ऊ कहल कुछ करडेम टोहाँर लग
टुँ चिन्तै नाकरो लरडेम टोहाँर लग
आगीहे साखी ढैके मनरख्ना कहटेहे
टँु हाँ कहो नैते जरडेम टोहाँर लग
बिचारी डाई बँचल खोटर खाइटिही
लकैं कली चुनु ढरडेम टोहाँर लग
सँच्चाई बिना जन्ले मोर गजल पह्रके
कोई लिखल् ‘सत्य’ मरडेम टोहाँर लग
– सत्यनारायण दहित
हसुलिया–८ मनाउँ, कैलाली