तोहार यादमे

-राम चरन कुस्मी चौधरी( एकल यात्री  ) 
१७ मंसिर २०७८, शुक्रबार
तोहार यादमे

यी रातमे हरपल तोहार यादमे मै डुब्टी बटु ।

कबुँना सोचहो औरेक, तोहाँर छृप्टी बटुँ ।।

परयास करती बतु ,तोहार संग जिन्गी बितैना ।

तबे ते तोहार लग्गे,भौरा बन्के घुम्टी बटुँ ।।

हाँसल मुह देखके , दिलके बात काहे नै बुझ्लो ।

तुहीन का पता ,भित्रेभित्रे पागलहँस घुम्टी बटु ।।

एकल यी जिन्गीमे , साथ पाइल रहु तुहीन से ।

दुःख ओ सुखके , उ लरम हाठ चुम्टी बटु ।।

मोर चाहना अत्रा बा कि तुहीनसे मैया लगैना ।

तबे ते गजल लिखके,मन के बात सुन्टी बटु ।।

    -राम चरन कुस्मी चौधरी( एकल यात्री  ) 

तोहार यादमे

-राम चरन कुस्मी चौधरी( एकल यात्री  )