१२ मंसिर २०८०, मंगलवार
थारु अनलाइन रेडियो
मुक्तककोइ आके बडल डेहठैं जिन्गी ।कोइ खाके बडल डेहठैं जिन्गी ।यि जिन्गी सोंच्के अचम लागठ,कोइ जाके बडल डेहठैं जिन्गी ।अंकर अन्जान सहयात्रीजानकी ८ जबलपुर कैलाली