बिस्राइल डगर

संगम चौेधरी
१५ भाद्र २०७८, मंगलवार
बिस्राइल डगर

कथा
बिस्राइल डगर

साँझ परठ ढिरेढिरे अंढारफेन हुइटि जाइठ । राट छिप्टि जाइठ । गाउँ सुनसान हुइटि रहठ । डग्गरमे नेंगना मनैनके कमि हुइटि रहठ । जहाेंर टेहाेंर कुक्कुरिनके भँुकाइ ओ रुवाइ सुन मिलठ । बनुवाँओर गिडारिनके बगाल बोल्ठंै । सब मनै अपनअपन कोन्टिओर लागजैठैं ।

सपना फेन अपन सक्कु काम उसारके सुट्ना कोठाओर लग्ठिन । पठ्रि बिछाके नम्मा साँस लेटि पठ्रिम सुट्ली । एकओर जुगुरजुगुर बर्टि रहल डियाहे हेिर्ट रहि सपना । आँखीभर आँस भरगैल रहिन । डुनु आँखिक कोन्वाँओरसे आँस बहटिहिन । बरे गहिर साेंचमे बुरल रहि सपना । सायड बिटल डिनके याड आइटहिन सपनाहे । सुनसान कोठम् पठ्रिम अक्केली एहाेंर ओहाेंर करोट लेहटहि । अपन सुटल कोठामे चारुओर लटटजर घुमाइटहि सपना । घरी अपन सुरमे घुम्टि रहे । आढा राट होजाइठ सपनाहे निंड नैपरठिन । सपनाके लजर किरणके फोटोमे परठिन । सपना झलझली सम्झठि किरणके संग बिटाइल डिन ओ अपन बचपनके याड ओ जवानीसे लेके किरणके संग रहल ओ विछोड हुइलसम डिनके ।

सपना सुखि परिवारमे जल्मल लवन्डी रठि । डाइबाबा डाडुभैयाके मैयाँमे हुर्कल । परिवारमे अक्केली बहिन्याँ रहि । कुछ कमि नै रहिन सपनाके । ज्या चहलेसे सब चिज पुरा करडिन सपनाके । डाइबाबा डाडुभैया सबजे यहे सोचिन एकडिन टे पराइ घर चलजाइ सपना जब सम टब समकिल टे हो इहिहे डेना ओ खुशी करैना पाछे कब मिलि कैह्के सपनाके घर माग पुरा करिन सपनाके । जहाँ घुमे जैना मन लागिन ओहैं जाइ पैना । बहुट रमाइलो रहिन जिन्गी सपनाके ।

सपना डेखैनामे फेन बहुट सुग्घुर रहिन । सब चिज मिलल ठिक्के परल जिउ, साँवरमे सँवारल रहि सपना । कजरार आँखि हेर्टि सोहावन । सुन्टि मजा लग्ना बोली नरम मिठास । हाँस हाँसके बटवइना हुँकार चाल टे आउर मजा रहिन । सपनाहे डेख्के हुँकार रुपके प्रशंसा कर्ना वालाके कमि नैरहे । सबजे सपनाहे डेख्के खेल्वार करिट । सपनाके रुप रंग चालसे सब डिवाना होगैल रहिंट । सपनासे सँगे बैठके बाट कर्ना खैना घुम्ना चाहिंट हर कोइ । बैस भरल जवान सपना सारा जहन अपन उप्पर मोहिट कैले रहि ।

सपना विपरिट लिंगिनसे आकर्षिट होके जेडा समय ओइनसे बिटाइ लग्ली । यी सब क्रियाकलापसे सपनाके घर परिवार सपना बिगरटा कैह्के हुँकार भोज किरणकेसंग करडेलिन । मने सपनाके बानी नैछुट्लिन । किरण सपनाके चालीबानी जानके फेन सपनाहे मैयाँ करके गोसियाके असल भूमिका पुरा कर्ना सोंचिट । कबुकाल्ह टे यी सब डेख्के किरणहे मजा नैलागिन ओ सम्झैना कोसिस करिन मने सपना रिसाके जवाफ घुमाइन । मै का करटुँ महि पटा बा महि अपन जिन्गी खुड बनैना बा । मी स्वटन्त्र जिना अढिकार बा कैह्के किरणसे रिसाके जवाफ डिइन । किरण सपनाके बाट क्रियाकलाप हुँकार चालीबानी सुनके कपार झुक जाइन । घरे आके सपनाहे सम्झैना प्रयास करिंट उल्टे सपनासे डुइचार बाट कहुवा मिलिन । किरण कुछ करे नैसेक्के चुपचाप कोन्वाँमे जाके रोंइट ।

डिन अस्टे बिट्टि रहिन किरणके । सपना अपन डुनियाँमे मोजमस्टी कर्टि नेगटहिन । बिहानिक निकरल साँझके घरे अइना । घरक सारा काम किरण करिंट । खानपिनसे लेके भन्सा कर्ना ओ सपनक् ओ अपन लुग्गा ढोइनासे लेके घरक सारा काम किरणके हाँठेम रहिन । सपनाहे केवल अपन ख्याल रहिन । अपन सुट्ना कोठाहे सजैले रहि । कोठक् चारुओर अड्रिक अड्रिक फुला, टेबुलमे अड्रिक अड्रिक ब्राण्डके क्रिम ओ सिंगारके सामानले भरल रठिन । मलमलके ओर्हना बिछौना एकओर किरण उहे बिछौना उहे ओर्हना, टुटल खटियाके बिस्टारा रठिन ।

सपना किरणकेसँग रहे नैसेक्के एक राट अपन सुन्डर घर अंगना डेउटा जसिन गोसिया किरणहे छोरके निकर गैलिन ओ डुर सहर बजारमे डेरा लेके बैठे लग्ली ओ छोटमोट होटल खोल्के बैठगैली । होटल मजा चल्ठिन । खैना पिनासे लेके सबचिजके मजा व्यवस्ठा रलेक ओरसे ग्राहकनके भिरभार रठिन होटल । सपना खैना पिनासे लेके अपन रुपरंंग अपन जवानीके फेंन व्यापार कर्टि गैलिन । सपना केवल मोजमज्जा, रुपैया, पैंसामे रमैना चहली ।

डिन, महिना, साल कर्टि बहुट बरस बिटगैल । समयसंगे सपनाके उमेर फेंन छिप्टी गैलिन ओ जवानी ढल्टि गैलिन । रुपरंग सुन्डरटाके कमि हुइटि गैलिन । सायड यहे कारणसे सपनाके व्यापार फेंन कम हुइटि गैलिन ओ सपनाके सुन्डरटाके प्रशंसा फेंन कम हुइटि जाइटहिन । असिन समयमे सपनाके मनेम निरास नैअइना टे बाटे नैहो । जवानीमे ग्राहकनसे भरल रना होटल आझ काहे सुनसान ? कैह्के मनम प्रश्न आइन् ।

खैनापिना सब उहे बा केवल मोर छाला पुरान होगैल । उ डिन मोर होटलके खैना पिनासे फेंन मोर रुप रंगके कारण मिठ लागिन । आप सब टिट होगैलिन का । कट्ना स्वार्ठी मनै बटैं यी डुनियाँमे कैह्के अनेक बाट सपनाके मनेम खेल्ठिन । अस्टे बाट मनेम खेलैटि सपनाके हर राट बिट्ठिन । सपना बिटल पलहे सम्झठि ओ एहोंर ओहोंर नेंगठि । सिसाके आघे बैठके अपन सारा रुपरंग हेर्ठि । जवानीके रुप ओ आझके रुप बहुट फरक भेटैठि । सपना अपन प्रत्यक अंगहे छम्टि जवानीके रुपहे सम्झठि । उ डिन स्याउ जसिन गाल कैह्के कहिन उहे आझ नैरहिन । जोन हेर्टि सोहावन आँखि रहिन आझ नैरहिन । रेस्मी भुट्लाके चमक आझ नैरहिन । हेर्टि सोहावन लगना जिउ आझ सारा हेरागैल रहिन । अनेक सोंचाइ आइन । जिन्गी कसिके कटैना कैह्के । सपना जब अपन जीवनहे घुमके हेरि टे अप्ने आपहे जिन्गिक डगर बिस्राके बहुट डुर पुगल महसुस करि । जिन्गीमे सब चिजके अभाव हुइल महसुस पैठि सपना । ना गोसिया ना टे बाल बच्चा । जिन्गी सुनसान लागिन । अप्ने आपहे पुरा खाली लागे लग्लिन सपनाहे । बहुट अइलिन सपनाहे अपन डिलके रानी बनैना वाला । बहुट अइलिन जिन्गी भर साठ डेहम कना वाला लेकिन उ बाचा टे का उ मनै समेट के पटा नैहुइहिन ।

सपना उहे किरणहे सत्य मैयाँ ओ गोसिनियाहे करे पर्ना भूमिकाके याड अइठिन । खोब किरणहे सम्झठी सपना । एकओर डुनु गालेम आँस बहगैल रठिन । किरण प्रटि करल नैमजा व्यवहार समझके सपना मुह फोरके रोइ लगठि । सपना एकहोरो कवाके अपन किरणके याड करे लग्ठि । सपना सारा जवानी व्यापारमे बिटैले रठि । सपना बरबरैटि रठि । सारा डुनियाँ स्वार्थी बा सब कुछ बेच्नु मने उ मनै कहाँ हेराइल । कोइ पटा नैरहे । महि मैयाँ करुइया महि डुलहि बनैना बाचा करल मनै कहाँ गइलैं ? सपना यी सब बाट समझके रोइन ।

सपना अपन डेंउटा जसिन गोसियाहे ढोखा डेके, छल कैके राटके सुटुकसे छोरके घरेमसे निकरके गैलक राट समझलिन । निर्डोष किरणहे करल व्यवहार समझके टपटप आँस गिराइ लग्लिन । कहाँ हुँइहि किरण बिचारा किरणहे बिना कारण डोष लगैनु । गल्टि सारा मोर रहे अपन गोसियाहे चिन्हे नैसेकल रहुँ । जे घरक मुल खुँटा रहे जे मोर जिवनके अर्चन रहे, उहिहे मै कौनो मोलके नैठन्नु । आझ मै जीवनके सिमा नहांगके अट्रा डुर पुग्गैनु । अपन इज्जट बेंच ढर्नु । अपन सारा जवानी बेंच ढर्नु । महि जीवन भर साठ डेम कहुइया, मोर संग राट बिटैना, सुख डुःखमे साठ डेम कहुइयन सारा जे हेरागैलैं । अपन मनै फें महिसे डुर होसेकल बटंै । मै अपन इच्छा, अपन मोजमज्जाके लाग आघे पाछे नैहेर्नु । आझ मै यी अवस्ठामे पुगल बटुँ । यडि अपन डाई बाबाके कहल मन्टु अपन श्रीमान्के कहल मन्टु कलेसे आज मही यी डिन डेखे नै परट मै। कसिके डेखाउ अपन मनैनहे अनुहार कसिक बोलुँ कहटि सपना अपन सारा गल्टिसे पस्टैटि कठि असिन सहरमे कहाँसम बैठेसेकम ना कौनो नाट ना कौनो अपन मनैं ।

सपना जिन्गीमे अक्केली महसुस कर्टि रठिन । यहे क्रममे सपनाहे अपन संगे पह्रलक बहुट मिल्ना संघरियाके याड अइलिन । उ संघरिया बरे मजा, मिल्सार, नरम स्वभावके संसंरिया रहिन । संगे रना, मनक् सुख डुःखके बाट साटासाट कर्ना, खेल्ना, घुम्ना खैना, सुट्ना संगे । राहेल नाउँ रहिन उ संघरियक् । राहेलके कहल बाट सपनाके मनेम घुमे लग्लिन । सपना जब जिन्गिमे हार खैबो या जिन्गि टिट लागि, डुनियाँ टुहिन घृणा करि या इन्कार करि कलेसे जिन्गिमे अक्केली महसुस कर्बो कलेसे हम्रिहिन प्रेम करुइया संसारके ज्योटि उपरवालाहे अपन जिन्गिक साहारा बनालेहो । जे हमार जिन्गिक ख्याल करठ । उहाँके प्रटिज्ञा करल बचनमे विस्वास करहो । जहाँ जीवन बा, पाप क्षमा बा, मैयाँ जो मैया बा, शान्टि बा, अनन्ट जीवन बा । कलक बाट सपनाहे याड अइलिन ओ आँखिक पल्कामेसे टपटप आँसक् बुँडा गिराइ लग्ली ।

सपना अपन मनहे घुमैलि ओ अपन जीवनहे लावा बनैना सोंच बनैलि । फेनसे लावा जीवनके यात्रा सुरु कर्ना लावा घर सजैना अपन मनके मन्डिरहे फेंनसे सजैना सोंच बनैलि सपना । मै ओहंै जैम जहाँसे मोर जिन्गिक सुरुवाट हुइल रहे । मै घुमके ओहंै जैम ओ फेनसे अपन लावा जीवनके सुरुवाट करम । मै अपन गोसियाके डासी बन्के रहम । जिन्गि भर उहाँके सेवा करम, अपन डिलसे सारा मनसे गोसियाहे मैयाँ डेम कहिके सपना अस्टे अस्टे बाट साेंच्टी राटके निंडा जैठि । झसक्के जग्ठि उहे किरणकेसंग रलक, फेनसे किरणकेसंग भेट हुइलक ओ अपन मनक बाट सुनैलक सपना झसक्के जग्ठि मने अप्ने आपहे अक्केली पैठि । सपना गालेम बहल आँस पोछ्टि किरणके मैयाँ करल कल्पना कर्ठि । आझ किरण मोरसंग राट कलेसे मोर बाहोंमे रटैं । महि मैयाँ कर्टै मने आझ बिस्टारा सुनसान बा । डेंउटा जसिन गोसिया नरम स्वभावके अपन काममे लागल रना । मने मै हँुकहिन कौनो मूल्यके नैसम्झनु । कट्रा मैयाँ करिट किरण महि मने मै हरडम किरणसे रिसाउँ । हुँकार बोली महि मन नैपरे हुँकार चाल मन नैपरे मने किरण महि डिलसे मैयाँ करिन । मोर चाहना फरक, सोंचाइ फरक रहे । मने मै किरणके ठन जैम ओ अपन सारा भुलके माफि माँगम । हुँकार पाउँ छुके हुँकार गोसियाके रहम । अपन दिलमे हँुकिन सजैम कैह्के सपना राट भर करोट लेलेके राट बिटैठी ।

सपना किरणके रना ओ किरणके संगे सारा जिन्गि बिटैना कल्पना कर्ठि । फेनसे लावा घर सुखी परिवार एक शान्टि परिवार बनैना डुइ सन्टान इश्वरके बरडान कहे हस छाइ ओ छावाके जन्म डेना सोंचे लगठी । एक नमुनाके परिवार स्ठापना कर्ना ओ लावा घरके सुरुवाट कर्ना । एक असल पटनीके जिम्मेवारी पुरा कर्ना ओ एकठो असल डाइके भूमिका पुरा कर्ना सोंचठी सपना ।

सपना झस्कठि ओ हडरबडर उठ्ठि जैसे कि उ घरेम कुछ हुइक् लाग बा जसिन । सपना अपन सरीरके सरसफाइ कर्ठि । अपन लुग्गा ओ सारा सामान झोलामे भर्ठि ओ टयार होजैठि । अपन जन्म स्ठान ओर । लावा खुसी, लावा उमंग छाइल जसिन रठिन सपनाके । अपन गोसिया किरणसे भेंट कर्ना ओ अपन जन्मल ठाउँ, अपन हुर्कलक ठाउँ जाइटहि सपना । उ ठाउँ जहाँ अपन हुर्कलक् खेल्लक् ठाउँ जाइटहि सपना । उहे ठाउँ जहाँ जवानीके प्रेमके सुरु हुइल रहिन । जहाँ खुसीके बहार रहिन सपनाके । उहे ठाउँ जहाँ सखिया, मघौटा, छोक्रा नाच होए । उहे ठाउँ जाइटहि सपना जहाँ पहिल प्रेमके सुरुवाट हुइल रहिन । उहे ठाउँ जाइटहि सपना जहाँ अपन सारा संर्घयन छोरके निक्रल रहि । सपना उहंै घुमके जाइटहि जोन ठाउँ हुँकार किरणके संग डुलहि बनके सजल रहि, उहे घर, उहे अंगना, उहे डवारमे फेनसे पैंला टेके जाइटहि । कबु बिस्रैहि नैसेक्ना रहिन सपनाके उ भोज । कत्रा रमाइलो क्षण उ बेलाके, आँखिमे आइटहिन उ याड सपनाहे । उहे किरणके लावा डुलहि बन्के बैठ्ना कल्पना बोक्ले रहि सपना । उ वर्षौसे बैठल ठाउँसे बिडाइ लेके अपन सारा सामान उठाके अपन लावा जिन्गिक यात्रा सुरु कर्लि ।

सपनक् मनेम् उहे डिनके याड आइटहिन जोन डिन अपन गाउँ घर छोरके गैल रहि । सोंचटहि कसिन हुइ मोर जन्मल गाउँ, कसिन हुइ मोर रमैलक्, खेल्लक् ठाउँ कैह्के सपनाके डिलमे छटपटि परल रहिन ।

जब सपना अपन जन्मल ठाउँ, अपन खेल्लक् ठाउँमे पैला टेक्ली ओ साराओर लजर लगैलि, सब कुछ बडलगिल रहे, आप पहिल जसिन गाउँ नैरहे । फरक मनै फरक वाटावरण फरक होगैल रहे । सपनाके रमैलक खेल्लक ठाउँ फें फरक होरठिन । सपना हँुकिन अपन हुर्लक रमैलक् मैयाँ प्रीटिक बाट करलक ठाउँ डेख्के बिगटके याड आइटहिन । पहिले चैनार लग्ना गाउँ आप सब सुनसान होगैल रहिन । पहिल ठारु पहिरनमे सँपरल बगाले बगालेक लौन्डिन नेगिंट । आप उ ठारु पहिरन हेरागैल रहिन । सब फरक होगइल रहठ गाउँ ओ मनै फेंन ।

सपना जब अपन गोसियाके घर पुग्ठी टे हुँकार सारा सोंचल बाट पल भरमे टहसनहस होगैलिन । जोन सोंचके आइल रहि सपना ठीक उल्टा होजैठिन । जोन घरहे अपन बसेरा बनैना साेंच्ले रहि उ घर सपनाके साेंचल जसिन नैरहिन । जोन घरेम डुइ प्राणीके बास रहे । जोन अवस्ठामे सपना घरहे छोरके गैल रहि उसिन नैरहिन । घरक छँपरा ठाउँठाउँ उजरल भिटा ठाउँठाउँ भस्कल रहिन । डवारिम टाला मारल ओहे फें बहुट पुरान हो रले रहे टाला । जम्मा किट लागल रहे । यी सब डेख्के सपनाके हृडा टक्रा टुक्रा होजैठिन । अपन सारा सामान ढर्टिम गिराडेली ओ उहे ठाउँमे बैठगैली । आँखिमसे टपटप आँस गिरे लग्ठिन । सपनाहे सारा डुनियाँ घुमेहस लग्ठिन । एकघचिक सपना ओहंै बैठके खोप रोइठी । अपन सोंचल जसिन नैपाके ओ अपन विगटके डिनहे समझके । सपनाहे विगटके सारा याड आइटहिन । एक डुइ करठ करठ छिमेकी घरक मनै जम्मा होजैठिन । वहाँके मनै सपनाहे चिन्हे नैसेक टहिंट । काकरे कि सपनाके रुपरंग पहिलकसे फरक होगैल रहिन । गवँलिया जीवन ओ सहरिया जीवनके रहन सहन फरक होगैल रहिन । भर्खर १७–१८ के उमेरमे घर छोरके गैल रहि सपना । ढेर बरस पाछे गाउँमे अइलक ओरसे चिन्हे नैसेकटहिन । यहे क्रममे पाछेसे एकठो आवाज सुन्ली सपना ‘बाबु सपना’ कना आवाज सुन्ठि । सपना झसक्के हेर्ली टे गाउँके रामे डाडाहे डेख्ली ।

सपना रोइटी पुछ्लि डाडा यी मै का डेखटुँ । किरण कहाँ ? डाडा मोर किरण कहाँ गैला ? रामे डाडा डुखि हुइटि कलिन बाबु सपना टोर घर छोरके गैल पर किरण बहुट रोइल । पागलहस करे, टोर नाउँ लेके गल्ली गल्ली घुमे । पाछे पाछे जहाँ टहाँ टोर नाउँ लिख्टी नेगें । टोर फोटो लेले घुमे । जाने खाना खाए कि नाइ उ । टोर गैल पर एकडुइ बरस रहल टबसे जाने कहाँ गैल पटै नैचलल, घर छोरके । सपना चिल्ला चिल्लाके खोपसे रोइ लग्ली ओ किरणहे खोजके लान डेउ कैह्के रोइठी । मने के जाइ खोजे, कहाँ जैहि बिना ठेगानके ।

सपना घरक डवारिम् लगाइल टाला खोलडेउ मै घरेम जैना चाहठुँ कठिन । टब गाउँक् मनै टाला टुरके खोलडेठैं । जब सपना घरेम पेल्ठी टे सारा भिटामे सपनाके नाउँ किल लिखल डेख्ठि । जहोंर हेर्ठि ओहरे सपना, सपना, सपना किल लिखल । यी सब डेख्के सपनाके आँस नैरुकटहिन । सपनाहे आप पटा चलटहिन कि किरण कट्रा मैयाँ करिंट कैह्के । सपनाके घरेम छोरके गैल बाँकी सामान सजोक लगाके ढैडेले रहिन । सपना सारा घर घुम्ली आँखिभर आँस लेके कवाके एहोंर ओहोंर हेर्टि रहिन । सपनाहे बिटल डिनके याड खोब आइटहिन । उहे घरेम डुलहिके सिंगारमे सजल ओ कोमल पैला टेक्के ओहे घरेम् प्रवेश कर्ले रहि सपना । डेंउटा जसिन पटि भेटैले रहि सपना मने आझ उ गोसियाहे गुमाइ पुगली ।

सपना घरक कोन्टिमे हेर्ठि बहुट फुहर डेखठिन । बरसौंसे बिना मनैन्के घर । सपना अपन घर लिपपोट पारके सुग्घर बनैठी ओ अपन प्यारा गोसिया किरणके याड कर्ठी । सायड आझ किरण रटैं कलेसे कट्रा खुसी क्षण रने रहे कहटि बिस्टारामे अक्केली एहोंर ओहोंर करोट लेके राट बिट्ठिन । सपना सोंच्ठी आझ किरण रटैं कलेसे राट भर अपन मनक बाट सुनैटुँ । अपन भुल गल्टि स्वीकार कर्टुं । हुँकार पाउँ परटुँ ओ रोरो मनक पिराके आँस हुँकार पाउँमे बहैटुँ ।

सपनाके लजर भिटामे झुलाइल भोजक् डिन खिचल फोटुमे पर्ठिन । डुनुजे भोजहा पहिरनमे सजल फोटु डेख्के फेनसे सपनाहे भोजक् डिनके याड आजैठिन । एकओर जुगुर जुगुर डिया बर्टी रहठ सपना खटियामे अक्केली कबु एहोंर, कबु ओहोंर करोट लेटि रठि । सुनसान राट कोइ चिजके आवाज अइलेसे सपना झस्कि ओ कहि किरन टे ना आगैलैं कैह्के । सपना उठ्के एहोंर ओहोंर हेरि मने किहुँ फें नैडेखी । सपना आँखी भर आँस लेके जाने कब निंडा जैठि ओ किरणके संग बिटाइल दिनके सपना डेखे लग्ठि सपनामे किरणहे घरे आइल ओ अँगालोम लेहल, मैयाँ करल ओ मिठमिठ बाट करल डेख्ठी ओ अपन सारा गल्टिके माफी मागल डेख्ठी । किरणके पाउँ परके रोइट डेख्ठी । जिन्गि, सुखि शान्टि परिवार अपन कोखमे किरण सुन्डर बच्चा खेल्लक ओ किरणके संग रमैलक हँस्लक सपना डेख्के झसक्के जग्ठि । जब सपना जग्ठि टे मुर्घा फें भिन्सारे हुइलक आवाज करठ । सपना आँखि खोल्ठि फेन अक्केलि भेटैठि अप्ने आपहे ।

मने अपन बाँकी जीवन ओ अपन डिलके राजा गोसिया किरणके अइना डगर हेर्टि घरक काम उसर्ना ओर लाग्जैठि । सपना राट डिन किरणके अइना अस्रामे हुँकार अइना डगर हेर्के लावा घर परिवार बनैना बाचा करके जिन्गिक सुखडुख सबसे सामना करके जीवन गुजारा कर्टि रठि । ओराइल ।

संगम चौेधरी
पुनर्वास २ कंचनपुर

बिस्राइल डगर

संगम चौेधरी