गजल
जबरक चाउर ओराइ लागल का खैना हो
खाली रहल कुठ्ली कुठ्लम् का ढैना हो
महाजन के पुरान ऋण ओराइल नै हो
घर जग्गा बिके लागल कहाँ जैना हो
मेरमेरिक पेउँडा लागल लुग्गा घाले परठ
आधा जीउ निक्रे लागल का लगैना हो
सबके लर्का किताब लेके स्कुल पर्हे जैठै
रुप्या नै हो गोझुमे कैसिक हो
केउ धनी केउ गरीब होके जीए पर्ना
गरीबी से मुक्ति हम्रे कहिया पैना हो
दिलिप टेंर्रा
राजापुर न. पा. –१२, घुमना बर्दिया