उठो जागो

असिराम डंगौरा
९ भाद्र २०७८, बुधबार
उठो जागो

कविता
उठो जागो

टुँ थारू अपनही अपन थारूट्व हेरवाइटो ।
डटसे मार पैलि कैहके जनटन डेरवाइटो ।।
भुलैना नाइहो दुख इतिहासमे लिखे परि ।
आब दुख बिलाप छोरके जोसहोसमे लरि ।।

सहलेउ पिर नुकालेउ आब आँखिक आँस ।
लरटि रहब जब सम रहि सरिरमे साँस ।
अगुवा बिन्टी बा नाबनो स्वार्ठीनके डास ।
सक्कु जग्गा छिन्नै छिन्हिं हमार घरबास ।।

जब टोर मोर पार्टी कैहके थारू फुट्नै ।
सट्टाढारी शासक थारून लुट्ना लुट्नै ।।
उठल थारू हकहिट अढिकारके अवाज ।
निकर्नै टमान थारूए मन्से ढोखेबाज ।।

मिठमिठ बाटसे जनटन आँढर बनाके ।
कट्टर थारून लैगिनै जंजीरमे कसाके ।।
टरे डबैना सोंचल सम्झल रचल साजिस ।
टीकापुरमे मौका मिलल घोर्ना लग बिस ।।

चलाक दलाल स्वार्ठीन इनाम मोटरकार ।
निर्डोस थारू अगुवान मिलल कारागार ।।
कब सम डबटी रहब फेर उठी थारू सब ।
मुन्टीम मुटे लग्नै डेखाइ थारूट्व आब ।।

कत्रा डबैली आब अवाज बुलन्ड पारी ।
अपन हकके लग एक परगा आघे सारी ।।
उठो जागो आब ऐ! मोर टीकापुर बासी ।
कब सम रख्बो मनमे डर पिरा उडासी ।।

सरकार हमार मट कडर ना बडर करल ।
निकर्ना समय आइल मनेक रिस डबल ।।
निर्डोस जंजीरमे बाँढल बा थारू बेटा ।
हमार लग लरूइया ओहे हो खास नेटा ।।

मिलके सब फेरसे आउ अवाज उठाइ ।।
अपन राजबन्डी अगुवान जेलसे छुटाइ ।।
एकचो छलकपट स्वार्ठसे उप्पर उठ्के ।
पक्का सफल हुब लरि सब थारू जुट्के ।।

असिराम डंगौरा
जोशीपुर ५ सेमराह्ना कैलाली
हाल गुजरात भारत

उठो जागो

असिराम डंगौरा