मोरिक संगीत

मनमती बखरिया
१७ मंसिर २०७८, शुक्रबार
मोरिक संगीत

कविता मोरिक संगीत नै हो गीत हो
पेशा मोरिक रहर नै हो बाध्यता हो ।

फूला जैसिन जोवन तुहाँर चढल बा जवानी
चाहे मै जैसिन रहुँ तुहु हुइतो मोर मनके रानी
छोडके नेंगठो भुट्लाटे भौरा गुनगुनैठै–२
भरल तोहार जवानी देख्के साराजे तडपठैं ।
गोहर गुलाबी गाल तोहार काहे मुक्सुरैठो ?
धसाक धसाक जिउ धरकाक काहे दुर दुर भग्ठो ?

तुह मोर गीत हुइतो तुह मोर संगीत,
यदि तु हाँ कबो ते हमार हुइजाई हित
हमार हुइजाई हित ।

मोरिक संगीत

मनमती बखरिया