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गजल
सक्कु युवा लरी हम्रे संघर्षक् लराइ ।
अपन अस्तित्व ओ पहिचान बचाइ ।
हेरैटी जाइटा चालचलन रीतिरिवाज,
आई गोचाली अपन लगाम लगाइ ।
मेहनती थारु हम्रे आदिबासी हुइटी,
मर्वक् भुट्भुटाइल देव दुर्गा जगाइ ।
सँस्कृतिसे भरल – पुरल बटी थारु हम्रे,
लेहंगा फरिया गहनासे समाज सजाइ ।
पुर्खनके सिरजाइल इहे सम्पत्ति हो,
सजना मेना धमार माँगर गीत गाइ ।
– कालु राम चौधरी
मसुरिया ४ लिक्मा, कैलाली