लेखक बन्ना रहरके डगर

सुशील चौधरी
६ आश्विन २०७८, बुधबार
लेखक बन्ना रहरके डगर

लेखक बन्ना रहरके डगर

साहित्यम महि कहियासे मोहनी लागल, अस्ट कह सेक्ना अवस्था निहो । मैयाँ, दिन, पल टिक्याक लग्ना चिज निहो, अस्टह हो जैना चिज हो कठ, मुले मैयाँ लागक लाग सौन्र्दयताके बरवार हाँठ रहठ । सुन्दरता डेहरुप ओ मनरुप आकर्षित करठ सायद । कबु डुनु कबु एक्कचिजपे मोहन्याइठ, जसिन लागठ, महिहन । साहित्यसे मोर फें अस्टह हुइल । मै छुटिहसे किताब पर्हना, कविता गीत मुखग्र कण्ठम लेना बान रह । मै, याकरलाग बाबक हौसला, ओ गुरु हुकन्हक अध्यापन कलाहे जस डेठुँ । थारु भाषाम पर्हना लिख्ना अभ्यास निरलक मार नेपाली ओ अंग्रेजी भाषाम शिक्षा लेलक मनै हुँ मैं । चार कक्षा ‘माइ इंगलिस बुक वान’ किताब हाँठम लेक ए माने एप्पल, अंग्रेजी शब्दक अर्थ घोक्लक, आझु असक लागठ । आझ पटा पाइटुँ, स्याउ निफर्ना थरुहटी क्षेत्रम स्याउक व्वाँट निडेख्क फें जबरजस्टी स्याउक चित्र हेर्क मुहमसे लार चुहाइ पर । ए मसे एक्का पह्रपैलसे नेपालगन्ज बजारके एक्का दिमाकम अइनेरह । बाबा पुरान शिक्षाम आठ कक्षासम अध्ययन कर्लक शिक्षित मनै हुइलक मार मै छुटिहम वर्णमालाम ए,बि,सि,डि पहर्ना मौका पैल रनहुँ । छुटि कक्षाम खास कैक सरस्वती पुजा (श्रीपञ्चमी)क दिन सस्वर वाचन कैजैना, या कुन्देन्दु तुसार हार धवला, या शुभ्रवस्ता बृता । संस्कृतके श्लोक आझ फें कण्ठस्त बा । सायद, अस्टह रुचिकर, गिटबाँस, कविता ओ कथा (बट्कुही) पर्हटि पर्हटि साहित्यके बहुपासम आगैनु कि ?

बहरी, अंगनाम घुर्याट् लागल कोकनी निख्वारबेर ह्वाए वा खर्ह बन्कस काट गइल ब्यालाम पुर्खाओन्के मुहमसे सुन्लक, बट्कुही, कहकुट, गिटबाँस फें महि थारु लोकसाहित्यके पारखी बनाइल जसिन लागठ । हुइना ट हरेक पुस्टाहँुक्र अप्नेआपहन भाग्यमानी सम्झठुइहीं, मुले, मै आपन पुस्टाहन भाग्यमानी सम्झठुँ । कसिक कि खेन्हवँक कौह्रक आगिटाप ओ मकैक भुजक लावा ओ डौंराची चबाइ पागिल, बहरी, छिरवा, अंगनाम कोकनी निखोर्क आजा बुबा, बुडिन्हँक प्यारभरल लबजम बट्कुही, खिस्सा ओ गिटबाँस सुन पागिल । महटान अंगनाम बठ्न्याँओन्क फर्चल मेररीम कुडुक कुडुक चुट्टीक पस्ना घुठ्ठीसम अनाक मन्ड्रा बजाक रहर बटाइ पालिग । सखिर डानु रि डाडा लयम कान्हक रासलिलाक गाथा मनरख्ना मनरख्नी कुम्हाँ जोरजोरक मैयाँ फुलाइ पागिल । भ्वाज ओ पठ्लेहरी आइल ब्यालाम बठ्न्याँओन्से जाेंवँक लगा लगाक गिट गाक मनरख्नी र्वाज पागिल । आझकालिक लर्का का पैल, डिजे, युटुबम भर्चुअल मैयाँ कर्ना बाध्य बाट । मोर साहित्यप्रतिके अनुराग अस्टह वातावरणम पौंर्हलक हो कनाअसक लागठ ।

डायरी लिख्ना बान ट म्वाँर हाइस्कुल पह्रब्याला ठेसे जो हो, मुले व्यवस्थित निरह । लिख्ना ट लिख्ना पुरा कर निसेक्ना, खोब लिखम जसिन लग्ना, दुई तीन सय शब्द लिखल पाछ, सुस्टा जाउँ । टब महि लाग कि, मै मुहले जट्रा ब्वाल सेक्ठुँ, ओट्रह, कलमले कापीम काहे लिख निसेक्ठुँ, कैह्क साँसट लाग । छोक्रा नाचम गीतम ‘कोहरसे अइलो साली काहो टुहाँर नाउँ, चिठिया पठैबुँ मै, कौन हो टुहाँर गाउँ’ जाेंवँक लगाइबेर लिख्ना बाट आए । सारा राट गिटम मैयँक फुला फुलैना कैजाए । आझ बुझ्टी बाटुँ, मुनके भावना शब्दके चित्र दिमाकम बनाक हाँठले रिगबिगैना ट नियमित अभ्यासले बन्ना कला हो काहुँ । एक समय रह, मै नेपाली भाषा सिख्ना नाउँम आपन मातृभाषा फें मजाक ब्वाल निजानु । क्याम्पस पह्र, बबई क्याम्पस गैनुँ ट बल्ल महसुस कर्नु आपन भाषा ओ संस्कृतिक कट्रा महत्व बा कैह्क ।

सायद, पैतालिस साल ओर जोशीपुरके काका गोचाली पत्रिका लान्क महि पह्र डेल । पहिला फ्यारा थारु भाषाम लिखल पोस्टा पहर्नु । पह्रब्याला महा साँसट लागल । अँटक अँटक पह्रुँ । ढिरढिर बान पर्टिगैल । खोजखोज पह्रलग्नुँ । दार्जलिंगसे अइना नेपाली उपन्यास लुकेको समाज, प्रकाश कोविद ओ युधिर थापाके निलोचोली, तोता मैना, गुलबकावलीक कथा, हिन्दी थ्रिलर उपन्यास, कमसल कागजम छपक अइना हिन्दी सुपरहिट फिलिमके डायलगभरल पोस्टा फें खोब उसार्गिल । श्रीदेवी, जयप्रर्दा, मिथुन, अमिताभबच्चन, गोविन्दा, धर्वेन्द्र जसिन वलिउड सुपरस्टार हुकन्हक फुटुक रलक पोष्टकार्डके पाछओर सायरी, ओ डुबाट लिख्क संघरियन उपहार पठाइबेर सायरी लिख्ना सीप बन्टी गैल । पाछ वाकर छाप म्वाँर गिट लिखवेर डेखपरल ।

म्वाँर पहिल लेखन कौन हुइ कैह्क सम्झबेला, २०४५ साल ओर बर्दिया जिल्लक गाउँ गाउँम राम झुम्रा नाच महाँ चर्चित रह । नाच टोली निरलक गाउँ जो निरहना, भौंराओर ट । गेरह्वा लड्यक पुरुपओर कुछ कम गाउँम नाच मण्डली, महि पटा हुइट् सम् बग्नाहाम सन्तराम धारकटुवा, कविराम थारु, भिख्खु चौधरी, पल्टु चौधरी ओ ललित चौधरीक अगुवाइम नाटक समूह सक्रिय रह । हमार गाउँ मजोरबस्तीम बर्षक बरस, पाताभार, उल्टनपुरसे नाच आए । दुई बरस लग्ढार नाच अइल । हम्र लैलाहा लर्काफें आपन गाउँम नाच मण्डली बनाइपरल कैक, भिर्ली । पहिला बरस हम्र गब्बर सिंह नाटक मंचन कर्ली । यी नाटकके संवाद मै अप्पन्हे लिख्नुँ । टब्ब कापीक सिन्ही रना । रफ कैक बचल पन्ना पन्नाम मै डायलग लिख्क संघरियन बाँटु । गिट भर और जन्ना संघरियन ओ अग्रजन् समझक, जोरजार कैक बनाइ । म्वाँर पहिल साहित्य लेखन उह हो जसिन लागठ । आब्ब म्वाँर ठें उ लिखल पोस्टा निहो । साहित्य लिखपरठ कना सेफें स्वस्थ मनोरंजनके लाग लिखगिल रह । ढर्ना जोगैना कुछ, औसान जो निआइल । राम झुम्रा नाचके गिटक पोठी हेराक आझसमफें चुक्चुकी लागठ । वाकर पाछ, कैलाली गेटाम हुइलक बेस संस्था साँस्कृतिक महोत्सवम काजुनी कैलालीक कौन गाउँक नाच मण्डलीहुक्र तकदिरके पन्ना कना नाटक डेखैल, नाटक असन मजा कि मै आझसम फें बिसराए निसेक्लहुँ ।

२०५२ साल ओर हो जसिन लागठ, मै लिख्नु, तकदिरके पन्ना नाटक कुछ परिमार्जन सहित । गाउँम मंचन फें हुइल । लोकप्रिय हुइल । तकदिरके पन्ना म मुख्य हिरोके भूमिका खेल्उइया भैया भागिराम चौधरी बहुत नाउँ कमैल । पाछ, भैया माओवादी युद्धम लामवद्ध हुइल । साँस्कृतिक मोर्चाम तहल्का मचैल । दुःखक बाट, युद्ध हुकाहार बलिदानी माँगल, चलगैल । गोचाली (२०२८), संघरिया एकराज चौधरीक जाँगरम बेस बर्दियासे निक्रना टेल्वा, बग्नाहासे निक्रना नेउटा, काठमाण्डौसे निक्रना बिहान पत्रिका थारु भाषा साहित्यके विकासक लाग परर्गोहनी जसिन रह । २०५० साल म हो सायद मै सुर्खेतके वीरेन्द्र बहुमुखी क्यापसम अध्ययनरत रहलबेलाम, गोचालीक गठन कैक सुर्खेतम मेरमेरिक गतिविधि कर्टीरहल बेला गोचाली परिवारके सम्मेलन दांगक सौडियार गाउँ हुइल । मै सुर्खेतके प्रतिनिधिक रुपम सहभागी हुइल रहुँ । उह, सम्मेलनम राष्ट्रिय कविता प्रतियोगिता हुइल रह । मै डव्निभिराउम पहिल स्थान हाँसिल कर्नु । उ परिवेश महि समयचेतके साथ लिख्ना हौसला मिलल । टब मै एक्काइस बर्षक भाराबैसक ठंरिया रहँु । राजनीतिक ओ सामाजिक रुपान्तरणके चेतना कुछ ना कुछ आस्याकल रह । सुर्खेत रहब्याला, जनसाँस्कृतिक मंचम काम कर्लकमार गिट संगीतओर म्वाँर लगाव बर्हटी गइल । २०५४ सालके गोचाली पत्रिकाम मोर पहल कविता छापगिल, युवन आह्वान शीर्षकम । महि पटा हुइट् सम् मोर पहिल सिर्जना यिह हो । हुइना ट टबसम्म कविता ओ गिटले नोटबुक भरगिल रह । साँस्कृतिक प्रतियोगताम म्वार लिखल गिट ओ नाच पहिला स्थान पाए ।

२०५३ साल ठेसे सामाजिक विकास ओ मानवअकिधकार क्षेत्रम काम करभिर्लकमार, सचेतनामूलक गिट, नाटक लिख्ना करलग्नुँ । युनिसेफके अभिभावक शिक्षा विषयम प्रशिक्षक प्रशिक्षण तालिम लिह भक्तपुरके उकठो होटलम गैनुँ । तालिम सुरु कर्टी कर्टी अपेक्षा संकलन करबेर प्रशिक्षक आपन जिन्गीक लक्ष्य इमान्दारीपूर्व मेटाकार्डम लिख कल । मै का लिखुँ, का लिखुँ कैक सोच विचार कैक लेखक बन्ना लिखडेनुँ । प्रशिक्षक सहरैल, सिर्जनशील काम कैक । कुछ, संघरियन मही खिज्झोइल फे । उरैल फे, असम्भव, बरवार, आइडल लक्ष्य लिख्लक म । मै संझ्याक आपन कोठाम गैनु, मही और छन्डिक लागल । मै का लिखडेनु कैक,, मुले म्वार मनके बाट सार्वजनिक कर्लकम भित्र भित्र खुशीफे रहनु । लिख भिर्नु फे । बीस बरसम मै यहाँ बाटुँ । मै जान नाजानक लिख्टी रनहुँ उहमार मै उ प्रतिवद्धता सार्वजनिक करसेक्नुँ ।

बाकर पाछ, कुछ ना कुछ कृति त छपाइ परल कना सोच मनम आइ लागल, २०५६ सालम कविता ओ गीत सिमोट्क लौव चलन भाग एक निक्रैनु । पोस्टक हिसावले लौव चलन भाग—१ जो म्वाँर पहिल कृति हो । ओसिन ट यि कृतिम कुछ गिट कविता संघरियनके बा । मुले ढ्याउरनक म्वाँर सिर्जना बा । २०६२ सालम लौव चलन भाग २ निकरल, डोस्र पोस्टक रुपम । २०५८ सालम लखारगीन गीति एल्बम निक्रल । सुमित्रा चौधरी ओ म्वाँर स्वरम । म्वाँर गिटके पहिला पोस्टा हो कलसे कृतिक हिसाबसे टिसरा । लडियाम भेउँरा छट्कल बोलके गिट रहल बा गीति पोस्टाम ।

लडियाम भेंउरा छट्कल
सित्तर बयाल चलल
पखुवाम बनकस हिलल हो
एक डु बाट बोलडेओ
मनके बाट खोल डेओ
हिरडा जुराइ मोर हो ।

बाकर पाछ, कचहरी नाट्य समूह बनाक थारु भाषाम कचहरी नाटक कैगिल । टब, कमैयाँ मुक्ति, लैंगिक विभेद, सामाजिक द्धन्द्ध, सुशासन, रुढिवादी संस्कार लगायतके विषयम नाटक लिख्ना काम कैगिल । नाटक टोलीके सुझाव ओ सल्ला लेक नाटकके अन्तिम रुप डेना काम टीम लिडरके हैसियतले महि जो कर परल । यि परिवेश फें महि सिर्जनात्मक लेखनओर हिरगर बनैटी गैल ।

२०६५ सालम ढौरागीन गीतिएल्बम आइल । गायक माधब चौधरीक चर्चित गिट पुरखन्क बनाइलक घर गिट फें यि एल्बमम समेट्गील बा । ढौरागीन गीति एल्बम मोर चौठा पोस्टा बनल । आब सम मै राष्ट्रिय पत्रिका, मोफसलक पत्रिका, थारु पत्रिकाम निबन्ध, कविता ओ समीक्षा लिख्ना भलमन लेखक होसेक्ल रहुँ । बर्दियासे निक्रना मैगर हमार सन्देश साप्ताहिकक सह सम्पादक, मुस्कान अर्ध साप्ताहिक प्रधानसम्पादक, गुर्वावा प्रकाशन प्रा.ली., नेपालगन्जक अध्यक्षके भूमिका निर्वाह कैसेक्ल रहँु । प्रालीक मुखपत्र अग्रासन मासिकम नियमित लिखुँ । गोचा कृष्ण सर्वहारी के पहिल बिररक भ्याँट हुइलसेफें २०६० सालम रेडियो सैडान रेडियो कार्यक्रम चलाए काठमण्डुसे झोक्री टोक्री उठाक नेपालगन्ज अइल । टबसे गझिनक उक्वारभ्याँट हुइल । साहित्यिक विमर्श फें हुइ लागल । महि गोचा ‘चाडपर्व लेखक’ नाउँ डेल रलह । जहिया भ्याँट हुइलसेफे लेख मंगना । हैरान पर्ना । लिख्ना कलक, खेल्ना, गाला मर्ना, घुम्ना, गिट गइना जसिन बान हो, लिख्ना आदत बैठल कलसे केल लग्ढार लिख सेक्जिना रलक । ढिरढिर आकुर समसामयिक विषयम कलम चलाइ भिर्नु । दाङ्गमसे निक्रना लौव अग्रासन साप्ताहिकके संरक्षकके रुपम मै नियमित स्तम्भ लिख्टी आइल बाटुँ । थारुवान डटकम, हमार पहुरा, पहुरा, हरचाली, निसराउ, डौना बेबरी, लगायत दर्जनौ थारु पोस्टाम लेख छापगिल बा ।

२०६७ सालम मै, सोम डेमनडौरा ओ कृष्ण डेमनडौरा मिल्क नेपालगजम परगा साप्ताहिक पत्रिका दर्ता कैक काम सुरु कर्ली । नेपालगन्जहन थारु साहित्यके हब बनैना काम बरवार भूमिका ख्यालल । उह बीचम क्रियाशील गीतकार, गजलकार, मुक्तककार, लेखकहुकन्हँक ठाकुरद्धारा जुटेहला कर्ली । उ भेलामसे जंग्रार साहित्यिक बखेरी जर्मल । सोम डेमनडौराक संयोजकत्वम नेपालम सबसे सक्रिय ओ सिर्जनशील साहित्यक बखेरीक रुपम काम करल । आढा दर्जन पोस्टा निकार स्याकल । यी सक्कु काम ओ गतिविधिम अवधाराणत चिन्तनम मै कौनो ना कौनो रुपम मेखगिल बाटुँ । जौन अबसर महि सिर्जनात्मक लेखनके मौका डिहल, कलमके निप्पा टिस्लोर हुइटी गइल अस महि लागठ ।
२०६९ सालम आपन आफिसक कामके लाग काठमण्डु सरुवा हुइनु ट सर्वहारी गोचा ओ कीर्तिपुर बैठ्ना मैगर भैया बाबुहुँक्र महि दिलदार स्वागत कर्ल । मोर पाँच बरसके दर्मियानम कीर्तिपुरम ठुम्रार साहित्यिक बखेरी जर्मल ओ आपन मैगर भूमिका अदा कर्टि बा । महि लागठ गइल सात बरसम काठमण्डु ओ गाउँ बीच साहित्यक सम्वाद ओ भेटघाटम बहुत बढोत्तरी हुइल बा । यिह क्रमम काठमण्डुम रलक संस्कृतिकर्मी ओ कलाकारहुकन्हँक व्यवसायिक संस्था चम्पन साँस्कृतिक समूह जरम क, आझ थारु गीत संगीतके फँट्वाम तहल्का मच्चैल बा । यी संस्था जर्मैना साँसटम मै लागमिल करपैलक महि गर्व लागठ । २०७२ सालम म्वाँर कविता संग्रह बिरहुल बसिया निक्रल । चम्पन साँस्कृति समूह प्रकाशकक रुपम रह ।

नाटक ओ फिल्मओर म्वाँर लगाब सुरुसे रह । मस्र्री, चाना, अरहर सिल्हाक, ठोरठार घानामसे हपकक हुइलसेफे ठोरचुन पैसा बनाक भिडियो हेर्लक आझु असक लागठ । हाइ स्कुल ओरैटी घरीम चानचुन एक हजार फिलिम हेर सेकल रहुँ । प्रदर्शनकारी कलाम म्वाँर लगाव ओ सिर्जनशीलता डेख पर्नाम वाकर हाँठ बा । भुरभुरा रहर ओ हिट्वा नाटक लिखबेर वाकर प्रभाव झल्कठ । पोष्टर हेर्क कथानक बटोइना प्रतिश्पर्धाम मै सड्ड आघह रहुँ । नाटकम कुछ ना कुछ कर्ना मोर जुनुन सवार रह । काठमण्डु बसाइम एकठो हुइलसेफे नाटक नाटकघरम डेखैना सपना रह । एक दिनक बाट हो । मै ओ सर्वहारी गोचा सर्वनाम नाटकघरम नाटक ह्यार गइल रहि । गोचा मोच्छार माछार अलारी अलारी डेखपर्ना लांैरासे परिचय करैल । उ लउन्डा रलह प्रणव आकाश । मिठमाठ गालामर्ली, हमार बखेरीम प्रणव आए भिर्ल, कीर्तिपुर । रसरस हमार मैयाँ गझिन हुइटी गइल । प्रणब महिसे नाटक मंग्ल । रहर कना नाटक इमेल म पठाडेनुँ । कुछ समय पाछ, नाटक डेखैना सल्ला हुइल । २०७३ पुस १३ गतेसे नाटक भुरभुरा रहर सुरु हुइल । रहर हन भुरभुरा बनैनाम प्रणवके वाचन शैली जिम्मेवार बा । रहर नाटक भुरभुरा रहर बन व्याला, लक्षणीकता थप हुइल असक लागठ । मन ओ भाव ओ अनुभूति सल्पुर्न चिंगनी सिर्जक लाग बहुट बरस कर्काइ पराइ परल, एकठो पहिलोठी चिंग्नी आँरा पार असक । भुरभुरा रहर करिब तीन बरस लगाक लिख्लक नाटक हो । २०७३ सालम थारु नाटकके इतिहासम पहिला व्यवसायिक नाटक भुरभुरा रहर सर्वनाम नाटकघरम दुई हप्ता मंचन हुइल । २०७४ म हुइल टिस्रा थारु साहित्यिक म्याला, बर्दियाक बढैयातालम हुइल । उह म्यालाम म्वाँर शब्द संगम निबन्ध संग्रह विमोचन हुइल ।

नाटक लिखने व्यवसायिक दायित्व कंढ्याम आइल असक लागल । सरुभक्तके नाटक सिरुमारानी मण्डला नाटकघरम हेर्नु ट महि लागल । असिन मेरिक कथाबस्तु ट हमार लोककथा–बट्कुहीम जठ्याक फें बा, काकर नाटक निलिख्ना ? सर्वहारी गोचाके थारु लोककथा भाग १ मसे हिट्वा बट्कुही छनौट कर्नु ओ, लिख्नु रो रो क ।

बर्दियाक राजापुरम सक्रिय सैडान नाटक घरके शिवानी बाबुहुँक्र कैह्येसे नाटक माँगठ, पठाडेनु । लर्का पुरी पकैही कि नाही कैक, घाँटिभरोसा रह । मुले जंग्रार निक्रल, २०७५ सालम मंचन कर्ल । उहिसे आघ, २०७४ साल फें म्वाँर लाग बिस्राइ निसेक्जिना हुइल । भुरभुरा रहर नाटक, सलिमा बनल । गइल साल सुनसरी दुहवीम हुइना कलक राष्ट्रिय थारु साहित्य सम्मेलनम नाटक संग्रह विमोचन कना योजना रह । लकडाउन ओ कोरोना कोर्याडिहल । व्यवसायिक रुपम लिख्ना योजनाके साथ जागिर फें छोरडेनु ।

पोरसाल चैत महिनासे कोरोना भाइरसक महामारीक मार देशभर लकडाउन लागल । बाहेर निक्रनिपैना अवस्था हुइल । म्वाँर लाग ट मर्जाड बह्रअस हुइल । नाटक संग्रह, निबन्धसंग्र (थारु ओ नेपाली), कविता संग्रह ओ आकुर कृति लेखन सुरु हुइना समय मिलल । थारु निमाङ्ग बर्का शब्दकोश लिख्ना सुरुवात कर्नु । भाषिक मानकता ओ मातृभाषाम शिक्षा ओ थारु भाषामा सरकारी कामकाज कर्ना सवालम अवधारणा लेखन फें हुइल यि अन्तरालम । मवाँर लाग लेखन शौक कम पेशा ढ्याउर बन्टी जाइटा । म्वाँर लेखन भाषा नेपाली ओ थारु बा आब्बसम, मुले अंग्रेजीम फें लिख परल कहना सोच उम्रल बा । शुभचिन्तकहुँक्र आसफें कर्टी बाट । सायद, अनुवाद साहित्यके फँट्वाम अंग्रेजी भाषा बेल्ससेकम मै , रसरस वेनिया डोलाइ कह असक ।

पह्र गुन कौन काम, हरजोटो ढाने ढान कना कहावत थारु समुदायहुँक्र गलत असान्दर्भिक सावित कैडेल बाट । २०४६ सालक राजनीतिक परिवर्तन बाड, शिक्षाक्षेत्रम सबसे ढेउरनक प्रगति कर्लक जातिक रुपम थारु जातिन् लेगैल बा, सिनासके एकठो प्रतिवेदनम । मन मन गिटवार कौन, सट्ल सुट्ल जग्वार कौन ? कना आहान बा । हम्र जट्रा पर्हलिख गैली, उ ट ठीक बा, मुले पह्रल लिखल, देश डुन्या ड्याखल बुज्रुकहँुक्र औरजन्हँक विद्या पहर्क पट्टु रामराम कहो कना अवस्थाम बाटी । आपन, इतिहास,, संस्कृति, कला, दर्शन साहित्य, प्रविधि ओ ज्ञान सिद्धान्तहन, जौन भाषाम हुइलसेफे लिखी टब, हमार समाज चम्पन ओ चैनार हुइ । मै ट लेखनम बौरागैल बाटुँ, कुइ महि लेखक कह नाकह, मै लिख्टी जैम, महि पटा बा लिख्ना कलक आढा प्याट खैना, जसिन साँसट हो । कट्रा लेखकके विडारक जिन्गी जिलक इतिहास पहर्ल बाटुँ । नेपालम बैतनिक ओ व्यसायिक लेखक अंग्रीम गन सेक्जैना बाट । उहम फें थारुभाषाम लिख्क जिना कठिन बा । जियक लाग लिख्ना सेफें लिखक लाग जिना अवस्था बा । नेंगटी रलसे मठ्वा कसिक निचिहुर्जाइ ।

एक अमेरिकी लेखक इल्वइन बरुक्स ह्वाइट् लेखकक दायित्व ओ जिम्मेवारी सम्झैटी कठ ः ‘लेखक राम्रो नकी घटिया, सत्य न की झँुठ, जिबन्त नकी रुढ, ठीक नकी गलत, बाट लिख परठ । । उसले जनतालाई माथि तान्नु पर्छ न की पछाडि धकेल्ने । लेखकहुँक्र जिन्गीक प्रतिविम्ब केल उटर्ना निहोक बहेत्तर जिन्गीक बारेम अनुभवके नजाराफें डेखाइ परठ ।’ सायद, लेखन गुणवत्ता बनाइक लाग यी कहाइसे सहमत हुइटी अभ्यासम खरो उट्र परी । रस रस बेनिया डोलाइ ।

सुशील चौधरी

लेखक बन्ना रहरके डगर

सुशील चौधरी