दशैंके सम्झना

-सुनिल चाैधरी
१७ मंसिर २०७८, शुक्रबार
दशैंके सम्झना

मन्ड्रा के ट्रासन संगे पुट्ठा के उल्रार,डउना बेब्री के महक,
चॉंदनी के रूप पतली कमर तिर्छी नजर,मजीरा के छनक।।

एैहो छैली ऊहे अगन्वा कटौती लेहेन्गा झोबन्दा झोटी मे,
घुट्का संगे मेर्री बनैटी नच्बी व गैबी,कर्बी हमारे चमक ।।

भाउँ के इसारा लाली के बात हरिण के चाल में छैली
जियारा लल्चैटी छमक छमक कर्लो, मोर दिल में झमक ।।

जवानी के जोबन माया व पिरती में तोहार संगे छैली ,
जुनी-जुनी भर संगे जोबन बिटैना बा, जिन्दजी के रौनक़।।

-सुनिल चाैधरी

घाेडाघाेडी-१२, कैलाली

दशैंके सम्झना

-सुनिल चाैधरी

error: Content is protected !!