टेंम्ह्री बिट्ख्वारबेर
साहित्यिक आउर विधा जसिन गजलफें पहिलेसे चल्टि आइल विधा हो । गजलके उड्गम स्थल अरब भुमिह मान्जिठा । विसेस फारसी, उर्दु, हिन्डी हुइटि नेपाल भिट्राइल पाजाइठ । अरब भासाम ग के अर्थ वाणी ज के अर्थ जन्नी ओ अल के अर्थ वा से हुइठ । गजलके नाउँ कसिक कैगिल कना आम्हिनसम एकर उत्तर नैभेट्गिल हो मने अर्थ भर प्राय सक्कुजे एक्के मेरके बयान कर्टि डिहल भेट्जिठा । गजलके शाब्दिक अर्थ प्रेमिसे बाटचिट, जन्निनके बानी ओ प्रेमिकाके बिसयम बाटचिट, मैयँक बाट, यौवनके बयान, जन्निनके बयान कर्ना, प्रेमके भावना व्यक्त कर्ना अस्टख ढेर मेरिक बयान हुइठ । नेपाली सब्दकोसके अन्सार प्रेमके बिसयम सिँगारिक रसके कविता लिख्ना एक मेरके फारसी वा ओस्ट छन्दम लिखल कविता जो गजल हो । आबक समयम आक गजलम लौव ढार जर्मलसंग गजल स्वतन्त्र तरिकासे फेन लिख्ना चलन ढेर बा । आम्हिन कना हो कलसे स्त्री संगके बाटचिट केल गजल निहो कना बाट प्रष्ट डेखजाइठ ।
थारु साहित्यक जगतम हाल सक्कुजे मन परैना ओ सक्कुनके रोजाइम परल विधाके रुपम गजल आइल बा । सक्कुज मन परैना विधाम कुछ योगडान करि कना अभिप्राय लेख गजलकार सर्जकहुँक्र फेरसे संयुक्त गजल संग्ह टेंम्ह्री निकरना प्रयास करल बाट इ थारु साहित्यक लाग खुसिक बाट हो । म्वाँर डेखाइम गजल लेखन ओ सर्जक संख्या बहर्टि जैनाम फेसबुकके बरा योगडान बाटिस । फेसबुक मार्फट थारु भासा साहित्यम अट्रा ढेर स्रस्टा जर्मल कि आब गन्लसे गन निसेक्ना होरहल । सर्जक स्रस्टा जर्मना कलक थारु भासा साहित्य आघ बहर्ना हो । ब्याल ब्यालम लौव सर्जक हुँक्र मिल्क स्याकलसम संग्रह निकरटि बाट । याकर उढाहरण हो गजलकार सर्जक हुँकनके गजल संग्रह टेंम्ह्री थारु भासा साहित्यम एक्ठो इट्टा ठपजैटि बा । टेंम्ह्री गजल संग्रह ह्यारबेर संग्रह भिट्टरके गजल सक्कु मेरिक भाव ब्वाकल पागिल । मैयाँ प्रेम, राजनीतिक व्यंग्य, डेस प्रतिके चिन्टा, महङ्गि, भ्रस्टाचार, लुट, ठग, चेलिबेटि बेचबिखन, आब युवाओं बिडेस नाहि आपन डेसम कुछ करि कना गजल मार्फट आग्रह कैल बा । जस्टके मोती जिके इ गजल हेरि ।
मै टे बटुँ प्रडेसमे डेसके हाल कैसिन बा ।
भोटमे नोट गन्ना नेतनके टाल कैसिन बा ।
बिडेसम बैठ्कफें डेसप्रतिके मैयाँ, नेतनके चालामाला ठिक नाहि भोट म नोट सट्ठ कना चिन्टा व्यक्त करल बाटिन । बिडेस गैल ब्याला आपन डेसके चिन्ता, आपन घर पर्यार, लर्कापर्का जन्नि, डाइबाबा सम्झल बर्सौंसे सोसक हुँकन्से डब्वा हेप्वा पाइल थारुन्क चिट्कार गजल मार्फट इ टेंम्ह्री गजल पोस्टक पन्ना पन्नाम खांैकना परयास कैल भेटैनु । यी प्रयास बरा मैगर प्रयास हो । दिनेश असिख लिक्ठ ।
सहर टे खै कैसिन बा कैसिन नैहो,
हमार गाउँ घर टे यहाँ अन्ढार बा ।
असिन मार्मिक मन छुना सेर पौँह्र्रा डेह सफल हुइल बाट एक सर्जक स्रस्टा जसिक गाउँघरके चिन्ता कर्थ ओ लिक्ठ । ओस्टख डेसके नेतन फे इ खालक चिन्ता, चासो म ढ्यान डेलसे डेसके बिकास अबस्य हुइने रह । मने खै बेबस्ठा फेर्लसेफें पुरान सिसिम लौव डारु भरसक केल हुइल जसिन इ ब्यालक अवस्था हो । असिख कटि रहल ब्यालम एच. एम लिक्ठ ।
का लैके आइल बाटो ढेर फुर्टि लगैठो,
जैना उहे डगर हो उठाइल माना रहठ ।
पृथक गजलकारके पृथक भाव, सैली ओ बिम्बके उपस्ठिटिलेख पाठकके मनम् बाँस बैठ सफल हुइकना डराइ निपरुइया हो । कृषि प्रधान डेसके जनता हम्र । हमार भ्वाग परल पिरा गजलकारके आपन केल नैहोख सक्कुन्हँक सझ्या डुखपिरा हो । जसिख एच एम जि भोग्ल बाट । वाकर साझेडारि लाखांै नेपालीनके भोगाइ हो कलसे फरक निपरि । डेस राना सासन, पन्चायत ओ बहुडलीय प्रजातन्त्र भ्वागल । मने आम जनताके भोगाइम, पिरा म एक पस्सरफें असर निपरल । अस्टख इ सेर हेरि सन्देश दहित लिक्ठ ।
आपन ट कैलो कैलो म्वार फें बडनाम उरैलो,
टुहिन ट लाज ना डर हो मने म्वार ट लाज बा ।
अस्टख आपन बडनाम कर्लो कर्लो म्वाँरफें बड्नाम कैलो कना म्वाँरफें ट इज्जट मान सम्मान प्रतिस्था बा कना सन्देशके डुखपिरा, अभाव, असन्तुस्ती, अव्यवहारिकपन हिंसा, हत्या, बलात्कार, सामाजिक चेतना व्यक्त कर्ल बाट । समाजफें डेटि आइल व्यथित, राजनीतिक स्वार्थ, सट्टालिप्सा, खेटि किसानि भ्वाग परल पिरा, चरित्रहिन व्यवहार आदि इत्यादि बाट अटाइल बा इ टेंम्ह्री म । दुर्जन असिख लिक्ठ ।
नै जन्ठुँ कटिकिल, कहाँ हुइ आब,
सिख साखके बनाइक परि खररा ।
समाजके दायित्व ओ जिम्मेवारी फेन युवा बगालनके कन्ढम आइल बा । आब युबा हुक्रे अप्न नैजानल चिजहे पुर्खावनसे सिक्टि जाइ ओ अइना पुस्टावन सिखैटि जाइ कना बाट उठैल, डेस बिकास ओ सम्बृढिके लाग एकजुट होक सरकारके डवार ढकढकाइ परल साहित्य मार्फट । जनजागरण फैलाइ परल कना दुर्जनके चिन्टा बटिन । समाजके वास्तविकता, सत्यता, इमान्दारिता, डबाब, भुख प्यास, निरासपन, डुख अभाब, व्यरोजगारि डेसके हालट, सरकारप्रतिके आक्रोस के बिम्बहे चित्रण कैगिल बा । इहाँ भागिराम असिख कठ आपन मायालुहे ।
महि नि जानल हस नि डेखल हस करैठि खुब,
चुप्पेसे महि भाउँ सर्कैटि सान मारके हेर्ठि उ ।
आपन मायालुके ज्या जसिन चिजफेन स्वर्ग लागठ । मन परठ् ओ संगसंग गफ म मायालुहे भुलाइबेर बिच म घाट हुइ स्याकट प्रेम जोरि बरा चोट्गर लागठ । ओजरिया रातम मिठमिठ बाट कर्टि गाला मर्ना ओ मायालुसे संगे बिटाइल पलके खोब याड आइठ । साहित्य वास्तवम समाजके परिपुरक हो । जौन साहित्य समाजके अवस्था प्रतिबिम्बित करठ उह साहित्य जिवन्त ओ चिरकालसम पलि रहठ । साहित्यकार हुँक्रे समाजहे जट्रा सन्डेस डिहसेक्ठैं ओट्रहे समाज बड्लट ओ उहमारे साहित्य जिवन्त रहठ ।
समकालीन साहित्य ह्यारबेर गजल बिढा आब लोकप्रिय मानजाइठ । अस्टक थारु समुडायम थारु साहित्यक पैला आघ बहर्टि जाए कना बिस्वास लेल बाटुँ । मोती रत्नसे म्वाँर चिनजान फेसबुक मार्फट हुइल हो । फेसबुकम हम्र ढेर जसिन साहित्यक बारेम बाट बट्वाइ । फेसबुकसे ज्वारल हमार साहित्यिक सम्बन्ढ आझ कृति निकरना सम पुग्ल । कृतिक लाग कुछ टे लिख डेह परल कल । मै हाँ हाँ कनु उहाँ, (मोती) गजल पठैल महि सक्कु सर्जकके २÷४ ठो, २÷४ ठो मै गजल हेर्ख ज्या जसिन रह गजल म ओसहेक आपन डुइ चार सब्ड लिख्ना प्रयास करल बाटुँ । इ गजल संग्रहके सर्जक स्रस्टाहुँक्रे सडाडिन साहित्यम चम्कटि रहि कना सुभकामना डेटि इ कृति सफलतक मैगर कामना ओ पोस्टाम कुछ लिखक लाग सुअबसर डेलक म सम्पादक संयोजक मोती रत्न जिहे हार्दिक आभार व्यक्त कर्टि मैफें ओल्टार हुइटुँ ।
पुनाराम कर्याबरिक्का
दंगीशरण गाउँपालिका ४ दाङ