गजल
घर लैगिल सडक लैगिल लैगिल धानबाली
का खाउँ का लगाउँ बटा ना सरकार हाली
उ बेला मँहजनुवाँ आके लालपुर्जा लैगिल
अब्खिस लैगिल जगगा बहिया हुइनु खाली
घाम–जार आगी–पानी सहके खेती लगैनु
टभुन फेर ओकर फल नै मिलल् यि पाली
धान काटके निंहना कसेबेर सोंच्ले रहुं मै
असौंक साल यि धान पक्कै वर्ष कटाली
अंकर अन्जान सहयात्री
जानकी गाउँपालिका–८
जबलपुर कैलाली