गजल
लावा जिन्गीक सुरवाट मजासे कैहो मोर दिदी ।
सक्कु जहन अपन दिलवामे सजैहो मोर दिदी ।
झै झग्रा नाइ कर्के मजासे रहहो ओ हाँठमे हाँठ,
ढार्के सक्कु घर परिवार बल्गर बनैहो मोर दिदी ।
एहोंरके चिन्ता नाइ लेहो हम्रे सब हेरढारब हेरो,
बस टुँ हम्रहन मजा मजा खबर पठैहो मोर दिदी ।
जिन्गी डगरा मन हर दुख पीडा आइठ उहिनसे,
लर्के, संघर्ष कर्के जिन्गीहे आघे बरहैहो मोर दिदी ।
कुछफे दुख परि टो मोर केउ नाइ हुँइट कहिके,
सोच्यो मनुवाँमे लागल बात टुँ बटैहो मोर दिदी ।
तिलक डंगौरा
जानकी–१ दुर्गौली, कैलाली