भोज

संगम चौधरी
१८ भाद्र २०७८, शुक्रबार
भोज

कथा
भोज

सारा मनैनमे आनन्ड छाइल रठिन । घर अंगना पटंगसे सजल रहठ । गीत बाजा बोल्टि रहठ । कोइ नाचठ टे कोइ फोहैटि एहोंर ओहोंर घुम्ठैं । झिकिरमिकिर बिजलि बरल रहठ । लवन्डा लौवन्डि अपन अपन संघरियनसंग भुलल रठैं । ओहे भोजहा घरसे रेस्माहे भोजहा नेंउटा गैल रहिन । रेस्मा ओहे भोजहा घरक् अंगनामे मन मर्ले कोनम अपन लर्का लेके बैठल रहि । अन्ढरिया राटमे भोजहा घर चिकमिक चिकमिक बिजलि चारुओर लगैलक ओरसे सोहावन डेखा परठ । सबजे रमठंै मने रेस्मा कोनम लर्का लेले कवाइल रठि । रेस्मा हलिहलि चुन्निलेके आँस पोछ्ठि । सायड रेस्माहे अपन उ डिनके याड आइल हुइहिन । याड काकरे नैअइहिन कबु बिस्राइ नैसेक्ना घटना जिन्गिमे घटल बटिन । कोनामे रहल बच्चाके अनुहार हेर्टि, बच्चक अनुहार सुहरैटि रेस्मा ओहे रमेशहे सम्झे पुग्ठि जेकर बच्चा कोनामे खेलटहिन । उ निर्डोस बच्चाहे का पटा मोर बाबा के हो कैह्के । मने रेस्मा बच्चाहे हेर्टि रमेशके ढोखा हुँकार नक्कली मैयाँके खेल झुठा बाचा बारबार रुवइठिन । रेस्माके रमेशसे पहिलभेट बसमे हुइल रठिन । रेस्मा अपन डिडिक गाउँ संघरियक भोजमे जाइटहि । रेस्मा बसमे चहुर्ठि मने बैठ्ना सिट खाली नैरहिन । ओहे बेला अन्जान कबु नैडेखल ना जानल रमेश अपन बैठल सिट डेठिन । रमेशके इ चालसे रेस्माहे अचम्म लागटहिन । रमेश सिट मसे उठलंै ओ मुस्कुरैटि रेस्माके आँखीमे आँख मिलैटी कलैं पिलिज यहाँ बैठो ना । रेस्मा इन्कार कर्टि कलि नाइ रहनडेउ ठिके बा मोर कुछ डुर सम किल जैना बा पुगजैम । मने रमेश रेस्माहे बैठाके छोरलैं । रेस्मा सिटमे बैठ्लि ओ हँुकार मनमे कहोंर कहाेंर गुडगुडाइ हस लगठिन । रेस्मा रमेश हुँकार अनुहारमे हेर्टि कठि ढन्यबाड । रमेश मुुस्कुरैटि कठंै ढन्यबाड टे मै टुहिन कहे पर्ना हो मोर बाट मान डेलो । रेस्मा हुकिन रमेशके उ बोली सुनके अचम्म लाग टहिन । कबु ना डेखल ना चिन्हल टब फें चिन्हल जसिन बाट करटहिंट ।

रेस्मा ओ रमेश अपन अपन मनक बाट सुरु कर्ठैं । रेस्मा जब अपन डिडिक गाउँक् नाउँ लेलि टे रमेश पच्चसे कह मर्लैैं मै फेन टे ओहे गाउँक हँु । रेस्मा ओ रमेशके परिचय फेन ओहे बेला हुइगइलिन । डुइ घण्टाके डगर बिटलक पटे नैपैठैं । डुनुजे छोटी समयके मिलन मने बरे गहिंर मैयाँ होगइल रहिंट डुनु जाने । रेस्माके जिन्गिमे असिन पहिले कबु नैहुइल रहिन । पहिलचो असिन हुइल रहिन । छुट्ना मन नैहोके फेन डुनु जहानहे फे छुटे पर्लिन । डुनुजे बिडाइके हाँठ हिलैटि अपन अपन डगर ओर लगठैं । आउर रेस्माके भाटु सब कुछ डेखटि रठिन । लेहे आइल रठिन रेस्माके भाटु । जब रेस्माके भाटुक मोटर साइकलमे बैट्ठी टे भाटु खेलवार करे लग्ठिन । का हो साली साह्रु बनाइटो काहुँ भाटुसे सालीफे काम नाही रेस्माफे खेलवार कर्टि कठिन हाँ टे काहुन औरे डिन डेखबो मोर भोज कैह्क भाटुसे मस्का मर्ठी ।

रेस्मा ओ रमेशके फोनमे बाट चल्टी रठिन । ओहोर संघरियक भोज डुइ डिन बाँकी रहिगइल रहिन । रेस्मा रमेशके मैयाँमे हेरागैल रहि खानाफे मजासे नैखैना । डिडि कहिंट रेस्मा टै खाना काहे नैखैठे हुँ । कहिंट टे अनेक बहाना बनाइन । भोजके डिनफे आजैठिन । ओहे भोज रठिन रेस्मा ओ रमेशके मैयाँके सुरवाट हुइठिन । भोजम रमैनासे जेडा रेश्मा रमेशसे रमैटि रठि । जिन्गिमे पहिलचो ओ खुसी छाइल रठिन, रेस्माके । भोजभार रेस्मा ओ रमेश संगै रठंै । रेस्मा डुलहिक संगे ओ रमेश डुल्हक संग अगुवा । डुनुजे एक डोसरके लजरमे रठैं । खुसिक बाहेर छाइल रहठ उ भोजहा घर । चारु ओर सजि सजाउ रहठ भोजहा घर । ओजरिया राट बिजलीसे झिकिरमिकिर रहठ भोजहा घर । कहँु ठाउँमे ओहे घरक् अंगनामे सारा नाच नाचके रमैटी रठैं । ओहे राट रेस्मा ओ रमेश ओजरीया राटमे जोन्हयाँ ओ असंख्या टोरैयाँके आघे बाचा कसम खैलैं । रेस्मा रेसम ओहे बेला अपन सारा कुछ रमेशहे सौपडेलि । डुनुजे एक डोसरके मैयाँमे हेराजैठैं । जिन्गि भर एक डोसरहे अस्टके साठ डेना बाचा कर्ठंै । रेस्मा रमेशसे पुछ्ना करि रमेश टुँ महि कट्रा मैयाँ कर्ठो हुँ रमेश जोन्हयाँ ओ टोरैया के कसम बा जस्टक यी टोरैयाँ ओ जोन्हयाँ सडियाेंसे एक जस्टे बा ओस्टे मोर मैयाँफें पलि रहि । रेस्मा मै टुहिन बहुट मैयाँ कर्ठुं ओ कर्टि रहम मुना डिन सम । टुहिनसे अलग हुइम टे केबल मुटु फारके, कना बाट रमेश रेस्माके ठन ।

रेस्मा ओ रमेशके मैयाँके सिलसिला चल्लक डुइ टिन बरस होगैल रहिन । रेस्मा रमेशसे जिन्गि भारि सपना सजैले रहिंट । हम्रे भोज करब और हमार भोज फेन ढुमढामके संग हुइ । ठुलाबरा मनै आशिर्वाड डिहिं । ढेर संघरियनसे भेंट हुइ । ठूलाबरा मनै आशिर्वाड डिहिं । हमार जोरि सोहावन हुइ । रेस्मा यी सारा सपना जिन्गिम सजैले रठि ।

एक डिन रमेश रेस्माहे बलैठैं । रेस्मा सोंच्ठि सायड आझ हमार भोजक डिन लग्गे आगैल बा कैह्के । मने उ डिन लग्गे आगैल बा कैह्के । मने उ डिन रेस्माके सारा सपना टहस नहस हुइना डिन रहिन । रेस्मा जब रमेशके कुछ बाट सुन्लि मनमे अनेक बाट खेले लग्लिन । रमेशके कुछ बाट सत्य हस कुछ बाट बनौटी हस लाग टहिन रेस्माहे । रेस्मा उ राट के याड अइठिन जोन राट अपन सब कुछ रमेशहे सोंच्ले रहि रमेशके उ बाचा कसम सारा झुठ लागटहिन । जब कि जोन्हयाँ ओ टोरैंयाके कसम खैटि कले रहिंट जस्टक जोन्यहाँ ओ टोरैयाँ सडियोंसे एक जस्टे बा ओस्टके मोर मैयाँ पलि रहि । अलग हुइम टे मृत्यु बाड कना मनै अट्रा हलि महिसे अलग हुइटैं कैह्के रेशमा सोच्टि रठि । रमेश रेस्मासे बहुट डुर जाइ टहिंट एक प्रडेसी बनके । रमेशके बिडेसके भिसा आगैल रठिन । काहे कारण रेस्मासे अन्टिम पल भेट कर्ना चहठैं । रमेश रेस्माहे आशा भरोसा विश्वास करैटि कठैं । रेश्मा मै हलि अइम ओ हम्रे भोज करब । आशा करहो, भरोसा करहो, मोर बाटमे विश्वास करहो रेश्मा । हमार भोज हुई ढुमढामसे हुइ । इहे भोजके लाग टे पंैसा कमाइ जाइटुँ । टोहारसंग भोज ढुमढामसे हुइ रेस्मा कैह्के कहटि रठैं । रेस्मा कुछ कहे नैसेक्के रमेशके छाटिम चपटके केवल आँखिमसे आँस गिरैठि । हाँ कनासे औरे जवाफ नैरठिन रेस्माके । रेस्मा रमेशके सारा बाटमे विश्वास करलेठि । रमेशके अस्रामे रना निर्णय करलेठि । रेस्माहे पटा नैरठिन कि मोर पेटमे रमेशके मैयाँके चिन्हा हुर्कटा । जब रमेश घर बहुट डुर गैगैल रठैं टब रेस्मा पटा पैठि कि मोर पेटमे रमेशके मैयाँ चिन्हाँ हुर्कटा । यि बाट ना रेस्माहे ना रमेशहे पटा रहिन । जब रमेश गैल रेस्माहे सब सुनसान लागे लग्लिन । ना बोल्नास ना टे खैनास । ना टे हँस्नास । संघरियासे बोल्नास फेन मन नैलग्ठिन रेस्माहे । रेस्मा रमेशके याडमे कवाके बैठे पुगि । रमेश जब रमेश ठाउँमे पुग्लैं टे । कुछ डिन पाछे रेस्माहे फोन लगैलैं । कि मजैसे पुग्नु कैह्के अपन हाल खबर बनैले रेस्मा फेन सब मजै रहिन ।

ढिरेढिरे रेस्माके लक्षण डेखा परटहिन रमेशके मैयँक चिन्हाँ । यि बाट गाउँ घरमे फैले लग्लिन, बिना भोज करल रेस्मा पैनाहा होगैल बा कैह्के । जाने केकर पेट बोकल बा कैह्के रमेशके ठन खबर पुगाडेठिन । रमेश यि चिब्लिक बाट सुन्ठैं ओ हुँकार मन सारा टुट्जैठिन । रमेश रेस्माके बारेम नाकाराटमक सोंचे लगठैं ओ रन्डि नाम डेहे पुग्ठैं रेस्माहे । रमेश रिसाके रेस्माहे फोन कर्के अपन सारा नाटा अपन सारा बाचा कसम टुर डेठैं । रेश्मा रमेशहे बहुट सम्झैना प्रयास कर्ठि । रेस्मा रमेशहे बहुट सम्झैना प्रयास कर्ठि । रेस्मा रो–रोके कठि नाइ रमेश नाइ महि गलट ना सोंचो बच्चा टोहाँर हो । महि झुठा आरोप ना लगाउ । महि अट्रा भारि सजाय ना डेउ । गल्टि मोर कहुँ या टोहाँर । अट्रा स्वार्ठि ना बनो रमेश, टुँ महि अपन बनैना बाचा कसम खैलो । जुनिजुनि भर साठ डेम कैके आशा डेखैलो । भोज कर्ना बाचा कर्लो ओ मोर सरीरसंग खेल्लो । आझ उ बाचा कसम कत्रा सजिलोसे टुरडेलो । कट्रा सजिल बा बाचा कर्ना ओ जब चाहे टब टुर डेना । वाह रमेश वाह का चाल खेल्लो अपन प्यास मेटाइक लाग । अपन मनक इच्छा पुरा करक लाग । आझ महि रन्डि के नाउँ लिस्टमे डार डेलो ना । कैह्के रेस्मा अपन मनक् बह छिट्कैठि ।

उ डिनसे रेस्माके ठन रमेशके फोन अइना बन्ड होगैलिन । रेस्माके जिन्गिमे अन्ढरिया छाँजैठिन । जिन्गि टिट् होगैल रठिन । ना बाचे सेक्ना ना जिए सेक्ना होजैठिन । समाजके लजरमे घृणिट होके आँशक् घुट पिपिके रेश्मा जिना प्रयास करे लग्लि । आफन्टफें ठुके लग्ठिन । अपन डिडीफें नैमजा मने लग्लिन । कहिन टुहिहे सोंचे पर्ना रहे, अपन इज्जटके ख्याल अपन जिन्गि ख्याल करे पर्ना रहे कैह्के कठिन । आप पटा चलल हुइ टुहि डुनियँक् मनै कट्रा स्वार्ठी मैयाँ कर्ठैं कैह्के । खै टे टोर रमेश ? बहुट मजा बा कहिस, बहुट मैयाँ कर्ठैं कहिस, खै टोर रमेशके मैयाँ । अपन हालट हेर का बना सेकले बटे कैह्के डिडी कहिन ।

रेस्माके जिन्गि डुख कष्टम गुजरटि रठिन । कुछ महिना बाड रेस्मा एकठो लर्का जल्मैठि । बिना बाबक् नाउँक् बच्चा कैह्के मनै बाट काटे लग्ठिन । मने रेस्माहे सब कुछ पटा रठिन कि केकर बच्चा हो कैह्के । रेस्मा रमेशसे भारी ढोका पाइल रठि । रेस्मा अपन मैयँक् चिन्हाँ बिचारि छाइक् अनुहार हेर्लि टे आँखिमसे ढरढरसे आँस गिरे लग्लिन । कसिक इन्कार करे सेक्टि रेस्माके निर्डोष बच्चाहे । रेस्मा उ अपन कोखके निर्डोष अन्जना बच्चाहे बचाइक लाग हुइलेसे फेन यि स्वार्ठी मनैनके माझ बँच्ना चहठि केवल अपन कोखके बच्चाके लाग हुइलेसे फेन । ओराइल ।

संगम चौधरी
पुनर्वास २ कंचनपुर

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संगम चौधरी