थारु समुदायमे अस्टिम्की : एक चर्चा
ओंरवा
नेपाल बहुजातीय, बहुभाषीय तथा बहुसंस्कृतिक मुलुकके रुपमे चिन्हजाइठ । यहाँ प्राचीनकालसे बहुट जातजातिनके वसोवास हुइटि आइल बा । उ जातजातिनके अपन मौलिक संस्कृति, रहनसहन, लवाइखवाइ, बोल्ना भाषा फेन फरक फरक रहल बा । यिहे विविधतामे हमार अपन पहिचान नुकल बा । यी लेखमे थारु जातिनके अस्टिम्की टिहुवारके बारेम कुछ बाट ढैना गेंह लगाइटुँ । अस्टिम्की मुलतः थारु समुदायमे जन्नी मनैनके लग हो मुले ठारु मनै फेन अपन सौक अन्सार मन्ना चलन बा । यी टिहुवारमे बरट बैठ्के मन्ना चलन बा । उहेकमारे उमेर पुगल मनै ढेरसे बरट बैठ्ठाँ । टे यी टिहुवार कैसिके मन्ठी टे ?
डट्कट्टन
अस्टिम्कीक पहिल दिन या बरट बैठ्नासे आघेक दिन भटौर (डट्कट्टन) खाइक लग दिनभरहस मछ्छी मर्ना चलन बा, मछ्छी आउर दिन फेन मारजाइठ । मुले उ दिनके मछ्छी मराइहे विशेष लेजाइठ । दिनभर मछ्छी मारके नन्लक मछ्छी ढेर रहलेसे बेरी जुन कुछ खैना ओ कुछ रातके डट्कट्टन खाइक लग बचा जाइठ । यडी उ दिन कौनो कामले या कौनो कारणसे मछ्छी मराइ नैहुइल कलेसे डटकट्टन फिक्कल हुइल मानके पस्टैना हुइठ । डट्कट्टन बेरी खाके अपन काम ढन्ढा उसारके सुटलक कुछ समय बाद या मुर्गी बोल्नासे पहिले खाजाइठ । डटकट्टनमे आउर समयक खानाले बिशेष मेरके बनाइल रहठ । उ समयमे मछछिक टिनाके संगे आउर मेरके साग स्यावाँर फेन रहठ । जौनकी बेटाइममे खाइबेर ढेर खाजाए कैह्के हुइ उ मेरके खाना तयार कैल रहठ । उ खैना काम मुर्गी बोल्नासे पहिलेँहे खाइ परठ । यडि केउ मुर्गी बोल्लेपर खाइल कलेसे उ डुठेहरु हुजाइठ ओ बरट बैठे फेन नैपाइठ ।
हस्तचित्र
अस्टिम्कीमे हस्तचित्र (घरक बहरीमे हाँठेले बनाइल चित्र) हे टिकके पुजा कैना चलन बा । उहेकमारे अस्टिम्कीमे यी अनिवार्य रहठ । यी बनाइक लग उ समयमे रंगके विकास नैहुइल रहे । टब ओइने पोइँक पाकल फारा निचोारके ओकर रसके लाल रंग ओ सेमक पटियक निचोारके काइल रंग बनाइँट । ओस्टक आउर आउर रंग फेन बनाइँट ओ बहरीक भिटा ढौरा माटी लेके घोट्टैलके पोटके ओम्हेँे चित्र बनाइँट । चित्र कृष्ण जीवनमे आधारित रहठ ।
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यी बनाइक लग पहिले बहुट मेर बुट्टाके घेरा बनाइल रहठ या अपन सौक अन्सार बुट्टा बनाइ सेक्ठाँ । उहे घेरा भिट्टर उ चित्र बनाइक परठ । यी चित्र बनाइक लग कौनो बिशेष कालीगढके जरुरट नैपरठ । यी चित्र बनाइक लग सामान्य सिख्नौटी मनै फेन बनाइ सेक्ठाँ । उ घेरा भिट्टर फेन तीनठो कोन्टी रहठ । ओकर उप्पर बिच्चे बिच एक्ठो छुटीमुटी डोसर कोन्टी फेन रहठ ओम्हे कृष्णक् चित्र बनाइल रहठ । चित्र बनाइक नैसेक्लेसे ओम्ने ‘श्री’ फेन लिख्जाइठ या मानौ मनैनके चित्र फेन बनाइल बिल्गाइठ ।
घेराके तीनठो मन्से उपरका कोन्टीमे बिजोर संख्यामे ठारु मनैके चित्र बनाइल रहठ । यी तीनठोसे लेके सातठो चित्र बनैना चलन बर्ही प्रचलनमे बा । मुले कुछ ठाउँमे नौठो समके चित्र बनाइल फेन मिलठ । मुले ढेर मेहनत लग्लक ओरसे ओट्रा ढेर बनैना चलन कम बा । यी चित्र कृष्णके टमान समय ओ रुपके प्रतीकके रुपमे बनाइल मानजाइठ । ठारुनके चित्र बनाइबेर पुट्ठामे मँडरा भिरल फेन बनाजाइठ । उ बनैलक कारण अपन सोह्र सय गोहिनहे नचाइकलग बसिया किल नै मँडरा फेन बजाइँट कैह्के आभास मिलठ । ओस्टक बाउँ पाँजर कोनवाँमे जोन्हियाँ ओ डाहिन पाँजर दिन (सूरज) के फेन चित्र बनाइल रहठ ।
ओस्टक ओकर टरक कोन्टिम उप्पर संख्याके बराबर जन्नी मनैनके चित्र बनाइल रहठ । उ चित्र कृष्णक सोह्र सय गोपिनीनके प्रतीकके रुपमे बनाइल रहठ । ओइनके आँगर पाँजर सोँगियनके फेन चित्र बनाइल रहठ । कृष्ण अपन गोहिनहे नचाइबेर सोगियनके फेन जरुरट परठ कैह्के सोगियनके चित्र बनाइल हो ।
कलेसे कौनोमे पाँचठो छाता ओर्हल ठारुनके चित्र बनाजाइठ । यी पाँचो पण्डवनके प्रतिनिधित्व कैल मान्जाइ । छाता ओर्हलक कारण उ बनिवास गैलक ओरसे टमान विपत्तिमे या घाम पानीसे बँचक लग बनाइल हो । ओस्टक नन्नहेँ टरक कोन्टिमे बन्ढुक बोकल ठारुनके जो चित्र बनाइल रहठ । उ सौवा कुवरनके (कौरव) प्रतिनिधित्व करठ जौन ओइने लडाइ भिराइ या मारपिटके अपन राज करक खोज्लग चरित्रके बर्णन करे खोज्लक बाट हुइ कना लागठ । सब्से टरक कोन्टि जौन उपर डुनु कोन्टि लेके यी कुछ भारी रहठ । यम्हे यी मेरके चित्र बनाइल रहठ ।
रोइना
सब्से पच्छिउँ ओर बनाइल रहठ । उ तत्कालिन समयमे रोइनाहाँ स्वाभाव हुइलक एक पात्रके रुपमे डेखा पर्लक ओरसे उहिहे सक्कु जाने हेलाही कैठिस ओ ओकर आँजर पाँजरके सक्हुनमे टिक्हीं मुले ओकर चित्रमे केउ नैटिकठ । ओकरमे टिक्लेसे रोइनहाँ लर्का हुइठाँ कना जनविश्वास बा थारु समुदायमे ।
डोली
डोलीभिट्टर बासुदेव, डेउकी ओ बिच्चेमे अपूर्ण कृष्णके चित्र बनाइल रठ । (जब रातके मुर्गी बोल्ही टब घरक अगुनियाँ आनक बारीमनसे चोराके नन्लक कैठा पुजके अपूर्ण कृष्णहे पूर्ण बनाजाइठ या कृष्णक जलम हुइठ कैहके बुझे परठ ।) जब कंस डेउकीक कोखसे साटौं लर्का कहुँ पटकके कहुँ झटकके मुवइलक ओरसे आठौं सन्तानके रुपमे जल्मटी रहक कृष्णहे सुरक्षित ठाउँमे जल्माइक लग डोली बनाके यमुना लडियक ओह्पार लैगैलक हुइ ।
कजरिक बनवाँ
कृष्ण अपन लालाबाला (गोरु बछरु) चरहाइ लैजैना बृन्दावनहे कजरिक बनवाँ कैह्जाइठ । महा कज¥यार हुइलक ओरसे कजरिक बनवाँ कैहगैल हुइ ।
फुला
कृष्णक सोह्र सय गोहिन रहिन ओइनहे प्रेमके प्रतीकके रुपमे डेना फुला उपहारके रुपमे फुला बनाजाइठ ।
मँजोर
कृष्णक मन पर्ना चिरंै मँजोर हुइन । टबमारे अस्टिम्कीमे मँजोरके चित्र फेन बनाजाइठ ।
लाउ
पृथ्वीमे महाप्रलय हुइल बेला जौन मेरके विष्णु डोनापर सवार कैके यहोँर ओहोँर जाइँट । उहेकमारे अस्टिम्कीमे फेन लाउ बनैना चलन बा । केक्रो कहाइ जुन कृष्णहे सुरक्षित ठाउँमे लैजैना क्रममे यमुना लडिया नाघेबेर उहे लाउ नाँघके ओह्पार लैगैलक हुइँट् कैहके कहाइ बा ।
रोइनी मछरिया
जब सृष्टिकर्ता यी पृथ्वी सृष्टि करे लागल टब जल (पानी) ओ थल (जमिन) बनाइल । पाछे पृथ्वीमे मत्स्य अवतारके रुपमे रोइनी मछरियक् जलम हुइल ओरसे अस्टिम्कीमे फेन एक कोनवाँ ठाउँ रोइनी मछरिया पैले रहठ ।
हर जोट्टी रहल मनैयाँ
टमान समयसंगे मानव जीवन यापनके लग खेतीपाती कर्ही पर्ना हुइलक ओरसे मानवीय जीवनशैली, कृषि प्रणालीके झलक डेहठ ।
पुरैनिक पाटा
सोह्र सय कृष्णक गोहिन लहैना ठाउँ जहाँ सुन्दर पुरैनिक फुला रहे ओ ओइने फुलक संगे कंचन पानीके मोहित हुके लहाइँट उहे मौकामे ओइनके सक्कु लुगरा नुक्वाके कृष्ण मजाक करिंट ।
मुर्गा
समयबोधक पन्छी जेकर बोली सुनके मनै समयके निधारण कैठाँ । उहे अस्टिम्की फेन समयभिट्टर सक्कु काम करे पर्ना हुइलक ओरसे मुर्गक फेन बरवार भुमिका बटिस ।
सख्ली कुकनिया
बनिवासमे रात विरात यहोर टहोँर सुटे पर्ना हुइलक ओरसे पहरेडारके भुमिका सख्ली कुकनियक या कौनो फेन ठाउँमे पहरेडार सुरक्षामे लग कुक्कुरके फेन बरवार भूमिका रहलक ओरसे सख्ली कुकनिया अँगनामे रहल बरवार रुखवामे बाँढल रहठ ।
ओस्टक नन्हे हाँठी, घोरी, बाँडर चिरैचुरंगन, साँप, गोजर, कृष्ण बनिवास गैल समयमे बहुट मेरिक अवस्थामे सहयोग कैलक ओरसे ओइनके चित्र बनाजाइठ । जस्तट हाँठी, घोरी आदि जानवर लडाइमे सहयोग, चिरैं सन्देश पुगैना नन्ना, बाँडर फलफुल नान्के भोजन खवइना, पिवइना सहयोग कैना आदि । अस्टिम्की दुई मेरके रहठ । बरका ओ छुटकी डुनुमे चित्र उहेउहे रहठ मुले दिनभर भुख्ले रहुइयन बरका अस्टिम्की टिक्ठाँ कलेसे छोटछोट लर्का अस्टिम्की रहक खोज्ना मुले भुँखक मारे रहे नैसेक्के खाके फेन अस्टिम्की रहुइयनके लग छुट्की अस्टिम्की बनाइल रहठ । आकारमे छुट्की अस्टिम्की छोट रहठ ।
सामाजामा
जब सन्झा हुइठ या दिन बुरेबुरे करे लागठ । अस्टिम्की बनैलक घरक सब्से भारी मनै (अगुनियाँ, महटिनियाँ) अस्टिम्की बनैलक बहरीहे सुग्घुरके गोरुक गोबरले गोबराके, अपन सेकट सटरंग गोँडरी, पटकी, ढँचिया गोँडरी बिछैठाँ, जम्हेँ टिके अउइयन चाउर ढैठाँ, ओस्टक आवश्यक पर्ना सामाजामा जुटैठाँ सर्री धुप, मस्का मिलाके, सेँडुर लोटामे पानी ओ दुइठो घोघा सहिँट्टे जरउँखार मकै अस्टिम्की बनैलक पच्छिउँ पाँजर ठर्हिवाके ढैठाँ ।
टिके जाइबेर
टिक्नाजुन हुइटे अस्टिम्की रहुइयन सुग्घुरके लहाके लावालावा लुगरामे सँपरके टठियामे एक माना चाउर, कैँटी खिरा, खिरा नैरहलेसे कुढरु, नन्गी, भक्कु, लगायतके फलफुल ओ बिच्चे माटिक चापर डिया (करु तेलले सुँगल) लेके गाउँक मह्टान या जौनघर अस्टिम्की बनाइल रहि उहे घर जैठाँ । ओहाँमे गाउँभरिक या टोलभरिक टिकुइयन जुटल रठाँ, ओँहोँर हेरुइयनके फेन ओट्रे भिर रठिन । जब घरक अगुनियाँ । सक्कु जाने आइल पटा पाइटे पहिले अप्ने अस्टिम्की टिकक सुरु करठ । सब्से उप्पर बनाइल कृष्णक चित्रठनसे सुरु कैटी अस्टिम्कीमे बनाइल सक्कु चित्र सेँडुरले टिकठ । मुले रोइनाहे भर नैटिकठ । कोइकोइ भर खिट्राइबुढि रोइनक्मे फेन टिक डेठाँ । खिट्रैना काम ज्याडासे भोज कैल लर्काेर जन्नी कैठाँ । टिकके सेक्ही टे पँज्रे ढैल सर्री धूप आगीमे चर्हके अग्यारी डेठाँ ओ एकबेर डाहिन ओ एकबेर बाउँ पाँजरसे पानीले परछके अपन नानल चाउर ओट्ठेहेँ बिछाइल गोँडरीमे पटनिक पाँहाँटके ढैठाँ । चाउरक आँजर पाँजर भेँठी सहिँट्टे पटियाले सेँर्हल खिरा ढठाँ ओ उप्परसे माटिक डिया । यडि डिया हलहिल्ले बुटल कलेसे डुठेहरु कैह्के खिट्रैठाँ । अस्टक पालिकपाला सक्कु टिके अउइयन टिक्ठाँ । ओहोँर छुट्की अस्टिम्की रहुइयन फेन उहेमेर प्रक्रियासे अपन अस्टिम्की टिकके ओर्वइठाँ । जब सक्कु जाने टिकके सेकहीं टब गाउँक लर्का खिरा काटे आइल रठाँ ओइने खिरक चोँटी काटके अपन उठाइल ठाउँमे ढैठाँ ओ खिराभर अस्टिम्की हेरे आइल मनैनहे बँट्ठाँ ओ उबरल अपन घरे लैजैठाँ ।
फलाहार भोजन
अस्टिम्की बिशेष कैके फलाहार टिउहार हुइलक ओरसे फलफुल किल भोजन कैजाइठ । उहेक अपन घरमे फेन ज्याडा खैना फलफुल तयार कैले रठाँ । खैनासे पहिले खैना कोन्टि सुग्घुरके गोबराके सर्रीक धूप ओ आगी ढैठाँ । ओस्टक बैठ्ना पिर्का या कठवक कौनो चिजमे बैठ्ठाँ । अपन आघे रहल सक्कु चाजमेसे ठोरचेठोरचे चिकुटके सर्रीक धुपमे सानके अग्यारी डेठाँ ओ डाहिन ओ बाउँ पाँजरसे बिजोर पटक परछके सेक्के सक्कु मनसे कुछ भाग अग्रासन कर्हठाँ । जौन अपन चेलीबेटिन घर डोसर दिन डेहे जैठाँ । यी सब कैके खाइक शुरु कैठाँ । सन्झाके खानपिनमे अम्रुट, खिरा, केरा, चिनी, पानी, दही, स्याउ, नासपटी आदि रहठ ।
अस्टिम्कीक गीत
सक्कु जाने अपन खानपिन ओरवाके फेन अस्टिम्की बनैलक घर अइठाँ । जहाँ अस्टिम्कीक गीत रातभर गैठाँ । गीत ठाउँ अन्सार कहुँ जन्नी मनै गैठाँ कलेसे कहुँ ठारु । डेउखरमे ठारु गैठाँ । अस्टिम्की नैरहुइयन रातभर जाँर डारु पिटी गैठाँ कलेसे अस्टिम्की रहुइययन फलफुल खाके कच्चे आँख बिहान कैठाँ । जौन गीतके कुछ अंश यी मेर बा ।
पहिलेटे सिरीजल जल ठल ढरटि ।
सिरीजिटे गइला हो कुसाकइ डाभ ।।
अस्राइ
जब मुर्गी बोल्ठाँ । घरक अगुनियाँ । अस्टिम्कीक डोलीमे बनाइल अपूर्ण कान्ह सिरजाइक लग आनक बारीमनसे कैठा चोराके नाने परठ । चोरल कैठक पुजा कैके उ कान्हंैहे सिर्जैना या जलम डेना काम डेहठ । मुर्गी बोल्टी किल खैना बन्द हुजैठिन अस्टिम्की रहुइयनके लग । यहोँर अस्टिम्की रहुइयनहे हडबद्दी बर्हठिन । ओइने अस्राइ जाइक लग टेपरी छेडे उठ्ठाँ कोइ गीत सुने अउइयन ओँहे गीत सुन्ना ओ टेपरी छेड्ना काम कैठाँ । टेपरी साधारण टेपरीसे बिशेष प्रकारके रहठ । टेपरीमे पटियक पाँच या सातठो डिया जोरल रहठ । भिन्सारे हुइठ सक्कु जाने फेन अस्टिम्की बनैलक घर सक्कु जाने जुट्ठाँ । सक्कु जाने जुट्टीकिल अपन चाउरक उप्पर ढैल खिरक चोँटी ओ पटिया उहे टेपरीमे ढैठाँ । माटिक डिया संगसंगे पटियक डिया फेन सुँगैठाँ । जब अगुनियाँ अपन सर सामान तयार कैके निकरठ आउर जाने फेन निकरठाँ पाछेपाछे । कौनो घाट, लडिया, कुलवामे जाके उहिहे अस्रैठाँ, ओँहे लहैठाँ ओ अपन मनके कामना पुरा हुए कैहके कृष्णसे अरजी कैठाँ ।
फरहार
अस्राके उहेँ लहाँके सक्कु जाने अपनअपन घरे आके खँरिया, फुलौरी, पोँइक् ओ झिलंगीक ठुसा, सुखाइल मच्छिक टिना, भात निँढ्ठाँ । जब तयार हुइठ टब फरहार करक लग तयार हुइठाँ । फरहार करेबेर फेन साँही जुनिक नन्हेँ । तयार हुइल खाना अग्यारी डेके सक्कु चाज निकरठाँ अग्रासनके रुपमे ।
अग्रासन
ओइने खापिके घर ढन्ढा उसारके अग्रासन अपन डिडी बहिनियन घर डेहे जैठाँ । जब ढेर दिनसे अपन डिडी बहिनियनसे भेंट हुइठिन टे अपन डुख्नासुख्नाके बाट् बट्वइठाँ । मान मर्जाड कैठाँ । थारु समुदायमे डारुजाँर, सिकार ओ बहुट मेरिक टिना खवा पिवाके सम्मान कैठाँ । भेंटघाटसे अपन मनमे लागल पीर व्यथा सुन्ना सुनैना टे हुइठहि ओस्टक भावनात्मक सम्बन्ध फेन गहिंर बनाइठ अग्रासन ।
निम्जौनी
अइसिके विधिवत रुपमे अस्टिम्की ओराइठ । पहिलेकसे अझकल अस्टिम्की ढेर बडल सेकल आउर टिउहारके नन्हे अस्टिम्की फेन विकृतिसे बँचल नैहो । बहुट जाने आधुनिकताके नाउँसे फजुल खर्च कैटी आइल बिल्गैठाँ । कोइ पुरान संस्कार हटैना नाउँमे । आझके अवस्था रुढ संस्कारहे बगाके प्रगतिशील संस्कार निर्माण कैना स्वभाविक हो । मुले संस्कार बडल्ना नाउँमे उहिसे अभिन खर्चहा, महंगा, भरकाव पूर्ण, समाजमे पचे नैसेक्ना मेरके संस्कारसे समाजमे बरवार नाकारात्मक असर पारठ ।
आझ हमार समाजमे जे धनी बा ओइनके घरमे सबकुछ बटिन ओइनहे कौनो चिन्ता नैहुइन खर्च कैनामे । मुले जेकर घरमे दिनभर बिना काम कैले साँझ बिहान खाइ नैपुगठ, ओइनहे फेन टिउहार मन्ना रहर बटिन । रहरके मारे आउर जन्हुनहे डेखासिखी ऋण सापट खोजके टिउहार मनैनासे ओइनहे ऋणमे जरुर डुवाइ । ओस्टक पस्टैना फेन बनाइ उहेकमारे अपन घरमे जा हुइले सन्तोष करि । टिउहार कम खर्चमे फेन माने सेक्जाइठ । अपन मनके सन्तुष्टि हि बरवार बाट् हो । उहेसे अपन आर्थिक अवस्था हेरके अपन हैसियत हेरके टरटिउहार मन्ना परम्परा बैठाइ यम्नेँहे अप्नेक् हमार कल्याण बा ।
छविलाल कोपिला
लमही ६ उत्तर मजगाउँ, डेउखर दांग