा । अइटि किल बिस्तारामे सुटके च्याट सुरु । रातके खाना पाछे टे फोने शुरु हुइठ । अश्लिल गफ ।

का टँु विचार कैले बटो ?
छिः, टुँ टे खत्तम मनै बटो ।
का खत्तम, दुई दिनके जिन्गी माटिमे मिल्ना हो । अब्बे जिन्गीके मजा नैलेलेसे कबलेना… । मनके चाहना जत्रा कुण्ठित कर्बाे ओत्रे घातक…। आदि आदि ।

उ परिवारसंग रलेसे फेन ओकर हाँठमे मोबाइल रहिस् । का का हो का का पटरपुटुर करटीरहे मोबाइलमे । एकदिन टे ओकर गोसिनियाँ फेन गुनासो करली ।

कत्रा मोबाइल खेलैना । कमसे कम परिवारसंग बैठ्लेसे टे समय डेहेपरठ ।
उ जवाफ घुमाइल, समाचार हेरटुँ का । का हुइटा, पटा नैपाइक परल ।
ओकर गोसिनियाँ जवाफ नैडेलिस् । अपन काममे लइगिन् ।

आझ हरिलालके आँखीमे निन नैहुइस् । घनिघनि ओकर गोसिनियाँसे करल प्रश्न डिमाग वरपर फेरा लगाइटिस् ।
कौन बठिन्याँसे च्याट करटो ?

उ सम्झठ्, गोसिनियाँसे उहिहे करल अत्यन्त गहिर प्रेम । उहिहे डेहल स्वतन्त्रता ओ सेवा । ओ सम्झठ्, रातदिन कबु फेन झन्झट नैमानके, सिहरा नैमानके करल काम उप्परके मुस्कुराइल विजय । उ अपन करल कर्तुत ओ गोसिनियाँसे करल कष्ट तुलना करठ । ओकर तराजुके पलरा उप्पर हलुक रठिस् । ओकर गोसिनियँक् पलराके तौल ढेर रठिस् । उ नापठ् अपन ओ गोसिनियँक् निनके गहिँराइ, ओ अपनहे बेचैन पाइठ् ।

गोसिनिया मस्त गहिँर निन्डमे रठिस । उ अपन गोसिनियँक् मुहारमे हेरठ, भित्रेसे मैयाँ जागे लगठिस् । अपन गोसिनियँक लिल्हारके ओठसे स्पर्श करठ । ओ कसम खाइठ्, आब कबु फेन अपन गोसिनियाँहे नैठागम् ।
अस्टेक्, बिगतहे भुल्टी, अपनके सुन्दर सपना बनैटी हरिलाल कब निंडाइल पटे नैपाइल ।
सोम डेमनडौरा


च्याट वाली

सोम डेमनडौरा