गजल
डफ बजैना ठाउँमे डिजे बजैबो कलेसे ।
औरेक भासा सँस्कृति अपनैबो कलेसे ।
टुँ थारु हुइटो कहिके के पट्याइ टुहिन,
अपन सरिरमे जिन्स पैन्ट लगैबो कलेसे ।
ढोटि भेग्वा लहंगा चोल्या सब हेराजाइ,
विदेसी पहिरन दिलसे मन परैबो कलेसे ।
बिसराइ जैबो पाछेके थारु भासा सँस्कृति ।
लर्कन छोट्टेसे बोलेक नाइ सिखैबो कलेसे ।
मै नेपाली थारु हुँ कहिके गर्व नाइ लागि,
अपन पहिचान टुँ अपनहि गुमैबो कलेसे ।
बलराम चौधरी
जानकी १ धर्मापुर, कैलाली