सफल्टा कथा
गोचा सागर कुस्मिसे घुमफिर कर्ना कारममे एकठो अन्जान गाउँम पेलैलैं । उ गाउँ मोरलाग लावा नैरहे कना नैहो मनै जाट्टिक लावा रहे । जोन गाउँक नाउँ झन्डाबोझि हुइटिस । गाउँक नाउँ सुन्ले रहुँ मने डेख्ले नैरहुँ । झन्डाबोझि गाउँसे मोर पहिला भेंट हुइल रहे । मोर बेकार आडट टे एकथो यहे बा हलिसे गाँउक नाउ कसिक परगिल कहिके पँुछडरना । उहे गाउँक भल्मन्सा बटैलै पहिले बस्टि नैठलमे पुरखा ओइने इ ठाउँम झन्डा गारके गैलक ओरसे झन्डाबोझी गाँउक नाउ हुइल बटैलै । हिमालि पछलडङ्ग्या सुख्लाफांटा न.पा.७, झन्डाबोझि गाउँके पुरान बासिन्डा हुइंट । उहाँ धेर बरस से भल्मन्सा खेलैटि आइलबटैं । समाजसेवाके संगे थारु लोकगिट अपन थारु सास्कृटि हे बचैना लक्ष्य मे लागल बटैं । इहे क्रम मे एकठो थारु अस्टिम्कि गिटके किटाब फेन निकार सेकल बटैं । हाल २०७८ मे आके एकठो थारु लोकगिट लसरबगिया बोलके गिट बजारमे लानसेकल बटैं । यहे २०७८ सालिक बाट हो डशिया लचक्याइट हिमाली अपन घर अइना नेंउटा डेलेरहिट । उहे नेंउटा स्विकारके हम्रे भेट करे गैल रहि । उ राट डशियक ओंरि डारेहस भिन्सार सम अपन बुक्रम गिट बट्कुही सुनैटि भिन्सार कराडर्लै ।उ राट एक घण्टा किल सुटे मिल्लस मुर्घी बोलेलग्लै । हिमाली जुन बिनसुटल अपन कामेओर सोझर डेलै । हिमालि पछलङ्ग्या बाँसक ओ बेंटक घरायसि सामान कुर्सी,टेबुल,छिट्वा,डिल्या,मुरा,सुप्पा रयाग हेङ्गर टोकरी आदि, चिज बनैनामे बरे सिपार बटैं । समाजिक सेवामे फुरसड नै रलेसेफेन अपन ठन रहल सिपसे अपन परिवार पल्टिरहल बटैलै । हिमालि पछलडङ्ग्या थारु गिटसे भरलबटै कना निहो मने जात्तिकसे गितक बखारि हुइटैं । बट्कोहि केटे समुन्डरै हुँइट । मनराखुके छावा हिमालि पछलडङ्ग्या पहिले सामान्य खेटि कर्टि आइल ओ हाल आके बाँसक ओ बेंटक दुई डर्जनसे धेर मेरिके चिज बनाके बजारमे पुगैटिरहल बटैठैं । हिमालि इ पेसासे सन्टुस्ट रहल ओ इ पेसासे अनुमानिट सिजनमे मासिक ५० हजार समके आमडानि हुइना बटैठैं । हिमालि कबुकाल युवनके बिचमे तालिम डेहेल फेन बटैठैं । करिब १५ बर्ष भल्मन्साके जिम्मेवारी पूरा कर्टि रहल ओ बेरोजगार रहल ओइनहे सीप सिखाके आत्मा निर्भर बनैना लक्ष्य बा कठै हिमाली ।
संगम चौधरी