गजल
स्वार्थ मिललमे जुटल बटैं नैमिललमे फुटल बटैं ।
फुरेसे जैसिक टैसिक देशहे लुट्नासम लुटल बटैं ।
आब कुछ हुइ कहिके आशावादी रहिंट जनताफें,
बहुतमत सरकार रलेसेफेन सबके अस्रा टुटल बटैं ।
राष्ट्रपति नारी रलेसे फेन महिला हिंसा अस्टे होवै,
कहुँ बलात्कार कहुँ बोक्सिन्याँ अरोपमे कुटल बटैं ।
खुल्लम् खुल्ला नेंगठैंै गुन्डा तस्कर अपराधी फेन,
सोर्स फोर्स पहुँच मनै भर जेलसे फेन छुटल बटैं ।
लुटनासम लुटनै हर बहाना बना बनाके जन्तनहे,
सिंका टुरके फेन नैखउइयन गफ भर चुटल बटैं ।
संगम कुस्मी
कैलारी ८ डख्खिन टेंह्री, कैलाली