ठकौनि

संगम चोधरी
१६ भाद्र २०७८, बुधबार
ठकौनि

कथा
ठकौनि

रोशन फोटुक् एल्बम बिल्टैटी एकएक फोटु हेर्टि रठैं । जोन एल्बम पुर्णिमासे घुमल बेलाके रमैलक हँस्लक बेलाके मेरमेरिक फोटुले भरल रठिन । फोटु हेर्ठैं ओ ओहे बेलाके खोब याड अइठिन रोशनहे । फोटु हेर्टि जैना क्रममे रोशनके लजर उ फोटुम पर्ठिन । पुर्णिमा अपन संघरियक् भोजेम गैल बेला संघरिया डुल्हिकसंग बैठके खिचैलक फोटु । यी फोटु डेख्के रोशनहे उ बेलाके याड आजैठिन । जोन डिन पुर्णिमा डुलहि बलन बेला भोजमे आइल सारा मनैनके आघे टिका लगैना क्रममे ढर्टिम ढलल् रहि । उ घटनासे उ भोजहा घर उ गाउँ सारा गाउँ खहल बहल होगैल रहे । उ डुखड भयानक घटनामे सारा गाउँ हिलगैल । उ बेला पुर्णिमा बिच डगरमे अपन डम टुरडेलि । पुर्णिमाहे उ घरसे बिडाइ करटिहिन मने पुर्णिमा यि डुनियाँसे बिडा होडेली । आखिर काकरे पुर्णिमा अपन जिन्गिक अन्ट करे पुग्लि । हर मनैंनके मनमे प्रश्न आइठिन । रोशन पूर्णिमाहे सम्झटि एल्बमके फोटु सुहरैटी आँखी भर आँस लेले फोटु हेर्टि रठैं । रोशन पुर्णिमासे छोट रहलमे खिंचल फोटु हेर्के उ बेलक याड अइठिन । स्कूल जाइबेरिक छ साट बरसके उमेरमे खिचल फोटु रठिन ।

पुर्णिमा ओ रोशनके घर डगरके इपार उपार रठिन । एक ओरसे पुर्णिमा सँपरके निकरिंट टे एक ओरसे रोशन, डुनुजे संगे स्कुल जाइँट् । हँस्टि रमैटि स्कुल पुगिंट । संगे एक्के कक्षामे पुर्णिमा ओ रोशन डुनुजे पास हुइटि गैलैं । रोशन पहिला हुइलेसे पुर्णिमा डुस्रा हुइन । रोशन डुस्रा हुइलेसे पुर्णिमा पहिल हुइन । अस्टेके डुनु जहनके पह्राइ मजा हुइटि जैठिन । पुर्णिमा ओ रोशन जवान हुइटि गैलैं । एक मिल्ना संघरिया रहिन मने मनक् भिट्टरसे एक डोसरहे चहना करिंट मने कहे नैसेक्ले रहिंट । रोशन ओ पुर्णिमाके चाल स्वभावसे सब जहन लागिन कि यि डुजे एक डोसरहे मैयाँ कर्ठै । मने पुर्णिमा ओ रोशन एक डोसरहे कहे नैसेक्ले रहिंट । छोटेसे संगे स्कुल जैटिजैटि जवान अवस्ठामे पुगसेकल कठैं मने अपन मनक् बाट कहे नैसेक्ठै । स्कुलमे संगे डगरमे संगे घर संगे कामेम संगे जहाँ फेन संग रठैं ।

डिन अस्टे बिट्टि जैठिन । यी सब डेख्के पुर्णिमाके डाइक् कान मनै फुँके लग्ठिन । पुर्णिमा फलानासे खेलल कैह्के । यि बाट सुनके पुर्णिमाके डाइ रिसाइन । पुर्णिमाहे रोशनके संगे स्कुल फेन जैना रोक लगैठिन । संगे ना नेगिस कैैह्के डाइ डँट्ठिन । मने पुर्णिमा एक कान सुनके औरे कान उराडिइन । पूर्णिमा रोशनहे यि बाट नैबटाइ कारण रोशनहे डुख लग्हिन कैह्के । पूर्णिमा अपन डाइसे पिट्वा फेन पाइ मने रोशनहे नैबटाइन । रोशनके मन डुखैना नैचाहि । मनमे रोइलसे फेन ओठमे मुस्कुराइन पूर्णिमा । पिट्वा पाके डेंह सोम्लै सोम्ला रलेसे फेंन रोशनके ठन अपन मुह नैखोली पुर्णिमा ।

पुर्णिमा ओ रोशन खेल्ठंै कैह्के सब ओर फैलल रहिन मने पुर्णिमा सोंची रोशन महि मन परैठैं कि नाइ ओ रोशन फेन यहे बाट सोचिँट । एकडिन सुन्लंै पुर्णिमाहे डाइ बहुट पिट्लिन, रोशनसे खेल्ठे कैह्के । रोशन यि सुन्के बहुट डुिख हुइठंै । पहिलचो सुन्ठैं पूर्णिमा रोशनके कारण पिट्वा पैलक् । रोशन पुर्णिमाहे बहुट चहठैं । रोशन जन्ना चहठैं का जट्टिके पुर्णिमा महि चहठि कैह्के । पुर्णिमा ओ रोशन स्कुल जाइबेर फेनसे भेट होजैठैं । ओहे डगर ओहे अंगना एकओरसे पुर्णिमा निक्रठी टे एक ओरसे रोशन । पुर्णिमा ओ रोशनके भेंट हुइठिन । पुर्णिमाके अनुहार निरास रहिन औरे डिनसे फरक रठिन । अरोशनके फेन औरे डिनसे फरक रठिन । रोशन पुर्णिमासे जन्ना चहठैं । संगे स्कुल गैलक कारण ओ टँु महिसे खेल्ठो कैह्के ।

रोशन पुर्णिमासे कठैं पुर्णिमा टोहाँर डाइ टुहिन पिट्ली सुन्नु । टुँ महिसे खेल्ठो, महिसे लागल बटो कैह्के ना । पुर्णिमा डुखि मढुर आवाजमे कलि हाँ रोशन रोज पिटट् ओ गरियाइट् । ओकर संग ना जाइस, ना नेगिस कैह्के । टैं उहिसे भोज करे नैपैबे । टोर लवन्डा औरे बा उहे लवन्डाहे लेहे परि कहठ । पुर्णिमा डर्ड भरल आवाजमे कठि । रोशन पुर्णिमाके आँखमे आँख मिलाके कठि पुर्णिमा का टुँ महि चहठो कलैं टे आँस भरल नयनसे हेर्टि पूर्णिमा कठि हाँ रोशन मै टुहि चहठुँ केवल टुहिन । छोटेसे टुहिन मन पराउँ मने कहे नैसेकले रहुँ । डर लागे । टुँ मोर मैयाँ स्वीकार नैकर्बो कि कना । रोशन फें ओहे कठैं पुर्णिमा मै फें टुहिन मन परैठुँ, टुहिन चहठुँ ।

टोहाँर जस्टे मै फेंन कहे नैसेक्ले रहुँ कैह्के रोशन फेन कठैं । रोशन ओ पूर्णिमा डगरके यात्रामे अपन अपन मनक् सुखडुखके बाट कर्टि स्कुल पुग्ठंै । पुर्णिमा ओ रोशन आउर जेडा एक डोसरके मैयाँमे हेराजैठैं । स्कुलसे आइठ जाइठ स्कुलमे संगे रठैं । यि डेख्के रोशन ओ पुर्णिमाहे अलग कराइक लाग पुर्णिमाके डाइ यि जोरिमे बहुट रिसाइ लग्लिन । कारण पुर्णिमा जन्मनासे पहिले पुर्णिमाके डाइ अपन मिल्ना गोहिसे बाचा कर सेकले रहिन जे छाइ पाइ कलेसे अपन छाइ डि कैह्के । पुर्णिमाके डाइ यि बाजिमे हार खाइल रहिन पुर्णिमाहे जल्माके । टाराके डाइ ओ पुर्णिमाके डाइ लर्का जल्मैनासे पहिले भोज हुइनासे पहिले यि बाचा करले रहिँट । एक मजा संघरियाके हुइलक कारण यि सब काम करे पुगलिन । डुनु गोहि गोहिनके संगे भोज हुइठिन ओ पुर्णिमाके डाइ पुर्णिमाहे जल्मैठि ओ गोहि टाराहे । संघरियासे छाइ डेना बाचा करलक ओरसे पुर्णिमाके डाइ रोशन ओ पुर्णिमाके सम्बन्ढसे राजि नैरहिन ।

पुर्णिमा ओ टाराहे पटा नैरठिन कि हमार ठकौनि जल्मनासे पहिले हुइल बा कैह्के । यि बाट केवल टाराके डाइ ओ पुर्णिमाके डाइहे किल पटा रठिन । जब पुर्णिमा ओ रोशन एक डोसरहे चाहे लग्ला यि डुइजे खेल्ठैं कना पुर्णिमाके डाइ पटा पैलिन टब जाके पुर्णिमा रोशन ओ टाराहे यि बाट पटा चल्लिन । पुर्णिमा ओ रोशनके बहुट विरोढ हुइठिन रोशनहे पुर्णिमा अलग करैना चहठैं । ओहे बेला एक राट रोशन ओ पूर्णिमा एकान्ट ठाउँमे भेंट कर्ठैं ओ घण्टौं सम अपन मनक् डुखक् बाट विछोरके डर्डनाक भाव एक डोसरहे सुनैठैं । डुनुजे बहुट डुखि रहिंट । पुर्णिमा रोशनके कोनामे सुटके जिन्गिक भाग्य ओ रोशनसे डुर हुइ पर्लकमे बहुट डुखि रठि । पूर्णिमा रोरोके कहटि रठि । रोशन यि कसिन जिन्गि हो संसारमे सिर्जनासे पहिले औरेक उप्पर सौंप्ना । औरे जहनके जिन्गिक खेल्वार कर्ना लवन्डा लवन्डिक इच्छा बिना जीवन जोरियाके नाट जोर्ना । हर कोइक् अपन अपन चाहना रहठ । हमार फेन कुछ लक्ष्य रहठ, चाहना रहठ । भोज कना चिज जिन्गिम एकचो करजाइठ । एक डोसरसे जिन्गिी बिटाइ परठ । भोज एक घचिकके नाटक करे हस नैहो । रोशन मोर जिन्गिक खेल्वार हुइटा । मोर इच्छा बिना टारासे भोज कर्ना खोजटैं । टारा फेन महि नैचहठैं मने अपन डाइक ओ मोर डाइक कारण भोज कर्ना चहठैं । मने रोशन ओइने हमार खुसी छिन्के अप्ने खुसी हुइना चहठैं । हमार छोटसे रहल सम्बन्ढ ओ मैयाँहे टुर्ना चाहटैं । अन्टमे पुर्णिमा कठि रोशन अगर टुहिनसे छिन्के जबरजस्टी औरे जहनसे भोज कर्ना प्रयास कलेसे ओहे भोज मोर अन्ट हुइ । यी मोर बाचा हो कैह्के पुर्णिमा कठि । पुर्णिमा रोशनसे बिन्टि कर्ठि अगर मोर भोजके टयारी करहि कलेसे उ भोजमे जरुर अइहो रोशन, जसिक फेन अइहो । टुहिनहे अन्टिम पल्ट हेर्ना चाहटुँ । अन्टिम पल्ट टुहिनसे बोल्ना चाहटुँ । अन्टिम पल टुहिन छुना चहटुँ । यी बाटसे रोशन ओ पुर्णिमा एक डोसरके उक्वाँरमे बहुट रोइठैं । कारण रोशन और पुर्णिमाके यि भेंट बहुट डुखड रहिन । डुनु जहन पटा रहिन यि भेंट अन्टिम भेंट हो कैह्के । रोशन पुर्णिमाहे बहुट सम्झैठैं मने पुर्णिमा मनाहि कर्टि गैलि । पुर्णिमा कठि रोशन मोर जिना आढार केवल टुँ हुइटो । टुहिनसे कोइ अलग कराइ कलसे उ हे मोर अन्ट हो । कारण मोर जिन्गि खेल्वार हुइटा । मै यि नियमहे टुर्के छोरम । बिना डेखल ठकौनि खैना ओ जबरजस्टी औरेक इच्छा बिना ठकौनि खाके जबरजस्टी भोज कर्ना नियम टुर्के छोरम रोशन कैह्के पुर्णिमा कठि । पुर्णिमा रोशनहे जिना आस डेठि । रोशन मोर कुछ होजाइ कलेसे जसिक फेन जिना प्रयास करहो । मोर ठाउँमे टोहाँर जिन्गिमे औरे कोइ महिसे मजा अइहि । महिसे जेडा मैयाँ करहि ख्याल करहि । यि जुनिम मै टोहाँर हुइ नैसेक्लेसे फेन औरे जुनिमे टोहाँर हुइ पाउँ कहटि पुर्णिमाहे खोजटि आजैठैं । पुर्णिमाहे रोशनके ठनसे टानके लैजैठिन । पुर्णिमा नाइ मै नैजैम नाइ मै रोशनके हुँ, रोशन रोशन कैह्के चिल्लाइट् रोइठि ओ निप्चना प्रयास कर्ठि मने नैसेक्ठि ।

पुर्णिमा ओ रोशनहे अलग कराके छोर्ठंै । जबरजस्टी पुर्णिमाहे टारासे पर्छना चहठैं । रोशन ओ पुर्णिमा अलग अलग करुवा पाके टरपटरपके जिए लग्ठैं । पुर्णिमाके भोज कार्यक्रम सुरु होजैठिन । टिकाके कार्यक्रम ढार्के भोज निप्टैना योजना बनैले रठैं । औरेओर रोशनहे पुर्णिमाके कहल बाट घनिघनि झस्काइ लग्ठिन । रोशन अगर जबरजस्टी मोर भोज टारासे कर्ना प्रयास करहि कलेसे ओहे भोज मोर अन्ट हुइ । पुर्णिमाहे टाराके घर पुगासेक्ले रहिंट । आझ, काल्ह परौं करट भोजके डिन आजाइठ । पुर्णिमा बिन्टी कर्ले रहि रोशनहे । रोशन भोजक उ डिन जसिक फेन अइहो । मैयाँके कसम खवइले रहिन । रोशन पुर्णिमाके उ आँस बहाइल बिन्टीसे उ भोजमे उपस्ठिट हुइठैं । टिका लगैना कार्यक्रम सुरु रहठ । पुर्णिमा डुल्हिक सिंगारमे टाराके संग बैठल रहि । अनुहार मलिन रहिन उडास रहि पुर्णिमा । पुर्णिमा टिर्छि लजरसे रोशनहे हेर्ठि । रोशन ढिरेसे भोजहा अंगनम पैला टेक्ठैं ओ पुर्णिमाके ओर पैला सर्ठैं । जब रोशन उ भोजमे प्रवेश कर्ठै टे सारा जहनके लजर रोशनके उप्पर परजैठिन । सारा भोजक मनै यि डृस्य हेर्टि रठैं । बहुट डिन पाछे पुर्णिमा ओ रोशनके भेंट हुइठिन । पुर्णिमाके आँखिम् खुसि ओ डुखके आँस भरगैल रहिन । रोशनहे पुर्णिमा कले रहिन रोशन अगर जबरजस्टी मोर भोज टारासे कर्ना प्रयास करहि कलेसे उहे भोज मोर अन्ट हुइ । रोशन पुर्णिमाके लग्गे पुग्ठैं । पुर्णिमाके ढेर कुछ कना चाह टहिन मने कहे नैसेकटहि । रोशन हाँठेम टिका लेके पुर्णिमाके माठेम लगैना सुरु करलैं । डुनु जहनके आँख एक डोसरसे मिलल रठिन । डुनु जहनके आँख आँसले भरल रठिन । डुनु जहनके ढेर कुछ कहक लाग कुलबुलाइ टहिन । मनके भिट्टर हजारौं शब्ड अँटाइट नैरठिन । पुर्णिमा ढिरेसे ‘रोशन’ कठि । रोशन फेंन पुर्णिमा बाहेक कुछ बोले नैसेक्ठैं । रोशन ओ पुर्णिमा एक डोसरहे हेर्टिक हेर्टिक रठैं । पुर्णिमा कले रहि रोशन मै टुहिन अन्टिम पल हेर्ना चहठुँ अपन मन भरके । अन्टिम पल बोल्ना चहठुँ ओ टोहाँर आवाज सुन्ना चहठुँ । अन्टिम पल टुहिनहे छुना चहठुँ । रोशन ओ पुर्णिमा, डुनुजे टिका लगाइक लगा कर्ठैं ओ पुर्णिमा अपन कहल जसिन कर्टि रहि यि सब डृश्य से ओ डुइ जहन मैयाँसे डेख्के सबजे अचम्म हुइठैं ।

रोशन जस्टक अपन पैला पाछे का सर्ले रहिन । पुर्णिमा अचानक ढर्टिम ढल जैठि । भोजक सारा मनैननके डौरढुप होजैठिन । पुर्णिमा जहर खा लेले रठिन । समय बहुट ढिला होसेकल रहठ । पुर्णिमा अन्टिम पल रोशनहे कठि रोशन महि माफ करडेहो । मै कले रहुँ, मै टोहाँर बाहेक औरेक हुइ नैसेकम ।

पुर्णिमा एक घचिक पाछे अपन सास छोरडेठि । पुर्णिमाके इच्छा बिना उ भोज टहसनहस होजैठिन । पुर्णिमाके जल्मनासे पहिले खाइल ठकौनि ओ जबरजस्टी भोज कर्नाके कारण पुर्णिमाहे गुमाइ पुग्ठिन डाइ । पुर्णिमाके जिन्गिक खेल्वार कर्ठै । छाइनके जिन्गि कसिन । एक टे अपन जलम घर छोर्के जाइ पर्ना । ओहे फेंन इच्छा विपरिट ठकौनि ओ भोज करे खोज्ना । हर परानि स्वटन्त्र जिना अढिकार बा । मजा बाट बटैना ओ सिखैना हर मनैनके कर्टव्य हो । जिन्गि लक्ष्य, योजना चाहना अपन अपन रहठ । ओराइल ।

संगम चोधरी
पुनर्वास २ कंचनपुर

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