बन्जरिया : थारु समुदायके सैचिन

छविलाल कोपिला
८ श्रावण २०७८, शुक्रबार
बन्जरिया : थारु समुदायके सैचिन

बन्जरिया : थारु समुदायके सैचिन

जब बिहनियाँ घाम झुल्के लागठ् यहोंर बिहान बहुट सुन्डर लागठ् । लल्छौंर सोनहरा केरनि, सिटके बुँडा ओ फटिक् जोजन् । उहेसे यहजुन महिहे अभिन सुन्डर लागठ् । काट्टिक महिना ठोरचे घाम ठोरचे जार महिना । किसानके लग ढान कट्ना, बोक्ना, डैंना ओ ओसा फटकमे डेहरि भर्ना महिना । यिहे ओरसे फेन किसानके लग मन चम्पन हुइना महिना । यिहे महिनामे डसिया डेवारि फेन परठ् । डसिया डेवारि राहरंगिट कैना महिना फेन हो । नाट नट्कुर भेटघाट हुइना ओ सुख डुखके बाट् बट्वाके मन बह्लैना मौका जुरा डेहठ् डसिया डेवारि । यिहे चम्पन मौकामे कुछ डिन पहिले कञ्चनपुर जिल्लाके कृष्णपुर गाउँपालिका वडा नम्बर ६ बन्जरियामे हुइल कारेकरममे जैना मौका मिलल् । आझ उहे बन्जरिया ओ कारेकरमके बारेमे कुछ मनके पोक्रि बिठ्कोर्ना मन लागल् ।

हर लेखनके अपन पहिचान रहठ् । जेकार प्रभावके कारन लेखकके मन लुटठ् । बन्जरिया हर कोहिक मन लुटे सेक्ना सुगम गाउँ नुक्नार ठाउँ हो । जेकर खासा अन्हार मनैनमे पुगे नैसेकल हो । यि सन्चारके जुग हो । हाँठ, हाँठमे मोबाइल बा, घर घरमे रेडु बा । उहेसे एक डोसरसे चिन्ह पहिचान कैना ओ डुर डुरके बाट् लिरौसिले जानकारि लेहे डेहे सेक्जाइठ् । मुले, बन्जरिया यि बाट्से डुर बा । का करे कि बन्जरिया अपन गोरामे ठर्हियाके अपन सुखढाममे जियटा । कुहिसे हाँठ नफाइ नैजाइठो, कुहिसे ढोग, सलाम कैके कुछ मागक् फेन नैचाहठो । उ बन्जरिया हो । बन्जरिया बनके जियक चाहटा ओ बन्जरिया रैह्के जियक चाहटा ।

बन्जरिया यकर ऐतिहासिक पृस्ठभुमि खास का हो । खोजके बिसय हुइ सेकठ् । बन जरके बनल् गाउँ बन्जरिया हुइसेकठ् या गोरु बेंचुइया बन्जारा बैठल गाउँ हुइसेकठ् । किसानन् बर्डा बेंचे आइबेर उहे गाउँ डेरा बैठ्ना हुइना ओरसे बन्जरिया हुइसेकठ् । जा रहले फेन बन्जरियाके अपन ऐतिहासिक खिस्सा बटिस ओ अपन पहिचान फेन । बन्जरिया डुइठो बा । छुट्कि बन्जरिया ओ बर्का बन्जरिया । यि घर कुरिया गनके ठोर ढेर या कहि छोट भारि टोल हुइलक मारे छुट्कि बन्जरिया ओ बर्का बन्जरिया हुइल् हुइ । जारलेसे फेन यि डुनु बन्जरियक मेल डेख्के लोभ लागठ् । के उ गाउँक, के यि गाउँक भेउ पैना मुस्किल । सक्कु जाने अक्के गाउँक हस् लग्ना । उ गाउँक् बोलि सिट्टर, व्यवहार अभिन सिट्टर । लागठ् यि सक्कु अक्के घरक हुइँट् । संगे मिलके काम, टुँ उ करो, मैं यि काम करटुँ । सायड उ जबाना बरेबरे परयार रहे । सयौं जाने अक्के घरेम् रैहके फेन रिसावाडि कम ओ झगरा फेन कम खेल्ना थारुनके अपन स्वभाव रहिन् । संयुक्त परयार आब नैहो । उ अवस्था नैहो । आब छोट परयारमे जियक सिख रख्लि उहेसे संयुक्त परयारके कल्पना करे नैसेक्जाइ ।

समयसंगे हर समुदाय अपन पहिचानसे ढेर उप्पर उठ सेकल । थारु समुदायमे फेन ढेर उप्पर आसेकल । ओसिक टे समयक्रम संगे हर बाट्मे बड्लाउ आइठ् ओ हुइना जरुरि बा । प्रकृति फेन हरेक परानिनहे मोर कहल अन्सार चलो कहठ् । उहेसे स्वभाविक हो बड्लाउ । मुले बड्लाउमे मौलिकता रहना जरुरि बा । मौलिकता हेरागइल कलेसे ओकर अस्तित्व फेन ओराजाइठ् । यि प्राकृतिक नियम फेन हो । माटि माटिके मौलिकता टेक्के अपन पहिचानमे रहठ् पानी पानीके मौलिकताके रहठ् टब्बे टे माटि, पानी आउर आउर चिज फेन अपन पहिचानमे रठाँ । ओस्टक् नन्हें मनै फेन अपन मौलिकता रहना जो अपन पहिचानमे रहना हो ।

विश्वमे हजारौं जाट समुदायके मनैं बटाँ । हरेक समुदायके अपन अपन पहिचान बटिन् । अपन मौलिक कला संस्कृटि बटिन् ओ जिनगि जिना अपन सैलि बटिन् । नेपालमे फेन एक सयसे ढेर जाट समुदायक् मनैके बसोबास् बा । सक्हुन्के भुगोल, हावा पानी अन्सारके लवाइ खवाइ, पहिरन, चाल–चलन बटिन् । ओइने अपन ठाउँके अनुकुलता अन्सारके अपन कला संस्कृतिके विकास कैले बटाँ ओ अपनपनमे राहरंगिट कैटि आइल बटाँ । थारु समुदायक् नेपालके २४ जिल्लामे बसोवास बा । यि सक्कु जिल्लक् थारुनमे सांस्कृतिक एक रुपता नैहो । सक्कु जिल्लामे हस् कुछ ना कुछ अलग पहिचान, अलग संस्कृति बटिन् । मने कुछ थारुनके साझा संस्कृति फेन बा । जौन थारुनके जातिय पहिचान हो ।

बन्जरिया पच्छिउँहा थारु गाउँ हो । जो दाङ, बाँके, बर्दिया, सुर्खेत, कैलाली, कञ्चनपुर, कपिलवस्तु ओ कुछ हडसम रुपन्देही ओ नवलपरासीके साझा सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करठ् । उप्परके सक्कुहस् जिल्लाके ढेरहस् संस्कृति ओ भासामे एक रुपता बा । उहेसे पच्छिउहाँ थारुनमे मौलिक पहिचानके बन्जरिया एक नमुना बन्सेकठ् । का करे कि बन्जरिया अभिन फेन थारुनके पुरान कला संस्कृति सजोग लगाके बचैले बा । यि बाट् काट्टिक १७ गते हुइल बट्कुही सुन्ना, सुनैना कारेकरमसे प्रमाणित कैसेक्ले बा ।

लावा पुस्टा अपन संस्कृति ओर ओट्रा ढियान नैहुइन् । पुरान पुस्टा अपन उमेरसंगे मरहरके अपनसंगे रहल सिख्खा लेके चल्जैठाँ । यिहेसे संस्कृति ओ सिख्खा ओराजाइठ् । बन्जरिया, जहाँ अभिन पुरान पुस्टा ओ मझौला पुस्टासम अपन मौलिकटा बचाइल बिल्गाठ् मुले लावा पुस्टासम आके बहुट काम हुसेक्लक् डेखजाइठ् ।

थारु संस्कृति अपनेमे बहुट ढनि हो सुसंस्कृत मानजाइठ् । भेट हुइलेसे सेवा भेंट कैना, उँकवारभेट कैना, मानमर्जाड कर्ना, राहरंगिट कैना अपन अपन सैलि अपन चलन बा । मुले आझ यि चलन हेरैटि गइल बा । विस्व संचार, एक डोसरके संस्कृतिको प्रभावके कारन संस्कृतिमे फेन खिस्मोर्वा संस्कृतिके विकास हुइटि गइल बा ओट्रेकिल नाहि ढेरहस् अपन संस्कृति टे लोप हुसेकल । पहिलक् हस् हाँठले बजैना, अप्नहें गैना ओ नच्ना जबाना नैहो । मड्रा, झाल, कस्टार, बसिया, घुम्ना खोज्ना ओ गित मुखग्रे सिख्ना झन्झट कैनासे बन्लिक बनाउ बाजा गितके सुविस्टा हुगइल बा । जेहिसे आझक मनै गैना बजैना झन्झन कैना अल्स्याह हुसेकल बटाँ । उहेक् मारे अपन कला, संस्कृतिमे ओट्रा जिम्मेवार हुइना तयार नैहुइँट् ।

लेकिन बन्जरियाके कारेकरम एक नमुना बनल् । पहुनन्हे लेहे लेल्हार जैना चलन । डुरसे अइलक् पहुनन् भुखे, पियारे हुइहि कैह्के करुवामे पानि डेहे जैना ओ अँट्यावल, मिच्छाइल, सिहरल जिउहे डुखसुखके बाट् बट्वइटि अइना, ढेर जाने रहलेसे गिटबाँस गैटि अइना पुरान रिटभाँट हो । जिहिसे पहुनन्हे डेखाइल् मान ओ आत्मविस्वास बर्हठ् । ओट्रेकिल नाही घरे नान्के गाेंडरि, हुइलेसे सटरंग गोंडरि, डरिडुलैचा या खटियापर बैठाके पानि डेना, हाँठ–गोरा ढोइना, माखुर पिउयनहे हुक्का चर्हाके डेना चलन बा । घरक गर्ढुरिया पहुना सहेर्ना, भन्सरिया भातभन्सा हेर्ना ओ कोन्टिमे बैठके खैना खवइना चलन फेन बा । जो बन्जरिया यहाँसमके अपन रिटभाँटमे जिम्मेवारि पुरा कैल् ।

पहुनन्के मानमर्जाडके लाग, मच्छि मर्ना, मुस मर्ना, गेंक्टा कह्र्ना, घोंघी सुटहि कह्र्ना अलक पहिचान ओ मौलिकता बा थारु समुडायमे । जब खैना जुन हुइ टे कोन्टिमे बैठके नम्हरैनिक पटियक् डोनामे टिना डेना चलन बा । नम्हरैनिक् पटिया थारु समुदायके अलग पहिचान हो । आउर समुदायके मनै सखुवक् पटिया बेल्सठाँ मुले थारु ज्याडासे नम्हरैनिक पटियक् डोना छेड्जाइठ् । डोना फेन कैयौं मेरके रहठ् । भेंठिहा डोना, डैनाहा डोना (टुँर्याहाँ डोना) टुँर्हि टुरल डोना, डोस्टि टोना । भेंठिहा डोना झोट्नि बनाके टँगाइक लग छेड्जाइठ् । टँुर्याहाँ डोना डेउटनहे छाँके ढँरकैना, टुँर्हि टुरल डोना टिना खैना ओ डोस्टि डोना जाँर, मड पियक लग रहठ् । असिक मेरमेरिक डोनक् अलग अलग काममे बेलस्जाइठ् थारु समुदायमे । जौन आउर समुदायमे अइसिन चलन नैहो । उहेसे यि फेन थारु समाजके कोल्काहि पहिचान हो । बन्जरियामे टुँर्हि टुरल डोनामे मेरमेरिक टिना ओ डोस्टि डोना मड आइल । नम्हरैनिक पटियक् डोना किल नाहि टेपरि ओ पटरि फेन छेड्जाइठ् । ओस्टक् छटरि छैंनामे फेन काम लागठ् । बन्जरियामे नम्हरैनले छाँइल छटरि ओ पटरि नैबिल्गाइल् मने टेपरिमे रोटि चलाइल डेख्गइल् ।

बन्जरिया गितबाँस नाचकोरमे फेन आघे बा । सखिया नाच, हुर्डुङ्ग्वा नाच, झुम्रा नाच ओ सोंग अभिन छुटल नैहो । नाचकोरमे लावा पुस्टा आढुनिक नाच ओ डिजेमे नच्ना चलन बहर्टि रहल समयमे बन्जरियक ठाँरिया बठिनियनके सौक लोभ लक्टिक बा । ओइनके नाचेम् सौक, एकरुपता ओ क्रियासिलता जो चम्मन बनाडेहठ् । पुरान पुस्टाके साठ सहयोग अभिन सम्झना लायक बा । गितबाँसमे फेन एकसे एक लोक गायक बटाँ जे पुरान पुरान गित सुनाके मन सिट्टर बनाइ सेक्ना हैसियत ढैठाँ । माँगर, ढमार, ढुमरु, मैना, सजना सखिया, मघौटा लगाके गित राग राग गाइसेक्ठाँ बन्जरियक असलि लोक कलाकार । ओस्टक् समय जुगसंगे पहिरन, कुसाबमे फेन लावा चलन बडल गइल् बा । बन्जरिया फेन यि मामलामे चुकल नैहो मने जब कौनो कारेकरम आइठ् या कहि टरटिउहुवार आइठ् ढेरहस् जन्नि बठिनियन अपन मौलिक पहिरन लगैठाँ । यि फेन बन्जरियाके एकठो विसेसता हो ।

असिके बन्जरियाहे एकमुठ हरेबेर फुरेसे थारु सम्ुदायके एकठो सैचिन हो । यहाँ हरेक पुरानसे पुरान कला संस्कृति बचाके ढै्ले बा । जे थारु किल नाहि आम नेपालिनके लग गर्वके विसय फेन हो । नेपाल मेरमेरिक फुलक् एक सुन्डर फुलरिया हो जहाँ मेरमेरिक जाट समुदायके मनै बैठ्ठाँ । तराइके सक्कुहस् जिल्लामे बैठटि आइल थारु जाट फेन एकठो फुला हो । यिहे फुलाहे सुन्डर बनैमे बन्जरिया गाउँ फेन लागल बा । बन्जरिया अप्नेमे सुन्डर बा । मुले यिहिहे अभिन सुन्डर बनैना अभिन बाँकि बा । बन्जरिया होमस्टेके लग बहुट सम्भावना बोकल गाउँ हो । जेकर लग उप्परके पुर्वढार काफि बा । लर्हियामे सयर कैना, जंगल सफारि लगाके किस्टा योजना फेन बनाइ सेक्जाइठ् । जेकर कारन पर्यटक लोगनमे एक आकर्सन ओ आम्डानिक डग्गर बनेसेकठ् । ओस्टक् लावा पुस्टा पुरान पुस्टासे कुछ सिख्ना ओ पुरान पुस्टा लावा पुस्टाहे सिखैना जरुरि बा । ओट्रेकिल नाही समयसंगे कुछ बाट्मे बड्लाउ, आधुनिकिकरण कैना फेन जरुरि बा । सडाडिन उहे पुराने चिज डेख्नौस नैहुइसेकठ् । उहेसे समय सोहैना ओ अपन मौलिकता फेन नैहेरैना मेरके लावा संस्कृतिके विकास कैना जरुरि बा ।

बन्जरिया सांस्कृतिक छेट्रामे आघे रहलेसे फेन साहित्यिक क्षेत्रमे पाछे बा कना बाट् बन्जरिया साहित्यिक कारेकरम बटाइठ् । कारेकरममे बर्बट्टिसे डुइ जाने किल सहभागि हुइ सेक्लाँ । यि सोचहिँ पर्ना बाट् हो । सिर्जना कैना साँसट बाट् हो । मुले मेहनट ओ साढनासे सम्भव फेन बा । साहित्य बौद्धिक काम हो । उहेसे मानसिक अभ्यास जरुरि परठ् । कला, सिल्प ओ साढनासे जौन सिर्जना सुन्डर बनठ् । जेकर प्रभाव समाजमे परठ ओ समाज परिवर्टनमे जोर डेहठ् । उहेसे एकर भुमिका समाज बडल्ना फेन हो । अस्रा बा । अइना दिनमे बन्जरिया साहित्य क्षेत्रमे आघे बर्हे ओ सुन्डर सिर्जना सुने मिले । साहित्यिक कारेकरमसे चिर निंडमे सुटल बन्जरिया जागल् बा । आब लल्छौंर केरनिसंगे ओज्रार बनके चम्के । बन्जरियामे नुकल थारु समुदायक् सैचिन सक्कु जाने डेखे सेकिंट् । यि अभियानमे लागक् लग सक्हुन बन्जरिया बासिनहे अरजि बा ।
छविलाल कोपिला
लमही ८ मजगाउँ डेउखर दांग

बन्जरिया : थारु समुदायके सैचिन

छविलाल कोपिला