गजलके छन्कार

सागर कुस्मी
१ भाद्र २०७८, मंगलवार
गजलके छन्कार

गजलके छन्कार

जिन्गीमे बहुट यात्रा कैगैल । यात्रा करल सक्कु क्षण सम्झना कर्रा बा अब्बे । मने कौनो कौनो यादगार पल हरदम मन मस्तिष्कमे पलिरहठ् । बेला–बेलामे सम्झना अइटी रहठ् । हाँ ओहे यादगार फेन जिन्गीमे अविष्मरणीय क्षण हो । आझ यी पंक्तिकार फेन यी आलेखमे जोन्हाँपुरके संस्मरणमे केन्द्रित होके दुई चार शब्द, पंक्ति ओ हरफ कोरटुँ ।

बात २०७४ कुवाँर १६ गतेके हो । गृह जिल्ला कैलालीके धनगढीसे बिहन्नी ७ बजे जोन्हाँपुर कंञ्चनपुरके लाग यी ज्यान तयार हुइल । झोला झुन्टी लेके बसपार्कओर लगनु । धनगढी बसपार्कसे महेन्दैनगर जैना बसमे टिकट काट्गैल । लोकल यातायात जो हो । ठाउँ–ठाउँमे बसवालाके जिकज्याक । घनिघनि बस रुकके डिक्डार होगैल रहुँ । पहिचान खबर दैनिकके कार्यालय झलारी पुगट्सम ९ बज्गैल रहे । कुछबेर पहिचान खबर दैनिक कार्यालयमे अलमलागैल । पहिचान खबर दैनिकके सम्पादक डीबि कुश्मी व्यस्त रहिंट । समय निरन्तर आघे डौरटी गैल । डीबि कुश्मीहे चलि सर कनु टे कुछबेर रहिके जैम कलैं । टब बिमल चौधरी लेहे अइलैं टे, गीता चौधरी, रामु कुश्मी लगयत चार पाँच जे जोन्हाँपुर गाउँ ओर लग्ली ।

झलारी बजारसे जोन्हाँपुर गाउँ ६.५ किलोमिटर दुरीमे रहल पटा चलल् उ दिनके यात्रासे । हमार लाग कलुवाके व्यवस्था केले रहिंट बिमल चौधरी गाउँके होमरुटे समितिके सयोजकके घरमे । लोकल मुर्गीके बुट्टी, मसरीक दाल, उपरटेंरीके मर्चाके अँचार यी जिउ टे डबाके अघाइल । पहुना मर्जाड गोन्द्रीमे बैठ्ना डेना चलन अभिन हेराइल नैहो इहो बात फेन पटा चलल् जोन्हाँपुरमे ।

ओहोंर गाउँक् साखिया नाचके सखिन लंहगा चोलिया पेहके पहिचान झलकैले रहिंट । अपन भाषा, सास्कृति, साहित्य ओ रहनसहन लगाम डेखके यी ज्यान हुरुक्क हुइठ् । खेटुवा बारी, धानक् बाला पाकके झुलल् बिलगाए । किसान लोग अपन अपन खेटुवामे झुलल् डेखके गाउँक् याद फेन आए ।

पुरखौंसे खेती किसान काम कैके हुरकल मनैं यी पंक्तिकार फेन डसियामे अपन गाउँमे राहरंगी रहठ् । एक दिन हुइलेसेफें फरहुवा खेलाके मजा लागठ बारीमे पसिना चुहाके, साँझके जिउ सिहरावन एक पेक सुरकके कपुवा भात खाके जिन्गीके आनन्द लेना मजा लागठ् । टब जाक याद आइठ कि, आहा कत्रा मजा हमार पहिचान ।

ओहोंर कार्यकमहे समझके गजलकारनके सहभागीतासे जोन्हाँपुर गजल प्रतियोगिता २०७४ सुरु हुइठ । सुरुवातमे गीता चौधरीके संचालनसे सबके मन खिचल । कार्यक्रम अपन गतिमे चलिरहल । सब सहभागि लावा सष्टा प्रतियोगिनके गजल बाचनसे गदगदाहत तालीमे हेरागैली । लावा सष्टनके गजल सुनके अइसिन लागे कि यी फिल्मी सैलिम कायक्रम हुइटा । सोंचलहस से फेन मजा कार्यक्रम हुइल । सबके मन चौकस बिल्गाए । जोन्हाँपुर गाउँमे यी पहिल चो मेहफिल रहे । गजल प्रतियोगितामे १४ जाने भाग लेले रहिंट । कोइ गजलके सेरसे ब्याङग्य मारिंट टे कोइ गीतसे । यी माहुल डेखके लागे कि आब जोन्हाँपुरके लावा सष्टा जागल बटैं ओ कलम चलाइटैं । कार्यक्रममे नेपाली भाषी स्रस्टा फेन सहभागी जनाके कार्यक्रम सुन मे सुगन्ध हुइल रहे । समय अनुसार रचना सुन्के लागे कि आब डेस लावा मुहार फेरटा । कंचनपुरमे फेन लावा स्रस्टा बटैं । ओहे दिन पटा हुइल । कार्यक्रममे गाउँक् डाडुभैया ओ दिदी बहिनियन सबजे सहभागी जनैले रहिंट । कार्यक्रम गजब के रहे ।

कार्यक्रममे शुक्लाफाँटा नगरपालिका के प्रमुख दिलबहादुर ऐर के प्रमुख अतिथ्यमे हुइल रहे । ओस्टके कंचनपुर खेलकुद संघके उपाध्यक्ष, गोचाली परिवार कंचनपुरक सदस्य बीरबहादुर राजबंशी, वडा अध्यक्ष नरेन्द्र चौधरी, पहिचान दैनिकके डीबी कुस्मी, अर्जुन सिंह, गजलकार इन्द्र चौधरी, मोहन चौधरी, गीता चौधरी, सागर कुश्मी, गाउँक् भल्मन्सा, बुद्धिजिबी लगायत ढेरे जाने सहभागी जनेले रहिंट । हमरे सब जहनसे संग सहकार्य करे पैलक् ओरसे खुसी लागल रहे । प्रमुख अतिथि पुरे कार्यक्रम भर समय डेके कार्यक्रम के आकर्षण बर्हल रहे । संगे संगे आउर पहुना फेन कार्यक्रममे आइल रहिंट ।

कार्तिकके महिना खेटुवा धानक् बाला लहलह झुले । किसान फेन धान कट्नामे मचल रहिंट । कार्यक्रम सेकके थारु परिकार ढिकरी अँचार अन्डीक् भात के स्वाद फेन लेली । कुछबेर रहिके आधा घन्टासम कार्यक्रमके समिक्षा फेन हुइल । अइना दिनमे फेन हरेक बरस कार्यक्रम कैना निर्णय हुइल ।

आब टे बर्षौ होसेकल जोन्हाँपुर नैगैलक् । आब टे होमस्टे गाउँ फेन होसेकल बा । अझकल टे सांस्कृतिक कार्यक्रम फेन हुइठ् । सखिया, झुमरा, मघौटा, हुरडुंगुवा नाचगान हेर्ना मौका कहिया जुरि यी ज्यान समझटी रहठ । मनमे अस्टे अस्टे कल्पनाके छाल खेलटी रहठ् मोर ।

समय बिट्लक् पटा ैचलल् । हमरे सबजे अपन अपन गन्तव्य ओर लगली ।। जिन्गी बँचि कलेसे एक ना एक दिन जरुर पुगजाइ । संघरियन भेंट नैहुइल फेन ढेर समय होगैल । उ पल समझके हरदम झसकैटी रहठ । जिन्गीमे यात्रा करलक् कौनो पल अइसिन रहठ कि कब्बु भुले नैसेक्जाइठ् । सिरसरे पवना संगे मन फेन उरटी रहठ् रगरग रगरग ।

सागर कुस्मी

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